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शरद पवार पर निशाना साधने के बाद उनसे मिलने पहुंचे अजित गुट के छगन भुजबल, सियासी गलियारों में हलचल

मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में सोमवार को एक अलग ही समीकरण देखने को मिला। एक दिन पहले जिस नेता को शरद पवार पर मराठा आरक्षण की बैठक में शामिल नहीं होने के लिए जमकर निशाना साधते देखा गया था, वहीं आज उन्हें उनसे मुलाकात करते देखा गया। जी हां, हम राज्य मंत्री छगन भुजबल की बात कर रहे हैं। दरअसल, पहले से ही ऐसी खबरें आ रही थीं कि महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार गुट के कुछ नेता नाराज हैं और वो शरद पवार के साथ जा सकते हैं। इसी बीच, सोमवार को अचानक ही अजित गुट के दिग्गज नेता भुजबल शरद पवार से मुलाकात करने के लिए पहुंच गए।

एक दिन पहले किया था हमला
ये मुलाकात ऐसे वक्त पर हुई है, जब एक दिन पहले ही छगन भुजबल ने शरद पवार पर जोरदार हमला किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र में जिस तरह मराठा आरक्षण पर लोगों को भड़काया जा रहा है, उसके पीछे शरद पवार ही हैं और अब आज वह उनसे मिलने उनके घर ‘सिल्वर ओक’ पहुंच गए।

मुलाकात की वजह साफ नहीं
उन्होंने अभी तक मुलाकात की कोई वजह नहीं बताई है। खबरों की मानें तो शरद पवार और छगन भुजबल के बीच यह मुलाकात मराठा बनाम ओबीसी के बीच हो रही लड़ाई के चलते हुई है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने नौ जुलाई को ओबीसी के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, लेकिन इसमें विपक्ष का कोई नेता शामिल नहीं हुआ था। इससे पहले रविवार को छगन भुजबल ने बारामती में शरद पवार का नाम लिए बिना उन पर दो समाज के बीच दरार डालने का आरोप लगाया था।

बारामती से फोन आने के बाद आरक्षण की बैठक में नहीं आए एमवीए नेता
भुजबल ने दावा किया था कि आरक्षण को लेकर होने वाली बैठक में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के नेता इसलिए नहीं आए थे, क्योंकि उन्हें बारामती से फोन आ गया था। बता दें कि बारामती लोकसभा सीट शरद पवार का गढ़ मानी जाती है।

एनसीपी के अंदर दरार?
एनसीपी के सूत्रों का कहना है कि भुजबल को लग रहा था कि पार्टी में उनकी बात नहीं सुनी जा रही है। वह अजित पवार के संगठन के साथ हैं, लेकिन पार्टी के भीतर राजनीतिक रूप से अलग-थलग पड़ गए हैं।

भुजबल की शरद पवार के साथ मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर राज्य के मंत्री और भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि महाराष्ट्र में यह परंपरा रही है कि राजनीतिक नेता वैचारिक मतभेदों से परे रहते हुए आपस में चर्चा करते हैं। दो नेताओं के बीच हर बातचीत की जांच करना और समय से पहले कुछ भी बोलना गलत है।

वाल्मिकी कॉरपोरेशन घोटाले पर हंगामा, भाजपा का आरोप- दिल्ली कांग्रेस का एटीएम बनी कर्नाटक सरकार

बंगलूरू: कर्नाटक में भाजपा ने सोमवार को महर्षि वाल्मिकी जनजातीय विकास निगम में हुए कथित घोटाले के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन किया। भाजपा नेताओं ने सरकार के खिलाफ विधानसभा तक विरोध मार्च निकाला। कर्नाटक में महर्षि वाल्मिकी जनजातीय विकास निगम में कथित तौर पर 180 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला हुआ है। एसआईटी द्वारा इसकी जांच की जा रही है।

