Sunday , November 24 2024

देश

मध्य प्रदेश के चड्ढी-बनियान गैंग ने कर्नाटक में मचाया आतंक, पुलिसकर्मियों पर किया हमला, दो घायल

बंगलूरू: मध्य प्रदेश का चड्ढी-बनियान गैंग कर्नाटक में आतंक मचा रहा है। इस गैंग ने मंगलूरू के मुल्की में पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया। इस हमले में दो पुलिसकर्मी घायल हो गए। मंगलवार को हासन के सक्लेश्पुर में चड्ढी बनियान गैंग के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया गया। उन्हें सक्लेश्पुर से मुल्की लाया गया, जहां से ये चारों फरार हो गए। मुल्की में नकद और ज्वेलरी लूटने के बाद ये चारों बंगलूरू की तरफ भाग गए। लूटपात में उन्होंने एक बुजुर्ग दंपती को घायल कर दिया।

इस घटना के बाद मंगलूरू पुलिस ने उन्हें पांच घंटे के भीतर पकड़ लिया। पुलिस के अनुसार, अपराधी भागने की कोशिश कर रहे थे। पुलिस की टीम ने अपराधियों पर गोली चला दी। आरोपियों ने पुलिसकर्मियों पर हमला भी किया। घायल पुलिसकर्मियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। पुलिस के साथ मुठभेड़ में एक आरोपी को पैर में गोली भी लगी। उसे सरकारी वेनलॉक अस्पताल के पुलिस वॉर्ड में रखा गया है।

सोमवार की सुबह चड्ढी-बनियान गैंग के सदस्यों ने कोटेकानी क्षेत्र में एक घर में तोड़फोड़ भी की। घर में मौजूद बुजुर्ग दंपती को डराने-धमकाने के साथ उनके पास से सोने के गहने और नकद लेकर भाग निकले। उन्होंने कुल 15 लाख रुपये की लूटपाट की। इसके अलावा एक कार भी अपने साथ ले गए थे। चड्ढी-बनियान गैंग के ये सभी अपराधी मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं।

कांग्रेस-उद्धव शिवसेना ने शिंदे सरकार को घेरा, आरोपी को बचाने-केस को दबाने का लगाया आरोप

मुंबई: महाराष्ट्र में पुणे के वर्ली में हिट एंड रन मामले में कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार को घेरा। उन्होंने राज्य सरकार और पुलिस पर इस मामले को दबाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता के अलावा शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने भी इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी। संजय राउत ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इस मामले में आरोपी को बचाया जा रहा है। इस मामले में शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने पीड़ित महिला कावेरी नखवा के पति प्रदीप नखवा से मुलाकात की।

वर्ली में हिट एंड रन मामले में कांग्रेस ने राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा। कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा, “सरकार और पुलिस इस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। उसे (मुख्य आरोपी मिहिर शाह) गिरफ्तार नहीं किया गया, क्योंकि वह नशे में था और इसका खुलासा जांच के दौरान हो जाता। मैं कहूंगा कि पुलिस आरोपी को छिपा रही है। जब दो बार उसका टेस्ट किया गया और उसके खून के नमूने में शराब नहीं पाया गया, तब उसे पुलिस के सामने पेश किया गया। मैं इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग करता हूं।”

शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने भी इस मामले में राज्य सरकार को घेरा। उन्होंने कहा, “यह कोई मामूली केस नहीं है। सरकार आरोपी को बचाने की कोशिश कर रही है। आप आरोपी के पिता का आपराधिक रिकॉर्ड देख सकते हैं। मुंबई पुलिस को अब अंडरवर्ल्ड गिरोह के साथ उसके संबंधों की जांच करनी होगी। उन्हें यह जांच करनी होगी कि वह (आरोपी के पिता) अपनी संपत्तियों और ऐसी फैंसी कारों को कैसे खरीद पा रहा है। वह मुख्यमंत्री का करीबी कैसे बना, इसकी भी जांच होनी चाहिए। आरोपी नशे में था और यह मेडिकल रिपोर्ट में न आ जाए इस बात को छिपाने के लिए वह छिप रहा था। वह तीन दिन से कहीं छिपा हुआ था। जिस तरह से उसने एक निर्दोष महिला को कुचल कर मार डाला वह अमानवीय है। ऐसे लोगों को जेल से रिहा नहीं करना चाहिए।”

