Saturday , November 23 2024

विदेश

ईरान-पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने फोन पर की बातचीत, तनाव कम करने पर बनी सहमति

पाकिस्तान और ईरान के बीच तनाव कम करने पर समहति बन गई है। ईरान के बलूचिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर हवाई हमलों के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था। संबंधों की तल्खी के बीच ईरान और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने शुक्रवार को फोन पर बातचीत की। इसके बाद दोनों देश तनाव को कम करने और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में समन्वय को मजबूत करने पर सहमत हुए। साथ ही दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर सैन्य हमलों के बाद पटरी से उतरे संबंधों को सुधारने पर भी चर्चा की और मौजूदा हालात की समीक्षा की है। दोनों देशों के राजदूतों की वापसी पर भी चर्चा हुई।

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय (एफओ) ने एक बयान में कहा कि विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी ने अपने ईरानी समकक्ष हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन से टेलीफोन पर बात की और पारस्परिक विश्वास व सहयोग की भावना के आधार पर ईरान के साथ काम करने की देश की इच्छा जताई। बयान में कहा गया है कि पाक विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान किया जाना चाहिए। एफओ ने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि आतंकवाद विरोधी अभियान और आपसी चिंता के अन्य मुद्दों पर सहयोग और समन्वय को मजबूत किया जाना चाहिए। दोनों पक्ष तनाव कम करने पर भी सहमत हुए। दोनों नेताओं ने पड़ोसियों के बीच घनिष्ठ भाईचारे के संबंधों को भी रेखांकित किया।

ईरान के साथ घनिष्ठ सहयोग की जरूरत
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक दोनों देशों के मंत्रियों की बातचीत के दौरान तनाव कम करने के प्रयास करने पर जोर दिया गया। इस रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार को पाकिस्तान ने तुर्किये से भी इस संबंध में बात की। पाकिस्तान ने साफ किया कि उसे ईरान के साथ तनाव बढ़ाने में कोई दिलचस्पी नहीं है। पाकिस्तान ने व्यापक सुरक्षा समीक्षा के संकेत भी दिए हैं। विदेश मंत्री जिलानी ने आपसी विश्वास और सहयोग की भावना के आधार पर काम करने की भावना से भी ईरानी समकक्ष को अवगत कराया। उन्होंने ईरान के साथ सुरक्षा मुद्दों पर घनिष्ठ सहयोग की जरूरत भी बताई।

तुर्किये से बातचीत के बाद ईरान के संपर्क में आया पाकिस्तान
ईरानी समकक्ष के साथ बातचीत से पहले पाकिस्तानी विदेश मंत्री जिलानी और तुर्किये के उनके समकक्ष के बीच भी फोन पर बात हुई। इस संबंध में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्र के हवाले से रॉयटर्स की रिपोर्ट में बताया गया कि तुर्किये और पाकिस्तान की बातचीत उस समय हुई जब पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवर उल हक काकर ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक शुरू की। इसमें देश के सभी सैन्य सेवा प्रमुख भी मौजूद रहे।

दावोस से लौटे पाकिस्तानी PM, यूएन और अमेरिका का बयान
इसके बारे में पाकिस्तान के सूचना मंत्री मुर्तजा सोलांगी ने कहा, बैठक का मकसद ‘ईरान और पाकिस्तान के बीच हालिया घटनाओं के बाद व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा समीक्षा’ की गई। हालात की गंभीरता को भांपते हुए पीएम काकर ने स्विटजरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच की यात्रा को बीच में ही छोड़ दी। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों देशों से अधिकतम संयम बरतने की अपील की है। अमेरिका ने भी संयम बरतने का आह्वान किया है। हालांकि राष्ट्रपति जो बाइडन ने यह भी कहा कि दोनों देशों के टकराव से साफ होता है कि इस क्षेत्र में ईरान को पसंद नहीं किया जाता है।

