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पार्टी के नए सांसदों से मिले सीएम शिंदे, शरद पवार ने पार्टी के नवनिर्वाचित सदस्यों के साथ की बैठक

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे बृहस्पतिवार को अपनी पार्टी के सभी नवनिर्वाचित सांसदों से मिले। शिवसेना के सभी सात विजयी सात सांसद मुख्यमंत्री आवास पर एकत्र हुए। बृहस्पतिवार को शिवसेना के विजेता 7 सांसदों की बैठक हुई। मुख्यमंत्री आवास पर सभी सात विजेता सांसद श्रीकांत शिंदे, नरेश म्हस्के, प्रतापराव जाधव, संदीपन भुमरे, धैर्यशील माने, रविंद्र वाईकर, श्रीरंग भर्ने शामिल रहे। शिवसेना के सांसद संजय मंडलिक और राहुल शेवाल चुनाव हार गए थे, वे भी भी उपस्थित रहे। इसके अलावा कृपाल तुमाने और पार्टी के एमएलए और प्रवक्ता संजय शिरसाट भी उपस्थित रहे। वहीं दूसरी ओर एनसीपी- एससीपी प्रमुख शरद पवार भी अपने नवनिर्वाचित सदस्यों से मिलने पार्टी ऑफिस पहुंचे। उन्होंने नए सदस्यों के साथ पार्टी कार्यालय पर बैठक भी की।

महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीट पर चुनाव हुआ। जिसमें से 15 सीटों पर शिवसेना ने चुनाव लड़ा था और 7 सीट जीत भी लीं। महायुति गठबंधन में मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली शिवसेना, भाजपा और उप मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली एनसीपी शामिल थी। यहां भाजपा ने 28 सीटों पर चुनाव लड़ा। जिसमें से उन्होंने 9 सीटें जीती। वहीं राकांपा ने 4 प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन सिर्फ एक सीट जीत पाए। वही आरएसपी ने एक ही सीट से प्रत्याशी उतारा, वही भी विफल रहा।

एग्जिट पोल को लेकर गुमराह करने के लिए था
एनसीपी-एससीपी के नेता जयंत पाटिल ने एग्जिट पोल को स्टॉक मार्केट में उठा-पटक का जरिया बताया। एनसीपी-एससीपी के नेता जयंत पाटिल ने कहा कि एग्जिट पोल कोई दम नहीं थी। सारा का सारा एग्जिट पोल का डाटा गलत था। एग्जिट पोल तो केवल स्टॉक मार्केट में हेरफेर के लिए दिया गया था।

गुजरात हाईकोर्ट ने की राज्य सरकार की आलोचना, कहा- अगर अधिकारी दोषी हैं तो उन्हें सजा मिलेगी

अहमदाबाद: राजकोट के गेमजोन में लगी आग का मामला इन दिनों सुर्खियों में हैं। इस बीच, गुजरात उच्च न्यायालय ने आज मामले में गुजरात सरकार की आलोचना की। उन्होंने पूछा कि बिना अनुमति के गेमजोन चल रहा था तो अब तक तत्कालीन नगर निकाय के प्रमुख को निलंबित क्यों नहीं किया गया। उच्च न्यायालय ने नाराजगी जताई। आगे की सुनवाई 13 जून को निर्धारित की गई है। बता दें, हादसे में 27 लोगों की मौत हो गई थी।

उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव और देवन देसाई की विशेष पीठ ने आज जनहित याचिका पर सुनवाई की। गुरुवार को सुनवाई के दौरान, आरएमसी के वकील जी एच विर्क ने हलफनामे के माध्यम से अदालत को बताया कि गेम जोन के मालिकों ने कभी भी किसी भी अग्नि एनओसी के लिए आवेदन नहीं किया था। गेमजोन बिना किसी पुलिस अनुमति के चल रही थी। जून 2023 में विध्वंस आदेश पारित करने वाले मामले में न्यायमूर्ति वैष्णव ने पूछा कि उसके बाद क्या हुआ? आप 27 लोगों की जान जाने तक चैन से बैठे रहे। आपने एक साल तक कुछ नहीं किया।