भाजपा का आरोप- दलितों की रकम को लूटा गया
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कहा कि सिद्धारमैया सरकार में कई घोटाले और धांधली का खुलासा हुआ है। इस सरकार ने लोगों को भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने का वादा किया था। सिद्धारमैया ने सीएम बनने से पहले दलितों और आदिवासियों की बेहतरी के लिए काम करने की बात कही थी, लेकिन ये सरकार पूरी तरह से असफल हुई है। भाजपा नेता सीटी रवि ने कहा कि ‘उन्होंने (कांग्रेस) महर्षि वाल्मिकी जनजातीय विकास निगम के पैसे को लूटा। कांग्रेस ने इस पैसे का इस्तेमाल चुनाव में किया। यह हमारा कर्तव्य है कि हम दलितों को न्याय दिलाएं। दलितों का पैसा लूटा गया है। हम इस पर चुप नहीं रह सकते। दूध, पेट्रोल समेत कई अन्य चीजों के दाम बढ़ा दिए गए हैं।’

कर्नाटक विधानसभा में नेता विपक्ष आर अशोक ने कहा कि 180 करोड़ का ये बड़ा घोटाला है। सरकार के पास पैसा नहीं बचा है और इसलिए वे हर चीज के दाम बढ़ा रहे हैं। दूध और पेट्रोल के दाम बढ़ ही चुके हैं। उन्हें आम आदमी की चिंता नहीं है। कर्नाटक कांग्रेस, दिल्ली कांग्रेस का एटीएम बन गई है

सरकार ने भाजपा पर लगाए आरोप
भाजपा पर पलटवार करते हुए कांग्रेस नेता और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि कोई घोटाला नहीं हुआ है। सभी घोटाले भाजपा द्वारा उनके कार्यकाल में किए गए। अब हम सबकुछ साफ करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे इसे पचा नहीं पा रहे क्योंकि इससे उन्हें उनके नामों का खुलासा होने का डर है। कर्नाटक सरकार के मंत्री प्रियांक खरगे ने कहा कि एसआईटी का गठन कर दिया गया है। रिपोर्ट आने दीजिए, वो (भाजपा) इतनी चिंता क्यों कर रहे हैं। भाजपा मंत्रियों ने ही इसकी शुरुआत की थी। MUDA मुद्दे की जांच के लिए भी सिंगल जज पीठ का गठन कर दिया गया है। भाजपा की जो भी चिंता है, उसे पार्टी को विधानसभा में पूरे तथ्यों के साथ उठाना चाहिए।

कांग्रेस विधायक और वाल्मिकी कॉरपोरेशन बोर्ड के अध्यक्ष बासनगौड़ा दद्दाल ने कहा कि ‘वह विधानसभा सत्र में शामिल होने जा रहे हैं। उसके बाद ही वह इस मुद्दे पर कुछ बोलेंगे। मेरा मोबाइल ऑन है और मैं जांच में पूरा सहयोग करूंगा। ईडी के नोटिस की अभी तक मुझे कोई जानकारी नहीं है।’

‘भगवान जगन्नाथ ने बचाई डोनाल्ड ट्रंप की जान’, 1976 की घटना का जिक्र कर इस्कॉन ने किया बड़ा दावा

कोलकाता: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हाल ही में हुए हमले को लेकर दुनियाभर में चर्चाएं हो रही हैं। कोई ट्रंप की सुरक्षा में लगे कर्मचारियों पर सवाल खड़े कर रहा तो कोई हमलावर की उम्र पर बात कर रहा। इस बीच, इस्कॉन की तरफ से एक बड़ा दावा किया गया है। कहा जा रहा है कि ट्रंप की जान भगवान जगन्नाथ ने बचाई है।

1976 की रथयात्रा का किया जिक्र
इस्कॉन मंदिर कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक लंबा सा पोस्ट साझा किया है। उन्होंने कहा कि सच में ट्रंप की जान बचने के पीछे भगवान का हाथ है। ट्रंप को भगवान जगन्नाथ ने बचाया है। इसके लिए उन्होंने 1976 की रथयात्रा का जिक्र किया।

