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पीएम मोदी ने वेंकैया नायडू के जीवन पर आधारित पुस्तकों का किया विमोचन, आपातकाल पर फिर कांग्रेस को घेरा

नई दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को पूर्व उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के जीवन पर आधारित तीन पुस्तकों को विमोचन किया। प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इन पुस्तकों का विमोचन किया। इस दौरान पीएम मोदी ने आपातकाल के काले अध्याय को याद किया और कांग्रेस को निशाने पर लिया। प्रधानमंत्री ने वेंकैया नायडू की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी जीवनी लोगों को प्रेरित करेगी।

‘नायडू से सीखने का अवसर मिला’
प्रधानमंत्री ने पूर्व उपराष्ट्रपति की जीवनी ‘वेंकैया नायडू – सेवा में जीवन’, ‘भारत का जश्न – भारत के 13वें उपराष्ट्रपति के रूप में श्री एम वेंकैया नायडू का मिशन और संदेश’, ‘महानता – श्री एम वेंकैया नायडू का जीवन और यात्रा’ का विमोचन किया। हैदराबाद में आयोजित कार्यक्रम में वेंकैया नायडू, कई अन्य नेता और प्रमुख हस्तियां शामिल हुईं। किताबों के विमोचन के बाद अपने संबोधन में कहा, ‘कल 1 जुलाई को वेंकैया नायडू की जीवन यात्रा के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं। ये 75 वर्ष असाधारण उपलब्धियों के रहे हैं। मुझे खुशी है कि आज मुझे उनकी जीवनी के साथ-साथ दो और पुस्तकों का विमोचन करने का अवसर मिला है। मेरा मानना है कि ये पुस्तकें लोगों को प्रेरित करेंगी और उन्हें राष्ट्र सेवा की सही दिशा दिखाएंगी।’

आपातकाल को किया याद
प्रधानमंत्री मोदी ने आपातकाल को याद करते एक बार फिर कांग्रेस पर हमला बोला उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस के संविधान की प्रतिष्ठा को धूमिल करके लगाए गए आपातकाल को 50 वर्ष हो गए हैं। वेंकैया जी आपातकाल के खिलाफ लड़ने वालों में से थे और उस समय वेंकैया जी लगभग 17 महीने जेल में रहे थे। मैं उन्हें अपना सच्चा साथी मानता हूं, जिनकी आपातकाल की अग्नि में परीक्षा हुई। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘सत्ता सुख का साधन नहीं बल्कि सेवा और संकल्पों की सिद्धि का माध्यम है। वेंकैया जी ने यह तब भी साबित कर दिया था, जब उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार में शामिल होने का अवसर मिला।

वेंकैया जानते थे कि उन्हें कोई भी मंत्रालय मिलेगा, जो वे चाहते हैं, लेकिन उन्होंने आगे बढ़कर कहा कि अगर मुझे ग्रामीण विकास मंत्रालय दिया जाए तो अच्छा रहेगा। नायडू जी गांव, गरीब और किसानों की सेवा करना चाहते थे। वे भारत के एकमात्र मंत्री थे, जिन्होंने अटल जी के समय ग्रामीण विकास के लिए काम किया और शहरी विकास मंत्री के रूप में कैबिनेट में एक वरिष्ठ साथी के रूप में हमारे साथ काम किया।’ प्रधानमंत्री ने नायडू के साथ आपातकाल के समय 17 महीने जेल में रहने का भी जिक्र किया।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का विवादास्पद बयान, भगवान जगन्नाथ से की CM मोहन माझी की तुलना

भुवनेश्वर: ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी द्वारा आयोजित किए गए एक सम्मान समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने ओडिशा के मुख्यमंत्री और दो मंत्रियों की तुलना भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा से की।

भगवान जगन्नाथ से की सीएम मोहन चरण माझी की तुलना
आपको बता दें कि हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव में ओडिशा में भाजपा के 78 विधायकों और 20 सांसदों ने जीत हासिल की है। इस वजह से राज्य में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था। इस मौके पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धमेंद्र प्रधान ने कहा ‘ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और दो उप मुख्यमंत्री के वी सिंह देव और पार्वती पारिदा भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की तरह हैं। इन सभी के कंधों पर राज्य के विकास की जिम्मेदारी है।’ केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने आगे कहा कि नया ओडिशा विकसित भारत के सपने को सच करने में मदद करेगा।