दोनों देशों के मंत्रियों की बातचीत
ईरान-पाकिस्तान टकराव के कारण बढ़े तनाव से जुड़ी खबरों के मुताबिक पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बताया कि विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी ने शुक्रवार को अपने ईरानी समकक्ष होसैन अमीराब्दुल्लाहियन से फोन पर बात की। इससे पहले गुरुवार को पाकिस्तान की तरफ से जवाबी हमलों के बाद ईरान ने कहा था कि उसके क्षेत्र के सीमावर्ती गांवों में चार बच्चों सहित नौ लोगों की मौत हुई है। पाकिस्तान ने कहा कि मंगलवार को हुए ईरानी हमले में दो बच्चों की मौत हो गई।

पाकिस्तान में चुनाव पर असर नहीं पड़ेगा
ईरान के साथ बढ़ते तनाव के कारण पाकिस्तान में 8 फरवरी को होने वाले आम चुनाव प्रभावित नहीं होंगे। चुनाव आयोग के प्रवक्ता के हवाले से द न्यूज इंटरनेशनल अखबार की रिपोर्ट में कहा गया, चुनाव आयोग अभी भी निर्धारित समय पर चुनाव कराने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। पाकिस्तान-ईरान तनाव के कारण चुनाव की तारीख की समीक्षा करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। आयोग तैयारियों में जुटा हुआ है। सूचना मंत्री मुर्तजा सोलांगी ने भी कहा कि चुनाव समय पर होंगे और दोनों पड़ोसियों के बीच तनाव का चुनाव कार्यक्रम पर कोई असर नहीं पड़ेगा। चुनाव कराने के लिए जरूरी सुरक्षा उपायों पर सोलांगी ने कहा, सरकार शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को जरूरी सुरक्षा प्रदान करेगी। उन्होंने दोहराया, ‘अब घोषित तिथि पर आम चुनाव से पीछे हटने की कोई जरूरत नहीं है।’

‘पैदाइश’ पर सवाल उठाने वाले ट्रंप पर निक्की हेली का पलटवार, बोलीं- वे डरे हुए और असुरक्षित महसूस कर रहे

अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए होड़ बढ़ती जा रही है। इस रेस में जिन दो दावेदारों को रेस में सबसे आगे देखा जा रहा है, उनमें पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय मूल की अमेरिकी नेता निक्की हेली शामिल हैं। दोनों ही नेता अपनी पार्टी से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारी पाने के लिए काफी कोशिशें कर रहे हैं। इसी कड़ी में ट्रंप और हेली के बीच जुबानी जंग भी छिड़ी है। जहां एक दिन पहले ही ट्रंप ने हेली की अमेरिका में पैदाइश और नागरिकता को लेकर सवाल खड़े कर दिए थे, वहीं अब निक्की हेली ने ट्रंप पर पलटवार कर उन्हें डरा हुआ नेता बताया है।

क्या बोले थे डोनाल्ड ट्रंप?
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में अपने एक सोशल मीडिया पोस्ट में निक्की हेली को उनके असली नाम ‘निम्रता’ लिखकर संबोधित किया। ट्रंप ने लिखा कि ‘क्या किसी ने बीती रात निक्की ‘निम्रता’ के भाषण को सुना। उन्हें लगता है कि वह आयोवा जीत जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वह तो रॉन डी सैंटिस को भी नहीं हरा पाईं, जिनके पास अब फंड भी नहीं है और उम्मीद भी नहीं है।’

साथ ही ट्रंप ने एक सोशल मीडिया पोस्ट को रीपोस्ट भी किया, जिसमें दावा किया गया था कि निक्की हेली अमेरिका में राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के योग्य नहीं हैं, क्योंकि जिस वक्त निक्की हेली का जन्म हुआ था, उस वक्त तक निक्की के माता-पिता को अमेरिका की नागरिकता नहीं मिली थी।

पलटवार में क्या बोलीं निक्की हेली?
निक्की हेली ने स्थानीय समयानुसार शुक्रवार शाम को एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “मैं ट्रंप को अच्छी तरह जानती हूं। जब उन्हें डर लगता है और वे असुरक्षित महसूस करते हैं, तब वे आपको नाम लेकर बुलाते हैं। मैं इस पर ऊर्जा बर्बाद नहीं करुंगी।”

