Sunday , November 24 2024

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सीएम योगी के निर्देश, बाढ़ के समय जन-धन की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता, अलर्ट मोड में रहें सभी जिले

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में शासन स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बाढ़ प्रबंधन और जन-जीवन की सुरक्षा के दृष्टिगत जारी तैयारियों की समीक्षा की और व्यापक जनहित में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि प्रदेश में व्यापक जन-धन हानि के लिए दशकों तक कारक रही बाढ़ की समस्या के स्थायी निदान के लिए विगत 7 वर्षों में किए गए सुनियोजित प्रयासों के अच्छे परिणाम मिले हैं। बाढ़ की दृष्टि से अति संवेदनशील जिलों की संख्या में अभूतपूर्व कमी आई है। विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार हमने आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग कर बाढ़ से खतरे को न्यूनतम करने में सफलता पाई है। बाढ़ से जन-जीवन की सुरक्षा के लिए अंतरविभागीय समन्वय से अच्छा कार्य हुआ है। इस वर्ष भी बेहतर कोऑर्डिनेशन, क्विक एक्शन और बेहतर प्रबन्धन से बाढ़ की स्थिति में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित कराई जाए।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में बाढ़ की दृष्टि से 24 जनपद अति संवेदनशील श्रेणी में हैं। इसमें महाराजगंज, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, बस्ती, बहराइच, बिजनौर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, गोण्डा, बलिया, देवरिया, सीतापुर, बलरामपुर, अयोध्या, मऊ, फर्रुखाबाद, श्रावस्ती, बदायूं, अम्बेडकर नगर, आजमगढ़, संतकबीर नगर, पीलीभीत और बाराबंकी शामिल हैं। जबकि सहारनपुर, शामली, अलीगढ़, बरेली, हमीरपुर, गौतमबुद्ध नगर, रामपुर, प्रयागराज, बुलन्दशहर, मुरादाबाद, हरदोई, वाराणसी, उन्नाव, लखनऊ, शाहजहांपुर और कासगंज संवेदनशील प्रकृति के हैं। अति संवेदनशील और संवेदनशील क्षेत्रों में बाढ़ की आपात स्थिति हेतु पर्याप्त रिजर्व स्टॉक का एकत्रीकरण कर लिया जाए। इन स्थलों पर पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था एवं आवश्यक उपकरणों का भी प्रबन्ध होना चाहिए। जल शक्ति मंत्री एवं दोनों राज्य मंत्री द्वारा अति संवेदनशील तथा संवेदनशील क्षेत्रों का भ्रमण करें, साथ ही बाढ़ बचाव से जुड़ी परियोजनाओं का निरीक्षण करें।

उन्होंन कहा कि मौसम विभाग के अनुमान के अनुसार इस वर्ष पर्याप्त वर्षा होगी। नेपाल और उत्तराखंड की सीमा से लगे जनपदों में सतर्कता बनाए रखें। आमजन की सुविधा और राहत एवं बचाव कार्य के बेहतर प्रबंधन के लिए बाढ़ बुलेटिन और मौसम का पूर्वानुमान नियमित रूप से जारी किया जाना चाहिए।

भारतीय मौसम विभाग, केंद्रीय जल आयोग, केंद्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ प्रदेश के सिंचाई एवं जल संसाधन, गृह, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, सिंचाई एवं जल संसाधन, खाद्य एवं रसद, राजस्व एवं राहत, पशुपालन, कृषि, राज्य आपदा प्रबन्धन, रिमोट सेन्सिंग प्राधिकरण के बीच बेहतर तालमेल हो। केंद्रीय एजेंसियों और विभागों से सतत संवाद-संपर्क बनाए रखें। यहां से प्राप्त आंकलन और अनुमान रिपोर्ट समय से फील्ड में तैनात अधिकारियों को उपलब्ध कराया जाए। नदी के किनारे बसे आवासीय इलाकों और खेती की सुरक्षा में नदियों का चैनेलाइजेशन उपयोगी सिद्ध हो रहा है। अम्बेडकर नगर, बलरामपुर, बाराबंकी, सीतापुर और श्रावस्ती में जारी ड्रेनेज एवं चैनेलाइजेशन की परियोजनाओं को समय से पूरा कराएं। जो सिल्ट निकले उसका सदुपयोग किया जाए।