गौरतलब है कि रविवार सुबह-सुबह ये जानकारी सामने आई थी कि पेंसिल्वेनिया में एक चुनावी रैली के दौरान डोनाल्ड ट्रंप के ऊपर गोलियां चलाई गई थीं। हालांकि, वह बाल-बाल बच गए। इस घटना में उनके कान में चोट लगी थी।

ठीक 48 साल पहले…
इस्कॉन मंदिर के प्रवक्ता ने कहा, ‘ठीक 48 साल पहले डोनाल्ड ट्रंप ने जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव को बचाया था। अब उन्हीं की कृपा से ट्रंप की जान बची है। आज जब पूरी दुनिया जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव मना रही है, ऐसे में ट्रंप पर हमला किया गया। जगन्नाथ ने उनके सुकर्मों का फल दिया और ट्रंप की जान बच गई।’

राधारमण दास ने कहा कि जुलाई 1976 में डोनाल्ड ट्रंप ने रथों के निर्माण के लिए मुफ्त में अपना ट्रेन यार्ड देकर इस्कॉन भक्तों को रथयात्रा आयोजित करने में मदद की थी। आज जब दुनिया नौ दिवसीय जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव मना रही है, तो वहीं उन पर यह भयानक हमला और उनका बाल-बाल बचना जगन्नाथ की ईश्वरीय करुणा को दर्शाता है।

संसद में धन विधेयक के सहारे कानून बनाने के खिलाफ SC में याचिका, CJI बोले- संविधान पीठ गठित होगी

नई दिल्ली आधार अधिनियम जैसे कानूनों को धन विधेयक के रूप में पारित करने की वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं। अब सुप्रीम कोर्ट इन याचिकाओं पर सुनवाई के लिए एक पीठ गठित करने पर विचार कर रहा है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ से अपील करते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि याचिकाओं की सूचीबद्ध करने की जरूरत है ताकि उन पर सुनवाई हो सके।

याचिकाओं में सरकार पर लगाए गए आरोप
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ‘जब मैं संविधान पीठों का गठन करूंगा, तब इस पर फैसला लूंगा।’ दरअसल धन विधेयक को लेकर विवाद तब उठा जब सरकार ने आधार अधिनियम और धन शोधन निवारण अधिनियम में कई संशोधनों को धन विधेयक के रूप में पेश किया था। इसके चलते इन विधेयकों को राज्यसभा में पेश नहीं किया गया, जहां सरकार के पास बहुमत नहीं था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गईं। याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि सरकार ने राज्यसभा को दरकिनार करने के लिए ही कानूनों को धन विधेयक के रूप में पारित कराया।

सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए कानून की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा था, लेकिन इसने इस मुद्दे को खुला रखा कि क्या पीएमएलए में संशोधन को धन विधेयक के रूप में पारित किया जा सकता है। इस सवाल पर सात न्यायाधीशों की पीठ द्वारा विचार किया जाना था। सात जजों की पीठ पहले से ही धन विधेयक को परिभाषित करने के संवैधानिक प्रश्न और किसी विधेयक को धन विधेयक के रूप में प्रमाणित करने के लोकसभा स्पीकर के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र के दायरे पर विचार कर रही है।

क्या होता है धन विधेयक
गौरतलब है कि धन विधेयक एक ऐसा विशेष विधेयक है, जिसे केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है। और राज्यसभा उसमें संशोधन या अस्वीकृति नहीं कर सकती। उच्च सदन सिर्फ सिफारिशें कर सकता है और लोकसभा द्वारा उन सिफारिशों को माना भी जा सकता है और नहीं भी। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 110 के तहत परिभाषित मनी बिल, टैक्स, सार्वजनिक खर्च आदि जैसे वित्तीय मामलों से संबंधित है। राज्यसभा इस विधेयक में संशोधन या अस्वीकृति नहीं कर सकती।