मामले में महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने पीठ को आश्वासन देते हुए कहा कि विशेष जांच दल (एसआईटी) की अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत सामने आने के बाद कार्रवाई की जाएगी। एसआईटी को 20 जून तक अपनी रिपोर्ट सौंपने की समयसीमा दी गई है। इसके बाद राज्य सरकार कार्रवाई करेगा। सुनवाई के दौरान, त्रिवेदी ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहां अधिकारियों को बिना किसी जांच के फांसी पर नहीं चढ़ाया जा सकता। न्यायमूर्ति वैष्णव ने कहा कि अगर वे दोषी हैं तो उन्हें फांसी पर चढ़ना ही होगा।

एसआईटी की प्रारंभिक रिपोर्ट में यह दावे
एसआईटी ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट से साफ होता है कि आग बुझाने के लिए लगाए गए पाइप में पानी का कोई कनेक्शन नहीं था। मौके से केवल एक सूखा रासायनिक पाउडर भरा अग्निशामक सिलेंडर मिला। इसका उपयोग पहले रेस्तरां और रसोईघर में किया जाता था। एसआईटी ने यह भी कहा कि राजकोट नगर निगम का नगर नियोजन और अग्निशमन विभाग इस घटना से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। एसआईटी ने कहा कि टीआरपी गेम जोन तीन साल से अधिक समय से चल रहा है। इसमें पक्का निर्माण भी हुआ था। बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं हुई।

कृषि भूमि में व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन गलत
रिपोर्ट में एसआईटी ने आगे बताया कि यह स्थान गैर-कृषि भूमि है। इसका उपयोग आवासीय उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। यहां गेमिंग जोन जैसी व्यावसायिक गतिविधियां नहीं हो सकतीं। बावजूद इसके स्थानीय सहायक नगर नियोजन अधिकारी और सहायक अभियंता ने अपने कर्तव्यों में गंभीर लापरवाही बरती।

हिमंत बिस्व ने की कैबिनेट बैठक, नवंबर में होंगे पंचायत चुनाव, विकासखंडों का होगा पुनर्गठन

असम में बृहस्पतिवार को कैबिनेट की बैठक हुई। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा ने बताया कि असम कैबिनेट ने इस साल नवंबर में राज्य में पंचायत चुनाव कराने का फैसला किया है। बृहस्पतिवार को असम की कैबिनेट बैठक असम से मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा के नेतृत्व में आयोजित हुई। जिसमें नवंबर में पंचायत चुनाव कराने का फैसला लिया गया। साथ ही यह निर्णय लिया गया कि सभी विकासखंडों का पुनर्गठन किया जाएगा। पंचायत का परिसीमन अगस्त तक पूरा हो जाएगा।

हिमंत बिस्वा ने लोकसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं के वोटों पर बात की। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में मुद्दा विकास नहीं था, बल्कि धर्म था। इस चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं ने असम में कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने असम में इस चुनाव में पूरी तरह से ध्रुवीकरण की राजनीति की है।

असम मुख्यमंत्री ने कहा कि असम ओरुनोदोई योजना के संबंध में मंत्री अजंता नियोग, डॉ. रानोज पेगु, रंजीत कुमार दास और बिमल बोरा सहित एक कैबिनेट उप-समिति का भी गठन किया। यह समिति एक महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। बता दें कि मंगलवार को चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव का परिणाम घोषित किया। 14 लोकसभा सीटों पर चुनाव हुआ। जिसमें से 9 सीट भाजपा, 3 सीट कांग्रेस और 1 यूपीपी लिबरल ने जीती।

चुनाव के बाद बंगाल में हिंसा का डर, सुरक्षा की मांग को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर

कोलकाता: लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फिर बंगाल में हिंसा का डर बढ़ गया है। यही वजह है कि कलकत्ता हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें विपक्षी पार्टी के कार्यकर्ताओं को सुरक्षा देने की मांग की गई है। याचिका में मांग की गई है कि पुलिस को निर्देश दिए जाएं कि वे विपक्षी कार्यकर्ताओं को हिंसा से बचाने के लिए सुरक्षा दें। हाईकोर्ट की अवकाश पीठ ने याचिकाकर्ता को याचिका दायर करने की अनुमति दी और याचिका पर बाद में सुनवाई करने की बात कही।

