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असम में भारी बाढ़ से तबाही, सीएम सरमा ने भौगोलिक कारणों को बताया वजह; कहा- हालातों पर काबू पाना मुश्किल

बदलते मौसम और बारिश ने देश के कई हिस्सों के लोगों के चेहरे पर मुस्कान खिलाई है तो पूर्वोत्तर इसकी मार से कराह रहा है। पिछले एक माह से बाढ़ से जूझ रहे असम और अरुणाचल में लोग अस्थायी कैंपों में रह रहे हैं। असम में करीब 3 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं और अब तक 60 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने राज्य में बाढ़ के हालातों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भौगोलिक कारणों से बाढ़ के हालात पनपे हैं और इन पर काबू पाना मुश्किल हो गया है।

नियंत्रण से बाहर हो गई है स्थिति- हिमंत बिस्व सरमा
कामरूप जिले में बाढ़ के हालातों की समीक्षा के दौरान सीएम सरमा ने कहा कि पड़ोसी राज्य अरुणाचल प्रदेश में बादल फटने की वजह से असम में विनाशकारी बाढ़ आई है। उन्होंने कहा कि चीन, भूटान और अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बारिश की वजह से असम में बाढ़ से जूझ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि असम में बीते कुछ वर्षों में बाढ़ को नियंत्रित करने की कोशिशें की गईं थीं और इससे लोगों को राहत भी मिली थी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावी ढंग से निपटने की आवश्यकता है।

क्षतिग्रस्त हुए तटबंधों और सड़कों का पुनर्निमाण कराया जाएगा
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने गरल भट्टापारा के हालातों की समीक्षा की। इसके अलावा उन्होंने खाना नदी पर बने धारापुर जंगराबाड़ी फाटक का भी निरीक्षण किया। उन्होंने जनता को आश्वासन दिया कि बाढ़ की वजह से क्षतिग्रस्त हुए तटबंधों और सड़कों का पुनर्निमाण कराया जाएगा। इसके अलावा बाढ़ प्रभावित लोगों के शिविरों में भोजन और स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी। सीएम सरमा ने अधिकारियों के साथ नाव में सवार होकर बाढ़ के हालातों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि गुरुवार को वे माजुली का दौरा करेंगे। दरअसल, माजुली में भारी बाढ़ की वजह से तटबंध क्षतिग्रस्त हो गया और इस वजह से एक विशाल क्षेत्र जलमग्न हो गया। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि कुछ प्रभावित जिलों में अब बारिश का असर कम दिख रहा है। अगर स्थिति ऐसी ही बनी रही तो हालात सुधर सकते हैं।

ममता बनर्जी के खिलाफ राज्यपाल के मानहानि मुकदमे की सुनवाई आज; लगाए थे ये आरोप

कोलकाता:  पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस की ओर से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे पर बुधवार को कलकत्ता हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। बोस ने 28 जून को बनर्जी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। देश के इतिहास में शायद यह पहला मौका है जब किसी राज्यपाल ने अपने ही राज्य के मुख्यमंत्री के खिलाफ ऐसा कदम उठाया है। राजभवन ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि राज्यपाल बोस ने दिल्ली में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ केस करने का फैसला लिया। राज्यपाल की याचिका में तृणमूल कांग्रेस के कुछ अन्य नेताओं के भी नाम बताए जा रहे हैं। हालांकि इन नामों को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है।

बनर्जी ने दावा किया था कि महिलाओं ने उनसे शिकायत की है कि राजभवन में होने वाली गतिविधियों के चलते वे वहां जाने से डरती हैं। उच्च न्यायालय की वेबसाइट के अनुसार, बनर्जी के खिलाफ बोस की ओर से दायर मानहानि का मुकदमा जस्टिस कृष्ण राव की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध है। बनर्जी की टिप्पणी पर राज्यपाल ने कहा था कि जन प्रतिनिधियों से अपेक्षा की जाती है कि वे गलत और बदनाम करने वाली धारणा न बनाएं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सारी हदें पार कर दी हैं। उन्हें सभ्य आचरण के भीतर कार्य करना होगा। बोस ने कहा कि एक मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने अपना सम्मानित सहयोगी मानते हुए उन्हें पूरा आदर और सम्मान दिया। लेकिन उन्हें लगता है कि वह किसी भी को भी धमका सकती हैं और चरित्र लांछन लगा सकती हैं।