फिर गरमाया कावेरी जल विवाद, CM ने बुलाई सर्वदलीय बैठक, बोले- किसानों से धोखा बर्दाश्त नहीं करेंगे

चेन्नई: कावेरी जल विवाद फिर से गरमा गया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कावेरी जल विवाद को लेकर कर्नाटक सरकार के रुख की आलोचना की। उन्होंने अंतर-राज्यीय नदी विवाद को लेकर आगामी 16 जुलाई को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। स्टालिन ने कहा कि 15 जुलाई 2024 तक कर्नाटक के चार मुख्य बांधों में कुल भंडारण 75.586 टीएमसी फीट है, जबकि तमिलनाडु के मेट्टूर जलाशय में जल का स्तर मात्र 13.808 टीएमसी फीट है।

‘तमिलनाडु के किसानों से धोखा बर्दाश्त नहीं करेगा राज्य’
मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार इस बार पर्याप्त बारिश की गुंजाइश है। मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि ‘कर्नाटक द्वारा कावेरी जल नियमन समिति के निर्देशों के अनुसार पानी छोड़ने से इनकार करना, तमिलनाडु के किसानों के साथ धोखा है और राज्य कभी भी इसे बर्दाश्त नहीं करेगा।’ रविवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा था कि राज्य सरकार तमिलनाडु के लिए कावेरी नदी से हर रोज आठ हजार क्यूसेक पानी छोड़ने के लिए तैयार है। बता दें कि कावेरी जल नियमन समिति ने कर्नाटक सरकार को इस महीने के अंत तक तमिलनाडु के लिए हर रोज एक टीएमसी फीट पानी छोड़ने का निर्देश दिया था। तमिलनाडु सीएम ने कहा कि उन्होंने राज्य विधानसभा में सभी पार्टियों के विधायक दल के नेताओं की बैठक बुलाई है। उस बैठक में आगे के कदम पर चर्चा की जाएगी। बैठक 16 जुलाई को सुबह 11 बजे राज्य सचिवालय में होगी।

क्या है कावेरी जल विवाद
कावेरी नदी के जल को लेकर विवाद करीब 140 साल से भी ज्यादा पुराना है। साल 1881 में कर्नाटक ने नदी पर बांध बनाने का फैसला किया, लेकिन तमिलनाडु ने इसका विरोध किया। कई साल ये विवाद चलने के बाद ब्रिटिश सरकार ने इसमें हस्तक्षेप किया और दोनों राज्यों के बीच एक समझौता कराया। इसके समझौते के तहत नदी के जल का 556 हजार मिलियन क्यूबिक फीट पानी तमिलनाडु को और 177 हजार मिलियन क्यूबिक पानी कर्नाटक को मिलना तय हुआ।

कावेरी नदी कर्नाटक के कोडागू जिले से निकलती है और तमिलनाडु से होती हुई बंगाल की खाड़ी में गिरती है। नदी का कुछ हिस्सा केरल और पुडुचेरी में भी है। साल 1972 में एक कमेटी गठित की गई। इस कमेटी ने 1976 में चारों राज्यों के बीच नदी के जल को लेकर एक समझौता कराया, लेकिन अभी भी नदी के जल को लेकर विवाद है। दरअसल कर्नाटक ब्रिटिश काल में हुए समझौते को तर्कसंगत नहीं मानता और तमिलनाडु उस समझौते को सही मानता है।

आज श्री गुंडिचा मंदिर से श्री मंदिर लौटेंगे भगवान जगन्नाथ, तैयारी पूरी, सुरक्षा के कड़े इंतजाम

