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नीट परीक्षा में कथित गड़बड़ियों पर राहुल का केंद्र पर वार- PM मोदी पेपर लीक को रोक नहीं पा रहे

नई दिल्ली:  कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को यूजीसी नीट यूजी परीक्षा में कथित पेपर लीक को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने इसे लेकर केंद्र सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी का नाम लेकर हमला बोला। राहुल ने कहा, “सभी शिक्षण संस्थानों को भाजपा के लोगों ने कैप्चर कर रखा है। जब तक इन्हें मुक्त नहीं कराया जाएगा, तब तक यह चलता रहेगा। पीएम मोदी इस लीक को रोक नहीं पाए। एक परीक्षा में गड़बड़ियों के बाद आप रद्द कर चुके हैं, पता नहीं दूसरे को रद्द किया जाएगा या नहीं। लेकिन कोई न कोई तो इसके लिए जिम्मेदार है और इसके लिए किसनी न किसी को तो पकड़ा जाना चाहिए।”

राहुल ने कहा, “नीट पेपर और यूजीसी-नेट के पेपर लीक हुए हैं। कहा जा रहा था कि नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन की लड़ाई रोक दी थी। इस्राइल और गाजा की लड़ाई को भी नरेंद्र मोदी ने रोक दी थी। लेकिन किसी न किसी कारण में हिंदुस्तान में जो पेपर लीक हो रहे हैं उन्हें नरेंद्र मोदी नहीं रोक पा रहे या फिर रोकना नहीं चाहते।”

बिहार में पेपर लीक आरोपियों के पकड़े जाने को लेकर राहुल ने कहा कि हमने पहले ही कहा है कि जांच होनी चाहिए और जिन्होंने भी पेपर लीक कराया है उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने आगामी संसद सत्र में इस मुद्दे को उठाने की बात भी कही।

राकांपा का बड़ा दावा- अजित पवार की एंट्री ने महायुति सरकार को लोकसभा चुनाव में बचाया

महाराष्ट्र की महायुति सरकार में सहयोगी पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित गुट) के एक नेता का दावा किया गया है कि उनके नेता अजित पवार के समय से आने के कारण ही लोकसभा चुनाव में महायुति सरकार बच सकी है। एनसीपी अजित गुट के नेता अमोल मितकारी ने कहा कि मुझे समझ नहीं आ रहा है कि आखिर क्यों भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) गठबंधन में मनमुटाव पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने शिवसेना नेता रामदास कदम के बयान का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने बुधवार को एक कार्यक्रम में दावा किया उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने सत्ताधारी गठबंधन में पीछे के दरवाजे के एंट्री ली है।

लोकसभा चुनाव महायुति को मिली 17 सीटें
बता दें कि हाल ही खत्म हुए लोकसभा चुनाव में महायुति सरकार ने 48 लोकसभा सीटों में मात्र 17 सीटों पर जीत हासिल की है। इसमें भाजपा ने 9 सीटें जीतीं, शिवसेना शिंदे गुट ने 7 सीट और एनसीपी ने एक सीट पर जीत हासिल की है। वहीं महा विकास अघाड़ी के गठबंधन दलों की बात करें, तो कांग्रेस ने 13 सीटें, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (उद्धव बालासाहब ठाकरे) ने 9 सीटें और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) ने 8 लोकसभा सीटें जीती थी।

जुलाई 2023 में सरकार में आए थे अजित पवार
महाराष्ट्र में शरद पवार की द्वारा स्थापित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से जुलाई 2023 में अलग होकर अजित पवार ने भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल हुए थे। इस दौरान उनके साथ एनसीपी के कई विधायक भी सत्ताधारी गठबंधन में शामिल हुए थे। रामदास कदम ने बुधवार को ये दावा किया कि अजित पवार ने सत्ताधारी गठबंधन में पीछे के दरवाजे से प्रवेश किया था। शिवसेना नेता ने आगे कहा कि अगर वो कुछ दिन और नहीं आते तो ठीक रहता। वहीं इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए एनसीपी अजित गुट के नेता मितकारी ने कहा कि हमारे नेता अजित पवार के समय से महायुति में आने के कारण ही बच सके हैं, नहीं तो आपको हिमालय जाना पड़ता।