ओडिशा में 1 लाख करोड़ की रेल परियोजना पर होगा काम- अश्विनी वैष्णव
इस अवसर पर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि ओडिशा को अगले पांच वर्षों में भारतीय रेल द्वारा बड़ी सौगातें दी जाएंगीं। वैष्णव का कहना है कि अगले पांच वर्षों में ओडिशा में एक लाख करोड़ की रेल परियोजनाओं पर काम किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने बीजू जनता दल (बीजद) पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बीजद सरकार ने ओडिशा में रेल के क्षेत्र में विकास पर कभी ध्यान नहीं दिया। अब राज्य में और केंद्र में भाजपा और बीजद की डबल इंजन सरकार है। अब अगले पांच वर्षों में राज्य में नए कीर्तिमान स्थापित किए जाएंगे।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बीजू जनता दल पर साधा निशाना
अश्विनी वैष्णव ने कहा पूर्व में ओडिशा के लिए कई बड़ी रेल परियोजनाओं की घोषणा की गई थी लेकिन, बीजद सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण में देरी की गई। उन्होंने आगे कहा ‘अब डबल इंजन सरकार राज्य में रेल परियोजनाओं को नई गति प्रदान करेगी।’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान ओडिशा के लिए रेल बजट में 800 करोड़ का प्रावधान किया गया था, जबकि मोदी सरकार ने दस हजार करोड़ का प्रावधान किया। वैष्णव ने आगे कहा कि बीते 10 वर्षों में ओडिशा में 1,826 किलोमीटर रेल लाइन का निर्माण किया गया, जो कि श्रीलंका के कुल रेल नेटवर्क से अधिक है।

केंद्रीय मंत्री वैष्णव आगे कहा कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दौरान पुरी के लिए 315 स्पेशल ट्रेन चलाई जाएंगी, जिससे श्रद्धालुओं को यात्रा करने में परेशानी नहीं होगी। पिछले वर्ष रथ यात्रा के दौरान 222 स्पेशल ट्रेन चलाई गई थी। अश्विनी वैष्णव इलेक्ट्रॉनिक (आईटी) मंत्री भी हैं। उन्होंने कहा कि ओडिशा में इलेक्ट्रॉनिक और सेमी-कंडक्टर ट्रेनिंग सेंटर भी स्थापित किए जाएंगे।

राज्यसभा और लोकसभा में जोरदार हंगामे के आसार; सरकार और विपक्ष में इन मुद्दों पर होगी बहस

लोकसभा और राज्यसभा कल कई मुद्दों पर सुनवाई के लिए तैयार है। यहां सोमवार को नीट परीक्षा में हुई धांधली, अग्निपथ पहल और महंगाई जैसे कई मुद्दों पर गरमागरम बहस देखने को मिलेगी। पेपर लीक मामले के अलावा विपक्ष बेरोजगारी का मुद्दा भी उठा सकता है।

लोकसभा में कल राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर होगी चर्चा
लोकसभा में भाजपा सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा शुरू करने के लिए तैयार हैं। प्रस्ताव का समर्थन पहली बार लोकसभा सदस्य बनीं बांसुरी स्वराज करेंगी जो भाजपा की दिग्गज नेता दिवंगत सुषमा स्वराज की बेटी हैं।

इतने घंटे का समय तय
लोकसभा ने धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 16 घंटे का समय दिया है, जो मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जवाब के साथ समाप्त होगा। वहीं राज्यसभा चर्चा के लिए 21 घंटे का समय निर्धारित किया गया है और प्रधानमंत्री बुधवार को जवाब दे सकते हैं।

बता दें, संसद में नीट मुद्दे को लेकर हंगामा जारी है। दरअसल, एनटीए ने पांच मई को नीट-यूजी की परीक्षा आयोजित की थी। इसमें 24 लाख उम्मीदवार उपस्थित हुए थे। परिणाम चार जून को घोषित किए गए थे। मगर नतीजे आते ही छात्रों ने प्रश्न पत्र लीक के आरोप लगाते हुए हंगामा कर दिया था।