पुरी:पुरी में बाहुड़ा यात्रा की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। यात्रा से पहले सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। बाहुड़ा यात्रा भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के नौ दिन के प्रवास के अंत का प्रतीक है। आज भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ तीन अलग-अलग रथों पर सवार होकर श्री गुंडिचा मंदिर से श्री मंदिर लौटेंगे। भारी संख्या में श्रद्धालुओं द्वारा इन रथों को खींचा जाएगा। बाहुड़ा यात्रा को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।

बाहुड़ा यात्रा के लिए सभी अनुष्ठानों का कार्यक्रम तय है। परंपरा के अनुसार गुंडिचा मंदिर में सभी अनुष्ठान पूरे होने के बाद, दोपहर 12 बजे देवताओं की ‘पहांडी’ निकाली जाएगी। शाम 4 बजे रथों को खींचने की परंपरा निभाई जाएगी। रथों को खींचने की विधि पूरी होने के बाद, रथों के ऊपर अन्य अनुष्ठान किए जाएंगे। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के अनुसार सभी अनुष्ठानों को सुचारू और अनुशासित तरीके से आयोजित करने के लिए व्यापक तैयारियां की गई हैं।

बाहुड़ा यात्रा के लिए भारी पुलिस बल तैनात
ओडिशा के एडीजी (कानून और व्यवस्था) संजय कुमार ने बताया कि ‘अनुष्ठानों के अनुसार, सुबह 8 बजे से ही कार्यक्रम शुरू हुआ। सुबह 6 बजे से ही पुलिस बल की तैनाती कर दी गई। उन्होंने बताया कि हमारी मुख्य चिंता यातायात है। इस साल की यातायात व्यवस्था, सबसे बेहतरीन यातायात व्यवस्थाओं में से एक, हर कोई इसकी सराहना कर रहा है। सुरक्षा व्यवस्था को भी उन्नत किया गया है और हमारा प्रयास है कि जब भक्त देवताओं को खींच रहे होंगे, तब कोई समस्या न हो। न ही कोई भी अप्रिय घटना घटे, सब कुछ ठीक से व्यवस्थित है। पूरा शहर सीसीटीवी से कवर है। एआई भी अच्छी तरह से काम कर रहा है।’

90 वर्षीय अर्थशास्त्री बोले- नोबेल के बिना जिंदगी बर्बाद नहीं होती; बची उम्र पढ़कर गुजार दूंगा

मुझे नहीं लगता कि नोबेल नहीं मिला होता तो मेरी जिंदगी बर्बाद होती। जिंदगी में नोबेल पुरस्कार जीतने से भी बड़े मकसद हैं और होने ही चाहिए। यह बात नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन ने प.बंगाल के बीरभूम जिले के बोलपुर में अपने पैतृक आवास पर एक साक्षात्कार में कही। उन्हें 1998 में अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में आर्थिक विज्ञान में स्वेरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार मिला था। यह सम्मान उन्हें कल्याणकारी अर्थशास्त्र और सामाजिक विकल्प सिद्धांत में योगदान के लिए दिया गया था। शायद तभी सेन ने कहा कि इसे पाकर मुझे अच्छा लगा। मुझे कुछ पैसे मिले और मैं बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी एक चैरिटी संस्था प्रतीची ट्रस्ट शुरू कर सका।

थोड़ी किस्मत भी शामिल… सेन ने कहा, इसमें थोड़ी किस्मत भी शामिल है कि आपको कोई पुरस्कार मिलता है या नहीं। हालांकि, जब नोबेल मेरे पास आया, तो उसने मुझे साक्षरता, बुनियादी स्वास्थ्य सेवा और लैंगिक समानता सहित अपने पुराने जुनूनों के बारे में तत्काल और जमीनी तौर पर कुछ करने का मौका दिया। मेरा उद्देश्य खास तौर से भारत और बांग्लादेश में यह काम करना था।बची उम्र बस पढ़कर गुजार दूंगा : सेन कहते हैं, मुझे नहीं पता कि मेरे पास और कितने साल बचे हैं। मेरे पास जो भी वक्त है, उसमें बार-बार पढ़कर यह जानने में मुझे खुशी मिलेगी कि दुनिया में क्या हो रहा है।

देश में हिंदू-मुस्लिमों के साथ रहने की परंपरा : सेन ने कहा कि भारत में हिंदुओं और मुस्लिमों के साथ रहने की परंपरा है। हमारे देश में सदियों से हिंदू-मुस्लिम तालमेल और समन्वय से काम करते आए हैं। यह युक्तसाधना है, जिसका उल्लेख क्षितिमोहन सेन ने अपनी पुस्तक में किया है। हमें मौजूदा समय में युक्तसाधना के इस विचार पर जोर देने की जरूरत है।

2030 तक सात लाख करोड़ डॉलर होने का अनुमान, ई-कॉमर्स सालाना 21 फीसदी बढ़ेगा

ब्यूरो: केपीएमजी ने एक टिप्पणी में कहा, चिकित्सा खर्च, ईंधन लागत और समग्र महंगाई में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। ऐसे में अधिक खर्च करने योग्य आय उपभोक्ताओं के हाथ में देने के लिए उम्मीद है कि नई कर व्यवस्था के तहत मूल कर छूट सीमा को तीन लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये किया जा सकता है। टिप्पणी में होम लोन के संबंध में कहा गया कि ब्याज दरों में हालिया वृद्धि और विनियामक सुधारों के कारण रियल एस्टेट क्षेत्र पर दबाव बढ़ रहा है। इन चुनौतियों को कम करने और मकान खरीदने को बढ़ावा देने के लिए सरकार होम लोन ब्याज पर छूट को 2.50 लाख से बढ़ाकर तीन लाख कर सकती है।

बीमा: बजट सत्र में पेश हो सकता है संशोधन विधेयक
सरकार 2047 तक सभी के लिए बीमा के लक्ष्य को हासिल करने के लिए आगामी बजट सत्र में बीमा अधिनियम-1938 में संशोधन वाला विधेयक पेश कर सकती है। सूत्रों ने बताया, संशोधन विधेयक में शामिल किए जा सकने वाले कुछ प्रावधानों में समग्र लाइसेंस, अंतर पूंजी, सॉल्वेंसी मानदंडों में राहत, कैप्टिव लाइसेंस जारी करना, निवेश नियमों में बदलाव और बीमा कंपनियों को अन्य वित्तीय उत्पाद वितरित करने की अनुमति देना शामिल हैं।

आम बजट से पहले कांग्रेस ने केंद्र सरकार को घेरा; कॉरपोरेट टैक्स कटौती को लेकर सुनाई खरी-खोटी

नई दिल्ली: कॉरपोरेट टैक्स में की गई कटौती को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार का घेराव किया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि टैक्स में कटौती से अरबपतियों की जेब में दो लाख करोड़ रुपये चले गए। जबकि मिडिल क्लास आज भी कर और महंगाई के बोझ से दबा हुआ है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के एक दिन बाद कांग्रेस ने भाजपा पर हमला बोला।

कांग्रेस की ओर से कहा गया कि सीबीडीटी की रिपोर्ट में 11 जुलाई 2024 तक कुल टैक्स कलेक्शन 5,74,357 करोड़ रुपये दिखाया गया है। इसमें रिफंड निकालने के बाद कॉरपोरेट टैक्स 2,10,274 करोड़ रुपये और पर्सनल आयकर के रूप में 3,46,036 करोड़ रुपये सरकार को मिले हैं। कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि 23 जुलाई को बजट आना है। इस दौरान टैक्स कलेक्शन का डाटा जारी किया गया है। इसके मुताबिक एक अप्रैल से एक जुलाई 2024 तक व्यक्तिगत आयकर 3.61 लाख करोड़ रुपये और कॉरपोरेट कर संग्रह 2.65 लाख करोड़ रुपये था। उन्होंने कहा कि टैक्स कलेक्शन में पर्सनल इनकम टैक्स की हिस्सेदारी 28 फीसदी हो गई है।