भारत से अमेरिका गए थे निक्की के माता-पिता
निक्की हेली के माता-पिता भारतीय थे और वह अमेरिका शिफ्ट हो गए थे। साउथ कैरोलिना के बैमबर्ग में निक्की हेली का जन्म हुआ। अमेरिका में जन्म होने के चलते निक्की हेली को स्वतः ही अमेरिकी नागरिकता मिल गई। डोनाल्ड ट्रंप इससे पहले बराक ओबामा की अमेरिकी नागरिकता पर भी सवाल उठा चुके हैं।

पन्नू की हत्या की कथित साजिश रचने के आरोपी निखिल गुप्ता के अमेरिका प्रत्यर्पण को मंजूरी, जानें आगे

खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने के आरोपी निखिल गुप्ता की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। हाल ही में, अमेरिका की एक अदालत ने सबूत देने के उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था। वहीं, अब चेक रिपब्लिक की अदालत से बड़ा झटका लगा है। अदालत ने साफ कह दिया है कि चेक रिपब्लिक सरकार चाहे तो आरोपी भारतीय व्यक्ति को अमेरिका के हवाले कर सकता है।

जून से जेल में बंद
निखिल गुप्ता पर अमेरिकी सरकार के वकीलों ने पिछले साल नवंबर में एक मुकदमा दायर किया था। इसमें खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू को अमेरिका की जमीन पर मारने की नाकाम साजिश में एक भारतीय सरकारी कर्मचारी के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगाया गया है। खालिस्तानी पन्नू के पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है। निखिल को 30 जून, 2023 को चेक गणराज्य के प्राग में गिरफ्तार किया गया था और इस समय उन्हें वहीं रखा गया है। अमेरिकी सरकार उनके अमेरिका प्रत्यर्पण की मांग कर रही है।

इस मंत्री के हाथ में फैसला
अब चेक की अदालत ने निखिल के अमेरिका प्रत्यर्पण का रास्ता साफ कर दिया है। देखना है कि मंत्रालय का क्या फैसला रहता है। दरअसल, निखिल गुप्ता की सारी उम्मीदें अब चेक सरकार के न्याय मंत्री पावेल ब्लेजेक के ऊपर टिकी हैं। मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि गुप्ता के प्रत्यर्पण पर अंतिम निर्णय न्याय मंत्री पावेल ब्लेजेक के हाथों में होगा।

सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं गुप्ता
न्याय मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इस मामले में मंत्री कब तक फैसला लेते हैं इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस बीच गुप्ता अपने प्रत्यर्पण को रोकने के लिए हर संभव कदम उठाएंगे। निखिल के पास चेक रिपब्लिक की शीर्ष अदालत में जाने का भी विकल्प खुला है। प्रवक्ता ने कहा कि अगर उनको निचली अदालत के फैसलों पर संदेह है तो उनके पास सुप्रीम कोर्ट का रुख करने के लिए तीन महीने का समय है।

गुप्ता ने दी ये दलील
बताया जा रहा है कि गुप्ता ने दलील दी थी कि उनकी पहचान गलत की गई है। वह वो व्यक्ति नहीं हैं, जिसकी अमेरिका को तलाश है। गुप्ता ने इस मामले को राजनीतिक बताया। हालांकि, गुप्ता के वकील के हवाले से कहा गया है कि वह मंत्री से गुप्ता को प्रत्यर्पित नहीं करने और मामले को संवैधानिक अदालत में ले जाने का अनुरोध करेंगे।

मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप
बता दें कि गुप्ता के परिवार ने एकांत कारावास में गंभीर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। यह भी आरोप लगाया गया है कि उन्हें ‘कांसुलर एक्सेस’ के तहत भारत में अपने परिवार से संपर्क करने के अधिकार और कानूनी मदद लेने की स्वतंत्रता से वंचित कर दिया गया। इस बीच आरोपों की जांच के लिए भारत पहले ही एक जांच समिति गठित कर चुका है।

एक स्कूल के शयनगृह में लगी भीषण आग, कम से कम 13 बच्चों की मौत

चीन से एक बुरी खबर सामने आई है। यहां के मध्य हेनान प्रांत में एक स्कूल के शयनगृह में आग लगने से कम से कम 13 बच्चों की मौत हो गई। एक खबर के अनुसार, हेनान के यानशानपु गांव में स्थित यिंगकाई स्कूल में शुक्रवार को स्थानीय समयानुसार रात 11 बजे आग लगने की जानकारी मिली। दमकल कर्मी तुरंत मौके पर पहुंचे और रात 11.38 मिनट पर आग पर काबू पा लिया गया।