सीएम योगी ने दिए निर्देश, बोले- हर परिवार के पास हो फैमिली आईडी, हर जरूरत को पूरा करने का बनेगी माध्यम

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में प्रदेश की प्रत्येक परिवार इकाई को जारी की जा रही ‘परिवार आईडी’ प्रक्रिया की अद्यतन स्थिति की समीक्षा की और इस महत्वपूर्ण योजना का लाभ सभी परिवारों को उपलब्ध कराए जाने के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि हर परिवार को सरकार की योजनाओं का लाभ उपलब्ध कराने तथा प्रत्येक परिवार के न्यूनतम एक सदस्य को रोजगार-सेवायोजन से जोड़ने के संकल्प के क्रम में प्रदेश मे परिवार आईडी जारी की जा रही है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में निवासरत लगभग 3.60 करोड़ परिवार के 15.07 करोड़ लोग राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ पा रहे हैं। इन परिवारों की राशनकार्ड संख्या ही फैमिली आईडी है जबकि एक लाख से अधिक गैर राशन कार्ड धारकों को फैमिली आईडी जारी की जा चुकी है।

एक परिवार-एक पहचान योजना के तहत प्रत्येक परिवार को एक विशिष्ट पहचान जारी की जा रही है, जिससे राज्य की परिवार इकाइयों का एक लाइव व्यापक डेटाबेस स्थापित होगा। यह डेटाबेस लाभार्थीपरक योजनाओं के बेहतर प्रबंधन, समयबद्ध लक्ष्यीकरण, पारदर्शी संचालन एवं योजना का शत-प्रतिशत लाभ पात्र व्यक्तियों तक पहुंचाने और आम जनता को सरकारी सुविधाओं का लाभ उपलब्ध कराने की व्यवस्था के सरलीकरण में सहायक होगा।

परिवार आईडी प्रदेश के सभी परिवारों के लिए है। 25 करोड़ जनता को इसका लाभ मिलना चाहिए। परिवार आईडी के माध्यम से प्राप्त एकीकृत डेटाबेस के आधार पर रोजगार से वंचित परिवारों का चिन्हांकन कर उन्हें रोजगार के समुचित अवसर प्राथमिकता पर उपलब्ध कराए जा सकेंगे।

सभी लाभार्थीपरक योजनाओं को परिवार आईडी से लिंकेज करें
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार द्वारा संचालित 76 योजनाओं और सेवाओं को फैमिली आईडी से लिंक किया जा चुका है। अवशेष सभी लाभार्थीपरक योजनाओं को परिवार आईडी से लिंकेज किया जाए। केन्द्र सरकार के सहयोग से संचालित समस्त योजनाओं का डेटाबेस प्राप्त कर उसे परिवार कल्याण पास बुक एवं फैमिली आईडी से जोड़ा जाना चाहिए।

सभी लाभार्थीपरक (DBT) योजनाओं और सेवाओं के ऑनलाइन आवेदन में आधार आवेदन एवं आधार अधिप्रमाणन अनिवार्य किया जाना चाहिए। इस तरह फैमिली आईडी का कवरेज बढ़ाने में सहायता मिलेगी। आईटीआई, पॉलिटेक्निक एवं अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में नए प्रवेश के समय आधार ऑथेंटिकेशन कराएं, तदोपरान्त परिवार आईडी से लिंकेज किया जाए। जाति और आय प्रमाण पत्र जारी करने में अनावश्यक देरी न हो। इस प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाए।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि हर एक परिवार को मिल रहे शासकीय योजनाओं के लाभ का पूरा विवरण दर्शाते हुए परिवार का पासबुक भी तैयार कराया जाए। पास-बुक और परिवार आईडी जारी करने से पूर्व परिवार के संबंध में सभी जानकारी को विधिवत प्रमाणित किया जाए। सभी संबंधित विभाग इसमें सहयोग करें।

‘केंद्र दर्शक बनकर नहीं रह सकता, मामलों को हल करें’, आरक्षण विवाद पर गरजे शरद पवार

मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार ने गुरुवार को एक बार फिर केंद्र पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि केंद्र केवल दर्शक नहीं बना रह सकता। उसे मराठा समुदाय और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) द्वारा आरक्षण की मांग से संबंधित मामलों को हल करने के लिए पहल करनी चाहिए।

मुद्दे को सुलझाने के लिए करें पहल
महाराष्ट्र में आरक्षण के मुद्दे पर बढ़ते मराठा-ओबीसी संघर्ष के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा कि इसका एक ही समाधान है कि केंद्र को इसे सुलझाने के लिए पहल करनी चाहिए। इसके लिए कानून तथा राज्य एवं केंद्र की नीतियों में संशोधन की जरूरत है। बता दें, पूर्व केंद्रीय मंत्री महाराष्ट्र के पुणे जिले के बारामती में संवाददाताओं से बात कर रहे थे।

यह है मांग
इस साल फरवरी में महाराष्ट्र विधानसभा ने सर्वसम्मति से मराठा समुदाय को एक अलग श्रेणी के तहत शिक्षा और नौकरियों में अलग से 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाला विधेयक पारित किया था। हालांकि, समुदाय ओबीसी समूह के तहत आरक्षण की मांग कर रहा है।

जरांगे कर रहे विरोध-प्रदर्शन
कार्यकर्ता मनोज जरांगे मराठाओं को कुनबी समाज में शामिल कराने मांग कर रहे हैं, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की श्रेणी में आती है। वे चाहते हैं कि मराठाओं के सभी रक्त संबंधियों का कुनबी जाति में पंजीकरण किया जाए। महाराष्ट्र में कुनबी खेती-बाड़ी से जुड़ा समुदाय है, जिसे ओबीसी में शामिल किया गया है। इन लोगों को सरकारी नौकरियों से लेकर शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण मिलता है। अब जरांगे मांग कर रहे हैं कि सभी मराठाओं को कुनबी प्रमाण पत्र जारी किए जाएं, इस प्रकार वे सरकारी नौकरियों और शिक्षा में कोटा के लिए पात्र हो जाएं।

मराठा आरक्षण की मांग के बीच दो ओबीसी कार्यकर्ता जालना जिले में भूख हड़ताल पर बैठे हैं और सरकार से यह आश्वासन मांग रहे हैं कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के मौजूदा आरक्षण में बदलाव नहीं किया जाएगा।

सरकारों को नीति में बदलाव करना होगा
पवार ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकारों को नीति में बदलाव करना होगा। उन्होंने कहा, ‘सरकारों, विशेष रूप से केंद्र को दोनों समुदायों की मांगों का समाधान करने में अगुवाई करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आंदोलन सीमा पार न कर पाए और सामाजिक तनाव उत्पन्न न हो। सरकारें इस मुद्दे पर केवल दर्शक बनकर नहीं रह सकतीं।’

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली-NCR, मुंबई-नागपुर में छापेमारी, बैंक लोन धोखाधड़ी में ईडी की कार्रवाई

नई दिल्ली:प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और नागपुर के 35 परसरों में छापेमारी की। यह छापेमारी 20,000 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक लोन में धोखाधड़ी के आरोप में एक कंपनी और उनक प्रोमोटरों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के लिए की गई।

ईडी की यह छापेमारी एमटेक ग्रुप और उनके निदेशकों पर की जा रही है, जिसमें अरविंद धाम, गौतम मल्होत्रा और अन्य लोगों का नाम शामिल है। दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, मुंबई और नागपुर में लगभग 35 व्यावसायिक और आवासीय परिसरों पर छापेमारी की जा रही है। यह जांच एमटेक ग्रुप की एक एकाई एसीआईएल लिमिटेड के खिलाफ सीबीआई की जांच से शुरू हुई।

ईडी के अनुसार, इससे सरकारी खजाने को लगभग 10,000 से 15,000 करोड़ का नुकसान हुआ। सूत्रों ने बताया कि अधिक ऋण प्राप्त करने के लिए समूह ने फर्जी बिक्री, पूंजीगत संपत्ति, देनदार और लाभ दिखाया, ताकि उसे गैर निष्पादित संपत्ति का टैग न मिले। इसी के साथ आरोप लगाया गया कि सूचिबद्ध शेयरों में धांधली की गई थी।