बोस ने आगे कहा था कि मेरा किरदार ममता बनर्जी जैसे लोगों के इशारे पर नहीं चलना है। मेरे स्वाभिमान की हत्या बर्दाश्त नहीं की जाएगी। वह मुझे धमका या डरा नहीं सकतीं। वह उस सीमा तक नहीं बढ़ सकतीं। एक मुख्यमंत्री के रूप में अगर वह मुझसे अलग हैं, तो निश्चित रूप से इसका ध्यान रखने के लिए संवैधानिक प्रावधान हैं। उन्हें झूठ के जरिए चरित्र हनन करने का कोई अधिकार नहीं है। इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।

हेमंत सोरेन आज इंडिया ब्लॉक की बैठक की अध्यक्षता करेंगे, पांच दिन पहले ही जेल से बाहर आए हैं

रांची : जेल से बाहर आने के पांच दिन बाद, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज इंडिया गठबंधन के विधायकों की बैठक की अध्यक्षता करने वाले हैं। यह जानकारी गठबंधन के विधायकों ने दी है।सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के कार्यकारी अध्यक्ष सोरेन को 28 जून को जेल से रिहा किया गया था। हाईकोर्ट ने उन्हें भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दी थी।

विधानसभा चुनाव के लिए बनेगी रणनीति
कांग्रेस के एक विधायक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ”झारखंड विधानसभा चुनाव के मद्देनजर हमारी पार्टी ने हमें बुधवार को इंडिया ब्लॉक विधायकों की बैठक में शामिल होने के लिए कहा था।” विधायक ने कहा कि यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि गठबंधन को इस साल के अंत में होने वाले चुनावों के लिए अपनी रणनीति तैयार करने की जरूरत है।

राज्य में नेतृत्व को लेकर भी हो सकती है चर्चा
झामुमो मंत्री मिथिलेश कुमार ने भी कहा कि बैठक आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीतियों पर चर्चा के लिए बुलाई गई है। वहीं चर्चा यह भी है कि बैठक में राज्य में नेतृत्व के मुद्दे पर भी बात होगी। ईडी ईडी द्वारा हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद उनके करीबी सहयोगी चंपई सोरेन को राज्य की कमान सौंपी गई थी।

बैठक में मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के अलावा हेमंत सोरेन के भाई और मंत्री बसंत सोरेन और पत्नी कल्पना सोरेन के भी शामिल होने की संभावना है।

जमानत के बाद कहा था- भाजपा नेता साजिश रच रहे हैं
5 दिन पहले जमानत पर रिहा हुए झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने ‘सामंती ताकतों’ के खिलाफ ‘विद्रोह’ का एलान किया था। उन्होंने कहा था कि विपक्षी दलों का गठबंधन- INDIA देश भर से भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकेगा। हूल दिवस के मौके पर झारखंड के साहिबगंज में रैली को संबोधित करते हुए सोरेन ने कहा था कि उनकी रिहाई के बाद भाजपा के खेमे में घबराहट है। भाजपा नेता एक बार फिर उनके खिलाफ ‘साजिश’ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि रिहाई के बाद पहली बार वे अपने घर से बाहर निकले हैं। यह सभी के लिए प्रेरणा का दिन है।

आज हाथरस जा सकते हैं सीएम योगी, हादसे से जुड़ी पल-पल की जानकारी ले रहे हैं मुख्यमंत्री

लखनऊ: हाथरस हादसे के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज इलाके का दौरा कर सकते हैं। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ऐसा संकेत दिया है। घटना में अब तक 116 लोगों की जान जा चुकी है।

मुख्यमंत्री योगी ने हाथरस के हादसे मारे गए लोगों के प्रति शोक व्यक्त किया है। उन्होंने पीड़ित परजिनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए घायलों के शीध्र स्वस्थ्य होने की कामना की है। मुख्यमंत्री ने हादसे के मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख और घायलों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक मदद देने का एलान करते हुए पीड़ित परिवारों को तत्कार राहत राशि मुहैया कराने के भी निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने जिला प्रशासन को घायलों का बेहतर उपचार करने को कहा है। घटना की खबर मिलने के ततत्काल बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह और डीजीपी प्रशांत कुमार मौके के लिए रवाना हो गए। वहीं, मुख्यमंत्री ने घटना के कारणों की जांच के लिए एडीजी आगरा और मंडलायुक्त अलीगढ़ के नेतृत्व में जांच टीम का गठन कर 24 घंटे में रिपोर्ट देने और कार्यक्रम के आयोजकों के खिलाफ एफआईआर कराने के भी निर्देश दिए हैं।