जयराम रमेश ने कहा कि केंद्र सरकार ने 20 सितंबर 2019 को कॉरपोरेट टैक्स में कटौती करते हुए दावा किया था कि इससे निवेश में इजाफा होगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। इसके बजाया निवेश यूपीए के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में जीडीपी के 35 फीसदी से घटकर 2014-24 तक 29 फीसदी से भी नीचे आ गया है। बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को लोकसभा में वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट पेश करेंगी।

टैक्स कलेक्शन 21.99 लाख करोड़ रहने का अनुमान
कांग्रेस के आरोपों के बीच केंद्र सरकार इनकम टैक्स कलेक्शन में इस साल खासे उछाल की उम्मीद है। सरकार ने पूरे वित्त वर्ष के लिए अंतरिम बजट में प्रत्यक्ष कर संग्रह 21.99 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया है। अब तक टैक्स कलेक्शन 5,74,357 करोड़ रुपये पहुंच गया है। जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 4,80,458 करोड़ रुपये था।

‘बारामती से फोन आने के बाद आरक्षण की बैठक में नहीं आए एमवीए नेता’, भुजबल का शरद पवार पर हमला

महाराष्ट्र सरकार के मंत्री छगन भुजबल ने रविवार को एक कार्यक्रम के दौरान एनसीपी एसपी चीफ शरद पवार पर तीखा हमला बोला। भुजबल ने दावा किया कि आरक्षण को लेकर होने वाली बैठक में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के नेता इसलिए नहीं आए थे, क्योंकि उन्हें बारामती से फोन आ गया था। बता दें कि बारामती लोकसभा सीट शरद पवार का गढ़ मानी जाती है। ऐसे में छगन भुजबल के बयान को शरद पवार पर हमला माना जा रहा है।

भुजबल का आरोप- जानबूझकर बैठक का एमवीए ने किया बहिष्कार
एनसीपी प्रमुख अजित पवार के साथ बारामती में एक रैली को संबोधित करते हुए छगन भुजबल ने कहा कि ‘जब सामाजिक मुद्दों की बात आती है तो शरद पवार जैसे वरिष्ठ नेता से उम्मीद की जाती है कि वह बैठक में शामिल होंगे और अपने सुझाव देंगे। लेकिन जानबूझकर बैठक का बहिष्कार करना और फिर सलाह देने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है।’ दरअसल बीती 9 जुलाई को सीएम एकनाथ शिंदे ने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। भुजबल ने बताया कि उन्होंने नेता विपक्ष विजय वडेट्टिवार और एनसीपी एसपी के नेता जितेंद्र अव्हाण को बैठक में आने के लिए कहा था और अव्हाण को शरद पवार को भी बैठक में लाने को कहा था।

सत्ता पक्ष का आरोप- अपने राजनीतिक फायदे के लिए जातीय तनाव बढ़ा रहा विपक्ष
भुजबल ने आरोप लगाया कि विपक्ष मराठा, धनगर और ओबीसी समुदाय के हितों की अनदेखी कर रहा है। भुजबल के अनुसार, ‘बारामती के मराठा, माली, धनगर और ओबीसी समुदाय ने भले ही किसी को वोट दिया हो, लेकिन आप हमसे नाराज हो सकते हैं, लेकिन लोगों को अधर में छोड़ना गलत है। क्या लोगों के हितों की रक्षा करना आपकी जिम्मेदारी नहीं है।’ मराठा आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष द्वारा सर्वदलीय बैठक का बायकॉट करने पर विधानसभा में खूब हंगामा हुआ और सत्ता पक्ष ने विपक्ष पर अपने फायदे के लिए राज्य में जातीय तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया। सत्ता पक्ष का कहना है कि विपक्ष आरक्षण मुद्दे का हल निकालने के लिए गंभीर नहीं है।