क्या है मामला
मुंबई के वर्ली इलाके में रविवार को एक तेज रफ्तार बीएमडब्ल्यू कार ने एक स्कूटर को टक्कर मार दी थी। इस घटना में एक महिला की मौत हो गई। कार मिहिर शाह चला रहा था। पुलिस को शक है कि मिहिर घटना के समय नशे में था। आरोपी अभी फरार है। उसे ढूंढने के लिए लुक आउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किया गया है।

पुलिस ने बताया कि मिहिर शाह ने घटना वाली रात जुहू के एक बार में शराब पी थी। घर जाते समय उसने चालक से उसे लॉन्ग ड्राइव पर ले जाने को कहा। कार वर्ली आई तो मिहिर ने जोर देकर कहा कि वाहन को वह चलाएगा। इसके बाद तेज रफ्तार कार ने कुछ देर बाद एक दोपहिया वाहन को टक्कर मार दी। दोपहिया वाहन पर कावेरी नखवा और उनके पति प्रदीप नखवा सवार थे। जो वर्ली के कोलीवाड़ा इलाके के निवासी थे।

दंपती मछुआरा समुदाय से थे। सुबह जब वे दोपहिया वाहन से काम पर जा रहे थे, तभी बीएमडब्ल्यू कार उनके वाहन से टकरा गई। इसके बाद दोनों हवा में उछल गए। कार का बोनट क्षतिग्रस्त हुआ। इसके बाद कार ने कावेरी को कुचल दिया। फिर आरोपी मौके से फरार हो गए। महिला को अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनके पति प्रदीप को मामूली चोटें आईं।

अमरावती मंडल में पिछले छह महीने में 557 किसानों ने की आत्महत्या, सरकारी रिपोर्ट से हुआ खुलासा

महाराष्ट्र में खेती में हो रहे नुकसान को किसान सहन नहीं कर पा रहे हैं और आर्थिक तंगी से जूझते हुए मौत को गले लगा रहे हैं। सरकार की तरफ से जारी रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ अमरावती मंडल में इस साल जनवरी से लेकर जून तक कुल 557 किसानों ने आत्महत्या कर ली है। जानकारी के मुताबिक अमरावती मंडल के पांच जिले अमरावती, अकोला, बुलढाणा, वाशिम और यवतमाल जिलों में 557 किसानों ने अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली है।

किस जिले में कितने किसानों ने की आत्महत्याएं?
अमरावती संभागीय आयुक्त कार्यालय की तरफ से तैयार की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 में जनवरी से जून के बीच संभाग में कुल 557 किसानों ने आत्महत्या की है। इनमें से सबसे अधिक 170 आत्महत्याएं अमरावती जिले में दर्ज की गईं, इसके बाद यवतमाल में 150, बुलढाणा में 111, अकोला में 92 और वाशिम में 34 आत्महत्याएं दर्ज की गईं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने 53 मामलों में मृतकों के परिवारों को सहायता प्रदान की है, जबकि 284 मामले जांच के लिए लंबित हैं।

कांग्रेस नेता ने केंद्र सरकार से की मांग
सरकारी रिपोर्ट में दर्शाए गए आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देते हुए अमरावती लोकसभा सीट से कांग्रेस नेता बलवंत वानखड़े ने कहा कि महाराष्ट्र उन राज्यों में से एक है, जहां किसानों की आत्महत्याओं की संख्या सबसे अधिक है और इस मामले में अमरावती राज्य में सबसे ऊपर है। उन्होंने कहा, कि फसल का नुकसान, पर्याप्त बारिश की कमी, मौजूदा कर्ज का बोझ और समय पर कृषि ऋण का अभाव कुछ प्रमुख कारण हैं, जो किसानों को यह कदम उठाने के लिए मजबूर करते हैं। सरकार को किसानों की आय दोगुनी करने के अपने आश्वासन को पूरा करना चाहिए और उन्हें सहायता प्रदान करनी चाहिए।