घटना की सूचना मिलने के बाद से मुख्यमंत्री खुद अधिकारियों से हर पल की रिपोर्ट ले रहे हैं। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया एक्स पर घटना के मृतकों के प्रति शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि इस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में हुई जनहानि अत्यंत दुःखद एवं हृदय विदारक है। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिजनों के साथ है। संबंधित अधिकारियों को राहत एवं बचाव कार्यों के युद्ध स्तर पर संचालन और घायलों के समुचित उपचार कराने के निर्देश दिए गए हैं। प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्माओं को अपने श्री चरणों में स्थान दें और घायलों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें।

तीन मंत्रियों को भी मौके पर भेजा
मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव और डीजीपी के अलावा दो मंत्रियों को भी तत्काल मौके पर पहुंचने के निर्देश दिए। इस पर गन्ना विकास मंत्री मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी, समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण और बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह भी तत्काल हाथरस के लिए रवाना हो गए। दोनों मंत्रियों को मौके पर ही रहकर राहत कार्य कराने के साथ ही घायलों के उपचार की व्यवस्था पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही मृतकों के परिजनों को हर संभव मदद देने को भी कहा गया है। वहीं बुधवार को मुख्यमंत्री खुद भी घटनास्थल का दौरा कर सकते हैं।

सीएम ने अधिकारियों संग की बैठक
घटना की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के साथ बैठक करके राहत कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने मौके पर गए मंत्रियों और अधिकारियों से घटना की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि घटना के लिए जो लोग भी जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। कोई दोषी बचने न पाए।

बाढ़ की मार से कराह रहा पूर्वोत्तर, असम में 6.71 लाख से अधिक लोग प्रभावित; IAF ने 13 मछुआरों को बचाया

गुवाहाटी:मौसम ने देश के कई हिस्सों में जहां चेहरे पर मुस्कान खिलाई है। वहीं पूर्वोत्तर इसकी मार से कराह रहा है। पिछले एक माह से बाढ़ से जूझ रहे असम के लोग अस्थायी कैंपों में रह रहे हैं। असम में इस साल आई दूसरी बाढ़ में 20 जिलों में 6.71 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। हालांकि, लोगों के लिए भारतीय वायु सेना (आईएएफ) भगवान का रूप बनी हुई है। गंभीर रूप से प्रभावित डिब्रूगढ़ जिले से 13 मछुआरों को सेना ने बचाया है।

13 नदिया खतरे के निशान से ऊपर
एक आधिकारिक बुलेटिन में बताया गया कि ब्रह्मपुत्र समेत 13 प्रमुख नदियां विभिन्न स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। इसके चलते कई जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है

असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के अनुरोध पर डिब्रूगढ़ के हटिया अली इलाके से मछुआरों को बचाया गया है। अधिकारी ने बताया कि एएसडीएमए ने वायु सेना से अनुरोध किया कि 13 मछुआरों को बचाने में मदद करें। वहीं, एयरलिफ्ट से लोगों को बचाने में जो भी खर्चा आएगा वो भी खुद एसडीएमए ही उठाएगा।

लोगों को ऐसे बचाया
वायु सेना ने मछुआरों को बचाने वाले अभियान की एक तस्वीर साझा की है। सेना ने एक्स पर कहा, ‘आईएएफ ने असम के डिब्रूगढ़ के उत्तर में ब्रह्मपुत्र में एक छोटे से द्वीप से 13 असहाय जीवित बचे लोगों को बचाया। दो जुलाई को सुबह तड़के एएफएस मोहनबाड़ी के एक एमआई -17 IV हेलीकॉप्टर ने खराब मौसम में उड़ान भरी और जमीन के दलदली टुकड़े से बचाव अभियान चलाया।’

बयान में कहा गया कि पायलट और फ्लाइट गनर के प्रयासों से हादसे में जीवित बचे 13 लोगों को तुरंत सुरक्षित बचा लिया गया है।वायुसेना ने बताया कि बचाने के बाद सभी का प्राथमिक इलाज किया गया।

