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मोदी सरकार के मंत्रालय बंटवारे से टिपरा मोथा नाखुश, CM ने नहीं सुनी तो अब गृह मंत्री से करेंगे बात

लोकसभा चुनाव से पहले ही त्रिपुरा के मंत्री टिपरा मोथा ने स्पष्ट किया था कि वे वे आवंटित विभागों से खुश नहीं हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वे इस मुद्दे को केंद्रीय गृहमंत्री के समक्ष भी उठाएंगे। त्रिपुरा में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार है। त्रिपुरा में विभााग आवंटन को लेकर मंत्रियों में तनातनी चल रही है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव से पहले ही त्रिपुरा में भाजपा नेतृत्व वाली सरकार के मंत्री टिपरा मोथा अनिमेष देबबर्मा ने विभाग आवंटन पर नाराजगी व्यक्त की थी।

उन्होंने कहा था कि वे इस बारे में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से बात भी करेंगे। यही नहीं वे इस बारे में मुख्यमंत्री माणिक साहा से भी बात कर चुके हैं। बता दें कि मार्च में टिपरा मोथा के राज्य सरकार में शामिल होने के बाद, विपक्ष के नेता अनिमेष देबबर्मा और वृषकेतु देबबर्मा को मंत्री बनाया गया। वृषकेतु देबबर्मा को उद्योग और वाणिज्य विभाग का राज्य मंत्री बनाया गया।

उन्होंने कहा कि “मुझे आवंटित विभागों से मैं खुशी नहीं है। वन विभाग ठीक है, लेकिन प्रिंटिंग और स्टेशनरी तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (टीआरईडीए को छोड़कर) से मैं खुश नहीं हूं। मैंने कुछ दिन पहले सीएम से मुलाकात की थी। उनसे कुछ महत्वपूर्ण विभाग आवंटित करने का आग्रह किया था। जिससे कि मैं ग्रामीण लोगों की मदद कर सकूं। छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है।”

अनिमेष देबबर्मा ने कहा कि वह जल्द ही दिल्ली जाकर केंद्रीय गृहमंत्री शाह से मिलेंगे। उन्हें एक बार फिर गृह मंत्रालय का कार्यभार संभालने के लिए बधाई देंगे साथ ही उनके समक्ष इस मुद्दे को उठाएंगे।उन्होंने कहा, “मैं पिछले 22 सालों से राजनीति में हूं। कई विधायकों को राजनीति में सिर्फ़ पांच साल पूरे करने के बाद भी कई चीज़ें मिल जाती हैं। अगर मुझे महत्वपूर्ण विभाग नहीं मिलते हैं तो कोई बात नहीं है। मैं सरकार के ख़िलाफ़ नहीं हूं, लेकिन मुझे काम करना है।”

अनिमेष देबबर्मा ने यह भी कहा “अगर कोई मेरे अनुभव को देखे, तो मैं कई साल पहले विधायक चुना गया था। उसके बाद फिर मैंने त्रिपुरा ट्राइबल एरियाज़ ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल में कार्यकारी सदस्य के तौर पर काम किया और विधानसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर भी अपने कर्तव्यों का पालन किया। मैं सीएम से आग्रह करता हूं कि मुझे महत्वपूर्ण विभाग दिए जाएं और मैं कुशलता से काम करूंगा।”

केंद्र में मंत्री बनने के बाद जितिन प्रसाद ने यूपी के मंत्री पद व विधान परिषद की सदस्यता से दिया इस्तीफा

लखनऊ:  केंद्र सरकार में मंत्री बनने के बाद जितिन प्रसाद ने यूपी सरकार के मंत्री पद व विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्हें मोदी सरकार 3.0 में वाणिज्य राज्यमंत्री बनाया गया है।वह यूपी में विधान परिषद सदस्य थे और सरकार में लोक निर्माण विभाग के मंत्री थे। उनका इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया गया है।