ईडी ने बताया कि शेल कंपनियों के नाम पर हजारों-करोड़ो की संपत्तियां बनाई गई और बेनामी निदेशकों और शेयरहोल्डरों के माध्यम से नए नामों के तहत अभी भी पैसा जमा किया जा रहा है।

मुंबई में धीमी पड़ी मानसून की गति, अब फिर पकड़ेगा रफ्तार; उत्तर भारत में भी गर्मी से मिलेगी राहत

पूरा उत्तर भारत गर्मी की मार झेल रहा है। भीषण गर्मी और पानी की किल्लत से लोग बहुत परेशान हैं। हालांकि बीच-बीच में उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में बारिश के चलते राहत मिली थी, लेकिन फिर मौसम ने करवट बदल ली। दक्षिण पश्चिम मानसून कुछ समय पहले मुंबई पहुंचा था। लेकिन वह धीमा पड़ गया। 21-22 जून तक इसके आगे बढ़ने की पूरी उम्मीद है।

बुधवार को भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अधिकारी ने बताया कि धीमा पड़ गया मानसून 21-22 जून तक वापस गति पकड़ सकता है। इसके आगे बढ़ने की उम्मीद है। क्षेत्रीय मौसम विज्ञान विभाग, मुंबई के प्रमुख सुनील कांबले ने कहा, “मुंबई में दस्तक देने के बाद मानसून की गतिविधि कमजोर थी, लेकिन यह धीरे-धीरे मध्यम हो रही है। यह 21-22 जून तक मजबूत होगा और तटीय महाराष्ट्र में अच्छी बारिश होने की संभावना है। मराठवाड़ा सहित मध्य महाराष्ट्र में इस दौरान हल्की से मध्यम बारिश होगी।”

बता दें कि बुधवार सुबह मुंबई के कई हिस्सों में बारिश हुई, लेकिन यह भीषण गर्मी से राहत देने के लिए पर्याप्त नहीं थी। उन्होंने बताया कि मानसून अपने सामान्य समय से दो दिन पहले 9 जून को मुंबई पहुंचा। तब से इसमें बहुत कम प्रगति हुई है और यह अभी भी उत्तरी महाराष्ट्र और विदर्भ के कुछ हिस्सों तक नहीं पहुंच सका।

दरअसल जून और जुलाई को कृषि के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानसून महीने माना जाता है क्योंकि खरीफ फसल की अधिकांश बुवाई इसी अवधि के दौरान होती है। 1 जून को मानसून की अवधि शुरू होने के बाद से भारत में 20 प्रतिशत कम बारिश हुई है। 12 से 18 जून के बीच बारिश नहीं हुई। मंगलवार को आईएमडी ने कहा कि जून में सामान्य से कम बारिश होगी।

‘लोगों का कर्ज उतारना है’, चन्नापाटना सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैं डीके शिवकुमार

कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने संकेत दिए हैं कि वह चन्नापाटना विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैं। बुधवार को डीके शिवकुमार ने अपने एक बयान में कहा कि ‘चन्नापाटना उनके दिल में है। चन्नापाटना ही वो जगह है, जहां से मेरा राजनीतिक जन्म हुआ। जो भी उनकी पार्टी और जनता आदेश देगी, वो उन्हें मानना पड़ेगा।’ गौरतलब है कि जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी के लोकसभा चुनाव में जीत और केंद्र सरकार में मंत्री बनाए जाने के बाद उन्हें चन्नापाटना सीट खाली करनी होगी।

शिवकुमार ने दिए चन्नापाटना से चुनाव लड़ने के संकेत
शिवकुमार बुधवार को चन्नापाटना के नजदीकी रामनगर जिले के दौरे पर रहे। इस दौरान उन्होंने कहा ‘चन्नापाटना सीट पहले सथानुर का हिस्सा थी। मुझे चन्नापाटना से प्यार है, मैं चन्नापाटना की मदद करना चाहता हूं उसे बदलना चाहता हूं।’ अपने भाई और पूर्व सांसद डीके सुरेश के चन्नापाटना सीट से उपचुनाव लड़ने की संभावनाओं को डीके शिवकुमार ने खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि ‘ऐसा कुछ तय नहीं है, अभी में लोगों से अपने लिए ही वोट मांगूंगा।’ पहले ऐसी ही चर्चाएं थी कि चन्नापाटना सीट से डीके सुरेश ही चुनाव मैदान में उतर सकते हैं क्योंकि वह लोकसभा चुनाव बंगलूरू ग्रामीण सीट से हार गए हैं। अब ऐसा लग रहा है कि डीके शिवकुमार ही अपने भाई की हार का बदला लेने के लिए और क्षेत्र में अपना दबदबा बनाने के लिए चन्नापाटना सीट से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं।