नेहरू और पीएम नरेंद्र मोदी की तुलना
राज्यसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी ने नेहरू और पीएम नरेंद्र मोदी की तुलना पर भी जवाब दिया थी। त्रिवेदी ने कहा था कि नेहरू और मोदी की तुलना नहीं हो सकती। उनको लेकर जब चुनाव हुआ तो कुछ वोट पट्टाभि सीतारमैया समेत कई लोगों को मिले, लेकिन बाकी सारे वोट सरदार पटेल को मिले थे। नेहरू को तो एक भी वोट नहीं मिला और पीएम मोदी सर्वसम्मति से पीएम बने हैं। इसलिए दोनों के बीच कोई तुलना नहीं हो सकती।भाजपा सदस्य कविता पाटीदार ने प्रस्ताव का समर्थन किया और नौ अन्य सदस्यों ने अब तक चर्चा में भाग लिया है।

जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने नए सेना प्रमुख का पदभार संभाला; जनरल मनोज पांडे हुए सेवानिवृत्त

जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने रविवार को 30वें सेना प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाल लिया। वर्तमान सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे आज ही सेवानिवृत्त हुए हैं। चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर व्यापक ऑपरेशनल अनुभव रखने वाले जनरल द्विवेदी इससे पहले सेना के उप प्रमुख के रूप में कार्यरत थे।

द्विवेदी के बारे में कुछ खास बातें
लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी का जन्म 1 जुलाई 1964 को हुआ था। उन्हें 15 दिसंबर, 1984 को भारतीय सेना की इन्फैंट्री जम्मू और कश्मीर राइफल्स में कमीशन मिला था। उन्हें करीब 40 साल का अनुभव है। अपनी लंबी और विशिष्ट सेवा के दौरान उन्होंने कई कमांड, स्टाफ और इंस्ट्रक्शनल में काम किया है। लेफ्टिनेंट उपेंद्र द्विवेदी की कमांड नियुक्तियों में रेजिमेंट 18 जम्मू और कश्मीर राइफल्स, ब्रिगेड 26 सेक्टर असम राइफल्स, आईजी, असम राइफल्स (पूर्व) और 9 कोर की कमान शामिल हैं।

कई अहम जिम्मेदारियां संभाली
लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सेना के उप प्रमुख के रूप में नियुक्त होने से पहले 2022-2024 तक महानिदेशक इन्फैंट्री और जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (मुख्यालय उत्तरी कमान) सहित कई अहम जिम्मेदारियां संभाली हैं। जनरल द्विवेदी ने 13 लाख कर्मियों वाली सेना का प्रभार ऐसे समय संभाला है, जब भारत चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) सहित विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है।

यहां से हुई पढ़ाई
लेफ्टिनेंट द्विवेदी की पढ़ाई सैनिक स्कूल रीवा, नेशनल डिफेंस कॉलेज और यूएस आर्मी वॉर कॉलेज से हुई है। उन्होंने डीएसएससी वेलिंगटन और आर्मी वॉर कॉलेज (महू) से भी कोर्स किया है। इसके अलावा उन्हें यूएसएडब्ल्यूसी, कार्लिस्ले, अमेरिका में प्रतिष्ठित एनडीसी समकक्ष पाठ्यक्रम में ‘विशिष्ट फेलो’ से सम्मानित किया गया। उनके पास रक्षा और प्रबंधन अध्ययन में एम फिल और सामरिक अध्ययन और सैन्य विज्ञान में दो मास्टर डिग्री हैं।

पीवीएसएम, एवीएसएम समेत कई सम्मान मिले
लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी परम विशिष्ट सेवा पदक (पीवीएसएम), अति विशिष्ट सेवा पदक (एवीएसएम) और तीन जीओसी-इन-सी प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया है।
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सीएम योगी ने विद्यार्थियों को दी सलाह- कभी शॉर्टकट न अपनाएं, अनुशासित रहकर अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखे

लखनऊ: सफलता का एक मात्र फार्मूला कठिन परिश्रम। लेकिन परिज्ञम भी सही दिशा में होना चाहिए। जैसे किसान जब समय से खाद और पानी देता है तभी अच्छी फसल होती है। वैसे ही विद्यार्थियों को करना चाहिए। सरकार ने आपकी सुविधा के लिए अनेक प्रयास प्रारंभ किए हैं। सरकारी स्कूलों में सरकार अच्छे शिक्षक दे रही है। प्राजेक्ट अलंकार के तहत सरकारी स्कूलों का कायाकल्प हो रहा है। हमने अभ्युदय कोचिंग प्रारंभ की है।