किसानों की आत्महत्या गंभीर मुद्दा- नीलेश पाटिल
वहीं राज्य सरकार के वसंतराव नाइक शेतकरी स्वावलंबी मिशन के अध्यक्ष नीलेश हेलोंडे-पाटिल ने कहा कि किसानों की आत्महत्या एक गंभीर मुद्दा है और ऐसी मौतों को रोकने के लिए मिशन समाधान खोजने के प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा, स्थानीय प्रशासन ग्राम पंचायत स्तर पर किसानों तक कई सरकारी योजनाओं के माध्यम से पहुंच रहा है, ताकि उनकी आय में बढ़ोत्तरी हो सके, इसके साथ ही उनके बच्चों की शिक्षा और परिवार के सदस्यों के चिकित्सा खर्च में भी मदद मिल सके।

‘कल्याण चौबे ने उपचुनाव में समर्थन के लिए रिश्वत की पेशकश की’, टीएमसी नेता का भाजपा प्रत्याशी पर आरोप

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में टीएमसी नेता कुणाल घोष ने विधानसभा उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार कल्याण चौबे पर चुनाव जीतने में उनका समर्थन लेने के लिए रिश्वत की पेशकश करने का आरोप लगाया है। हालांकि, उपचुनाव से पहले भाजपा उम्मीदवार ने घोष के इस आरोप को निराधार बताया है।

बता दें कि पश्चिम बंगाल की चार विधानसभा सीटों पर आज उपचुनाव होना है। इनमें रायगंज, रानाघाट दक्षिण, बागदा और मानिकतला शामिल हैं। कोलकाता के मानकितला से भाजपा उम्मीदवार कल्याण चौबे मैदान में हैं। चुनाव से पहले टीएमसी नेता घोष ने चौबे पर रिश्वत की पेशकश करने का गंभीर आरोप लगाया है। घोष ने कहा, प्रचार समाप्त हो चुका है। भाजपा उम्मीदवार चौबे समझ गए हैं कि वह चुनाव हारने वाले हैं। सात जुलाई की रात साढ़े 11 बजे भाजपा उम्मीदवार ने फोन कॉल कर मुझसे समर्थन मांगा, यह अच्छी तरह जानते हुए भी कि मैं मानिकतला उपचुनाव के लिए सीएम द्वारा गठित कोर कमेटी का संयोजक हूं। घोष ने आरोप लगाया कि समर्थन के बदले अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के अध्यक्ष चौबे ने कहा कि वह मुझे राज्य या राष्ट्रीय स्तरीय खेल संगठन में शामिल कराने का प्रयायस करेंगे। टीएमसी नेता ने आरोप लगाते हुए कहा कि कल्याण चौबे अपने राजनीतिक लाभ के लिए एआईएफएफ अध्यक्ष के आधिकारिक पद का दुरुपयोग कर रहे हैं।

हालांकि, कल्याण चौबे ने टीएमसी नेता के इन आरोपों को निराधार बताया। चौबे ने आरोपों की सफाई में कहा कि उन्होंने घोष को उम्मीदवार के रूप में वोट मांगने के लिए फोन किया था। उन्होंने अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा, “यह सिर्फ एक शिष्टाचार कॉल था और बातचीत को रिकॉर्ड करना और संपादित संस्करण जारी करना अपराध है। उन्होंने खुद पहले भाजपा में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की थी। मैंने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग नहीं किया है। उन्होंने ऑडियो क्लिप को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है।

सात लोकल रेलवे स्टेशनों का नाम बदलने का प्रस्ताव पारित, अब बदलेंगे अंग्रेजों के जमाने के नाम

मुंबई:  आप कभी मुंबई गए हो, तो वहां आपने कई स्टेशनों के नाम सुने हैं। शायद अंग्रेजी में रखे गए स्टेशनों के नाम जैसे मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन, करी रोड स्टेशन, या सैडहस्ट रोड स्टेशन भी सुने होंगे। मगर कभी आपने सोचा था कि इतने सालों बाद इन स्टेशनों के नाम भी बदल दिए जाएंगे। जी हां, महाराष्ट्र विधान परिषद ने मंगलवार को सर्वसम्मति से ब्रिटिश काल में रखे गए मुंबई के सात रेलवे स्टेशनों का नाम बदलने का प्रस्ताव पारित किया।