बाढ़ राहत कंट्रोल रूप 24 घंटे सक्रिय रहें
मुख्यमंत्री योगी ने निर्देश दिया कि राज्य स्तर और जिला स्तर पर बाढ़ राहत कंट्रोल रूप 24×7 एक्टिव मोड में रहें। उत्तर प्रदेश पुलिस रेडियो मुख्यालय द्वारा बाढ़ से प्रभावित जनपदों में 113 बेतार केंद्र अधिष्ठापित किए गए हैं। पूरे मॉनसून अवधि में यह केंद्र हर समय एक्टिव रहें।

रामेश्वरम द्वीप क्षेत्र में श्रीलंकाई नौसेना ने 26 भारतीय मछुआरों को पकड़ा, चार देशी नाव भी जब्त

चेन्नई:  तमिलनाडु के रामेश्वरम द्वीप क्षेत्र में एक बार फिर श्रीलंकाई नौसेना ने भारतीय मछुआरों को पकड़ा। रामेश्वरम द्वीप क्षेत्र के पास पाक खाड़ी समुद्री क्षेत्र में पंबन से मछली पकड़ने गए 26 भारतीय मछुआरों को श्रीलंकाई नौसेना ने पकड़ लिया। उनके साथ चार देशी नाव को जब्त कर लिया गया है।

पिछले महीने 18 मछुआरों को किया गया था गिरफ्तार
पिछले महीने ही श्रीलंकाई नौसेना ने अपने जलक्षेत्र में अवैध तरीके से मछली पकड़ने के आरोप में 18 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया था। उनके साथ मछली पकड़ने वाली तीन नौकाओं को भी जब्त कर लिया गया था। इससे पहले भी श्रीलंकाई नौसेना ने चार भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया था और उनकी नौका जब्त कर ली थी। इस साल जनवरी में श्रीलंका की नौसेना ने 12 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया था। मछुआरों पर श्रीलंका के जलक्षेत्र में मछली पकड़ने का आरोप लगाया गया था।

बता दें कि इस साल अबतक श्रीलंका ने 180 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है। पिछले साल 240 से 245 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।भारत और श्रीलंका के संबंधों में मछुआरों का मुद्दा एक विवादास्पद मुद्दा है। इस तरह की ज्यादातर घटनाएं पाक जलडमरूमध्य में होती हैं। यह तमिलनाडु से उत्तरी श्रीलंका के बीच एक पट्टी है। यह मछलियों के लिए समृद्ध क्षेत्र माना जाता है।

पीएम मोदी ने राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर दी शुभकामनाएं, खरगे ने भी डॉक्टर्स का जताया आभार

 नई दिल्ली: डॉक्टर्स-डे के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को बताया कि उनकी सरकार भारत में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि देश में डॉक्टरों को वह सम्मान मिले, जिनके वे हकदार हैं। एक जुलाई को रष्ट्रीय चिकित्सक दिवस या नेशनल डॉक्टर्स-डे के तौर पर मनाया जाता है। डॉ. विधान चंद्र रॉय की याद में इस दिन को मनाया जाता है, जो एक प्रसिद्ध डॉक्टर थे। वह पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री भी थे। उनकी जन्म और मृत्यु तिथि इसी दिन पड़ती है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “डॉक्टर्स-डे की शुभकामनाएं। यह हमारे स्वास्थ्य सेवा नायकों के समर्पण और करुणा का सम्मान करने का दिन है। उन्होंने आगे कहा, हमारी सरकार देश में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में सुधार करने और डॉक्टरों को सम्मान सुनिश्चित कराने के लिए प्रतिबद्ध है।”

चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की भी की सराहना
एक अन्य पोस्ट में पीएम मोदी ने चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की भी सराहना की। उन्होंने कहा, “चार्टर्ड अकाउंटेंट डे की भी शुभकामनाएं। सीए हमारे आर्थिक परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी विशेषज्ञता और रणनीतिक अंतर्दृष्टि व्यवसायों और व्यक्तियों के लिए समान रूप से फायजेमंद हैं। वे आर्थिक विकास और स्थिरता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।”

खरगे ने भी डॉक्टर्स-डे की शुभकामनाएं दी
कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने डॉक्टर्स-डे के मौके पर चिकित्सा समुदाय के प्रति आभार व्यक्त किया। एक्स पर पोस्ट करते हुए उन्होंने कहा, “डॉक्टर्स-डे के मौके पर हम स्वास्थ्य समुदाय- डॉक्टर, नर्स, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताएएनएम्स, आशा कार्यकर्ता और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों के निस्वार्थ समर्पण के लिए उनकी सराहना करते हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “लोगों की जान बचाने के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता को हम सलाम करते हैं। कांग्रेस नेता ने इस मौके पर डॉ. विधान चंद्र रॉय को भी याद किया।” उन्होंने कहा, “हम चिकित्सक, शिक्षाविद् और स्वतंत्र सेनानी डॉ. विधान चंद्र रॉय का भी सम्मान करते हैं। वे पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री थे। उन्होंने राष्ट्र निर्माण में भी योगदान दिया। उनके कार्य हमें प्ररित करते हैं।”

नए आपराधिक कानून को लेकर असम ने की व्यापक तैयारी, सीएम सरमा का सभी पक्षों से सहयोग करने की अपील

गुवाहटी:  श में आज से नए आपराधिक कानून लागू हो गए। नए कानून के लागू होने के बाद से कांग्रेस लगातार इसका विरोध कर रही है। इस कानून को लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बताया कि राज्य (असम) ने इस दिन के लिए व्यापक तैयारी की है। इसी के साथ उन्होंने सभी पक्षों से इस प्रयास में सहयोग करने की अपील भी की। बता दें कि आज से इस नए कानून ने ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ले ली।

असम सीएम ने की अपील
असम मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर नए आपराधिक कानून को लेकर एक पोस्ट किया। उन्होंने कहा, “भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) ने ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ले ली।”

असम सीएम ने आगे कहा, “आज का दिन भारतीय आपराधिक प्रणाली में एक ऐतिहासिक क्षण है। इसी के साथ हमारा गणतंत्र अब आधुनिक तकनीक और नागरिक केंद्रित सेवाओं पर आधारित एक नई प्रणाली में प्रवेश कर चुका है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि नए कानून महिलाओं, बच्चों और वंचितों को प्राथमिकता देगा।

सीएम सरमा ने कहा, “पिछले कई महीनों से नए कानून को प्रभाव ढंग से लागू करने की दिशा में टीम असम ने व्यापक तैयारी की है।” हिमंत बिस्वा सरमा ने पुलिस, वकील, सिविल सेवक, नागरिकों समेत सभी हितधारकों से सरकार के साथ सहयोग करने की अपील की। बता दें कि सोमवार से अब सभी नई एफआईआर बीएनएस के तहत दर्ज की जाएंगी। हालांकि, इससे पहले दर्ज किए गए मामलो की सुनवाई पूराने नियम के तहत जारी रहेगी।

डीएमके ने नीट को बताया लाखों करोड़ कमाने वाला उद्योग, दावा- पर्दाफाश करने वाला तमिलनाडु पहला राज्य

चेन्नई:  तमिलनाडु की सत्तारूढ़ डीएमके ने सोमवार को नीट को एक उघोग बताया। उन्होंने कहा कि लाखों करोड़ कमाने वाले कोचिंग सेंटर के कल्याण का उद्योग नीट है। यह भी कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख दल है जो कि नीट के खिलाफ आवाज उठाने वाला पहला राज्य है।