एक शिक्षिका ने बताया कि मारे गए सभी बच्चे तीसरी कक्षा के छात्र थे। वहीं, घटनास्थल से बचाए गए एक व्यक्ति का अस्पताल में इलाज चल रहा है। एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, नानयांग सिटी के समीप स्थित स्कूल के प्रबंधक को हिरासत में लिया गया है और मामले की जांच की जा रही है। मृतकों की पहचान और आग लगने के कारण के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है।

दमिश्क में इमारत पर इस्राइल का मिसाइल हमला, ईरान से जुड़े नेताओं की चल रही थी बैठक; पांच की मौत

गाजा में हमास के साथ जंग के अलावा इस्राइल कई मोर्चों पर संघर्ष कर रहा है। एक ओर जहां हिजबुल्लाह लेबनान की ओर से उसके उत्तरी हिस्से को निशाना बना रहा है। वहीं दूसरी ओर, लाल सागर में हूती विद्रोहियों के व्यापारिक जहाजों पर हमले जारी हैं। इस बीच, इस्राइली बलों ने सीरिया में एक इमारत पर हमला किया है। इस इमारत में कथित तौर पर ईरान से जुड़े नेताओं की बैठक हो रही थी। हमले में कम से कम पांच लोगों की मौत की खबर है।

चार मंजिला आवासीय इमारत को बनाया निशाना: मानवाधिकार समूह
सीरिया में मानवाधिकारों की निगरानी करने वाले एक समूह ने समाचार एजेंसी ‘एएफपी’ को बताया, ‘सीरिया की राजधानी दमिश्क में एक इस्राइली मिसाइल से चार मंजिला इमारत को निशाना बनाया गया है। जिसमें पांच लोग मारे गए हैं। इमारत में ईरान से जुड़े नेताओं की बैठक चल रही थी।’ समूह ने सीरिया के अंदरूनी सूत्रों के हवाले से कहा कि जहां इमारत को निशाना बनाया गया है, वह उच्च सुरक्षा वाला इलाका है। यह ईरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड और ईरान समर्थक फलस्तीनी गुटों के नेताओं का गढ़ है। मानवाधिकार समूह के निदेशक रामी अब्देल ने बताया कि उन्होंने (इस्राइल) निश्चित रूप से ईरान समर्थित समूहों के वरिष्ठ नेताओं को निशाना बनाया है।

पूरी तरह से नष्ट हुई इमारत
समाचार एजेंसी ‘सना’ ने बताया कि इस्राइल ने दमिश्क के मजेह इलाके में आवासीय इमारत को निशाना बनाया है। मजेह क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय, दूतावास और रेस्तरां हैं। एसोसिएटेड प्रेस ने बताया कि इस्राइली मिसाइलों ने पूरी इमारत को नष्ट कर दिया और हमले में दस लोग या तो मारे गए या घायल हो गए। सीरिया में गृह युद्ध के दौरान एक दशक तक इस्राइल ने सैकड़ों बार हवाई हमले किए हैं। जिनमें ज्यादातर हमले ईरान समर्थित बलों को निशाना बनाकर किए गए थे।

पिछले साल शुरू हुआ था इस्राइल-हमास युद्ध
इस्राइल और हमास के बीच बीते साल सात अक्तूबर युद्ध शुरू हुआ था। इस्राइली हमलों में 20 हजार से ज्यादा फलस्तीनी मारे जा चुके हैं। हमास ने पिछले साल अक्तूबर में एक साथ दक्षिण इस्राइल से हमले की शुरुआत की थी।आतंकवादी समूह ने एक साथ सैकड़ों मिसाइल दागी थीं। इन हमलों में 1200 से ज्यादा इस्राइली नागरिक मारे गए थे।जबकि, सैकड़ों लोगों को बंधक बना लिया गया था। इन बंधक बनाए गए लोगों में आधे से ज्यादा अभी भी हमास के कब्जे में हैं।