याचिकाकर्ता का दावा नतीजों के बाद बंगाल में हो रही हिंसा
याचिकाकर्ता ने जस्टिस कौशिक चंदा और जस्टिस अपूर्व सिन्हा रॉय की खंडपीठ के समक्ष आरोप लगाया कि सात चरणों में हुए लोकसभा चुनाव के बाद राज्य के कुछ स्थानों पर चुनाव बाद हिंसा हो रही है। पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद भी बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी, जिसकी हाईकोर्ट ने सीबीआई से जांच का निर्देश दिया था।

बंगाल भाजपा ने भी टीएमसी पर लगाए हिंसा के आरोप
बंगाल भाजपा के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने उत्तर 24 परगना में मीडिया से बात करते हुए कहा कि ‘हमारे पार्टी कार्यकर्ताओं पर हमले हुए हैं और उनके घरों में लूटपाट की गई। टीएमसी का झंडा लिए लोगों ने मुझ पर भी हमला किया।’ सुकांत मजूमदार चुनाव बाद हुई हिंसा से प्रभावित लोगों से मिलने गए थे। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों में टीएमसी ने जोरदार जीत हासिल की है और पार्टी ने राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 29 पर जीत दर्ज की है। वहीं पिछले आम चुनाव में 18 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली भाजपा 12 पर सिमट गई है। कांग्रेस को बंगाल में एक सीट मिली है।

‘ठकाठक’ ने यूपी में दिखाया रंग, दूसरे चरण में एनडीए को क्लीन स्वीप… बाकी में मिली कड़ी चुनौती

लखनऊ: ‘टकाटक’ का वादा यूपी के मतदाताओं के सिर चढ़कर बोला। सिर्फ दूसरे चरण में ही एनडीए को क्लीन स्वीप मिली। बाकी में इंडिया गठबंधन ने उसे कड़ी चुनौती दी। कई चरणों में तो वो भाजपा से आगे रहा। स्पष्ट है कि इस चुनाव में हिंदू-मुस्लिम कार्ड नहीं चला। मुफ्त में राशन और योजनाओं पर विपक्ष के संविधान-बेरोजगारी और खातों में एक लाख भेजे जाने का वादा हावी रहा।

पहले चरण में भाजपा ने मोदी की गारंटी और लाभार्थीपरक योजनाओं पर खुद को ज्यादा केंद्रित रखा। हालांकि, इसके साथ ही समझ में आने लगा कि हिंदू-मुस्लिम किए बिना काम नहीं चलेगा। इसलिए उसके बाद के चरणों में मंगलसूत्र छीनने और मुस्लिमों को आरक्षण देने का मुद्दा भाजपा नेताओं ने खूब गर्माने की कोशिश की, लेकिन यूपी में यह अपेक्षा के अनुरूप चलते हुए नहीं दिखाई दिए।

पहले चरण की आठ सीटों में एनडीए को सिर्फ बिजनौर और पीलीभीत ही मिलीं। पांच सीटें इंडिया को मिलीं और एक सीट आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर ने जीती। दूसरे चरण की सभी आठ सीटें एनडीए ने जीतीं। तीसरे चरण में सपा ने भाजपा का विजय रथ फिर थाम दिया। इस चरण में भाजपा को चार तो सपा को 6 सीटें मिलीं।

चौथे चरण में भाजपा को आठ तो सपा को चार और कांग्रेस को एक सीट मिली। पांचवां चरण आते-आते सपा-कांग्रेस ने अपने प्रचार अभियान को और व्यवस्थित किया। तब तक इंडिया के नेतृत्व को अच्छी तरह से समझ आ चुका था कि बेरोजगारी, संविधान और आरक्षण के उनके मुद्दे जनता के दिलोदिमाग पर जादू कर रहे हैं। उन्होंने इसे और भी जोरशोर से उठाना शुरू कर दिया।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का बेरोजगारों और गरीब महिलाओं के खातों में टकाटक हर महीने 8500 रुपये भेजने का वादा भी असर दिखाने लगा। उनके टकाटक पर जब पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रतिक्रिया दी तो राहुल ने मंच से कहना शुरू किया कि वे मोदी से डरते नहीं हैं। उनसे किस मुद्दे पर बुलवाना है, उन्हें (राहुल) को अच्छी तरह से आता है। यही सब वजहें रहीं कि पांचवें चरण में सपा ने सात सीटें और कांग्रेस ने तीन सीटें जीतीं। जबकि भाजपा को चार सीटों पर संतोष करना पड़ा।