मोदी सरकार में यूपी को खास अहमियत
सरकार में यूपी को खास अहमियत दी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिपरिषद में विभाग बंटवारे में यूपी के राज्य मंत्रियों को खासी अहमियत दी है। राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जंयत चौधरी को कौशल विकास एवं उद्यमिता विकास की जिम्मेदारी मिली है। इसके अलावा उन्हें शिक्षा विभाग का राज्यमंत्री भी बनाया गया है। कीर्तिवर्धन सिंह को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन के साथ विदेश मामलों का मंत्री बनाकर उनका कद बढ़ाया गया है। जितिन प्रसाद को वाणिज्य एवं उद्योग के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स एवं इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी मिली है।

मोदी-3 मंत्रिपरिषद में यूपी से दो कैबिनेट मंत्री राजनाथ सिंह और हरदीप पुरी हैं। रालोद के जयंत चौधरी को महत्वपूर्ण विभाग देकर जाट मतदाताओं में उनकी पकड़ को और मजबूत करने का प्रयास किया गया है। मंत्रिपरिषद में दोबारा स्थान पाने वाले बीएल वर्मा उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण विभाग के राज्यमंत्री होंगे। पिछली बार उनके पास अपेक्षाकृत कम महत्व के माने जाने वाला उत्तर पूर्व विकास क्षेत्र और सहकारिता विभाग था।

अपना दल (एस) कोटे की अनुप्रिया पटेल स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और रसायन एवं उर्वरक विभाग की मंत्री बनाई गई हैं। मोदी-2 सरकार में वे वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री थीं। मोदी-2 सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री रहे एसपी सिंह बघेल को इस बार मत्स्य, पशुपालन व डेयरी और पंचायती राज विभाग में जिम्मेदारी मिली है। पंकज चौधरी पुनः वित्त राज्यमंत्री बनाए गए हैं। पहली बार मंत्री बने कमलेश पासवान को ग्रामीण विकास विभाग का राज्यमंत्री बनाया गया है।

योगी कैबिनेट ने नई स्थानांतरण नीति 2024-25 को दी मंजूरी, 30 जून तक सभी तबादले हो जाएंगे

लखनऊ:  योगी सरकार ने मंगलवार को 2024-25 के लिए नई स्थानांतरण नीति को मंजूरी दे दी है। इस नीति के तहत समूह क और ख के उन अधिकारियों का स्थानांतरण किया जा सकेगा, जिन्होंने जनपद में 3 वर्ष और मंडल में 7 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। वहीं समूह ग और घ में सबसे पुराने अधिकारियों का स्थानांतरण किया जाएगा। समूह क और ख के अधिकारियों के स्थानांतरण के लिए अधिकतम 20 प्रतिशत तो वहीं समूह ग और घ के लिए अधिकतम 10 प्रतिशत की सीमा रखी गई है। इस स्थानांतरण नीति के तहत सभी स्थानांतरण आगामी 30 जून तक किए जाने हैं। मंगलवार को सीएम योगी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में कुल 42 प्रस्ताव रखे गए, जिनमें 41 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।

सीमा से अधिक स्थानांतरण के लिए लेनी होगी मंजूरी
कैबिनेट बैठक में पारित प्रस्तावों के विषय में जानकारी देते हुए वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि कैबिनेट ने स्थानांतरण नीति 2024-25 को मंजूरी प्रदान कर दी है। इस नीति में पिछले वर्ष की नीति के प्राविधानों का अनुसरण किया गया है। इसके तहत समूह क और ख के वो अधिकारी जिन्होंने अपने सेवाकाल में मंडल में 7 वर्ष और जनपद में 3 वर्ष पूरे कर लिए हों वो स्थानांतरण नीति के अंतर्गत आएंगे। इसके साथ ही समूह क और ख में स्थानांतरण संवर्ग वार अधिकारियों की संख्या अधिकतम 20 प्रतिशत होगी और समूह ग और घ के लिए अधिकतम सीमा 10 प्रतिशत रखी गई है।

उन्होंने बताया कि समूह ग और घ के लिए जो व्यवस्था की गई है उसके अनुसार सबसे पुराने अधिकारियों का पहले स्थानांतरण किया जाएगा। यदि 10 प्रतिशत से ऊपर स्थानांतरण करना होगा तो इसके लिए मंत्री जी की अनुमति आवश्यक होगी। वहीं, यदि समूह क और ख में 20 प्रतिशत से अधिक स्थानांतरण करने की आवश्यकता होगी तो उसकी अनुमति मुख्यमंत्री जी से लेना आवश्यक होगा।