चन्नापाटना सीट बंगलूरू ग्रामीण लोकसभा सीट का ही हिस्सा है। सूत्रों के अनुसार, शिवकुमार अगर चन्नापाटना से उपचुनाव लड़ते हैं तो वह अपनी कनकपुरा सीट को खाली कर सकते हैं और कनकपुरा सीट से डीके सुरेश चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। शिवकुमार कनकपुरा सीट से साल 2008 से विधायक हैं। कनकपुरा और चन्नापाटना सीटें रामनगर जिले का हिस्सा हैं और यह जिला वोक्कालिगा समुदाय बहुल है। वोक्कालिगा के वोट अभी डीके शिवकुमार और जेडीएस पार्टी के बीच बंटते हैं। शिवकुमार की कोशिश है कि वह जेडीएस के वोटबैंक को भी अपने पाले में कर सकें। चन्नापाटना सीट से डीके शिवकुमार के चुनाव लड़ने को भी इसी एंगल से देखा जा रहा है।

भाजपा-जेडीएस से इन नेताओं के नाम की चर्चा
शिवकुमार ने कहा ‘मुश्किल समय (हालिया लोकसभा चुनाव) में भी चन्नापाटना के लोगों ने हमें करीब 80 हजार वोट दिए। मुझे लोगों का कर्ज उतारना है। यहां विकास करने के लिए यह एक अवसर है। शिवकुमार ने कहा कि वह मतदाताओं से बात करेंगे और उनकी और पार्टी के नेताओं की सुनेंगे। उसके बाद ही वह कोई फैसला करेंगे।’ चन्नापाटना सीट से भाजपा एमएलसी सीपी योगेश्वर के नाम की भी चर्चा है। वह भाजपा-जेडीएस के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। साथ ही कुमारस्वामी के बेटे और अभिनेता से नेता बने निखिल कुमारस्वामी के भी चन्नापाटना से चुनाव लड़ने की चर्चाएं हैं। 2023 के चुनाव में रामनगर सीट पर निखिल को हार का सामना करना पड़ा था।

शरद पवार ने किया वादा, विधानसभा में जनादेश मिला तो सत्ता संभालते ही दूर करेंगे किसानों की समस्याएं

महाराष्ट्र में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। इस लोकसभा चुनाव के बाद से सत्ता से दूर हो चुकी राजनीतिक पार्टियों को नई ऊर्जा मिली है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के अध्यक्ष शरद पवार ने विधानसभा चुनाव में जीत पर भरोसा जताया है। बुधवार को शरद पवार ने पुणे जिले की बारामती तहसील के नीरा वागज गांव में किसानों से बातचीत की। उन्होंने उनकी समस्या सुन अपनी विवशता बताते हुए कहा कि केंद्र और राज्य दोनों ही जगह हमारी सरकार नहीं है। लेकिन विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। उन्होंने कहा कि अगर सत्ता हमारे पास होती है तो हम किसानों की समस्या को हल करेंगे।

उन्होंने कहा कि हमने देखा है कि लोकसभा चुनाव में किस तरह जनादेश मिला है। अगर राज्य विधानसभा चुनाव में भी ऐसा जनादेश मिलता है तो महाराष्ट्र की बागडोर हमारे हाथ में होगी। उन्होंने कहा, “अगर राज्य सरकार की शक्ति हमारे हाथ में आ जाए तो किसानों की सभी समस्याएं हल हो सकती हैं।” शरद पवार ने पुणे जिले में नीरा नदी के जल प्रदूषण पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि नदी के पानी को प्रदूषित करने में चीनी मिल की बड़ी भूमिका है। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह इस मुद्दे को सुलझाने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों से बात करेंगे।