छठा चरण इंडिया के लिए और भी अधिक फलदायी रहा। सपा को 10 और कांग्रेस को एक सीट मिली, जबकि भाजपा ने तीन सीटें जीतीं। हालांकि सातवें चरण में एनडीए के तहत भाजपा को छह और अपना दल को एक सीट मिली। वहीं, सपा ने छह सीटें जीतीं।

तिहाड़ जेल में हुई गैंगवार, बदमाशों ने धारदार हथियार से किया कैदी पर हमला; यहीं बंद हैं केजरीवाल

नई दिल्लीतिहाड़ जेल में एक बार फिर गैंगवार में गोगी गैंग के बदमाश हितेश पर धारदार हथियार से जानलेवा हमला किया गया है। बुधवार दोपहर दो बदमाशों ने हितेश पर हमला किया। हितेश की हालत नाजुक है और घायल कैदी का दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में इलाज चल रहा है।

घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने हत्या का प्रयास का मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि हितेश पर गौरव और गुरिंदर नाम के बदमाशों ने हमला किया है, जो हत्या और हत्या के प्रयास के मामलों में जेल में बंद हैं। हितेश पर बवाना थाना में हत्या का मामला दर्ज है और वह 2019 से तिहाड़ जेल में बंद है। पुलिस घटनास्थल के आस पास लगे सीसीटीवी कैमरे की जांच पड़ताल करने में जुटी है।

85 साल के इतिहास में पहली बार बदलाव, रसोइयों और पानी देने वाले कर्मियों को किया गया पदोन्नत

नई दिल्ली:  देश के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ के 85 साल के इतिहास में पहली बार कुछ बदलाव हुआ है। यहां कुल 2,600 रसोइयों और पानी देने वाले कर्मचारियों को पदोन्नत किया गया है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के पास दो विशेष कैडरों के लिए कुल 12,250 कर्मचारी नियुक्त हैं। यह कर्मचारी 1939 में गठित लगभग 3.25 लाख पुरुष और महिला शक्ति बल के लिए रसोई, कैंटीन और इसी तरह के प्रशासनिक कार्यों को संभालते हैं।

कांस्टेबल से हेड कांस्टेबल पर नियुक्त
सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बुधवार को एक आदेश के माध्यम से 1,700 रसोइयों और 900 पानी की सेवा देने वाले कर्मियों को कांस्टेबल पद से हेड कांस्टेबल के पद पर नियुक्त किया गया है। उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ के 85 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है।

1939 के समय से ही अहम हिस्सा रहे
ये कर्मी 1939 में ब्रिटिश काल में बल की स्थापना के समय से ही इसका हिस्सा हैं। अधिकारी ने बताया कि 2016 में जब केंद्र सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू की थीं, तब उन्हें कुक और वॉटर कैरियर्स का विशिष्ट कैडर नाम दिया गया था। उन्होंने आगे बताया कि सबसे निचले स्तर पर भर्ती किए गए इन कर्मियों को कभी पदोन्नत नहीं किया जा सका और औसतन 30-35 वर्ष सेवा देने के बाद भी उन्हें उसी पद पर सेवानिवृत्त कर दिया गया जिस पर वे भर्ती किए गए थे।

हर बटालियन में 45 कर्मचारी
अधिकारी ने आगे कहा कि रसोइये और पानी पहुंचाने वाले कर्मी किसी भी बल के संचालन का एक अनिवार्य हिस्सा होते हैं क्योंकि वे युद्ध में जवानों को भोजन और पोषण प्रदान करते हैं। प्रत्येक सीआरपीएफ बटालियन में ऐसे लगभग 45 कर्मी होते हैं।

प्रथम अधिकारी ने बताया कि यह कदम सीआरपीएफ द्वारा तैयार किए गए और बाद में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा अनुमोदित एक प्रस्ताव के परिणामस्वरूप उठाया गया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन कर्मियों की आकांक्षाओं का ध्यान रखा जाए और उन्हें अन्य कैडर कर्मियों की तरह पदोन्नत किया जाए। उन्होंने बताया कि पदोन्नत किए गए 2,600 कर्मियों की भर्ती 1983 से 2004 के बीच हुई थी। अधिकारी ने बताया कि शेष कर्मियों को भी समय रहते पदोन्नत कर दिया जाएगा।