मानव संपदा के माध्यम से डिजिटाइज होगा स्थानांतरण
उन्होंने बताया कि समूह ग और घ में स्थानांतरण को पूरी तरह मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से पूर्ण किया जाएगा। मानव संपदा की जो व्यवस्था शुरू की गई है उसके अंतर्गत स्थानांतरण के बाद कार्यभार मुक्ति और ग्रहण करने की व्यवस्था ऑनलाइन ही की जा सकेगी। इससे अधिकारियों की सर्विस बुक और सैलरी को डिजिटाइज किया जा सकेगा। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि प्रदेश के 8 आकांक्षी जिलों और 34 जिलों के 100 आकांक्षी विकासखंडों के लिए पहले से जो व्यवस्था चली आ रही है, उसके अंतर्गत वहां रिक्त पड़े पदों को भरने की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।

रायबरेली में बोले राहुल गांधी, 2024 के चुनाव में जनता ने हिंसा, झूठ और अहंकार के खिलाफ वोट दिया

रायबरेली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रायबरेली में जनता को संबोधित करते हुए कहा कि 2024 के चुनाव में जनता ने हिंसा, झूठ और अहंकार के खिलाफ वोट किया है। भाजपा के लोग संविधान को बदलने की बात कर रहे थे पर जनता ने उन्हें संविधान को माथे से लगाने के लिए मजबूर कर दिया है।

 

राहुल ने कहा कि यूपी की जनता ने नरेंद्र मोदी को संदेश दे दिया है कि हमें आपका विजन पसंद नहीं आया है क्योंकि वो कुछ उद्योगपतियों के लिए काम करते हैं। जनता ने बता दिया है कि वो नफरत के खिलाफ है। बेरोजगारी के खिलाफ हैं। रायबरेली की जनता ने इस बदलाव की शुरुआत की है। राहुल गांधी रायबरेली में आभार सभा को संबोधित कर रहे थे।

राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा फैजाबाद लोकसभा सीट भी हार गई। अयोध्या की जनता ने संदेश दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से किसी तरह जीते हैं। अगर वहां से प्रियंका लड़ जाती तो प्रधानमंत्री दो-ढाई लाख वोटों से हारते। देश की जनता ने भाजपा को संदेश दिया है कि ये मोहब्बत का देश है।

उन्होंने कहा कि जब राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी तो किसी गरीब को, किसी आदिवासी को नहीं बुलाया गया था। फिल्म के लोग मौजूद थे। उद्योगपति मौजूद थे पर किसी गरीब, आदिवासी और दलित को नहीं बुलाया गया था। अयोध्या में भाजपा को हराकर जनता ने संदेश दिया है। अब मुद्दों की बात होगी। महंगाई की बात होगी। बेरोजगारी की बात होगी। अग्निवीर की बात होगी। जनता के मुद्दों की बात होगी।

रायबरेली-अमेठी से हमारा सबसे पुराना रिश्ता है
राहुल गांधी ने कहा कि हमारा रायबरेली और अमेठी से बहुत पुराना रिश्ता है। ये करीब 100 साल पहले शुरू हुआ था जब किसानों के आंदोलन के लिए जवाहर लाल नेहरू जी यहां आए थे। ये गहरा रिश्ता है जो अभी है और हमेशा रहेगा।

प्रियंका गांधी बोलीं- रायबरेली व अमेठी में जीत कार्यकर्ताओं की मेहनत का परिणाम
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि रायबरेली व अमेठी लोकसभा सीट पर जीत कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत का परिणाम है। इस जीत से साबित हो गया है कि प्रदेश व देश के लोग साफ सुथरी राजनीति चाहते हैं। ये सब आप कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत का परिणाम है।

BJP ने रविशंकर प्रसाद और तरुण चुघ को बनाया केंद्रीय पर्यवेक्षक, विधायक दल का नेता चुनेंगे