छठे दिन भी जलमग्न राज्य
रविवार को वायुसेना ने राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के आठ कर्मियों और धेमाजी जिले के जोनाई के एक राजस्व अधिकारी को राहत अभियान के दौरान बचाया था। मौजूदा लहर के कारण डिब्रूगढ़ जिला बुरी तरह प्रभावित हुआ है और ऊपरी असम का प्रमुख शहर लगातार छठे दिन जलमग्न है।

20 जिलों के लोग प्रभावित
एएसडीएमए बुलेटिन ने कहा कि 20 जिलों- बिश्वनाथ, कछार, चराइदेव, दरांग, चिरांग, धेमाजी, डिब्रूगढ़, गोलाघाट, जोरहाट, कामरूप, लखीमपुर, शिवसागर, सोनितपुर, मोरीगांव, नगांव, माजुली, करीमगंज, तामुलपुर, तिनसुकिया और नलबाड़ी के 67 राजस्व क्षेत्रों में 6,71,167 लोग बाढ़ के पानी की चपेट में हैं।

पिछले 24 घंटों में एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि होने के साथ ही इस साल बाढ़, तूफान और भूस्खलन की घटनाओं में मरने वालों की संख्या बढ़कर 46 हो गई है। ब्रह्मपुत्र नदी निमाटीघाट (जोरहाट), तेजपुर (सोनितपुर), गुवाहाटी (कामरूप) और धुबरी (धुबरी) में लाल निशान के ऊपर बह रही है।

अभद्र भाषा के लिए दानवे विधानसभा से पांच दिन के लिए निलंबित, हंगामे की वजह से कार्यवाही बाधित

महाराष्ट्र में विधान परिषद की कार्यवाही तीन बार मंगलवार को स्थगित की गई। भाजपा सदस्य प्रवीण दारेककर ने विपक्ष के नेता अंबादास दानवे के बीते रोज अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने पर आपत्ति जताई थी। इस मुद्दे पर चर्चा करने की मांग की थी। लेकिन स्थिति अराजक होने के कारण कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। विपक्ष के नेता अंबादास दानवे को सदन में कथित दुर्व्यवहार के कारण पांच दिन के लिए निलंबित कर दिया गया।

महाराष्ट्र में विधान परिषद कार्यवाही के दौरान विपक्षी नेता अंबादास दानवे के अभ्रद भाषा का इस्तेमाल करने पर आपत्ति जताई। भाजपा नेता का आरोप है कि विपक्षी नेता ने सदन ने राहुल गांधी के हिंदू वाली टिप्पणी पर बात करते हुए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया था। भाजपा विधायक प्रसाद लाड ने सोमवार को परिषद में गांधी की टिप्पणी का मुद्दा उठाया। उन्होंने राहुल गांधी की टिप्पणी की निंदा की। साथ ही प्रस्ताव की मांग की। इस पर विपक्षी नेता अंबादास दावने प्रतिक्रिया दी।

मंगलवार को जब सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो भाजपा सदस्य प्रवीण दारेककर ने विपक्षी नेता दानवे के कथित अभ्रद भाषा के प्रयोग पर चर्चा की मांग की। परिषद की उपसभापति नीलम गोरहे ने दारेकेर से प्रश्नकाल पूरा होने देने का आग्रह किया। लेकिन भाजपा के दारेककर ने सदन में इस मुद्दे पर चर्चा करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विपक्ष को विधान परिषद की पवित्रता को बनाए रखने की जरूरत है।

वहीं उपसभापति नीलम गोरहे ने कहा कि यह मामला गंभीर है, उनकी टिप्पणी के वीडियो क्लिप की समीक्षा करने और अन्य विवरण एकत्र करने के बाद ही कोई निर्णय लिया जा सकता है। हालांकि, दारेककर ने नरमी बरतने से मना करते हुए असहमति व्यक्त की। उन्होंने आरोप लगाया कि दानवे ने न केवल सदन में अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया, बल्कि मीडिया से भी इस बारे में बात की। यह उनके व्यवहार की गंभीरता पर सवालिया निशान खड़ा करता है। उन्होंने बोलने के अपने अधिकार का दावा किया और सदन की कार्यवाही को बाधित करने की धमकी दी। उपसभापति ने गोरहे ने शुरू में इसे एक घंटे के लिए स्थगित कर दिया। बाद में कार्यवाही फिर से शुरू होने पर, इसी मुद्दे पर सदन में अराजक दृश्य देखने मिले। जिसके बाद उपसभापति ने इसे दोपहर 2 बजे तक के लिए दो बार स्थगित कर दिया। महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे को सदन में कथित दुर्व्यवहार के कारण पांच दिन के लिए निलंबित कर दिया गया।