छात्रों को चाहिए लक्ष्य तय करें। अपने टीचरों से अपनी बात कहने में संकोच ना करें। आज शिक्षा को लेकर अच्छा माहौल है। समाज का हर तबका आपके साथ खड़ा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति दुनिया में भारत को विश्व गुरू के रूप में स्थापित करेगी।इस सम्मान समारोह एक चुनौती के रूप में लें। आज आपका जो सम्मान किया गया है उससे और आगे कैसे किया जा सकता है। पिछले एक से दो वर्ष के अंदर जो आपने प्रयास किया वह कितना सार्थक हुआ। सीएम ने कहा कि तनाव को अपने बीच में ना आने दें।

अपने स्वयं के जीवन में निश्चित दिनचर्या को अपनाएं। अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें। हर काम समय से करें। दिन और रात को समय में बांटकर काम करें। आपकी समयबद्वता आपको अनुशासित करेंगी। उन्होंने कहा कि जरूरत आप पाठ्यक्रम को रुचिकर बनाने की कोशिश करनी चाहिए।

खरगे ने सोनिया गांधी के लेख को लेकर PM पर साधा निशाना, कहा- आम सहमति का उपदेश दे टकराव को भड़का रहे

नई दिल्ली:कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हाल ही में एक अंग्रेजी अखबार में अपने आर्टिकल के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है। उनके इस आर्टिकल को साझा करते हुए राज्यसभा में विपक्ष के नेता और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शनिवार को पीएम पर आरोप लगाया कि वह हाल ही में हुए संसदीय चुनावों में मतदाताओं द्वारा दिए गए संदेश पर विचार नहीं कर रहे हैं।

इस बात के जरा भी संकेत नहीं
खरगे ने आज सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, ‘सीपीपी अध्यक्ष सोनिया गांधी का कहना है कि इस बात के जरा भी संकेत नहीं मिलते कि उन्होंने (पीएम मोदी) लोकसभा चुनाव 2024 के जनादेश को समझा है और लाखों मतदाताओं के संदेश पर गौर किया है।’

सोनिया गांधी ने यह लिखा
सोनिया गांधी द्वारा लिखा गए आर्टिकल का शीर्षक था, ‘आम सहमति का उपदेश देना, टकराव को भड़काना।’ उन्होंने अपने आर्टिकल में लिखा कि प्रधानमंत्री ऐसे व्यवहार कर रहे हैं मानो कुछ भी नहीं बदला है। वह आम सहमति का उपदेश देते हैं, लेकिन टकराव को महत्व देना जारी रखते हैं। इस बात के जरा भी संकेत नहीं मिलते कि उन्होंने (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) लोकसभा चुनाव 2024 के जनादेश को समझा है और लाखों मतदाताओं के संदेश पर गौर किया है।

विशेष रूप से, 2024 के आम चुनावों में भाजपा की जीत 2019 की 303 सीटों और 2014 में जीती गई 282 सीटों की तुलना में बहुत कम है। दूसरी ओर, कांग्रेस ने मजबूत बढ़त दर्ज की, 2019 में 52 सीटों और 2014 में 44 सीटों की तुलना में 99 सीटें जीतीं।

नीट में हुई धांधली को लेकर निकला गुस्सा
इससे पहले खरगे ने शुक्रवार को नीट के मुद्दे को लेकर पत्रकारों से बात की। उन्होंने कहा कि सात वर्षों में 70 पेपर लीक हुए हैं, करोड़ों युवाओं से मोदी सरकार ने विश्वासघात किया है। हम नीट घोटाले पर 267 के नियम के तहत सदन में चर्चा कर के, इससे पीड़ित लाखों युवाओं की आवाज उठाना चाहते थे। इसलिए लोगों की समस्या पर ध्यान आकर्षित करने के लिए, हमने एक विशेष चर्चा के लिए कहा। हम किसी को परेशान नहीं करना चाहते थे। हम केवल छात्रों के मुद्दों को उठाना चाहते थे। लेकिन उन्होंने इसका मौका नहीं दिया, इस पर ध्यान ही नहीं दिया।

‘पद की गरिमा के खिलाफ पूर्व पीएम और आपातकाल पर टिप्पणी’, शरद पवार का लोकसभा स्पीकर पर कटाक्ष

कोल्हापुर: राकांपा (एसपी) अध्यक्ष शरद पवार ने शनिवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के भाषण में आपातकाल का उल्लेख अनुचित बताया। उन्होंने कहा कि यह उनकी पद की गरिमा के खिलाफ है। शरद पवार ने कहा कि उनके भतीजे और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बजट पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि वे सिर्फ जनता को यह दिखाना चाहते हैं, कि वे कुछ बड़ा करने जा रहे हैं।

18वीं लोकसभा में ओम बिरला अध्यक्ष पद पर चुने गए। अध्यक्ष पद के चुनाव के बाद ओम बिरला ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी 1975 में लगाए गए आपातकाल को संविधान पर हमला बताते हुए एक प्रस्ताव पढ़ा। जिस कारण लोकसभा में हलबली भी मची। इस पर शरद पवार ने शनिवार को उन पर तंज किया। उन्होंने कहा कि अध्यख ने अपने संबोधन में आपातकाल का उल्लेख करके पद की गरिमा खो दी। आपातकाल को 50 साल हो चुके हैं, इंदिरा गांधी अब जीवित भी नहीं हैं। तो अध्यक्ष अब इस मुद्दे को क्यों उठा रहे हैं?”

उन्होंने स्पीकर की राजनीतिक भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा, “क्या स्पीकर की भूमिका राजनीतिक बयान देना है? उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि उनका बयान उचित नहीं था। राष्ट्रपति के भाषण में भी इस मुद्दे का संक्षिप्त उल्लेख था। यह भी जरूरी नहीं था।” उन्होंने कहा कि विपक्ष में सबसे ज्यादा सांसदों वाली पार्टी को विपक्ष का नेता तय करने का अधिकार है, इसलिए राहुल गांधी को विपक्ष का नेता चुना गया। उन्होंने कहा, “कांग्रेस के सांसदों ने राहुल गांधी को अपना नेता बनाने का फैसला किया। एक तरह से यह राजनीति में पृष्ठभूमि वाली नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व है और जबरदस्त प्रयास करने की इच्छा है। मुझे यकीन है कि वह चमकेंगे।”

शरद पवार ने इस दौरान भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस मुक्त भारत पर बयान देने से पहले भाजपा को यह देखना चाहिए कि लोकसभा चुनाव से पहले उसके पास कितनी सीटें थीं और इस चुनाव के बाद उसके पास कितनी सीटें हैं। उन्होंने दावा किया, “भाजपा के पास संसद में बहुमत नहीं है। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के बिना वे सरकार नहीं बना पाते। उन्होंने कहा कि भाजपा इसे चाहे जितना छिपाने की कोशिश करें लेकिन सच्चाई साफ दिख रही है कि उन्हें भारत की जनता से स्पष्ट जनादेश नहीं मिला है।”

शरद पवार ने महाराष्ट्र विधानसभा में पेश हुए बजट पर कहा कि “यह किस तरह का बजट था? लड़कियों को मुफ्त शिक्षा, पंढरपुर वारी (तीर्थयात्रा) के प्रत्येक ‘दिंडी’ (समूह) के लिए 20,000 रुपये, विधान भवन में पेश किए जाने से पहले ही सब कुछ जनता के सामने आ गया। इसके दो अर्थ हैं पहला यह कि बजट को गुप्त रखने की परंपरा कायम नहीं रही। दूसरा बजट में प्रस्तुत कोई भी प्रावधान दिन के उजाले में नहीं आएगा।

जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बने संजय झा, पार्टी कार्यकारिणी की बैठक में अहम फैसला

नई दिल्ली: दिल्ली में जनता दल यूनाइटेड की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई। इस बैठक में संजय झा को पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। सीएम नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में पार्टी के सभी शीर्ष नेता मौजूद रहे। इस बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। दिल्ली के कॉस्टिट्यूशनल क्लब में हुई जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में संजय झा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव खुद सीएम नीतीश कुमार ने पेश किया। कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं ने संजय झा को बधाई दी।

कौन हैं संजय झा
बिहार के मधुबनी जिले के झंझारपुर इलाके के अरड़िया गांव के रहने वाले हैं। संजय झा जदयू में आने से पहले भाजपा में थे। ब्राह्मण समाज से ताल्लुक रखने वाले संजय झा मिथिलांचल में जदयू के बड़े नेता माने जाते हैं। संजय झा राज्यसभा सांसद और पार्टी के संसदीय दल के नेता हैं। संजय झा ने साल 2014 में दरभंगा से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद वह एमएलसी बने और 2014 से 2024 तक बिहार सरकार में मंत्री रहे। बैठक के बाद जदयू नेता अशोक चौधरी ने बताया कि संगठन के साथ ही भाजपा के साथ गठबंधन की जिम्मेदारी संजय झा को सौंपी गई है। संजय झा के भाजपा के साथ अच्छे संबंध हैं, ऐसे में पार्टी की कोशिश है कि संजय झा के जरिए भाजपा से विधानसभा चुनाव में बेहतर शर्तों के साथ समझौता किया जाए। फिलहाल नीतीश कुमार जदयू के अध्यक्ष हैं और उनसे पहले जॉर्ज फर्नांडिस, शरद यादव, नीतीश कुमार, आरसीपी सिंह, ललन सिंह जदयू अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी को बूथ स्तर पर मजबूत करने पर चर्चा हुई।

विधानसभा चुनाव को लेकर हुई चर्चा
बिहार में विधानसभा चुनाव को देखते हुए जदयू की इस बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जदयू की बैठक में झारखंड विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी उतारने, आरक्षण की सीमा बढ़ाने, बिहार को विशेष पैकेज देने या विशेष राज्य का दर्जा देने के प्रस्ताव पर भी चर्चा हुई। जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नीट पेपर मामले में हुई अनियमितता की जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग भी की गई। गौरतलब है कि दिल्ली दौरे पर सीएम नीतीश कुमार बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सहयोगी पार्टी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात भी कर सकते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, जदयू इस बार भाजपा से बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर सकती है। बैठक के बाद पार्टी के सांसद भी दिल्ली में नीतीश कुमार से मुलाकात करेंगे।

‘विशेष राज्य की मांग पर कायम’
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद जदयू नेता अशोक चौधरी ने कहा, ‘बिहार को विशेष दर्जा और विशेष पैकेज की हमारी मांग पुरानी है और यह आज भी कायम है। हमारे नेता ललन सिंह, संजय झा जो लोकसभा और राज्यसभा में हैं, वे आने वाले समय में प्रधानमंत्री से मिलेंगे और अपनी बात मजबूती से रखेंगे।’

फिर उठी तीन डिप्टी सीएम बनाने की मांग, शिवकुमार बोले- कांग्रेस नेता पार्टी के हित में मुंह बंद रखें

बंगलूरू: कर्नाटक सरकार और कांग्रेस पार्टी में घमासान मचा हुआ है। वहां मुख्यमंत्री बदलने की मांग तेज हो गई है। यहां तक कि कर्नाटक में तीन और उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग उठ रही है। बता दें कि राज्य में इस वक्त मुख्यमंत्री सिद्धरमैया है, वहीं उपमुख्यमंत्री पद पर डीके शिवकुमार काम कर रहे हैं। दो-दो मंत्रियों के बावजूद तीन और उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग गूंजने लगी है। डिप्टी सीएम के मांग के बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने शनिवार को पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से इस मुद्दे पर सार्वजनिक बयान नहीं देने को कहा। साथ ही अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की चेतावनी दी।

शिवकुमार ने अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं से मुंह बंद रखने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि पार्टी के हित में इस मामले में कुछ भी बोलने से बचें। साथ ही, संतों से राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने का भी अनुरोध किया।

यह है मामला
राज्य मंत्रिमंडल में वीरशैव-लिंगायत, एससी/एसटी और अल्पसंख्यक समुदायों के तीन और उपमुख्यमंत्री नियुक्त करने की मांग जोर पकड़ रही है। वर्तमान में, प्रभावशाली वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले शिवकुमार सिद्धारमैया कैबिनेट में केवल उपमुख्यमंत्री हैं।

विश्व वोक्कालिगा महामंच मठ के एक वोक्कालिगा संत कुमार चंद्रशेखरनाथ स्वामीजी ने गुरुवार को सार्वजनिक रूप से मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से पद छोड़ने और डिप्टी शिवकुमार के लिए आगे रास्ता खोलने का आग्रह किया था। इसके बाद वीरशैव-लिंगायत संत श्रीशैल जगद्गुरु चन्ना सिद्धराम पंडितराध्य स्वामीजी ने शुक्रवार को कहा कि नेतृत्व परिवर्तन होने की स्थिति में मुख्यमंत्री पद के लिए उनके समुदाय के मंत्रियों के नाम पर विचार किया जाना चाहिए। साथ ही अतिरिक्त डिप्टी सीएम पदों के सृजन की स्थिति में भी उन्हें प्राथमिकता दिए जाने की वकालत की।