नीट यूजी में अनियमितताओं के संबंध में कई लोगों की गिरफ्तारी हुई है। वहीं सीबीआई ने भी इस मामले में कई लोगों की तलाशी की है। डीएमके के तमिल मुखपत्र ‘मुरासोली’ ने इस ओर इशारा करते हुए कहा कि भाजपा की सहयोगी जदयू ने खुद ही अनियमितताओं पर एक प्रस्ताव पारित किया है। “भारत की प्रमुख पार्टियों ने नीट के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी है।” डीएमके संसद के दोनों सदनों में नीट अनियमितताओं पर बहस के पक्ष में है। वहीं लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी कहा है कि नीट मुद्दे पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए।

कुछ समय पहले ही तमिलनाडु विधानसभा में खेल और युवा कल्याण मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने द्रविड़ एल्गोरिथम पर बात की। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु ने बहुत पहले समझ लिया था कि ‘नीट अच्छा है या बुरा।’ इसी तरह तमिल लोगों ने दूसरों से पहले समझ लिया कि हिंदी थोपने का विरोध क्यों किया जाना चाहिए।

1 जुलाई, 2024 को अपने संपादकीय में, तमिल दैनिक ने कहा: “यह तमिलनाडु ही था जिसने सबसे पहले कहा था कि नीट फर्जी है। अब पूरा देश इसका समर्थन कर रहा है। नीट कोचिंग सेंटरों के कल्याण के लिए बनाया गया एक उद्योग है जो लाखों करोड़ रुपये कमाता है। तमिलनाडु ऐसा राज्य है जो इस बात को इतने स्पष्ट तरीके से कह रहा है। अब धोखेबाजों के गिरोह पकड़े जा रहे हैं।”

वहीं 28 जून, 2024 को तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव का हवाला किया गया। इसमें राज्य को नीट से छूट देने और मेडिकल प्रवेश परीक्षा को पूरी तरह से खत्म करने का आग्रह किया गया था। डीएमके दैनिक ने कहा, “अब जाकर भारत को पूरी तरह से धोखाधड़ी में लिप्त नीट का एहसास हुआ है।” डीएमके ने बार-बार कहा है कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट सामाजिक न्याय के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि यह गरीब, ग्रामीण छात्रों के हितों के खिलाफ है। नीट केवल कोचिंग सेंटरों को फायदा पहुंचाती है। बता दें कि मुख्य विपक्षी दल एआईएडीएमके और राज्य की अधिकांश पार्टियां एनईईटी के विरोध में हैं।

लोकसभा में माइक बंद करने के विपक्ष के आरोपों पर भड़के ओम बिरला, तीखा वार कहा- आसन के पास…

नई दिल्ली:  कांग्रेस अक्सर ही ये आरोप लगाती रही है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी जब सदन में बोलते हैं तो उनका माइक बंद कर दिया जाता है। अभी शुक्रवार को हुई लोकसभा की पिछली कार्यवाही के दौरान भी गौरव गोगोई और दीपेंद्र हुड्डा ने यह मुद्दा उठाया था। हालांकि, कांग्रेस के इन आरोपों पर अब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारियों के पास सदन में मुद्दे उठाने वाले सदस्यों के माइक्रोफोन बंद करने के लिए कोई स्विच या रिमोट कंट्रोल नहीं है।

ऐसे आरोप चिंता का विषय
अध्यक्ष ने कहा कि सभापति द्वारा माइक्रोफोन बंद करने का आरोप चिंता का विषय है। वह चाहते हैं कि सदन इस मुद्दे पर चर्चा करे। पीठ केवल निर्णय/निर्देश देती है। जिस सदस्य का नाम पुकारा जाता है उसे सभा में बोलने का अवसर मिलता है। माइक को सभापीठ के निर्देशानुसार नियंत्रित किया जाता है। पीठासीन व्यक्ति के पास रिमोट कंट्रोल या माइक्रोफोन का स्विच नहीं है।

आपको कई साल हो गए और अनुभव हैं
ओम बिरला ने विपक्षी सांसदों से कहा, ‘बाहर आरोप लगाते हैं कि पीठासीन अधिकारी माइक बंद कर देते हैं। आपको कई साल हो गए और अनुभव है। आप पुराने सदन में थे और नए सदन में भी हैं। आपको पता होगा कि माइक का रिमोट आसन के पास नहीं होता है, चाहे किसी भी दल का सदस्य हो। इसलिए इस तरह का आरोप नहीं लगा सकते हैं।’

कांग्रेस सांसद के. सुरेश का किया जिक्र
स्पीकर ओम बिरला ने इसके बाद कांग्रेस सांसद के. सुरेश का भी जिक्र करते हुए कहा कि अध्यक्षों के पैनल में सभी राजनीतिक दलों के सदस्यों का प्रतिनिधित्व होता है, जो अध्यक्ष की अनुपस्थिति में कार्यवाही की अध्यक्षता करते हैं। इसलिए सुरेश जी भी यहां बैठते हैं। उनसे कोई पूछे कि वहां कोई कंट्रोल है क्या? यह आसन की गरिमा का मामला है। कम से कम जो लोग पीठासीन हैं, उन्हें ऐसी आपत्तियां नहीं उठानी चाहिए।

स्पीकर के आसन के पास कोई बटन होता है क्या?
इसके बाद उन्होंने खुद उनसे पूछ लिया कि स्पीकर के आसन के पास कोई बटन होता है क्या? इस पर सुरेश ने मना किया तो फिर बिरला ने कहा, मेरे पास माइक्रोफोन बंद करने के लिए कोई बटन नहीं है। पहले भी इसी तरह का सेट-अप मौजूद था। देखो कोई बटन नहीं है। आसन से सिर्फ व्यवस्था दी जाती है। हम माइक बंद नहीं करते हैं।

दरअसल, इससे पहले कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया था कि लोकसभा में नीट पेपर लीक पर चर्चा की मांग को लेकर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का माइक बंद किया गया था।

21वीं सदी के अर्जुनों के लिए ‘मेगा यूथ फेस्ट’ का आयोजन; एक हजार से ज्यादा युवाओं ने लिया हिस्सा

नई दिल्ली: दिल्ली में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के पीस प्रोग्राम द्वारा रविवार को ‘मेगा यूथ फेस्ट’ का आयोजन किया गया। ‘उठ पार्थ, युद्ध कर’ नामक इस फेस्ट में स्टैंड-अप कॉमेडी, नृत्य-नाटकोंऔर प्रेरक वार्ताओं को लाईव देखने-सुनने के लिए लगभग एक हजार युवा मानेक शॉ ऑडिटोरियम में एकत्रित हुए। इसके साथ ही दिल्ली के कई शैक्षिक संस्थानों के उप-कुलपति, डीन, एच.ओ.डी भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे और गेस्ट वक्ता के तौर पर अवध ओझा सर तथा जाह्नवी पंवर ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज की। फेस्ट के विभिन्न सत्रों का आयोजन आशुतोष महाराज की साध्वी शिष्याओं द्वारा किया गया।

पीसप्रोग्राम की सह-इन्चार्ज, साध्वी डॉ. निधि भारती ने बताया कि आज युवा करियर और नौकरी की दौड़ से मिलने वाली थकान वतनाव से छुटकारा पाने के लिए रील्स, वेबसीरीज और ऑनलाइनगेम्स का सहारा लेने लगा है। जो असल में उसके तनाव को कम करने की बजाय उसे अवसाद में ज्यादा डाल रही है। ऐसा इंस्टेंट मजा पाने के चक्कर में वह फिर इन्हीं रील्स एवं वेबसीरीज से प्रेरित होकर इंस्टेंट लव रिलेशन भी बनाने लग जाता है। युवाओं की इस ‘क्या फर्क पड़ता है’ वाली सोच को साध्वी ने ठोस तर्कों एवं वैज्ञानिक तथ्यों द्वारा सिरे से खारिज किया और यह सिद्ध किया की असल में इन सबसे युवा की मानसिकता और व्यक्तित्व पर ही नहीं, बल्कि उसकी पूरी जिंदगी पर गहरा फर्क पड़ता हैं।

कार्यक्रम के अगले सत्र में भारतीय इतिहास में दर्ज सच्ची प्रेम गाथाओं पर आधारित एक संगीतमय प्रस्तुति हुई। इस सत्र की मुख्य वक्ता साध्वी मणिमाला भारती ने कहा कि इंस्टेंट लव, हुक-अप्स और ब्रेकअप्स वाले रिश्तों का ट्रेंड पाश्चात्य जगत से अपनाया गया है, क्योंकि भारत की संस्कृति ने तो हमेशा से त्याग, समर्पण, विश्वास और पवित्रता जैसे मूल्यों पर आधारित सच्चे-प्रेम का पाठ ही विश्व को पढ़ाया है। साध्वी ने रानी पद्मावती और रतन सिंह की प्रेम कहानी को सुनाया।

जमीन पर कब्जे की शिकायत सुन बिफरे योगी, बोले- यह बर्दाश्त नहीं, डीएम को दिए निर्देश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को अपने सरकारी आवास पर ‘जनता दर्शन’ किया। इस दौरान आए सैकड़ों फरियादियों ने अपनी पीड़ा रखी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सभी फरियादियों के पास स्वयं पहुंचे और समस्याएं सुनीं। रविवार को सर्वाधिक शिकायत शाहजहांपुर से पहुंची। इसमें से अधिकांश शिकायतें जमीन कब्जे व पैमाइश में हीलाहवाली से जुड़ी थीं। जिस पर सीएम काफी नाराज हुए।

सीएम ने जल्द से जल्द कार्रवाई के दिए निर्देश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को जनता दर्शन में हर पीड़ित के पास पहुंचकर उनकी समस्याओं को सुना। यहां शाहजहांपुर जनपद से कई फरियादी आए थे। जिले से जमीन कब्जे और जमीन पैमाइश की काफी शिकायतें थीं। फरियादियों ने लेखपाल-कानूनगो की लापरवाही की शिकायत भी सीएम से की। जिस पर मुख्यमंत्री ने तत्काल जिलाधिकारी को तीन दिन के भीतर कार्रवाई कर अवगत कराने का निर्देश दिया। ऐसे ही मामले आगरा-कानपुर से भी आए। सीएम ने सभी फरियादियों को आश्वस्त किया कि उन्हें कतई परेशान होने की जरूरत नहीं है। जल्द से जल्द कार्रवाई की जाएगी।

धन के अभाव में नहीं रुकेगा किसी का इलाज
वहीं धनाभाव के कारण इलाज में आ रही समस्या को लेकर भी एक महिला पहुंची थीं। उन्होंने बताया कि आयुष्मान कार्ड है, लेकिन इलाज में इससे अधिक पैसे की आवश्यकता है, जिस पर सीएम ने उन्हें आश्वस्त किया कि धन के अभाव में इलाज कतई नहीं रुकेगा। तत्काल ही सीएम आवास से केजीएमयू वीसी और सीएमएस को इस संदर्भ में सूचित कर उचित कार्रवाई का निर्देश दिया गया। वहीं उन्नाव में तैनात सहायक अध्यापिका भी पहुंची, जिन्होंने बताया कि बच्चा काफी अस्वस्थ है और उसका इलाज लखनऊ में चल रहा है। पति भी बाहर रहते हैं। वे लखनऊ स्थानांतरण चाहती हैं। इस पर सीएम ने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।

कानून से खिलवाड़ कतई बर्दाश्त नहीं
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया कि फरियादियों की शिकायत जनपद स्तर पर हर हाल में सुनी जाए। किसी भी सूरत में लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। जमीन कब्जे से जुड़े मामलों में सीएम ने कहा कि पीड़ितों की सुनवाई सुनिश्चित हो। कानून से खिलवाड़ करने वालों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

‘कांग्रेस, उद्धव की शिवसेना और NCPSP मिलकर लड़ेंगे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव’, शरद पवार का दावा

मुंबई: शरद चंद्र पवार वाली राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपीएसपी) के प्रमुख ने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी कांग्रेस और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ मिलकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ेगी। बता दें, चुनाव इस साल अक्तूबर में होने वाले हैं।शरद पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राज्य विधानसभा चुनावों में छोटे सहयोगियों के हितों की रक्षा करना महाराष्ट्र में प्रमुख विपक्षी दलों की नैतिक जिम्मेदारी है, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में गठबंधन का हिस्सा थे।

महा विकास अघाड़ी का हिस्सा ये दल
कांग्रेस, शरद चंद्र पवार वाली एनसीपी और शिवसेना (यूबीटी) विपक्षी महा विकास अघाड़ी का हिस्सा हैं। ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार के गिरने से पहले नवंबर 2019 से जून 2022 तक महा विकास अघाड़ी राज्य में सत्ता में था।

पवार ने कहा कि महाराष्ट्र के लोगों के सामने विपक्ष एकजुट होकर रहेगा। उन्होंने आगे कहा कि राज्य में बदलाव की जरूरत है और इसका निर्वहन करना विपक्षी गठबंधन की नैतिक जिम्मेदारी है।

शरद पवार ने महाभारत का किया जिक्र
उन्होंने कहा कि जैसे महाभारत में अर्जुन का निशाना मछली की आंख थी, हमारी नजरें महाराष्ट्र चुनाव पर टिकी हैं। कांग्रेस, एनसीपी (एसपी) और शिवसेना (यूबीटी) मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ेंगी। पूर्व सीएम ने कहा कि राज्य में सीट बंटवारे को लेकर फिलहाल कोई बात शुरू नहीं हुई है। हालांकि, जल्द ही इस पर चर्चा होगी।

दलों के हितों की रक्षा करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी
उन्होंने कहा कि लोगों ने 2024 के लोकसभा चुनाव में एनसीपी (एसपी), शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस पर विश्वास दिखाया है। शरद पवार ने आगे कहा, ‘लेकिन इन तीन पार्टियों की तरह वाम पार्टियां, पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी (पीडब्ल्यूपी) भी गठबंधन का हिस्सा थीं, लेकिन हम उन्हें लोकसभा में सीट नहीं दे सके। इन दलों के हितों की रक्षा करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। इसलिए उनके साथ (राज्य विधानसभा चुनाव में) आगे बढ़ने का प्रयास किया जाएगा।’

राज्य के बजट पर कही ये बात
एकनाथ शिंदे सरकार द्वारा शुक्रवार को पेश किए गए राज्य के बजट के बारे में पूछे जाने पर एनसीपी (एसपी) प्रमुख ने कहा, ‘अगर आप बाजार में खाली जेब लेकर जाते हैं तो क्या होगा? कुछ दिनों की बात है, वास्तविकता जल्द ही देखने को मिलेगी।’

महाराष्ट्र सरकार द्वारा राज्य विधानसभा चुनाव से चार महीने पहले शुक्रवार को पेश किए गए बजट में 21 से 60 आयु वर्ग की महिलाओं को 1,500 रुपये का मासिक भत्ता, परिवारों के लिए साल में तीन मुफ्त एलपीजी सिलेंडर, किसान हितैषी कदम और कौशल प्रशिक्षण के लिए युवाओं को प्रति माह 10,000 रुपये का भत्ता दिया गया।

पवना बांध में डूबने की घटनाओं के बाद सुरक्षा बढ़ाने की मांग, बीते कुछ महीनों में मिले 27 शव

मुंबई:  लोनावला में पवना बांध में डूबने की कई दुखद घटनाओं के बाद इस क्षेत्र में सुरक्षा उपाय बढ़ाने की मांग की गई है। हाल की घटनाओं में जून में 18 साल के अद्वैत वर्मा और जनवरी में 20 साल के मनीष शंकर शर्मा की मौत की घटनाएं शामिल हैं। पुलिस और सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने पवना बांध के चेतावनी संकेतों की अनदेखी करने वाले पर्यटकों को लेकर चिंता व्यक्त की।

लाइफगार्ड तैनात करने की तैयारी
पुलिस अधिकारी ने बताया कि डूबने की घटनाओं के बाद पवना बांध में पुलिस की मौजूदगी बढ़ाने, धातु की बाड़ लगाने, अधिक लाइफगार्ड तैनात करने और खतरे वाले क्षेत्रों को स्पष्ट संकेतों से चिह्नित करने की मांग उठी है। मानसून के दौरान पर्यटकों के ज्यादा संख्या में आने को देखते हुए बांध के आसपास के 20 से अधिक गांवों के पुलिस पाटिलों के साथ बैठकें की गई है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि ‘हम उन्हें पर्यटकों को जल निकायों में प्रवेश करने से रोकने के निर्देश देते हैं। हम कैंपिंग स्थलों और रिसॉर्ट्स को भी निर्देश देते हैं कि वे अपने मेहमानों को पानी के पास जाने से रोकें।’

पुलिस पाटिल कौन होते हैं
बता दें कि पुलिस पाटिल गांव स्तर के कर्मचारी होते हैं, जिन्हें संबंधित कलेक्टर द्वारा नियुक्त किया जाता है, ये लोग ग्रामीण क्षेत्रों में कानून व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस की मदद करते हैं। पुलिस का कहना है कि देखरेख करने वाले लोगों की कमी और विशाल बांध के चलते प्रभावी रूप से निगरानी रखना मुश्किल होता है। लोनावला ग्रामीण पुलिस के अनुसार, जनवरी 2024 से अब तक पवना बांध में चार लोग डूब चुके हैं। बचाव संगठन वन्यजीव रक्षक मावल (वीआरएम) ने इस साल मार्च से मई के बीच मावल तहसील में विभिन्न जल निकायों से 27 शव बरामद करने की सूचना दी है। वीआरएम जैसे संगठन शवों को निकालने और संकट कॉल का जवाब देने में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं, सावधानी और सुरक्षा दिशानिर्देशों के पालन के महत्व पर जोर देते हैं।

वीआरएम संगठन के अध्यक्ष ने बताई बांध में डूबने की वजन
वीआरएम के संस्थापक अध्यक्ष नीलेश गराडे ने कहा कि डूबने की ज़्यादातर घटनाएं इसलिए होती हैं क्योंकि पीड़ित पानी की गहराई का आकलन करने में विफल रहते हैं। गराडे ने बताया, ‘बांध में तैरना सख्त वर्जित है और बांध की परिधि के चारों ओर चेतावनी बोर्ड लगाए गए हैं। इसके बावजूद, कई पर्यटक इन चेतावनियों को अनदेखा करते हैं और पानी में प्रवेश करते हैं।’ गराडे ने कहा कि ‘भले ही हम तैरना जानते हों, लेकिन बांध क्षेत्र में अज्ञात पानी में प्रवेश करते समय हम अत्यधिक सावधानी बरतते हैं। कुछ स्थानों पर गहरी खाईयाँ हैं जो तैरते समय दिखाई नहीं देती हैं। जबकि पर्यटकों को सावधान रहना चाहिए, अधिकारियों को डूबने से बचाने और जान बचाने के लिए अधिक सुरक्षा तंत्र लागू करने चाहिए।’