विधायकों के धरने का आज चौथा दिन, राजभवन के बजाय विधानसभा में शपथ दिलाने की मांग

पश्चिम बंगाल के दो नवनिर्वाचित विधायकों ने मंगलवार को भी विधानसभा परिसर में धरना प्रदर्शन जारी रखा। विधायकों की मांग है कि उन्हें राजभवन के बजाय विधानसभा में शपथ दिलाई जाए। बारानगर से विधायक सयांतिका बंदोपाध्याय और भागबंगोला के विधायक रैयत हुसैन सरकार ने लोकसभा चुनाव के साथ हुए उपचुनाव में जीत दर्ज की थी। हालांकि अभी तक दोनों विधायकों का शपथ ग्रहण नहीं हुआ है। दोनों विधायकों ने राजभवन में शपथ लेने से इनकार कर दिया है।

विधायकों के धरने का चौथा दिन
विधायकों के धरने को मंगलवार को चौथा दिन है। इससे पहले विधायकों ने 27, 28 जून और एक जुलाई को भी विधानसभा परिसर में धरना दिया था। गौरतलब है कि राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने बीते बुधवार को दोनों विधायकों को राजभवन आमंत्रित किया था ताकि दोनों को शपथ दिलाई जा सके। हालांकि विधायकों ने आमंत्रण को अस्वीकार कर दिया। दरअसल राज्यपाल पर यौन दुराचार के आरोपों के चलते नवनिर्वाचित विधायकों ने राजभवन जाकर शपथ ग्रहण करने से इनकार कर दिया। उनकी मांग है कि राज्यपाल विधानसभा में किसी को शपथ दिलाने की जिम्मेदारी दें। इससे गतिरोध की स्थिति पैदा हो गई है।

राज्यपाल ने अभी तक विधानसभा में किसी को भी नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाने की जिम्मेदारी नहीं सौंपी है। स्पीकर बिमान बनर्जी ने राज्यपाल पर इस मुद्दे को बेवजह तूल देने का आरोप लगाया है। उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इस गतिरोध को समाप्त करने की अपील की है। वहीं राज्यपाल का कहना है कि यह उनका अधिकार क्षेत्र है कि किसी को शपथ के लिए अधिकृत करना है या नहीं।

क्या कहता है कानून
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि विधायकों के पास संविधान के प्रावधानों के अनुसार शपथ लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 188 और अनुच्छेद 193 राज्यपाल को इस तरह का अधिकार देते हैं। अनुच्छेद 188 में कहा गया है कि राज्य की विधानसभा या विधान परिषद का प्रत्येक सदस्य को राज्यपाल या उनके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष शपथ लेगा।

‘यदि कोई विधायक अनुच्छेद 188 के तहत शपथ लेने से पहले विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होता है तो अनुच्छेद 193 के तहत उसके लिए दंड का प्रावधान भी किया गया है। साथ ही शपथ से पहले विधायक विधानसभा में मतदान करता है, तो वह प्रत्येक दिन के लिए, जिस दिन वह बैठता है या मतदान करता है, पांच सौ रुपये के जुर्माने के लिए उत्तरदायी होगा, जिसे राज्य को देय ऋण के रूप में वसूला जाएगा।’

‘हम तुष्टिकरण नहीं संतुष्टिकरण की बात करते हैं’, लोकसभा में बोले पीएम मोदी

नई दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव को लेकर लोकसभा को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि वे राष्ट्रपति के भाषण के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए सदन में उपस्थित हुए हैं। पीएम मोदी ने कहा ‘जो पहली बार सांसद बनकर हमारे बीच आए हैं और उनमें से कुछ साथियों ने अपने विचार व्यक्त किए। उनका व्यवहार ऐसा थी, जैसे एक अनुभवी सांसद का होता है। उन्होंने सदन की गरिमा को बढ़ाया है।’ पीएम मोदी ने कहा कि देश ने सफल चुनाव आयोजित कर दुनिया को दिखा दिया है कि ये सबसे बड़ा चुनाव था।

‘मैं कुछ लोगों की पीड़ा समझ सकता हूं’
प्रधानमंत्री ने कहा ‘मैं कुछ लोगों की पीड़ा समझ सकता हूं क्योंकि लगातार झूठ का प्रसार करने के बाद भी उनकी पराजय हुई।’ प्रधानमंत्री ने आगे कहा ‘देश की जनता ने तीसरी बार हमें सेवा करने का अवसर दिया है। देश की जनता की भारतीय जनता पार्टी के 10 वर्ष के ट्रैक रिकॉर्ड को देखा।’ पीएम मोदी ने कहा कि देश की जनता ने देखा है कि हमारा एकमात्र लक्ष्य भारत सर्वप्रथम है। उन्होंने कहा ‘हमारा एक ही लक्ष्य रहा है कि ‘भारत प्रथम’। हमारी सरकार सबका साथ, सबका विकास के मंत्र पर काम करती है। इस विचार को सर्वोपरि रखते हुए हमने देश की सेवा करने का प्रण लिया है।

सीएम स्टालिन ने जयशंकर को लिखा पत्र, ‘राज्य के मछुआरों के पारंपरिक अधिकारों का हो स्थायी समाधान’

लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए इंदिरा गांधी सरकार पर आरोप लगाया था कि, उन्होंने तमिलनाडु के पास मौजूद कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया था। जिसे लेकर देश में कई दिनों तक वाद-विवाद और आरोप-प्रत्यारोप को दौर चला। वहीं कच्चातिवु द्वीप एक बार फिर चर्चा में हैं। दरअसल तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के स्टालिन ने विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर को पत्र लिखा है और राज्य के मछुआरों के अधिकार को बनाए रखने के लिए स्थायी समाधान निकालने की अपील की है।

स्टालिन ने अपने पत्र में क्या लिखा?
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में कहा कि, मैं आपके ध्यान में यह लाना चाहता हूं कि हाल के हफ्तों में श्रीलंकाई अधिकारियों की तरफ से तमिलनाडु के मछुआरों को हिरासत में लेने की मामलों में जबरदस्त बढोत्तरी हुई है। इस संबंध में, मैं यह बताना चाहता हूं कि डीएमके के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने कच्चातिवु समझौते का पुरजोर विरोध किया और तमिलनाडु विधानसभा और संसद दोनों में इसका विरोध स्पष्ट किया गया। यह बात सभी जानते हैं कि इस मामले में राज्य सरकार से उचित परामर्श नहीं लिया गया। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने अपने पत्र में आरोप लगाया कि पूर्व की केंद्र सरकार ने भारतीय मछुआरों के अधिकारों और हितों को खतरे में डालते हुए और उनसे वंचित करते हुए द्वीप को पूरी तरह से श्रीलंका को सौंप दिया था।

कहां कच्चातिवु द्वीप?
कच्चातिवु पाक जलडमरूमध्य में एक छोटा सा द्वीप है, जो बंगाल की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है। कच्चातिवु द्वीप 285 एकड़ का हरित क्षेत्र है जो 1976 तक भारत का था। साल 1974 में तत्कालीन PM इंदिरा गांधी ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके के साथ 1974-76 के बीच चार समुद्री सीमा समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। इन्हीं समझौते के तहत कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया गया।

पीएम मोदी ने क्या कहा था?
वहीं अगस्त 2023 में प्रधानमंत्री ने अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब देते हुए भी यह मुद्दा उठाया था और कहा था कि, क्या कच्चातिवु हमारी मां भारती का अंग नहीं था। इंदिरा गांधी के नेतृत्व में इसे श्रीलंका को दे दिया गया। यह कांग्रेस का इतिहास है। मां भारती को छिन्न-भिन्न करने का इतिहास। वहीं कच्चातिवु द्वीप को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के साथ-साथ डीएमके पर निशाना साधा। पीएम मोदी ने डीएमके और कांग्रेस को एक ही परिवार की इकाइयां बताया था।