हाईकमान तय करेंगे
जब पत्रकारों ने शिवकुमार से पूछा कि क्या उन्होंने दिल्ली यात्रा के दौरान आलाकमान से डीसीएम की मांग पर बात की है, तो उन्होंने कहा, ‘किसी उपमुख्यमंत्री पर कोई चर्चा नहीं हुई है और न ही मुख्यमंत्री के बारे में कोई सवाल है। स्वामीजी (वोक्कालिगा संत) ने मेरे प्रति स्नेह के कारण मेरे बारे में बोला होगा। बस इतना ही है। मैं अनुरोध करता हूं कि मुझे किसी की सिफारिश की आवश्यकता नहीं है। हमने जो काम किया है, उसके लिए हमारी पार्टी हाईकमान तय करेगा।’उन्होंने यहां कहा, ‘खरगे, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और मैंने पार्टी के हित में फैसला किया है कि कैसे काम करना है। इसलिए किसी विधायक या मंत्री या स्वामीजी को बोलने की कोई जरूरत नहीं है। यदि वे (संत) हमें आशीर्वाद दें तो यह काफी है।’

अनुशासन के बिना कुछ भी नहीं
शिवकुमार ने कहा कि किसी भी मंत्री को मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री के मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से या मीडिया के सामने टिप्पणी करने की आवश्यकता नहीं है। साथ ही चेतावनी दी कि अगर कोई विधायक या पार्टी से कोई भी इस मुद्दे को उठाता है, तो एआईसीसी या मुझे नोटिस जारी करने और अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। अनुशासन के बिना कुछ भी नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘मैं जानता हूं कि पार्टी को इस स्तर तक लाने के लिए कितना संघर्ष हुआ है, उनमें से किसी को भी अब बोलने की जरूरत नहीं है।’ एक सवाल के जवाब में उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘पार्टी के हित में मैं सभी से कह रहा हूं यदि आप अपना मुंह बंद करते हैं तो यह पार्टी के लिए अच्छा होगा।’

‘NDRF जवानों को 40 प्रतिशत की दर से मिलेगा जोखिम और कठिनाई भत्ता’, अमित शाह ने दी जानकारी

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शनिवार को एनडीआरएफ के पर्वतारोहण अभियान के ध्वजारोहण कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान अमित शाह ने पर्वतारोहण अभियान पर गई टीम की तारीफ की और कहा कि ऐसी गतिविधियां अधिकतर लोगों के लिए जुनून हैं और सिर्फ कुछ लोगों के लिए ही ड्यूटी है।

गृह मंत्री ने दी जानकारी
गृह मंत्री ने कहा ‘मैं एनडीआरएफ को सफल पर्वतारोही अभियान के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस तरह के अभियान बल और बल में शामिल जवानों की मजबूती को बढ़ाते हैं। साथ ही ये अभियान लक्ष्यों को हासिल करने और जीत की आदत बनाने में भी मदद करते हैं। इन्हीं आदतों से कोई भी बल महान बनता है।’ अपने संबोधन के दौरान अमित शाह ने कहा कि लंबे समय से एनडीआरएफ जवानों के जोखिम और कठिनाई भत्ते को बढ़ाने की मांग की जा रही थी और अब सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी है। सरकार ने शुक्रवार को इसकी मंजूरी दी।

गृह मंत्री ने कहा कि ‘मैं एक खुशखबरी देना चाहता हूं कि सरकार ने एनडीआरएफ जवानों के जोखिम और कठिनाई भत्ते को बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने का फैसला किया है। यह एनडीआरएफ के 16 हजार जवानों के लिए खुशी की बात है।’ शाह ने कहा कि एनडीआरएफ न सिर्फ भारत का दुनिया का प्रमुख आपदा प्रबंधन बल है। उन्होंने कहा कि ‘आज न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया में कहीं भी आपदा आती है तो लोग एनडीआरएफ की तरफ देखते हैं। कितनी भी मुश्किल परिस्थिति हो, लेकिन अगर एनडीआरएफ का जवान अपनी वर्दी में खड़ा है तो इससे मुश्किल में फंसे लोगों का हौसला कई गुना बढ़ जाता है।’