नामों की मंजूरी केंद्र के पास जाएगी
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना, भाजपा और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी वाली महायुति सरकार अब नए नामों को मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को सौंपेगी। राज्य के संसदीय कार्य मंत्री चंद्रकांत पाटिल द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया है।

मुंबई लोकल ट्रेन के अधिकांश स्टेशनों के नाम अंग्रेजी में हैं। यह तर्क दिया गया है कि वे एक औपनिवेशिक विरासत को दर्शाते हैं।

इन स्टेशनों का बदलेगा नाम
प्रस्ताव के अनुसार, करी रोड स्टेशन का नाम बदलकर लालबाग, सैंडहर्स्ट रोड का नाम डोंगरी, मरीन लाइन्स का नाम मुंबादेवी और चर्नी रोड का नाम गिरगांव रखा जाएगा। सैंडहर्स्ट रोड का नाम बदलना सेंट्रल लाइन के साथ-साथ हार्बर लाइन पर भी लागू होगा। अन्य स्टेशनों में कॉटन ग्रीन स्टेशन का नाम बदलकर कालाचौकी, डॉकयार्ड रोड का नाम मझगांव और किंग्स सर्कल का नाम तीर्थंकर पार्श्वनाथ रखा जाएगा।

पहले भी बदल चुके हैं नाम
ऐसा पहली बार नहीं है, जब मुंबई में किसी स्टेशन का नाम बदला गया है। इससे पहले विक्टोरिया टर्मिनस (वीटी) जैसे प्रतिष्ठित स्टेशनों का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) और एलफिंस्टन रोड से प्रभादेवी कर दिया गया था। इससे सार्वजनिक स्थानों के लिए सांस्कृतिक रूप से गूंजने वाले नामकरण को अपनाने की गति को बढ़ावा मिला।

हवाई अड्डे का नाम बदलने को लेकर उठाया सवाल
इस बीच, विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने छत्रपति संभाजीनगर शहर में हवाई अड्डे का नाम बदलने के संबंध में एक सवाल उठाया, जिसे वर्तमान में औरंगाबाद हवाई अड्डा कहा जाता है। हालांकि, दानवे की इस मांग पर चर्चा की मांग को उपसभापति नीलम गोरहे ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि संबंधित मंत्री बाद में उनके सवाल का जवाब दे सकते हैं।

टीएमसी नेता ने पैर खींचे और सहयोगी ने व्यक्ति को डंडे से पीटा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने साझा किया

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में हाल के दिनों में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जहां लोगों को सार्वजनिक रूप से बेरहमी से पीटा गया। इसे लेकर राज्य की टीएमसी सरकार भी बैकफुट पर दिख रही है। अब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने एक ताजा वीडियो साझा किया है। इस वीडियो में टीएमसी का कद्दावर नेता जयंत सिंह और उसके कई सहयोगी एक व्यक्ति को बेरहमी से पीटते नजर आ रहे हैं। वीडियो में दिख रहा है कि जयंत सिंह और उसके सहयोगियों ने व्यक्ति के हाथ और पैर पकड़े हुए हैं, वहीं दो लोग जानवरों की तरह पीड़ित व्यक्ति को डंडों से पीट रहे हैं।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने साझा किया वीडियो
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने दावा किया है कि वीडियो में जिसे पीटा जा रहा है, वह एक महिला है। सुकांत मजूमदार ने सोशल मीडिया पर वीडियो को साझा करते हुए लिखा कि ‘कमरहाटी में तलतला क्लब से सामने आए एक वीडियो से मैं स्तब्ध हूं। इसमें टीएमसी विधायक मदन मित्रा का करीबी सहयोगी जयंत सिंह बेरमही से एक लड़की को पीटते नजर आ रहा है। यह वीभत्स घटना उस सरकार में हो रही है, जो खुद को महिला अधिकारों की चैंपियन बताती है।’ अमर उजाला इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि यह वीडियो मार्च 2021 का हो सकता है। फिलहाल इसकी जांच की जा रही है।

अरियादहा मामले में भी मुख्य आरोपी है जयंत
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले भी अरियादहा मामले में भी टीएमसी नेता जयंत सिंह मुख्य आरोपी है। अरियादहा में एक कॉलेज छात्र सयांदीप पांजा और उसकी मां के साथ कथित तौर पर मारपीट की गई थी। इस मामले में जयंत सिंह आरोपी है और बीते दिनों जयंत ने आत्मसमर्पण कर दिया था। पुलिस ने अरियादहा मामले में जयंत सिंह के साथ ही नौ अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया है।