नई दिल्ली:  भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संसदीय बोर्ड ने अरुणाचल प्रदेश में पार्टी विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए सांसद रविशंकर प्रसाद और पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री तरुण चुघ को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्ति किया है। हाल के अरुणाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला है। राज्य की साठ विधानसभा सीट में से भाजपा ने 46 पर जीत दर्ज की। जबकि नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने पांच सीट हासिल कीं। वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने तीन, पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल ने दो, कांग्रेस ने एक और निर्दलीयों ने तीन सीट पर जीत हासिल कीं।

इससे पहले भाजपा अरुणाचल प्रदेश प्रमुख बियुराम वाहगे ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मुख्यमंत्री पेमा खांडू और बाकी के विधायक और भाजपा नेता केंद्र सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होन के लिए (नई दिल्ली) गए हुए हैं। हम उनके और हाईकमान की तरह से किसी पर्यवक्षेक का इंतजार कर रहे हैं। जैसे ही वह यहां आते हैं और नए विधायकों के साथ मिलकर विधायक दल के नेता का चुनाव कर लेते हैं, वैसे ही शपथ ग्रहण की तैयारियां शुरू की जाएंगी। फिलहाल कोई तारीख तय नहीं हुई है।

अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल कैवल्य परनायक ने 2 जून को विधानसभा भंग कर दी थी और मुख्यमंत्री पेमा खांडू को नई सरकार के पदभार ग्रहण करने तक मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने के लिए कहा था।

सिक्किम: लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने तमांग
वहीं, पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम में प्रेम सिंह तमांग लगातार दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं। उन्होंने सोमवार को गंगटोक के पल्जोर स्टेडियम में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ ही आठ विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली। सिक्किम की विधानसभा में कुल 32 सीट हैं। तमान की पार्टी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा ने 31 सीट पर जीत दर्ज की। मतदान 19 अप्रैल को एक चरण में हुआ था। नतीजे दो जून को सामने आए थे।

मानव तस्करी नेटवर्क के तीन सदस्यों के खिलाफ इंटरपोल रेड नोटिस! नौकरी के बहाने करते थे रूसी सेना में भर्ती

 नई दिल्ली: भारतीय को रूस-यूक्रेन युद्ध जोन में धकेलने के लिए मानव तस्करी करने वाले नेटवर्क के तीन सदस्यों के खिलाफ सीबीआई इंटरपोल रेड नोटिस जारी करेगी। केंद्रीय जांच एजेंसी साजिश का पर्दाफाश करने के लिए हवाला ऑपरेटर रमेश कुमार, पलानीसामी, मोहम्मद मोइनुद्दीन चिप्पा और फैसल अब्दुल मुतालिब खान से हिरासत में पूछताछ करना चाहती है। दरअसल, इंटरपोल रेड नोटिस 196 सदस्य देशों की कानून पवर्तन एजेंसियों से आत्मसमर्पण या कानूनी कार्रवाई के लिए लंबित किसी व्यक्ति का पता लगाने और उसे गिरफ्तार करने का एक अनुरोध है।

बता दें कि मार्च में सीबीआई ने मानव तस्करी के एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया था। ये भारतीयों को विदेशों में नौकरी देने का लालच देकर उन्हें रूस-यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में लड़ने के लिए भेज रहे थे। केंद्रीय एजेंसी ने 24×7 आरएएस ओवरसीज फाउंडेशन, केजी मार्ग और इसके निदेशक सुयश मुकुट, ओएसडी ब्रोस ट्रैवल्स एंड वीजा सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई और इसके निदेशक राकेश पांडे, एडवेंचर वीजा सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, चंडीगढ़, पंजाब और इसके निदेशक मंजीत सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

यूट्यूब चैनल के जरिए देता था नौकरी का लालच
सीबीआई ने बताया कि दुबई में रहने वाले फैसल अब्दुल मुतालिब खान ने अपने यूट्यूब चैनल के जरिए भारतीयों को रूसी सेना में सुरक्षा गार्ड या सहायक के रूप में नौकरियां देने और इसी के साथ मोटा वेतन उपलब्ध कराने का वादा करता था। इसके बाद इच्छुक लोगों को उसने मोहम्मद सुफियान और पूजा का नंबर दिया। ये दोनों पीड़ितों से सुफियान, मोइनुद्दीन चिप्पा और सादिक चिप्पा के खाते में पैसे जमा करने के लिए कहते और उनके पासपोर्ट को कॉस्मो ट्रैवल्स प्राइवेट लिमिटेड के पास जमा करवाते थे। कॉस्मो ट्रैवल्स पर्यटकों के लिए वीजा उपलब्ध करवाता था।