400 टॉमहॉक मिसाइल खरीदने के लिए जापान ने अमेरिका से किया सौदा,1.7 बिलियन डॉलर में हुआ सौदा

जापान ने गुरुवार को अमेरिका के साथ 400 भूमि-आधारित टॉमहॉक क्रूज मिसाइलों को खरीदने के लिए करार किया है। दोनोें देशों ने समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। अमेरिकी विदेश सैन्य ब्रिक्री कार्यक्रम के तहत हुए सौदे के अनुसार, अमेरिका मिसाइलों सहित अन्य उपकरण खरीदने के लिए 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान करेगा। जापान में पदस्थ अमेरिकी राजदूत रहम एमानुएल ने बताया कि अमेरिकी सेनाएं जापान के आत्मरक्षा बलों को टॉमहॉक्स का इस्तेमाल करने के लिए मार्च से प्रशिक्षण देना शुरू कर देंगी। जापानी मीडियी के अनुसार, मिसाइलों की मारक क्षमता 1600 किलोमीटर है।

नॉर्वेजियन संयुक्त स्ट्राइक मिसाइल खरीदने के लिए भी करार
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जापान अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। चीन की सैन्य वृद्धि और उत्तर कोरिया के बढ़ते परमाणु और मिसाइल हमलों के बीच जापान खुद की सुरक्षा पुख्ता कर रहा है। जापान भी दुश्मनों के ठिकानों को नेस्तानाबूत करने के लिए खुद को सश्क्त कर रहा है। जापान ने हाल में ही अपने काउंटर स्ट्राइक क्षमता को हासिल करने का फैसला किया है। जापान सरकार की मानें तो उन्होंने अक्तूबर 2026 में नॉर्वेजियन संयुक्त स्ट्राइक मिसाइलें खरीदने के लिए एक और करार किया है। संयुक्त स्ट्राइक मिसाइलों की रेंज लगभग 500 किलोमीटर है। उम्मीद है कि नॉर्वेजियन मिसाइलों को एफ-35 (ए) स्टील्थ लड़ाकू विमानों पर लोड किए जाने की उम्मीद है।

‘कोई और विकल्प…’, फलस्तीन को अलग देश का दर्जा दिए जाने से इस्राइल के इनकार पर आया अमेरिका का बयान, पढ़ें

हमास और इस्राइल के बीच जंग जारी है। युद्ध में अब तक दोनों पक्षों के हजारों लोगों की मौत हो गई है। जहां इस्राइल ने हमास को पूरी तरह खत्म करने का संकल्प लिया है। वहीं, अब आतंकी समूह भी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। फिलहाल, न तो जंग की रफ्तार कम हो रही है और न ही लोगों की जान की परवाह की जा रही है। इस बीच, अमेरिका और इस्राइल के बीच फलस्तीन को अलग एक देश का दर्जा दिए जाने पर बहस छिड़ गई है। एक तरफ अमेरिका का कहना है कि दो-राष्ट्र समाधान क्षेत्र में स्थायी शांति लाने का एकमात्र संभव तरीका है। वहीं, दूसरी तरफ इस्राइल ने इससे इनकार कर दिया है।

क्या है दो-राष्ट्र समाधान?
दो-राष्ट्र समाधान उन क्षेत्रों में दो देशों– इस्राइल और फलस्तीन– के वजूद की बात करता है जो कभी ब्रिटिश शासन के अधीन फलस्तीन क्षेत्र था। फलस्तीन के शासन क्षेत्र को दो राज्यों में विभाजित करने का प्रस्ताव पहली बार 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने दिया था, जब इसने यूएनजीए प्रस्ताव 181 (II) पारित किया था। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावित बंटवारे में, कहा गया था कि ब्रिटिश शासन वाले क्षेत्र को भविष्य में यहूदी राज्य के तौर पर लगभग 55 प्रतिशत भूमि दी जाएगी, जबकि बाकी 45 प्रतिशत अरब राज्य (फलस्तीन) को देने की बात कही गई थी। हालांकि, 1948 में इस्राइल की स्थापना के 75 साल बाद भी इस मुद्दे पर संघर्ष जारी है।