चंद्रबाबू नायडू 12 जून को आंध्र प्रदेश के CM पद की शपथ लेंगे, पहले 9 जून को था कार्यक्रम

विजयवाड़ा: तेलुगू देशम पार्टी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू के आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ की तारीख में बदलवा कर दिया गया है। अब वह 12 जून को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। इससे पहले यह कायक्रम 9 जून को होना था। मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।नायडू के शपथ लेने की तारीख में बदलाव की वजह प्रधानमंत्री मोदी के 8 जून को शपथ ग्रहण कार्यक्रम को बताया जा रहा है।

जो कि लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। मोदी ने शपथ ग्रहण समारोह से पहले बुधवार को राष्ट्रपति मुर्मू को अपना त्याग पत्र सौंप दिया था। राष्ट्रपति ने नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रियों का त्याग पत्र को स्वीकार कर लिया है और साथ ही नए सरकार के गठन तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने रहने का आग्रह किया है।

किंग मेकर की भूमिका में हैं चंद्रबाबू नायडू

चंद्रबाबू नायडू एनडीए गठबंधन के लिए एक किंगमेकर्स में से एक नेता बनकर सामने आए हैं। एनडीए ने लगातार तीसरी बार बहुमत पाने का रिकॉर्ड बनयाा है। चंद्रबाबू नायडू, जनता दल यूनाइडेट और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गठबंधन की सरकार बनाने में अहम योगदान होगा। बीजेपी इस बार लोकसभा चुनाव में अकेले दम पर बहुमत लाने में सफल नहीं हो सकी है। वहीं कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन ने इस बार चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन किया है।

‘आपने प्यार, सच्चाई और दयालुता के साथ लड़ाई लड़ी’, प्रियंका गांधी ने भाई राहुल को लिखा भावुक नोट

लखनऊ:  कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने भाई राहुल गांधी को उनकी जीत पर एक भावुक नोट लिखा है। इसमें उन्होंने राहुल के रायबरेली और वायनाड की दोनों सीटों पर जीत हासिल करने के साथ ही लोकसभा चुनावों में पार्टी की स्थिति में सुधार होने पर उनकी तारीफ की है। अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर प्रियंका ने लिखा, उनके दृढ़ विश्वास पर संदेह करने और उनके खिलाफ झूठ का भारी प्रचार किए जाने के बावजूद, राहुल कभी पीछे नहीं हटे और सच्चाई के लिए लड़ते रहे। प्रियंका ने उन्हें सबसे बहादुर बताते हुए आगे लिखा, राहुल गांधी ने प्यार, सच्चाई और दयालुता के साथ लड़ाई लड़ी। उन्हें उन पर गर्व है।

प्रियंका गांधी ने अपनी पोस्ट में आगे कहा, आप डटे रहे, फिर चाहे उन्होंने आपको कुछ भी कहा हो या आपके साथ कुछ भी किया हो। आप कभी पीछे नहीं हटे, चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आई हों, आपने कभी भी विश्वास करना नहीं छोड़ा, चाहे उन्हें आपके विश्वास पर कितना भी संदेह क्यों न हो, आपने झूठ के भारी प्रचार के बावजूद सच्चाई के लिए लड़ना कभी नहीं छोड़ा और आपने कभी भी गुस्से और नफरत को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया, तब भी जब वे आपको हर दिन इसका तोहफा देते थे। उन्होंने आगे कहा, जो लोग आपको नहीं देख पाए, वे अब आपको देख सकते हैं, लेकिन हममें से कुछ लोगों ने हमेशा आपको सबसे बहादुर के रूप में देखा और जाना है। भाई, मुझे आपकी बहन होने पर गर्व है।