तीन पीड़ितों को चेन्नई एयरपोर्ट पर बुलाया गया था, जहां उन्हें पासपोर्ट दिया गया। उन्हें निजिल जोबी बेन्सम और रमेश कुमार पलानीसामी का नंबर दिया गया। ये दोनों ही मॉस्को में रहते थे। पीड़ितों को ये दोनों आरोपी रूस में घर उपलब्ध कराते थे। इन पीड़ितों से रूसी सेना के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करवाने के बाद उन्हें युद्ध क्षेत्र में भेज दिया जाता था। एजेंसी को युवाओं को नौकरी का लालच देकर युद्ध क्षेत्र में भेजने के 35 मामले मिलें।

चुनाव आयोग से तृणमूल कांग्रेस की मांग, सभी 10 सीटों पर एक साथ कराया जाए उपचुनाव

लोकसभा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल में चाप विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा चुनाव आयोग ने की है। वहीं इसे लेकर राज्य की सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा है और राज्य की सभी 10 सीटों पर एक साथ उपचुनाव कराने की मांग की है। इसके साथ ही तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि अलग-अलग चुनाव कराना उचित नहीं और भेदभावपूर्ण होगा। बता दें कि चुनाव आयोग ने हाल ही में सात राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराने की घोषणा की है, जिसमें 10 जुलाई को वोट डाले जाएंगे। इसमें पश्चिम बंगाल की चार विधानसभा सीटें- रायगंज, रानाघाट दक्षिण, बागदा, मनिकतला शामिल हैं।

‘सभी 10 सीटों पर एक साथ हो उपचुनाव’

पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी पार्टी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखते हुए राज्य की सभी 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराने की मांग की है और कहा कि राज्य की उन छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराएं जाएं, जिन सीटों के विधायकों ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की है। टीएमसी ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में कहा कि- जिन विधायकों ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की है, वो जल्द ही अपने पदों से इस्तीफा देंगे। जिसके बाद से राज्य की छह विधानसभा सीटें खाली हो जाएंगी, इनमें मदरीहाट, नैहाटी, तालदांगरा, मेदिनीपुर, सिताई और हरोआ विधानसभा सीटें शामिल है। फिलहाल जिन चार विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं, उनमें तीन सीटों पर विधायकों ने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अपनी सीटें खाली की थी। जबकि मनिकतला सीट टीएमसी के वरिष्ठ नेता और मंत्री साधन पांडे के मृत्यु के बाद खाली हुई है।

‘अलग-अलग चुनाव कराने का कोई औचित्य नहीं’

टीएमसी ने पत्र में आगे लिखा कि इन सीटों पर अलग-अलग चुनाव कराने का कोई औचित्य नहीं है। क्योंकि राज्य की कुछ विधानसभा सीटें जल्द ही खाली हो जाएंगी। और लगातार चुनाव कराने से राज्य में सरकार का कामकाज और प्रशासनिक प्रणाली भी कहीं-न-कहीं प्रभावित होगी। अगर एक साथ सभी 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होंगे तो इससे कम संसाधनों का इस्तेमाल होगा, क्योंकि छह विधानसभा सीटें छह महीने के अंदर खाली हो जाएंगी। पार्टी के मुताबिक चुनाव आयोग पहले ही सात चरणों में लोकसभा चुनाव और राज्य में सभी सातों चरण में लोकसभा चुनाव कराने को लेकर आलोचना झेल चुका है।