इस्राइल के पास एक मौका
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने गुरुवार को कहा कि फलस्तीन देश की स्थापना के बिना गाजा में शांति लाना और इस्राइल की दीर्घकालिक सुरक्षा चुनौतियों को हल करने का कोई तरीका नहीं है। उन्होंने कहा कि इस्राइल के पास फिलहाल एक मौका है, क्योंकि क्षेत्र के देश उसे सुरक्षा आश्वासन देने के लिए तैयार हैं। मिलर ने कहा कि स्थायी सुरक्षा प्रदान करने का कोई तरीका नहीं है। गाजा के पुनर्निर्माण, गाजा में शासन स्थापित करने और फलस्तीनी राष्ट्र की स्थापना के बिना गाजा के लिए सुरक्षा प्रदान करने की अल्पकालिक चुनौतियों को हल करने का कोई तरीका नहीं है।

इस्राइली पीएम ये बोले
दरअसल, अमेरिका का ये बयान ऐसे समय में आया है, जब हाल ही में इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा था कि उन्होंने वाशिंगटन को बताया था कि उन्होंने किसी भी फलस्तीनी राष्ट्र का विरोध किया है जो इस्राइल की सुरक्षा की गारंटी नहीं देता है।नेतन्याहू ने कहा था, ‘मैं स्पष्ट करता हूं कि भविष्य में किसी भी व्यवस्था में, एक समझौते के साथ या बिना किसी समझौते के, हमारा जॉर्डन नदी के पश्चिम में पूरे क्षेत्र पर सुरक्षा नियंत्रण होना चाहिए। यह एक जरूरी शर्त है। यह संप्रभुता के सिद्धांत से टकराता है, लेकिन आप क्या कर सकते हैं।’

दोनों का ये मत
इस्राइल और उसके सबसे बड़े समर्थक संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच संबंध कुछ डगमगाते दिख रहे हैं। नेतन्याहू और उनकी दक्षिणपंथी गठबंधन सरकार ने फलस्तीन के लोगों को एक अलग राष्ट्र का दर्जा दिए जाने से मना कर दिया है। भले ही वाशिंगटन का कहना है कि दो-राष्ट्र समाधान इस क्षेत्र में स्थायी शांति लाने का एकमात्र संभव तरीका है।

‘संघीय डिजिटल मुद्रा का नहीं होने देंगे निर्माण’, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का संकल्प

आयोवा कॉकस के मतदान में जीत दर्ज करने के बाद डोनाल्ड ट्रंप और उनके समर्थक उत्साहित हैं। अब उनकी निगाहें न्यू हैंपशायर में होने वाले कॉकस चुनाव पर लगी हैं। यहां एक रैली में डोनाल्ड ट्रंप ने संघीय डिजिटल मुद्रा के निर्माण को रोकने का संकल्प लिया है। उन्होंने इसे स्वतंत्रता के लिए खतरनाक खतरा बताया।

आपके राष्ट्रपति के रूप में…
न्यू हैंपशायर के पोर्ट्समाउथ में एक रैली में ट्रंप ने कहा, ‘आज रात, मैं अमेरिकियों को सरकारी अत्याचार से बचाने का एक और वादा कर रहा हूं। आपके राष्ट्रपति के रूप में, मैं कभी भी केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा के निर्माण की अनुमति नहीं दूंगा।’

पैसे पर सरकार का नियंत्रण होगा
उन्होंने आगे कहा, ‘इस तरह की मुद्रा से आपके पैसे पर सरकार का नियंत्रण होगा। वे आपके पैसे ले सकती हैं। आपको इसका पता भी नहीं चलेगा कि पैसे निकल गए। यह स्वतंत्रता के लिए एक बड़ा खतरा होगा।’

नियमित डॉलर की तरह किया जा सकता है इस्तेमाल
एक केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) एक केंद्रीय बैंक द्वारा जारी मुद्रा का एक डिजिटल संस्करण है। रिपोर्ट के अनुसार, इस निर्णय के तहत अमेरिका का फेडरल रिजर्व एक डिजिटल डॉलर जारी करेगा, जिसका उपयोग नियमित डॉलर की तरह ही किया जा सकता है।

न्यू हैंपशायर में ट्रंप पर भारी पड़ सकती हैं हेली
गौरतलब है, न्यू हैंपशायर में 23 जनवरी को मतदान होना है। एक ताजा पोल में दावा किया जा रहा है कि न्यू हैंपशायर में डोनाल्ड ट्रंप और निक्की हेली के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है क्योंकि पोल के अनुसार, दोनों को राज्य में 40-40 फीसदी वोट मिल सकते हैं। न्यू हैंपशायर के गवर्नर क्रिस सुनुनु निक्की हेली का समर्थन कर रहे हैं, ऐसे में राज्य में ट्रंप को जीत के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। डोनाल्ड ट्रंप ने 15 जनवरी को हुए आयोवा कॉकस के चुनाव में जीत दर्ज की थी और उन्हें 51 प्रतिशत वोट मिले थे।

रोन देसांतिस को 21 प्रतिशत और निक्की हेली को 19 प्रतिशत लोगों ने वोट किया था। विवेक रामास्वामी, जो अब राष्ट्रपति पद की रेस से बाहर हो चुके हैं, उन्हें 7 फीसदी मतों से संतोष करना पड़ा था। हाल के दिनों में निक्की हेली की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। न्यू हैंपशायर में जहां वह ट्रंप पर भारी पड़ सकती हैं, वहीं साउथ कैरोलिना उनका अपना राज्य है, जहां से वह दो बार गवर्नर रह चुकी हैं। यही वजह है कि ट्रंप को रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से दावेदारी हासिल करने के लिए निक्की हेली की कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। रोन देसांतिस को लेकर कहा जा रहा है कि उनके पास फंड की कमी है और न्यू हैंपशायर में उनके बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद भी बहुत कम है। ऐसे में वह साउथ कैरोलिना पर फोकस कर रहे हैं।

भारतीय मछुआरों का एक जत्था सुरक्षित भारत पहुंचने के लिए तैयार
श्रीलंका में भारत के उच्चायोग ने बताया कि भारतीय मछुआरों का एक जत्था सुरक्षित भारत पहुंचने के लिए तैयार है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि 32 भारतीय मछुआरों का एक समूह कोलंबो से भारत वापस आने के लिए विमान में सवार हो गया है।

अबु धाबी में जल्द पूरा होने वाला है हिंदू मंदिर का निर्माण, अयोध्या के बाद इसका उद्घाटन करेंगे पीएम मोदी

संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय राजदूत संजय सुधीर ने अबु धाबी में बन रहे BAPS हिंदू मंदिर का दौरा किया। इस दौरान राजदूत ने मंदिर के निर्माण कार्य की प्रगति देखी। साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मंदिर के निर्माण का एलान किया था। अब इसका निर्माण कार्य पूरा होने के करीब है। भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने लिखा कि ‘एक महीने से भी कम समय बचा है। अबु धाबी में बन रहे हिंदू मंदिर का निर्माण कार्य अब पूरा होने वाला है, जिसका एलान पीएम मोदी ने साल 2015 में किया था। भारतीय राजदूत ने इसकी प्रगति देखी।’

अयोध्या के राम मंदिर के बाद इसका उद्घाटन करेंगे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके बाद 14 फरवरी को प्रधानमंत्री अबु धाबी में बन रहे इस हिंदू मंदिर की उद्घाटन करेंगे। BAPS हिंदू मंदिर संस्था ने प्रधानमंत्री मोदी को अबु धाबी में स्वामीनारायण मंदिर का उद्घाटन करने के लिए बीते साल दिसंबर में निमंत्रण दिया था, जिसे प्रधानमंत्री ने स्वीकार कर लिया है। स्वामीनारायण संस्था ने बयान जारी कर इसकी जानकारी दी है।

बयान में बताया गया कि स्वामी ईश्वरचरणदास, प्रधानमंत्री मोदी को माला पहनाकर और भगवा शॉल ओढाकर उनका स्वागत करेंगे। बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में तीर्थ स्थानों के विकास और पुनर्निर्माण में अभूतपूर्व काम किया है। मंदिर का उद्घाटन कार्यक्रम एक भव्य कार्यक्रम होगा, जिसे आने वाले कई सालों तक याद रखा जाएगा। अबु धाबी में बन रहे हिंदू मंदिर को देखने फिल्म अभिनेता विवेक ओबेरॉय भी पहुंचे। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा कर इस मंदिर के निर्माण पर खुशी जताई और इसे अभूतपूर्व आध्यात्मिक पल बताया। विवेक ओबेरॉय को अयोध्या राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का भी निमंत्रण मिला है।

BAPS (बोचासनवासी श्री अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था) एक सामाजिक-आध्यात्मिक संस्था है, जिसकी जड़ें वेदों में हैं। स्वामीनारायण संस्था ने नई दिल्ली, गुजरात में अक्षरधाम मंदिर के अलावा उत्तरी अमेरिका, अटलांटा, ऑकलैंड, शिकागो, ह्यूस्टन, लंदन, लॉस एंजिल्स, नैरोबी, रॉबिंसविले, सिडनी, टोरंटो में भव्य मंदिरों का निर्माण कराया है।

किंग चार्ल्स-III की सेहत पर अपडेट, प्रोस्टेट से जुड़ा इलाज कराना जरूरी; बकिंघम पैलेस ने कही यह बात

ब्रिटेन के 74 वर्षीय राजा को सेहत से जुड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वयोवृद्ध किंग चार्ल्स-तृतीय के स्वास्थ्य को लेकर राजनिवास- बकिंघम पैलेस ने बयान जारी किया। बकिंघम पैलेस की तरफ से बताया गया कि किंग चार्ल्स-III को प्रोस्टेट से जुड़ी बीमारी है। उनका इलाज कराना जरूरी है। बयान के मुताबिक प्रोस्टेट बढ़ने के कारण किंग चार्ल्स पेशाब से जुड़ी परेशानियों से जूझ रहे हैं। बीमारी और उनकी सेहत को देखते हुए ब्रिटेन के किंग का इलाज कराने की तैयारियां की जा रही हैं।

इलाज के दौरान सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूर रहेंगे किंग चार्ल्स
किंग चार्ल्स-III की सेहत को लेकर सीबीएस न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक राजा अगले सप्ताह अस्पताल जाकर डॉक्टरों से सलाह लेंगे। फिलहाल उनकी तबियत को लेकर अधिक चिंता की बात सामने नहीं आई है। प्रोस्टेट बढ़ना सामान्य है। किंग चार्ल्स के इलाज को जरूरी बताते हुए बकिंघम पैलेस ने कहा, उनके तमाम सार्वजनिक कार्यक्रमों को इलाज की अवधि कर स्थगित रखा जाएगा।

किंग चार्ल्स ने 74 साल की आयु में ब्रिटेन का राजसिंहासन संभाला
बता दें कि किंग चार्ल्स-III की ताजपोशी उनकी मां के निधन के बाद हुई थी। साल 2022 में महारानी एलिजाबेथ-II के निधन के बाद किंग चार्ल्स 74 साल की आयु में ब्रिटेन का राजसिंहासन संभाला। इससे पहले किंग चार्ल्स की सेहत से जुड़ी चिंता साल 2008 में सामने आई थी। इसके इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उनके चेहरे से गैर-कैंसरयुक्त उभार ऑपरेशन करके हटाया था।

प्रोस्टेट से जुड़ी परेशानी पर नेशनल हेल्थ सर्विस का बयान
देश की स्वास्थ्य सेवा के मुताबिक हर तीन में एक ब्रिटिश पुरुष को अपने जीवनकाल में प्रोस्टेट बढ़ने की समस्या से जूझना पड़ता है। आमतौर पर इस परेशानी का कारण बढ़ती आयु को माना जाता है। नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) की वेबसाइट के मुताबिक प्रोस्टेट बढ़ने के ठोस कारण फिलहाल पता नहीं हैं। हालांकि, यह परेशानी केवल कैंसर के कारण नहीं होती। प्रोस्टेट बढ़ने को प्रोस्टेट कैंसर जैसी घातक बीमारी से भी सीधा नहीं जोड़ा जा सकता।