बता दें कि इस बार लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों पर चुनाव हुआ। जिसमें कांग्रेस ने 13 सीटें जीतीं, जो 2019 के मुकाबले काफी हैं। वहीं शिवसेना (यूबीटी) ने नौ और एनसीपी (एसपी) ने आठ सीटें जीतीं। आम चुनावों के लिए सीट बंटवारे में, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) को तीनों दलों में से सबसे ज्यादा सीटें मिली थीं, क्योंकि उसने 21 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उसके बाद कांग्रेस ने 17 और एनसीपी (एसपी) ने 10 सीटों पर चुनाव लड़ा था।

भारतीय अम्मा के नाम पर आठ सालों तक ठगी, चीनी मूल की सिंगापुरी महिला दोषी; अब साढ़े 10 साल की जेल

54 वर्षीय चीनी मूल की सिंगापुरी महिला वू मे हो 2012 से लगभग 8 सालों तक 30 अनुयायियों के समूह का नेतृत्व करती थी। ये अनुयायी एक भारतीय आध्यात्मिक श्री शक्ति नारायणी अम्मा में विश्वास रखते थे। वू अपने अनुयायियों को अम्मा की सीख बताकर समझाया। उन्होंने कहा कि अपने बुरे कामों को साफ करने के लिए अच्छे कामों की संख्या बढ़ानी होगी। जिससे उन सबका स्वास्थ्य ठीक हो सके। उन्होंने बताया कहा कि उन्हें भारत में अम्मा को भुगतान करना होगा। जिससे उनके बुरे कर्म दूर हो सके।

यही नहीं उन्होंने चेतावनी भी दी कि कोई झूठ बोलेगा तो उन्हें भगवान दंडित करेंगे। इसके बाद वू ने अपने अुनयायियों को राजी किया कि उनके पास कितना पैसा है, ये सच बताना है। इसी के साथ ही उसने अपने अनुयायियों को विश्वास दिलाया कि वे एक देवी का स्वरूप हैं, उसकी आज्ञा न मानने पर उन्हें क्रूर दंड मिला। उन्हें मल खाने पर मजबूर होना पड़ेगा, उनका दांत उखाड़ा जाएगा।

सिंगापुरी महिला वू ने अपने अनुयायियों को उनके नियमित और लंबे आध्यात्मिक सत्रों के दौरान आश्वस्त किया कि वह एक देवी है जो कि देवताओं और आत्माओं से संवाद कर सकती है। उसने अनुयायियो को निर्देश दिया कि वे उसे “भगवान” कहें। वू ने अपने अनुयायियों को “पूजा” के रूप में घर, कोंडोमिनियम और कार खरीदने का भी आदेश दिया। हालांकि वू ने इसका इस्तेमाल खुद के लिए किया।

उसने उनसे कहा था कि यह पैसा गाय खरीदने, मंदिर और स्कूल बनाने के लिए भारत भेजा जाएगा। 54 वर्षीय वू मे हो ने धोखाधड़ी और गंभीर चोट पहुंचाने सहित पांच आरोपों में दोषी होने की बात स्वीकार की, जबकि अन्य 45 आरोपों पर विचार किया गया।

वू ने वर्ष 2012 और 2020 के बीच कुल मिलाकर अपने अनुयायियों को सीधे एसजीडी 7 मिलियन का चूना लगाया। उसने वित्तीय संस्थानों से 6.6 मिलियन एसजीडी का और ऋण लेने के लिए उन्हें धोखा दिया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उसने तब से 675,000 एसजीडी की प्रतिपूर्ति की है।

‘भारत में आम चुनाव को प्रभावित करने की भयानक साजिश’, डिसइंफो लैब की रिपोर्ट में चौंकाने वाले दावे

नई दिल्ली:  डिसइंफो लैब..एक संस्थान जिसने भारत में आम चुनाव के बीच विदेशी हस्तक्षेप के दावे किए थे। एक बार फिर से डिसइंफो लैब ने चुनाव में हस्तक्षेप को लेकर बड़े दावे किए हैं। दावा किया गया है कि भारत में लोकसभा चुनाव में हस्तक्षेप के लिए बड़ी ताकतों ने छोटी ताकतों तक मदद मुहैया कराई। यह एक ऐसा जाल है, जिसका तानाबाना सिर्फ विदेश में ही नहीं बल्कि भारत तक बुना गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत एक उभरती हुई आर्थिक और रणनीतिक शक्ति है। भारत की विदेश नीतियों से वैश्विक गतिशीलता को एक नया आकार मिलता है। रूस-यूक्रेन और इस्राइल-हमास युद्ध के बीच भारत ने अतुलनीय विदेश नीति का प्रदर्शन किया। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस वजह से भारत में आम चुनावों पर वैश्विक मीडिया की नजर रही।

डिसइंफो लैब का दावा
डिसइंफो लैब का दावा है कि जब करोड़ों भारतीय आम चुनाव के दौरान अपना भविष्य तय कर रहे थे। इस दौरान वैश्विक मीडिया का एक वर्ग मतदाताओं के निर्णयों को प्रभावित करने के लिए एक भयानक साजिश की योजना तैयार रहा था। दावा किया गया है कि इस योजना के क्रियान्वयन के लिए सुव्यवस्थित तरीके से वित्तपोषण यानी पैसों की व्यवस्था भी की गई। इसमें सिर्फ विदेशी ही नहीं बल्कि भारतीय मीडिया भी शामिल थी। अलग अलग तरीके से भारत में आम चुनावों को प्रभावित करने की कोशिशें कीं गईं।

फ्रांस के पत्रकार क्रिस्टोफ जॉफरलेट पर डिसइंफो लैब के आरोप
डिसइंफो लैब ने दावा किया है कि कुछ मीडिया संस्थानों के लेखों में अलग तरह का पैटर्न देखने को मिला, जिस वजह से इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है। रिपोर्ट में इस बात पर हैरानी जताई गई है कि इस दौरान एक विशेष तरह के आख्यान को आकार देने की कोशिश कर मतदाताओं का ध्यान भटकाने की कोशिश की गई। डिसइंफो लैब का दावा है कि फ्रांस का समाचार पत्र ‘ले मोंडे’ ऐसी गतिविधियों में शामिल रहा। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि फ्रांस के राजनीतिक विशेषज्ञ क्रिस्टोफ जॉफरलेट इन गतिविधियों के केंद्र बिंदु रहे। भारत में आम चुनाव को प्रभावित करने के लिए जॉफरलेट के बयानों को आधार बनाया गया। डिसइंफो लैब ने दावा किया है कि इस खेल में सिर्फ जॉफरलेट ही अकेले खिलाड़ी नही थे।

कहां से की गई फंडिंग?
डिसइंफो लैब ने अपनी रिपोर्ट में हेनरी लुइस फाउंडेशन (एचएलएफ) और जॉर्ज सोरोस ओपन सोसाइटी फाउंडेशन (ओएसएफ) का भी जिक्र किया गया है। बताया गया है कि एचएलएफ और ओएसएफ द्वारा भारत में आम चुनाव को प्रभावित करने के लिए फंडिंग की गई। रिपोर्ट में जिन समूहों और व्यक्तियों का नाम उजागर किया गया है, वे फ्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका से संचालित किए गए हैं। रिपोर्ट में कुछ और भी बड़े आरोप लगाए गए हैं।

डिसइंफो लैब की रिपोर्ट में फ्रांस के इन मीडिया संस्थानों का जिक्र
डिसइंफो लैब का दावा है कि फ्रांस के कई मीडिया संस्थानों ने भारत में आम चुनाव में हस्तक्षेप के लिए कई तरह के लेख प्रसारित किए। इनमे ले मोंडे के अलावा वाई ले सोइर, ला क्रॉइक्स (इंटरनेशनल), ले टेम्प्स, रिपोर्टर्रे और रेडियो फ्रांस इंटरनेशनेल (आरएफआई) जैसे संस्थान शामिल हैं। इन सभी को भारतीय चुनाव में आम जनता की राय को अलग आकार देने के लिए निर्देशित किया गया। दावा किया गया है कि इन सभी मीडिया संस्थानों का नेतृत्व ले मोंडे ने किया।