अमित मालवीय ने भी लगाए गंभीर आरोप
भाजपा नेता और बंगाल के सह-पर्यवेक्षक अमित मालवीय ने भी इस वीडियो को सोशल मीडिया पर साझा किया है। इसके साथ मालवीय ने लिखा कि ‘चोपड़ा में ममता बनर्जी के लोगों द्वारा सार्वजनिक रूप से कोड़े मारकर न्याय करने की बंगाल की एकमात्र घटना नहीं थी। टीएमसी विधायक मदन मित्रा का सहयोगी जयंत सिंह और उसके सहयोगी नियमित रूप से महिलाओं को सार्वजनिक रूप से पीटते हैं।’

‘हाल ही में दमदम के कमरहाटी नगर पालिका के अरियादहा में एक महिला और उसकी बेटी को बुरी तरह पीटा गया। यह एक भयावह वीडियो है, जिसमें टीएमसी के लोग तलतला क्लब में अपनी इंसाफ सभा में एक असहाय लड़की के साथ क्रूरता कर रहे हैं। यह कोई सुदूर इलाका नहीं है बल्कि ग्रेटर कोलकाता का इलाका है। जो महिलाएं प्रस्तावों को ठुकरा देती हैं, उन्हें टीएमसी के लोगों द्वारा निशाना बनाया जाता है। ममता बनर्जी ही यह बता सकती हैं कि उनके विश्वासपात्र मदन मित्रा के लोग महिलाओं को इतनी बेरहमी से क्यों पीट रहे हैं। बंगाल में अराजकता, महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों और संवैधानिक ढांचे के पूर्ण पतन पर ध्यान देना चाहिए।’

‘खुली अदालत में नहीं होगी समलैंगिक विवाह के फैसले की समीक्षा’, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- चैंबर में होगी सुनवाई

नई दिल्ली:  समलैंगिक विवाह को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत ने एक बड़ा फैसला लिया है। दरअसल, अदालत ने पिछले वर्ष इस मामले में सुनवाई की थी। अदालत ने उस दौरान समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था। अब अदालत का कहना है कि इस मामले में याचिकाओं पर खुले मंच पर सुनवाई नहीं होगी।

अलग चैंबर में होगी मामले की सुनवाई
इससे पहले मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षा में पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 17 अक्तूबर को समलैंगिक विवाह को कानूनी तौर पर वैधता देने से इनकार कर दिया था। पांच न्यायाधीशों की पीठ में मुख्य न्यायाधीश के अलावा न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति हिमा कोहली, न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा भी शामिल थे। शीर्ष अदालत में 10 जुलाई को एक अलग चैंबर में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार करने वाले फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिका पर सुनवाई होगी।

‘विधायी मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती अदालत’
वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी और एनके कौल ने अदालत में इस मामले पर जोर डालते हुए अनुरोध किया था कि मुख्य न्यायाधीश को खुले मंच पर याचिकाओं की समीक्षा करनी चाहिए। इसके जवाब में मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में संविधान पीठ द्वारा समीक्षा की जाएगी और इसे चैंबर में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। पीठ ने कहा कि समलैंगिकों के पास वैधानिक प्रावधानों के तहत विवाह करने का हक है। अदालत ने यह भी कहा कि इस तरह की अनुमति सिर्फ कानून के जरिए ही दी जा सकती है और कोर्ट द्वारा विधायी मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।

मामले से जुड़ी 21 याचिकाओं पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में पांच न्यायाधीशों की पीठ ने समलैंगिक मामलों से जुड़ी 21 याचिकाओं पर सुनवाई की। पीठ ने समलैंगिक विवाह को विशेष विवाह अधिनियम में शामिल करने से इनकार किया है। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ऐसे मामलों में कानून में बदलाव लाना, संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है। प्रधान न्यायाधीश ने केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि समलैंगिक समुदाय के साथ भेदभाव नहीं किया जाए।

रिश्वत के आरोपों को सीएम विजयन ने किया खारिज, कहा- कोई गड़बड़ी सामने नहीं आई

केरल में लोक सेवा आयोग के सदस्यों की नियुक्ति की अनियमितताओं की चर्चा के बीच केरल मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मंगलवार को बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि अब तक सरकार के संज्ञान में ऐसी कोई अनियमितता नहीं आई है। उन्होंने कहा कि वे इस मामले की गंभीरता से जांच करेंगे। उन्होंने कहा कि कुछ मीडिया के रिपोर्ट के हिसाब से ऐसा हुआ है।

सोमवार को लोक निर्माण मंत्री रियास ने रिश्वत विवाद में अपने खिलाफ लगे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। साथ ही उन्होंने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को निराधार बताते हुए आरोप लगाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। रियास ने कहा कि निहित स्वार्थों के कारण उनका नाम लगातार विवादों में घसीटा जा रहा है, उन्होंने कहा कि हर कोई इस तरह के कदमों के पीछे की असली मंशा जानता है।

इसके बाद केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मंगलवार को कहा कि राज्य पीएससी एक भर्ती एजेंसी है। यह अपने तरीके से काम करती है। इसलिए यह तथ्य स्वीकार किया जा सकता है कि इसकी नियुक्तियों ने किसी प्रकार का कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं हुआ। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने विधानसभा में बताया कि सरकार इन आरोपों की गंभीरता से जांच कराने के लिए भी तैयार है। बता दें कि कोझिकोड में एक सीपीआई-एम नेता के खिलाफ आरोप लगाया गया था कि पीएससी सदस्य के रूप में पद हासिल करने का वादा करके एक डॉक्टर से रिश्वत ली। विपक्षी नेता वी डी सतीशन द्वारा उठाए गए इस मुद्दे पर जवाब देते हुए सीएम ने कहा कि इसके अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति भी पारदर्शी तरीके से की जाती है। उन्होंने संवैधानिक संस्था की प्रतिष्ठा को धूमिल करने वाले आरोपों को दुखद बताया। उन्होंने यह भी कहा कि “मीडिया में आई कुछ खबरों को छोड़कर पीएससी सदस्यों की नियुक्ति के संबंध में अब तक कोई अनियमितता सरकार के संज्ञान में नहीं आई है।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि नियुक्तियां अनिवार्य आवश्यकताओं के बाद की जा रही है। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि वामपंथी सरकार संवैधानिक संस्था में केवल योग्य लोगों को ही नियुक्त करती है। उन्होंने दावे के साथ कहा कि यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि पीएससी सदस्यों की नियुक्ति में कोई भ्रष्टाचार नहीं होगा। सरकार आरोपों की किसी भी गंभीर जांच के लिए तैयार है। हम किसी भी तरह की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं करेंगे।

एक युवा कांग्रेस कार्यकर्ता ने ईमेल से भेजी है शिकायत
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने विपक्ष के नेता पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इस मामले में पुलिस को आज सुबह एक युवा कांग्रेस कार्यकर्ता से ईमेल के माध्यम से एक शिकायत मिली है। जिसे भी विधानसभा में सतीशन द्वारा उठाए जा रहे मुद्दे का समर्थन करने के लिए भेजा गया था। वहीं विपक्ष के नेता ने कथित रिश्वतखोरी के मुद्दे पर सत्तारूढ़ माकपा और सरकार पर तीखा हमला किया। सतीशन ने कहा कि पीएससी के पद के लिए नीलामी हुई है। अब इसकी विश्वसनीयता क्या है? यह सत्तारूढ़ माकपा का आंतरिक मामला नहीं है।

केटीआर ने राहुल गांधी पर कसा तंज, कहा- संविधान की रक्षा के लिए ऑस्कर स्तर का कर रहे अभिनय

नई दिल्ली: पिछले दिनों बीआरएस के कई नेता कांग्रेस में शामिल हो गए। बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव ने मंगलवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि वह “संविधान की रक्षा के लिए ऑस्कर स्तर की कार्रवाई कर रहे हैं”। वहीं बीआरएस अध्यक्ष ने घोषणा की कि वे दलबदलू सदस्यों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी कर रहे हैं।

बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव ने कहा कि भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) अपने दलबदलू सदस्यों के खिलाफ कानूनी लड़ाई के लिए कमर कस रही है। उन्होंने घोषणा की कि वे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की योजना बना चुके हैं। दरअसल, पिछले दिनों दलबदल की लहर उठी, जिसमें बीआरएस के सात विधायक, छह एमएलसी और एक राज्यसभा सांसद ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली। इस बात से खफा बीआरएस प्रमुख और तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के बेटे केटीआर ने मंगलवार को कहा, “हम उन सभी लोगों से मिलेंगे जो संविधान के संरक्षक हैं।”

उन्होंने चुनाव आयोग, राष्ट्रपति, राज्यसभा के अध्यक्ष और लोकसभा अध्यक्ष से संपर्क करने की पार्टी की मंशा को रेखांकित किया। केटीआर ने कांग्रेस की जमकर आलोचना की। उन्होंने कहा कि 2023 के चुनावों में दलबदल को रोकने के लिए 10वीं अनुसूची में संशोधन करने का वादा किया गया था। बावजूद पार्टी संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन कर रही है। केटीआर ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि एक तरफ राहुल गांधी संविधान की प्रति दिखा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उनकी पार्टी इसका अपमान कर रही है। वह संविधान की रक्षा के लिए ऑस्कर स्तर का अभिनय कर रहे हैं। आप खरगोश के साथ नहीं दौड़ सकते और शिकारी कुत्तों के साथ शिकार नहीं कर सकते। केटीआर ने भाजपा और कांग्रेस के सभी पीड़ितों से दलबदल के खिलाफ लड़ने के लिए एक साथ आने का आग्रह किया।

एसबीआई और गोल्डमैन सैश ने अलग-अलग रिपोर्ट के जरिये बजट के लिए दी सलाह, जमा पर कर व्यवस्था में बदलाव जरूरी

मोदी 3.0 के पहले बजट में पेंशन योजनाओं में सुधार लाने के साथ जमा पर कर व्यवस्था में बदलाव देखने को मिल सकता है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और रोजगार सृजन के लिए भी कुछ घोषणाएं हो सकती हैं। 23 जुलाई, 2024 को पेश होने वाले पूर्ण बजट के लिए एसबीआई रिसर्च और गोल्डमैन सैश ने अलग-अलग रिपोर्ट के जरिये सरकार को कई मोर्चे पर सलाह दी है।

एसबीआई रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा, बजट में सरकार को बैंक जमा पर अन्य परिसंपत्ति वर्गों की तरह कर लगाने, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) व अन्य पेंशन उत्पादों में सुधार लाने और ग्राहक निवारण प्रणाली को बेहतर बनाने पर गौर करना चाहिए। पेंशन प्रणाली के मोर्चे पर बजट में निवेश विकल्पों में लचीलापन लाने के साथ महंगाई संरक्षित एन्युटी उत्पादों की शुरुआत की जा सकती है।

एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार और रिपोर्ट के लेखक सौम्यकांति घोष ने कहा, घरेलू बचत को बढ़ाने के लिए सरकार को बैंक जमा पर मिलने वाले ब्याज पर म्यूचुअल फंड/इक्विटी बाजारों की तरह मैच्योरिटी पर समान कर लगाने की व्यवस्था करनी चाहिए। उन्होंने कहा, 2022-23 में शुद्ध घरेलू वित्तीय बचत घटकर जीडीपी का 5.3 फीसदी रह गई। 2023-24 में इसके 5.4 फीसदी रहने का अनुमान है। अगर हम म्यूचुअल फंड के अनुरूप जमा दरों को आकर्षक बनाते हैं, तो घरेलू वित्तीय बचत को बढ़ावा मिल सकता है। लोग अतिरिक्त खर्च करेंगे, जिससे सरकार को अधिक जीएसटी राजस्व मिलेगा। गोल्डमैन सैश ने अपनी रिपोर्ट में कहा, सरकार विनिर्माण व एमएसएमई के लिए सुलभ कर्ज उपलब्ध कराने, वैश्विक क्षमता केंद्रों का विस्तार कर सेवाओं के निर्यात और घरेलू खाद्य आपूर्ति शृंखला पर जोर देकर रोजगार सृजन को बढ़ावा दे सकती है।