छह में से पांच विधानसभा सीटों पर है टीएमसी का कब्जा

वहीं अगर अन्य छह विधानसभा सीटों की बात करें तो छह में से पांच विधानसभा सीटों पर तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है। मदरीहाट विधानसभा से भाजपा के मनोज तिग्गा विधायक हैं, जिन्होंने अलीपुरद्वार लोकसभा सीट से जीत हासिल की है। जबकि नैहाटी से टीएमसी विधायक पार्थ भौमिक बैरकपुर से जीतकर सांसद बने हैं। वहीं तालदांगरा के विधायक अरूप चक्रवर्ती बांकुरा लोकसभा सीट से सांसद चुने गए हैं। इस कड़ी में मेदिनीपुर से टीएमसी विधायक जून मालिया मेदिनीपुर लोकसभा सीट से सांसद बनीं हैं, जबकि सिताई विधायक जगदीश चंद्र बर्मा बसुनिया कूच बेहर से लोकससभा सांसद चुने गए हैं। वहीं हरोआ विधानसभा सीट से टीएमसी विधायक हाजी नरुल इस्लाम बशीरहाट लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुए हैं।

‘चुनावी नतीजे अति आत्मविश्वासी भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए रियल्टी चेक’, RSS से जुड़ी पत्रिका में दावा

नई दिल्ली:  लोकसभा चुनाव के नतीजे अति आत्मविश्वास वाले भाजपा कार्यकर्ताओं और उनके कई नेताओं के लिए एक ‘रिएल्टी चेक’ के रूप में सामने आए हैं, क्योंकि वे अपने बुलबुले में खुश थे। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चमक का आनंद ले रहे थे, लेकिन सड़क पर आवाजें नहीं सुन रहे थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी एक पत्रिका में यह बात कही गई है।

‘समर्पित कार्यकर्ताओं की हुई उपेक्षा’
‘ऑर्गेनाइजर पत्रिका’ के ताजा अंक में छपे एक लेख में कहा गया कि आरएसएस भाजपा की क्षेत्रीय ताकत नहीं है। लेकिन पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अपने चुनावी काम में स्वयंसेवकों से सहयोग मांगने के लिए उनके पास नहीं पहुंचे। इसमें कहा गया है कि उन पुराने समर्पित कार्यकर्ताओं की उपेक्षा भी चुनाव परिणामों में स्पष्ट दिखाई दी, जिन्होंने नए दौर के सोशल मीडिया समर्थित सेल्फी कार्यकर्ताओं से मान्यता के बिना काम किया।

‘लक्ष्य था 400 सीट का पीएम का आह्वान’
आरएसएस की आजीवन सदस्य रहे रतन शारदा ने लेख में कहा, 2024 के आम चुनाव के नतीजे अति आत्मविश्वास से भरे भाजपा कार्यकर्ताओं और कई नेताओं के लिए रिएल्टी चेक के रूप में आए हैं। उन्हें इस बात का एहसास नहीं था कि प्रधानमंत्री मोदी का 400 से ज्यादा सीट का आह्वान उनके लिए एक लक्ष्य था और विपक्ष के लिए यह एक चुनौती थी।

बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाई भाजपा
इन चुनावों में भाजपा 240 सीट के साथ बहुमत के आंकड़े को नहीं छू पाई। हालांकि, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने लोकसभा की 293 सीट के साथ जनादेश हासिल किया। वहीं, कांग्रेस को 99 सीट पर जीत मिली। जबकि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने 234 सीट पर जीत दर्ज की। चुनाव के बाद जीतने वाले दो निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी कांग्रेस को समर्थन देने का वादा किया है। जिससे विपक्षी गठबंधन में सीट की सीट की संख्या 236 हो गई।

‘कड़ी मेहनत से हासिल किए जाते हैं लक्ष्य’
लेख में शारदा ने कहा कि सोशल मीडिया पर पोस्टर और सेल्फी साझा करने से नहीं, बल्कि जमीन पर कड़ी मेहनत से ही लक्ष्य हासिल किए जाते हैं। वे (भाजपा नेता और कार्यकर्ता) अपने बुलबुले में खुश थे। मोदी जी की आभा की चमक का आनंद ले रहे थे। इसलिए वे सड़कों पर आवाजों को नहीं सुन रहे थे।
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राहुल ने वंशवाद की राजनीति को लेकर भाजपा पर साधा निशाना, केंद्रीय मंत्रिमंडल को ‘परिवार मंडल’ बताया