कांग्रेस का सुधरा प्रदर्शन
राहुल गांधी ने रायबरेली और वायनाड दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में भारी अंतर से जीत हासिल की। रायबरेली में उन्होंने भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह को 3,90,030 मतों के अंतर से हराकर यह सीट जीती। वायनाड में उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी की उम्मीदवार एनी राजा को 3,64,422 मतों से हराया। 2024 के लोकसभा चुनावों की मतगणना मंगलवार को हुई। भारत के चुनाव आयोग के अनुसार, भाजपा ने 240 सीटें जीतीं, जो उसकी 2019 की 303 सीटों से काफी कम है। दूसरी तरफ, कांग्रेस ने 99 सीटें जीतकर मजबूत सुधार दर्ज किया।

आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद दो प्रत्याशी जीते चुनाव, क्या ले सकेंगे शपथ? जानें नियम

मंगलवार को चुनाव आयोग द्वारा घोषित लोकसभा चुनाव के परिणाम में दो ऐसे प्रत्याशी भी विजयी हुए हैं, जो कि आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद हैं। अब आने वाले दिनों में बनने वाली 18 वीं लोकसभा में असामान्य स्थिति पैदा हुई है। जिसमें कानून के पास उन्हें सदन कार्यवाही में शामिल होने ताकत है। जबकि संवैधानिक अधिकार दोनों को संसद सदस्य के रूप में शपथ लेने का मौका देता है।

देश में सात चरण में लोकसभा चुनाव का परिणाम चुनाव आयोग ने घोषित किया। 18 वीं लोकसभा के लिए पंजाब के खडूर साहिब से कट्टरपंथी सिख उपदेशक अमृतपाल सिंह ने जीत हासिल की है। हालांकि वे अप्रैल 2023 में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार हुए थे, इसके बाद उन्हें असम की डिब्रूगढ़ जेल में भेज दिया गया था।

वहीं दूसरी सीट जम्मू-कश्मीर की बारामुल्ला सीट है, जिस पर आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोपी शेख अब्दुल राशिद उर्फ इंजीनियर राशिद विजयी हुए हैं। इंजीनियर राशिद को 9 अगस्त 2019 में आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोप तिहाड़ जेल में कैद किया गया थाा।इन दोनों उम्मीदवारों के जेल में बंद होने के बाद भी नवनिर्वाचित सांसदों के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने की अनुमति मिलती है या नहीं यह एक बड़ा प्रश्न है?

संविधान विशेषज्ञ और लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी अचारी ने कानूनी पहलुओं को स्पष्ट करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में संवैधानिक प्रावधानों का पालन किया जाता है। उन्होंने कहा कि संसद सदस्य के रूप में शपथ लेना एक संवैधानिक अधिकार है। लेकिन चूंकि वे वर्तमान में जेल में हैं, इसलिए इंजीनियर राशिद और सिंह को शपथ ग्रहण समारोह के लिए संसद में ले जाने के लिए अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी। शपथ लेने के बाद उन्हें वापस जेल लौटना होगा।

क्या कहता है संविधान
कानूनी पहलुओं को और स्पष्ट करने के लिए अचारी ने संविधान के अनुच्छेद 101(4) का हवाला दिया। जो अध्यक्ष की पूर्व स्वीकृति के बिना संसद के दोनों सदनों से सदस्यों की अनुपस्थिति से संबंधित है। उन्होंने कहा कि शपथ लेने के बाद वे अध्यक्ष को पत्र लिखकर सदन में उपस्थित होने में अपनी असमर्थता के बारे में सूचित करेंगे। इसके बाद अध्यक्ष उनके अनुरोधों को सदस्यों की अनुपस्थिति संबंधी सदन समिति को भेजेंगे। समिति सिफारिश करेगी कि सदस्य को सदन की कार्यवाही से अनुपस्थित रहने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं। इसके बाद अध्यक्ष द्वारा सदन में सिफारिश पर मतदान कराया जाएगा।

अगर इंजीनियर राशिद या अमृतपाल सिंह को दोषी ठहराया जाता है और उन्हें कम से कम दो साल की जेल होती है, तो वे 2013 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार तुरंत लोकसभा में अपनी सीट खो देंगे। इस फैसले में कहा गया है कि ऐसे मामलों में सांसदों और विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। इस फैसले ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(4) को रद्द कर दिया, जो पहले दोषी सांसदों और विधायकों को अपनी सजा के खिलाफ अपील करने के लिए तीन महीने का समय देता था।