Saturday , November 23 2024

देश

हाथरस हादसे के मृतकों के परिजनों को अखिलेश ने दिए 1.23 करोड़ रुपये, भगदड़ में हुई थीं मौतें

लखनऊ:सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने हाथरस हादसे में मृत 123 लोगों के परिवारों को एक-एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी है। दुर्घटना हाथरस में आयोजित सत्संग के दौरान मची भगदड़ से हुई थी।

हादसे में मृतकों के परिजनों को सपा द्वारा सहयोग देने में सांसद रामजी लाल सुमन, अक्षय यादव, पूर्व एमएलसी जसवंत सिंह, पूर्व सांसद बृजेन्द्र सिंह, पूर्व विधायक जफर आलम, वीरेश यादव, प्रदेश सचिव रामसहाय यादव, लोहिया वाहिनी अध्यक्ष राजकरन निर्मल, सांसद आदित्य यादव सांसद, विधायक इकबाल महमूद, राम खिलाडी सिंह यादव, बृजेश यादव, हिमांशु यादव, पिंकी सिंह यादव सहित सैकड़ों समाजवादी नेता हैं।

पूजा खेडकर की मां को 20 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेजा गया; भूमि विवाद मामले में कार्रवाई

पुणे:  पुणे जिले की कोर्ट ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) सेवा की प्रशिक्षु अधिकारी पूजा खेडकर की मां मनोरमा खेडकर को 20 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है। पुलिस ने मनोरमा को भूमि विवाद को लेकर बंदूक दिखाकर कुछ लोगों को धमकाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। पुलिस ने बताया कि मनोरमा को रायगढ़ जिले के महाड स्थित एक लॉज से आज सुबह पकड़ा गया। वह कई दिनों से यहां छिपी हुई थी।

पुलिस के मुताबिक, मनोरमा को रायगढ़ से पुणे के पौड पुलिस थाना लाया गया और औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया गया। इसके बाद मनोरमा को स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 20 जुलाई तक पुलिस की हिरासत में भेज दिया गया।

दरअसल, एक वीडियो सामने आया था, जिसमें मनोरमा पुणे के मुलशी तहसील के धडवाली गांव में भूमि विवाद को लेकर कुछ लोगों को कथित तौर पर बंदूक दिखाकर धमकाती नजर आ रही थीं। इसके बाद से पुलिस मनोरमा और उनके पति दिलीप खेडकर की तलाश में जुटी थी। आरोपी मनोरमा, उनके पति दिलीप और पांच अन्य लोगों का पता लगाने के लिए कई टीम गठित की गई थीं।

पिता पूर्व CM, खुद मंत्री रहे विधायक फतेहबहादुर सिंह को जान का खतरा-सुरक्षा और सुनवाई नहीं होने से निराश

गोरखपुर:  कैंपियरगंज के सात बार के विधायक और राज्य सरकार के मंत्री रह चुके भाजपा विधायक फतेह बहादुर सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखा है। फतेह बहादुर सिंह ने अमर उजाल से फोन पर हुई बातचीत में आरोप लगाया कि ‘विपक्षियों ने साजिश कर उनके हत्या की योजना तैयार की है।

विधायक ने कहा है कि उनके विरोधियों द्वारा हत्या की साजिश रची जा रही है। मेरी जानकारी में यह बात 11 दिन पहले आई। मुझे मारने के लिए एक करोड़ चंदा जुटाकर पेशेवर अपराधियों को दिया गया है। इसकी जानकारी एसएसपी को भी दी थी। इसके बाद मुख्यमंत्री को बताया।

लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए यह बात सार्वजनिक करना पड़ा। कल ही दिल्ली जाकर पार्टी शीर्ष नेतृत्व को भी पत्र के जरिए जानकारी दे दी है। पुलिस पूरे मामले को हल्के में ले रही है। कुछ लोग चाहते हैं कि मेरी हत्या हो जाय तो उनका राजनितिक स्वार्थ सिद्ध हो जाएगा।

जबसे मुझे धमकी मिली है घर से निकलना बंद कर दिया है। विधायक ने कहा कि पांच दिन इंतजार करूंगा अगर पुलिस ने पूरे मामले का पर्दाफाश नहीं किया तो दिल्ली में प्रेस कांफ्रेस कर साजिश का खुलासा करूंगा।

आरोपा लगाया कि विपक्षियों ने उनकी हत्या के लिए एक करोड़ रुपये इकट्ठा भी करवा लिया है। इसपर राज्य सरकार और सीएम योगी आदित्यनाथ को कड़ी कार्रवाई करवानी चाहिए। आरोप लगाया, पत्र लिखकर खुद से सूचना देने के बाद भी आज तक राज्य सरकार के किसी अधिकारियों ने उनसे संपर्क नहीं किया है।

‘कर्नाटक के लोगों का अपमान हुआ’, नौकरियों में आरक्षण विधेयक पर रोक को लेकर BJP की सरकार को चेतावनी

बंगलूरू:कर्नाटक सरकार ने निजी क्षेत्र में कन्नड़ लोगों के लिए आरक्षण पर मसौदा विधेयक पर रोक लगाई है। इस बीच, राज्य के मंत्री प्रियांक खरगे ने कहा कि इसे वापस लेने का सवाल ही नहीं है। एक सरकार के रूप में हम स्थानीय स्तर पर अधिक नौकरियां प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कर्नाटक एक वैश्विक कार्यबल प्रदान करे। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने सरकार पर निशाना साधा है।

ध्यान भटकाने की रणनीति का इस्तेमाल कर रहे सीएम: विजयेंद्र
वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया कर्नाटक के लोगों के हितों की रक्षा को लेकर गंभीर हैं। इतने सारे घोटाले हो रहे हैं। वे ध्यान भटकाने की रणनीति का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह बताता है कि मुख्यमंत्री गंभीर नहीं हैं। मैं मुख्यमंत्री से सभी को भरोसे में लेने और विधेयक को वापस लाने का आग्रह करता हूं।”

‘कर्नाटक के लोगों के गुस्से का सामना करने को तैयार रहें’
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने ‘एक्स’ पर पूछा, “आप कर्नाटक के लोगों को रोजगार देने के लिए विधेयक क्यों लाए? आपने इस पर रोक क्यों लगाई? कर्नाटक के लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ क्यों? क्या आपको अपमान करने के लिए कर्नाटक के लोगों की आवश्यकता है? सरकार को कर्नाटक के लोगों के लिए (निजी क्षेत्र की) नौकरियों में आरक्षण के लिए विधेयक पेश करना चाहिए। विधेयक से ग्रामीण इलाकों में उन लाखों बेरोजगार लोगों में उम्मीद जगी है, अपनी योग्यता के बावजूद नौकरी के अवसरों से वंचित हैं। वरना कर्नाटक के लोगों के गुस्से का सामना करने के लिए तैयार रहें।”

विजयेंद्र ने विधेयक को रोकने की निंदा की और इसे कायरतापूर्ण फैसला करार दिया। उन्होंने कहा कि इससे कर्नाटक के लोगों का अपमान हुआ। इस विधेयक का मकसद कन्नड़ लोगों को रोजगार प्रदान करना है।

परामर्श करने के बाद फिर लेंगे फैसला: जी. परमेश्वर
राज्य के मंत्री दिनेश गुंडू राव ने कहा, “मुख्यमंत्री ने कुछ फीडबैक के आधार पर एक बयान दिया है। हम इस पर फिर से विचार करेंगे। हम जो कुछ भी करना चाहते हैं, वह हमारे लोगों के हित में है।” वहीं, मंत्री जी. परमेश्वर ने कहा, “कुछ परामर्श करने की जरूरत है। हम सभी से परामर्श करने के बाद फिर फैसला लेने की कोशिश कर रहे हैं।”

यह सब नाटकबाजी, सरकार के खिलाफ माहौल: सीटी रवि
भाजपा नेता सीटी रवि ने कहा, “यह सब नाटकबाजी है। माहौल मुख्यमंत्री और कांग्रेस सरकार के खिलाफ है।” एक अन्य भाजपा नेता सी.एन.अश्वथ ने कहा, कर्नाटक के लोगों के लिए आरक्षण के संबंध में विधेयक पर रोक लगाने का सरकार का फैसला सराहनीय है। परामर्श और चर्चाएं होने दीजिए और उसके बाद ही हम आगे बढ़ सकते हैं। इसमें श्रम मंत्री का क्या स्वार्थ निहित था? श्रम मंत्री के बहुत सारे स्वार्थ निहित हैं। वह काफी शरारत करने की कोशिश कर रहे हैं।

नीट पेपर लीक में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई; CJI बोले- लाखों छात्र फैसले का कर रहे इंतजार

नई दिल्ली: विवादों में घिरी राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा स्नातक (नीट-यूजी) से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई कर रहा है। इनमें राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा स्थानांतरण की मांग करने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं। मुकदमेबाजी की बहुलता से बचने के लिए एनईईटी-यूजी विवाद पर विभिन्न उच्च न्यायालयों में इसके खिलाफ लंबित मामले शीर्ष अदालत में लंबित हैं।मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ 40 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। पांच मई को हुई परीक्षा में करीब 24 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे।

लाखों छात्र कर रहे इंतजार
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई शुरू होने पर कहा कि नीट मामले को शुक्रवार को सुना जा सकता है। जिस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुनवाई आज ही शुरू करते हैं। हम नीट मामले पर सबसे पहले सुनवाई करेंगे, क्योंकि लाखों छात्र फैसले का इंतजार कर रहे हैं।

सीबीआई ने की दूसरी स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल
वहीं, सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया है कि सीबीआई ने कथित नीट-यूजी पेपर लीक और कदाचार की चल रही जांच के संबंध में दूसरी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, सीबीआई ने इस मामले में कल एक और स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल की है। जिस पर सीजेआई ने कहा, हां हमने दूसरी स्टेट्स रिपोर्ट भी पढ़ी है।

रिपोर्ट सामने आने पर जांच होगी प्रभावित: अदालत
याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील नरेंद्र हुड्डा ने कहा कि हमें सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट नहीं दी गई है। इस पर अदालत ने कहा, ‘हालांकि हम पारदर्शिता की वकालत करते हैं। मगर सीबीआई जांच चल रही है। अगर सीबीआई ने हमें जो बताया है उसका खुलासा होता है, तो यह जांच को प्रभावित करेगा।’

हमें संतुष्ट करें कि पेपर लीक बड़े पैमाने पर हुआ
सीजेआई ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप हमें संतुष्ट करिए कि पेपर लीक बड़े पैमाने पर हुआ और परीक्षा रद्द होनी चाहिए। दूसरी इस मामले में जांच की दिशा क्या होना चाहिए वो भी हमें बताएं। उसके बाद हम सॉलिसिटर जनरल को सुनेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह भी कहा कि अगर आप हमारे सामने यह साबित कर देते हैं कि बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई तभी दोबारा परीक्षा कराने का आदेश दिया जा सकता है।

सीजेआई और याचिकाकर्ता के बीच हुए सवाल-जवाब
याचिकाकर्ता छात्रों के वकील ने कहा कि कुछ ऐसे छात्र भी आए हैं, जिनकी रैंक एक लाख आठ हजार छात्रों के बीच है, लेकिन उनको सरकारी कॉलेज नहीं मिला। वहीं, एनटीए ने सभी लोगों का रिजल्ट घोषित नहीं किया है, जबकि दूसरी परीक्षाओं में पूरे रिजल्ट घोषित होते है। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने पूछा कि सरकारी कॉलेजों में कितनी सीटें हैं? वकील ने कहा कि 56 हजार सीटें। कम से कम एक लाख का रिजल्ट घोषित हों।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि क्या आपके हिसाब से कुछ लोग एक लाख आठ हजार के केटेगरी में आ गए है? आप (याचिकाकर्ता) पहले तथ्यों पर बात करें। एक लाख आठ हजार में से कितने याचिकाकर्ता है और कितने छात्र सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।

कितने छात्र दोबारा नीट परीक्षा की मांग कर रहे?

अदालत ने कहा कि 131 छात्र दोबारा परीक्षा चाहते है। 254 छात्र दोबारा परीक्षा के खिलाफ है। दोबारा परीक्षा चाहने वाले 131 छात्र ऐसे हैं, जो एक लाख आठ हजार के अंदर नहीं आते और दोबारा परीक्षा का विरोध करने वाले 254 छात्र एक लाख आठ हजार के अंदर आते हैं। अगर 1 लाख 8 हजार लोगों को एडमिशन मिलता है, बाकी 22 लाख लोगों को दाखिला नहीं मिलता तो इसका मतलब ये तो नहीं कि पूरी परीक्षा को रद्द कर दिया जाए?

22 जुलाई से विधानसभा सत्र, नीट परीक्षा में अनियमितता, नए आपराधिक कानूनों पर प्रस्ताव ला सकती है टीएमसी

कोलकाता:पश्चिम बंगाल विधानसभा सत्र के दौरान नीट प्रवेश परीक्षा में कथित अनियमितताओं और नए आपराधिक कानूनों को लागू करने में जल्दबाजी पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) अलग-अलग प्रस्ताव ला सकती है। टीएमसी के एक नेता ने इसकी जानकारी दी। बता दें कि पश्चिम बंगाल विधानसभा सत्र 22 जुलाई से शुरू होगा। राज्य के संसदीय कार्य मंत्री सोभनदेव चट्टोपाध्याय ने बताया कि यह सत्र दस दिनों तक चलेगा।

विधानसभा सत्र को लेकर टीएमसी के एक वरिष्ठ विधायक ने कहा, “अब तक संभावना के अनुसार दो प्रस्ताव- नीट में अनियमितता पर और दूसरा तीन नए आपराधिक कानूनों को लागू करने में जल्दबादी पर, पेश किए जाएंगे।” इस दौरान उन्होंने विधानसभा में पेश किए जाने वाले प्रस्तावों पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, विधानसभा अध्यक्ष ने कहा है कि 22 जुलाई से शुरू होने वाला सत्र दस दिन का रहेगा। उसके बाद कार्य मंत्रणा (बीए) समिति और सर्वदलीय बैठक में तय किया जाएगा कि सत्र आगे बढ़ाया जाए या नहीं

बता दें कि देशभर में एक जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून- भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए), लागू हो चुके हैं। इन तीनों कानूनों के ब्रिटिशकालीन कानूनों-भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, की जगह ली है।

विधानसभा सत्र में भाजपा राज्य में चुनाव के बाद हुई हिंसा और हमले की घटनाओं पर चर्चा की मांग करते हुए एक प्रस्ताव ला सकती है। भाजपा विधायक अग्निमित्रा पॉल ने कहा कि वह राज्य में चुनाव बाद हिंसा और भीड़ द्वारा हमलों की घटनाओं पर विधानसभा में चर्चा चाहते हैं।

सीएम सरमा ने दोहराया बाल विवाह रोकने के लिए सख्त कदम उठाने का संकल्प; हर छह महीने पर चलेगा विशेष अभियान

गुवाहाटी:  बाल विवाह जैसी कुप्रथा को रोकने के लिए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने विशेष अभियान चलाने की घोषण की। इस अभियान के तहत हर छह महीने में विशेष अभियान चलाया जाएगा। दरअसल बुधवार को एक एनजीओ की रिपोर्ट जारी की। जिसमें कहा गया है कि बाल विवाह के खिलाफ राज्य सरकार की कार्रवाई से ऐसे मामलों की संख्या में कमी आई है।

इसके बाद सीएम ने बुधवार शाम को एक वीडियो संदेश जारी किया। जिसमें उन्होंने कहा, “बाल विवाह के खिलाफ हमारा अभियान और सख्त कार्रवाई जारी रहेगी। हर छह महीने में एक विशेष अभियान चलाया जाएगा और डीजीपी को इस साल नवंबर-दिसंबर में बाल विवाह पर अगली कार्रवाई के लिए प्रारंभिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया है।” उन्होंने कहा कि शुरुआत में कुछ लोग “बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई से खुश नहीं थे, लेकिन अब लोग अल्पसंख्यक क्षेत्रों में भी इस सामाजिक बुराई को रोक रहे हैं।” सीएम सरमा ने कहा कि भारत बाल संरक्षण (आईसीपी) रिपोर्ट के आंकड़े “नारी शक्ति को सशक्त बनाने में हमारे निरंतर प्रयासों का प्रमाण हैं।” बता दें बाल विवाह मुक्त भारत, जिसका आईसीपी एक हिस्सा है, 2022 में शुरू किया गया एक राष्ट्रव्यापी अभियान है और देश भर में इसके लगभग 200 एनजीओ भागीदार काम कर रहे हैं।

सीएम सरमा ने एक्स से कहा, “@IndiaCPOrg की यह असाधारण रिपोर्ट नारी शक्ति को सशक्त बनाने के हमारे निरंतर प्रयासों का शानदार प्रमाण है। 3,000 से अधिक गिरफ्तारियों और हमारे शून्य-सहिष्णुता दृष्टिकोण के कारण 2021 से बाल विवाह में 81 प्रतिशत की गिरावट आई है। हम तब तक आराम नहीं करेंगे, जब तक हम इस सामाजिक बुराई को खत्म नहीं कर देते।” असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को इस साल के अंत में बाल विवाह पर अगले दौर की कार्रवाई के लिए प्रारंभिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया है।

क्या कहती है रिपोर्ट?
रिपोर्ट, ‘न्याय की ओर: बाल विवाह को समाप्त करना’, बुधवार को नई दिल्ली में विश्व अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस पर जारी की गई। इसमें कहा गया है कि 2021-22 और 2023-24 के बीच असम के 20 जिलों में बाल विवाह के मामलों में 81 प्रतिशत की कमी आई है, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा ऐसे मामलों में कानूनी हस्तक्षेप पर जोर दिया जाना इसका कारण है। सरमा के नेतृत्व में राज्य सरकार ने कानूनी साधनों के साथ-साथ जागरूकता अभियानों के माध्यम से फरवरी 2022 से पूरे राज्य में बाल विवाह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू की थी।

सर्वेक्षण में यह तथ्य आए सामने
वहीं राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों और राज्य के 20 जिलों के 1,132 गांवों में सर्वेक्षण हुआ। इसके अनुसार 30 प्रतिशत क्षेत्रों में बाल विवाह का पूर्ण उन्मूलन हुआ है, जबकि 40 प्रतिशत में सामाजिक बुराई की एक बार प्रचलित प्रथा में काफी गिरावट देखी गई है। बता दें कि सर्वेक्षण किए गए गांवों की कुल आबादी 21 लाख है, जिसमें आठ लाख बच्चे हैं। रिपोर्ट के अुनसार “20 जिलों में से 12 जिलों में, 90 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं का मानना है कि बाल विवाह से संबंधित मामलों में व्यक्तियों को गिरफ्तार करने और एफआईआर दर्ज करने जैसी कानूनी कार्रवाई करने से ऐसे मामलों की घटना को प्रभावी ढंग से संबोधित किया जा सकता है।”

चार दिन बाद फिर खोला गया जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार, मूल्यवान चीजों को स्ट्रॉन्ग रूम ले जाया जाएगा

ओडिशा : पुरी रत्न भंडार आज खोला जा चुका है। इसके भीतर से कीमती सामान और आभूषण सरकार द्वारा निर्धारित एसओपी के अनुसार अस्थायी रत्न भंडार में स्थानांतरित कर किए जा रहे हैं। इस दौरान भक्तों के मंदिर में प्रवेश पर रोक रहेगी।

पुरी में 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर के प्रतिष्ठित खजाने रत्न भंडार को गुरुवार को एक सप्ताह में दूसरी बार फिर से खोल दिया गया ताकि कीमती सामान को अस्थायी स्ट्रांग रूम में स्थानांतरित किया जा सके। भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों के समक्ष प्रार्थना करने के बाद, रत्न भंडार से कीमती सामान को स्थानांतरित करने के लिए ओडिशा सरकार द्वारा गठित एक पर्यवेक्षी समिति के सदस्य सुबह करीब 9 बजे मंदिर में प्रवेश कर गए।

श्री जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के आभूषणों को मंदिर में अस्थायी रत्न भंडार में स्थानांतरित किया जाएगा। हालांकि इस दौरान भक्तों के मंदिर में प्रवेश पर रोक भी रहेगी। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के लिए स्थानांतरण जरूरी था। एएसआई यहां आंतरिक कक्ष के अंदर संरक्षण कार्य करेगी। इसके पहले कीमती वस्तुओं की सूची तैयार करने और इसकी संरचना की मरम्मत के लिए 46 साल बाद 14 जुलाई को फिर से खोला गया था। बता दें कि रत्न भंडार सुबह 9.51 बजे से दोपहर 12.15 बजे के बीच खुला है, इस दौरान ही सभी कीमती सामान और आभूषणों को स्थानांतरित किया जाएगा।

श्री जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के खुलने पर, कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने कहा, “गुरुवार को भीतर रत्न भंडार से सभी कीमती सामान और आभूषण सरकार द्वारा निर्धारित एसओपी के अनुसार अस्थायी रत्न भंडार में स्थानांतरित कर दिए जाएंगे।” बता दें कि मंदिर के रत्न भंडार को खोलने और उसका सामान स्थानांतरित कर संरक्षण का कार्य करवाने का यह फैसला एसजेटीए के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी, रत्न भंडार को खोलने के दौरान देखरेख के लिए राज्य सरकार की ओर से नियुक्त पर्यवेक्षक समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति विश्वनाथ रथ, पुरी के जिलाधिकारी और अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में हुई बैठक में मंगलवार को लिया गया था।

पिछली बार 46 साल बाद 14 जुलाई को खजाना खोला गया था। 14 जुलाई को रत्न भंडार के बाहरी कक्ष के आभूषण और कीमती सामान को स्ट्रांग रूम में शिफ्ट किया गया था। न्यायमूर्ति रथ ने पुरी के राजा और गजपति महाराजा दिव्य सिंह देब से भी अनुरोध किया कि वे रत्न भंडार में मौजूद रहें साथ ही वहां से कीमती सामानों को बाहर निकालने की प्रक्रिया की निगरानी करें। पुरी कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने कहा कि केवल अधिकृत व्यक्तियों को पारंपरिक पोशाक के साथ खजाने में प्रवेश करने की अनुमति है। यदि आज कीमती सामानों को बाहर निकालने का काम पूरा नहीं हो पाता है, तो मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार काम जारी रहेगा। पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जा रही है। मंदिर प्रशासन ने गुरुवार सुबह 8 बजे से मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगा दी है। वहीं एक अधिकारी ने बताया, “केवल अधिकृत व्यक्तियों और कुछ सेवकों को ही कीमती सामान को मंदिर में स्थानांतरित करने के दौरान प्रवेश की अनुमति दी गई है।”

100 बेड के तिब्बती हॉस्पिटल का उद्घाटन कर सकते हैं पीएम मोदी, ये मिलेंगी सुविधाएं

वाराणसी: युथोग सोवा रिग्पा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल का उद्घाटन काशी के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कराने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। अगले दौरे पर वह इसका उद्घाटन भी कर सकते हैं। तीन हजार स्वायर मीटर में नौ मंजिला की 99 करोड़ की लागत से 100 बेड के अत्याधुनिक मेडिकल कॉलेज के पहले चरण का सिविल कार्य पूरा हो गया है।

मौजूदा स्थिति में चिकित्सीय उपकरण, फर्नीचर, इंटीरियर, बिजली के लिए फीडर का कुछ बाकी है। जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। सारनाथ में तिब्बती चिकित्सा पद्धति युथोग सोवा रिग्पा के लिए मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल का निर्माण करा रही है। यहां सोवा रिग्पा पद्धति में इलाज के साथ शैक्षिक और रिसर्च का काम भी होगा।

मेडिकल कॉलेज के शुरू होने से उत्तर प्रदेश, कश्मीर, मुंबई, बिहार के अलावा भारत के सभी राज्यों में रहने वालों को भी चिकित्सीय लाभ मिलेगा। आयुर्वेद से मिलती-जुलती तिब्बती चिकित्सा पद्धति सोवा रिग्पा में भी असाध्य रोगों का इलाज है।
केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान सारनाथ की कुलसचिव डॉ. सुनीता चंद्रा ने बताया कि 37.95 करोड़ की लागत से जी प्लस 4 मंजिल के निर्माण का सिविल कार्य लगभग पूरा हो चुका है। इसके लिए 33 केवीए विद्युत आपूर्ति फीडर, मेडिकल उपकरण, फर्नीचर समेत अन्य आतंरिक काम बाकी हैं। इसे जल्द ही पूरा कराया जाएगा।

प्रथम चरण में 40 बेड के साथ अस्पताल शुरू करना प्रस्तावित है। इसमें ऑपरेशन थियेटर, ओपीडी, वार्ड, मोर्चरी, 500 लोगों की क्षमता के ऑडिटोरियम, पार्किंग की सुविधा होगी। कुल सचिव ने बताया कि संस्था में अभी छोटा हर्बल गार्डन है। सोवा रिग्पा पद्धति से इलाज के लिए संस्था औषधियां भी खुद बनाती है। वाराणसी में भी आगे चलकर हर्बल गार्डन बनाने की संभावना है। इससे रोजगार भी उपलब्ध होगा।

मेडिकल कॉलेज में ये मिलेंगी सुविधाएं
मरीजों की सुविधा के लिए अस्पताल में हेलिपैड प्रस्तावित है। सेमिनार, टीचिंग, रिसर्च और मरीजों का इलाज एक साथ करने वाला देश का यह बड़ा सेंटर होगा। ओपीडी, छह कंसल्टेंट रूम (ज्योतिष कंसल्टेंट भी होंगे), एक बड़ा वेटिंग हॉल ,अत्याधुनिक इमरजेंसी, इंटेंसिव केयर यूनिट, ऑपरेशन थियेटर, इंडोर पेशेंट, थेरेपी, फार्मेसी, क्लास रूम, लाइब्रेरी, म्यूजियम, लैब और नक्षत्र शाला होगी।
रिग्पा चिकित्सा पद्धति का इतिहास और महत्व

मायावती बोलीं- जनता भाजपा की नीतियों से दुखी पर कांग्रेस भी समस्याओं का समाधान नहीं

लखनऊ:  बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि उत्तराखंड में जनता भाजपा सरकार की गलत नीतियों व द्वेषपूर्ण कार्यशैली से लोग दुःखी हैं। हालांकि, कांग्रेस भी उनकी गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, असुरक्षा आदि से त्रस्त जीवन का समाधान नहीं है। वो उत्तराखंड के बसपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ समीक्षा बैठक में बोल रही थीं।

उन्होंने एक्स पर कहा कि उत्तराखण्ड में पार्टी संगठन के कार्यों, पार्टी के जनाधार को बढ़ाने तथा बसपा पार्टी व मूवमेन्ट से जुड़े खास मुद्दों के साथ ही राज्य में हाल में हुए विधानसभा उपचुनाव आदि पर पार्टी के वरिष्ठ व जिम्मेदार लोगों के साथ नई दिल्ली में सोमवार को आयोजित बैठक में गहन समीक्षा की गई।

कुल मिलाकर, उत्तराखंड में भाजपा सरकार की गलत नीतियों व द्वेषपूर्ण कार्यशैली से लोग दुःखी हैं, जिसको लेकर जनता को जागरुक करना है कि कांग्रेस भी उनकी गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, असुरक्षा आदि से त्रस्त जीवन का समाधान नहीं है बल्कि बहुजनों को खुद अपने पैरों पर खड़ा होना है।

बता दें कि उत्तराखंड में हुए उपचुनाव में भाजपा को दो सीटों पर हार मिली है। यहां की बद्रीनाथ सीट पर भी भाजपा की हार हुई है।