कब-कब उठा कच्चातिवु का मुद्दा?
तमिलनाडु की तमाम सरकारें 1974 के समझौते को मानने से इनकार करती रहीं और श्रीलंका से द्वीप को दोबारा प्राप्त करने की मांग उठाती रहीं। इस मामले में साल 1991 में तमिलनाडु विधानसभा में प्रस्ताव लाया गया था। वहीं साल 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी गई थी। इसके अलावा साल 2011 में जयललिता ने एक बार फिर से विधानसभा में प्रस्ताव पारित कराया था। इस कड़ी में मई 2022 में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने पीएम मोदी की मौजूदगी में एक समारोह में मांग की थी कि कच्चातिवु द्वीप को फिर से भारत को वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा था कि पारंपरिक तमिल मछुआरों के मछली पकड़ने के अधिकार अप्रभावित रहें, इसलिए इस संबंध में कार्रवाई करने का यह सही समय है।

इंद्रधनुषी रंग बिखेरेगा टूरिज्म सर्किट, नाथ कॉरिडोर के लिए 25 करोड़ रुपये जारी

बरेली : बरेली में नाथ नगरी कॉरिडोर को नव्य और भव्य स्वरूप देने की तैयारी शुरू हो गई है। इंद्रधनुषी रंग से सातों नाथ मंदिरों को जोड़ने वाले सात सर्किट तैयार हो रहे हैं। सभी में अलग-अलग रंग होंगे। नाथ कॉरिडोर में पड़ने वाले व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के एक ही डिजाइन और एकरूपता के साइन बोर्ड लगाए जाएंगे। कमिश्नर सौम्या अग्रवाल ने नाथ नगरी कॉरिडोर का निर्माण तेजी से कराने के लिए कहा है।

 

उन्होंने सभी विभागों को सप्लीमेंट्री डीपीआर शासन को भेजने के लिए निर्देशित किया है। पर्यटन विभाग को कार्यदाई संस्था का चयन कर काम शुरू करवाने के निर्देश दिए गए हैं। 250 करोड़ से नाथ मंदिरों को जोड़ते हुए 32.5 किलोमीटर लंबा टूरिज्म सर्किट बनाया जाएगा। इसको लेकर शासन ने पहले किस्त के रूप में 25 करोड़ जारी कर दिए हैं।

स्ट्रीट लाइट में होंगे शिव के प्रतीक चिह्न
सातों नाथ मंदिर को जोड़ने वाले सर्किट पर स्ट्रीट लाइट में शिव के प्रतीक चिह्न लगाए जाएंगे। इनमें सातों सर्किटों की अलग पहचान के लिए डमरू, त्रिशूल, त्रिपुर, नंदी स्थापित किए जाएंगे। इसके अलावा नाथ मंदिरों को जोड़ने वाली सड़क पर वर्तमान नगर भविष्य में होने वाले निर्माण को ध्यान में रखते हुए कंट्रोल्ड एलिवेशन कराया जाएगा। इसके साथ एक मंदिर से दूसरे नाथ मंदिर को जोड़ने वाले सातों सर्किट को एकरूपता लाने के लिए दोनों और बिल्डिंग एक ही रंग में नजर आएंगी।

फोकस वाल पर होगा शिव के विभिन्न स्वरूपों का चित्रण
शहर के प्रमुख स्थानों एवं चौराहों पर फोकस वाल का निर्माण किया जाएगा। जिससे युवा पीढ़ी नाथ नगरी के सांस्कृतिक विरासत उसके आध्यात्मिक महत्व को समझ सके। फोकस वाल में शिव के विभिन्न स्वरूपों का चित्रण किया जाएगा। जिससे कि नाथ नगरी की आभा प्रदर्शित होगी। इसको लेकर तैयारी शुरू हो गई है।

शहर के प्रमुख चौराहों का होगा विकास
नाथनगरी कॉरिडोर को लेकर शासन ने 24 करोड़ रुपये का बजट रिलीज कर दिया है। नाथ कॉरिडोर के टूरिज्म सर्किट को ध्यान में रखते हुए शहर के प्रमुख चौराहों का विकास किया जायेगा। शिव के विभिन्न स्वरूपों की स्थापना की जाएगी। आर्किटेक्ट सुमित अग्रवाल ने नाथनगरी कॉरिडोर के कांसेप्ट का प्रजेंटेशन किया। इस दौरान डीएम रविंद्र कुमार, उपाध्यक्ष बरेली विकास प्राधिकरण मणिकंडन ए, बीडीए सचिव योगेंद्र कुमार, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी बृजपाल सिंह, पीडब्ल्यूडी, बिजली विभाग समेत सभी विभागों के अफसर उपस्थित थे।