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगवलार को वंशवादी राजनीति को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के मंत्रिमंडल को ‘परिवार मंडल’ करार दिया। उनका इशारा मोदी 3.0 सरकार में उन मंत्रियों की ओर था जो राजनीतिक परिवारों से आते हैं।

राहुल गांधी ने एक्स पर एक पोस्टर साझा करते हुए लिखा, ‘पीढ़ियों से संघर्ष, सेवा और बलिदान की परंपरा को परिवारवाद कहने वाले अपने सरकारी परिवार को सत्ता की वसीयत बांट रहे। कथनी औऱ करनी के इसी फर्क को नरेंद्र मोदी कहते हैं।’ इस पोस्टर में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्वामी, पूर्व केंद्रीय मंत्री माधव राव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया, अरुणाचल प्रदेश के प्रोटेम स्पीकर रिनचिन खारू के पुत्र किरेन रिजिजू, महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे की बहू रक्षा खडसे औऱ पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पौते जयंत चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान और पूर्व सांसद एवं मंध्य प्रदेश की मंत्री जयश्री बनर्जी के दामाद जेपी नड्डा का नाम लिया गया है।

इनमें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर, पूर्व केंद्रीय मंत्री तेरेन नायडू के बेटे राम मोहन नायडू, पूर्व सांसद जितेंद्र प्रसाद के बेटे जितिन प्रसाद, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह के बेटे राव इंद्रजीत सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री वेद प्रकाश गोयल के बेटे पीयूष गोयल, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते रवनीत सिंह बिट्टू, अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल की बेटी अनुप्रिया पटेल और उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री महाराज आनंद सिंह के बेटे कीर्तिवर्धन सिंह के नाम भी शामिल हैं।

राहुल गांधी का यह पोस्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान के जवाब में आया है, जिसमें उन्होंने कांग्रेस पर हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान के दौरान वंशवादी राजनीति करने का आरोप लगाया था।

मोहन माझी होंगे ओडिशा के नए सीएम; भाजपा विधायक दल की बैठक में एलान, थोड़ी देर में राज्यपाल से मिलेंगे

भुवनेश्वर:  मोहन माझी ओडिशा के नए मुख्यमंत्री होंगे। उन्हें भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया। बैठक में बतौर केंद्रीय पर्यवेक्षक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव मौजूद रहे। भुवनेश्वर में हुई बैठक में माझी के नाम का एलान किया गया। भाजपा ने ओडिशा विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज करते हुए ओडिशा में करीब 24 साल से सत्ता पर काबिज बीजद को सत्ता से बेदखल किया है।

विधायक दल की बैठक हुई
ओडिशा में भाजपा विधायक दल का नेता चुनने के लिए शाम साढ़े चार बजे बैठक शुरू हुई। इस बैठक में राजनाथ सिंह और भूपेंद्र यादव भी मौजूद रहे। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि भाजपा ओडिशा में डिप्टी सीएम भी नियुक्त कर सकती है। विधायक दल का नेता चुनने के बाद अब भाजपा नेता राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा करेंगे। ओडिशा में भी बुधवार को सीएम पद का शपथ ग्रहण समारोह होना है। इस शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री मोदी भी मौजूद रह सकते हैं। शपथ ग्रहण के लिए भाजपा ने बीजद नेता नवीन पटनायक को भी आमंत्रण दिया है। शपथ ग्रहण समारोह के चलते ओडिशा में 12 जून को आधे दिन की छुट्टी देने का एलान किया गया है।

शपथ ग्रहण समारोह के लिए साधु संतों को भी भेजा गया आमंत्रण
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान ही ओडिशा के लोगों से वादा किया था कि कोई उड़िया भाषा बोलने वाला व्यक्ति ही राज्य का मुख्यमंत्री बनेगा। ओडिशा में सीएम के शपथ ग्रहण समारोह के लिए साधु संतों को भी आमंत्रण भेजा गया है। ओडिशा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 147 विधानसभा सीटों में से 78 पर जीत दर्ज की है। वहीं बीजद 51 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। कांग्रेस को राज्य में 14, सीपीआईएम को 1 सीट मिली है। वहीं तीन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं।