Sunday , November 24 2024

देश

नाबालिग के मां-पिता को 17 जून तक हिरासत, रक्त के नमूने बदलने वाले डॉक्टरों पर भी कार्रवाई

पुणे:  महाराष्ट्र के पुणे में पोर्श कार हादसे में दो आईटी इंजीनियरों को अपनी जान गंवानी पड़ी। कार चालक 17 वर्षीय नाबालिग घटना के समय शराब के नशे में था, जिसके रक्त के नमूनों की अदला-बदली के आरोप में पुलिस ने उसकी मां को शनिवार को गिरफ्तार किया था। अब पुलिस ने अदालत को एक अहम जानकारी दी है। पुलिस ने बताया कि फॉरेंसिक रिपोर्ट से पुष्टि हुई है कि नाबालिग की मां के रक्त के नमूने की अदला-बदली की गई।

नाबालिग के मां-पिता को 10 जून तक पुलिस हिरासत में भेजा
अदालत ने भी सख्त कार्रवाई करते हुए नाबालिग की मां और पिता को 10 जून तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है। इसके अलावा रक्त के नमूनों की अदला-बदली करने वाले ससून अस्पताल के डॉक्टर श्रीहरि हलनोर, डॉक्टर अजय टारे और एक कर्मचारी अतुल घाटकांबले को भी 7 जून तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। बता दें, पुलिस ने नाबालिग के पिता, मां और ससून अस्पताल के डॉक्टरों और एक कर्मचारी को अदालत में पेश किया था।

नाबालिग के दादा को भी गिरफ्तार कर चुकी पुलिस
सूत्रों ने के मुताबिक, पुलिस पुलिस पांच जून को प्रारंभिक अवधि समाप्त होने पर किशोर के अवलोकन गृह में रहने की अवधि को और बढ़ाने की मांग कर सकती है। इस मामले में पुलिस आरोपी के दादा को भी गिरफ्तार कर चुकी है।

क्या था पूरा मामला
पुणे शहर में 18-19 मई की रात करीब तीन करोड़ रुपये की पोर्श कार को तेज गति से दौड़ाने के चक्कर में 17 साल के लड़के ने एक बाइक को टक्कर मार दी थी। गाड़ी की टक्कर इतनी जोरदार थी कि बाइक अपना संतुलन खोकर काफी दूर तक सड़क पर घिसटते चली गई, जिससे उस पर सवार दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। मौके पर मौजूद लोगों ने हादसे की सूचना पुलिस को दी, जिसके बाद नाबालिग को गिरफ्तार कर लिया गया।

उपमुख्यमंत्री पद से फडणवीस के इस्तीफे की पेशकश पर आई CM शिंदे की प्रतिक्रिया, जानें क्या बोले

मंगलवार को लोकसभा चुनाव का परिणाम चुनाव आयोग ने घोषित किया। इसके बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सीएम एकनाथ शिंदे को उन्हें राज्स सरकार से मुक्त करने का प्रस्ताव दिया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हार के पहलुओं पर विचार करने और सुधार करने की बात कही। उन्होंने कहा कि विपक्ष के झूठे दावों का मुकाबला करने में वे असफल रहे हैं।

लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में भाजपा को बड़ा झटका लगा है। प्रदेश की 48 लोकसभा सीट में से एनडीए को सिर्फ 17 सीटें मिलीं। जिसमें भाजपा को 9, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) को 7 और एनसीपी (अजित पवार) को 1 सीट मिली है। वहीं इंडी ब्लॉक महाराष्ट्र में 30 सीटों पर विजयी रही। इस हार के बाद उपमुख्यमंत्री ने हार की जिम्मेदारी ली और अपने पद से इस्तीफा देने की बात कही।

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवींस के इस्तीफा देने की बात से पार्टी को भी बड़ा झटका लगा है। महाराष्ट्र में भाजपा और पार्टी की स्थिति देखने के बाद उपमुख्यमंत्री ने यह फैसला किया है। देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मैं देश की जनता को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने पीएम मोदी को तीसरी बार पीएम बनने के लिए अपना आशीर्वाद दिया। महाराष्ट्र में हमें अपेक्षित नतीजे प्राप्त नहीं हुए। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में भाजपा को जो झटका लगा उसकी पूरी जिम्मेदारी मैं लेता हूं। क्योंकि पार्टी का नेतृत्व मैं कर रहा था। मैं विधानसभा चुनाव के लिए राज्य में भाजपा को पूरा समय देना चाहता हूं। मैं भाजपा के आलाकमान से अनुरोध कर रहा हूं कि वे मुझे सरकार की जिम्मेदारियों से मुक्त करें। ताकि मैं आगामी चुनाव के लिए कड़ी मेहनता कर सकूं।

उनके इस बयान के बाद से ही पार्टी के अन्य नेताओं ने प्रतिक्रियाएं देना शुरू कर दिया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने ही बयान के बाद कहा कि चुनावी हार सामूहिक जिम्मेदारी है, तीनों पार्टियों ने मिलकर चुनाव में काम किया। हम सामूहिक रूप से विपक्ष का सामना करने में विफल रहे हैं। वोट शेयर देखा जाए तो मुंबई में महायुती को 2 लाख से ज्यादा वोट मिले हैं। उन्होंने कहा कि हार के कारणों की समीक्षा की जाएगी। पिछले दो सालों में सरकार ने राज्य में कई अच्छे काम भी किए हैं। मैं खुद देवेंद्र फडणवीस से बात करूंगा, हम आगे भी साथ मिलकर काम करते रहेंगे।

जयराम रमेश का तंज- कौन है स्वघोषित चाणक्य जो सीटों की बख्शीश ढूंढते हुए कई दरवाजे ‘खटाखट’ खटखटा रहे

लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद ‘इंडिया गठबंधन’ में विशेष उत्साह देखा जा रहा है। खासतौर पर, कांग्रेस पार्टी के नेता जयराम रमेश, भाजपा पर निशाना साधने में कोई कसर बाकी नहीं रख रहे। उन्होंने बुधवार को एक के बाद एक, कई ट्वीट कर दिए। अपने ट्वीट में जयराम रमेश ने दो शब्दों ‘मास्टर डिस्टॉर्टियन’ और ‘स्वघोषित चाणक्य’ का इस्तेमाल किया है। जयराम ने लिखा, जिस इतिहास को मास्टर डिस्टॉर्टियन भी दोबारा नहीं लिख सकते, वह यह है कि नेहरू 1952 में 364, 1957 में 371 और 1962 में 361 सीटों के साथ प्रधानमंत्री चुने गए थे। दूसरा, उन्होंने भाजपा के शीर्ष नेता के लिए लिखा, सीटों की बख़्शीश ढूंढते हुए कई दरवाजे ‘खटाखट खटाखट’ खटखटा रहे हैं।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अपने ट्वीट में लिखा, कार्यवाहक प्रधानमंत्री अपना सिकुड़ा हुआ सीना ठोक कर बोल रहे हैं कि 1962 के बाद से कोई सरकार लगातार तीन बार नहीं चुनी गई है। जिस इतिहास को मास्टर डिस्टॉर्टियन भी दोबारा नहीं लिख सकते, वह यह है कि नेहरू 1952 में 364, 1957 में 371 और 1962 में 361 सीटों के साथ प्रधानमंत्री चुने गए थे। नरेंद्र मोदी को 2024 में 241 सीटें मिली हैं। यह उनके खिलाफ एक प्रचंड जनादेश है, लेकिन वह इसका सम्मान नहीं करना चाहते। निवर्तमान प्रधानमंत्री अब कार्यवाहक प्रधानमंत्री बन चुके हैं।

जयराम रमेश के मुताबिक, देश ने इनके खिलाफ प्रचंड जनादेश दिया है, लेकिन ये डेमोक्रेसी को डेमो-कुर्सी बनाना चाहते हैं। अहंकाराचार्या मोदी और स्वघोषित चाणक्य, अमित शाह, फिक्स्ड मैच खेलने में माहिर हैं। जनता के जनादेश के बाद मोदी-शाह की पार्टनरशिप पहली बार अपने आप को मुश्किलों के घेरे में पा रही है। अब तक एक बॉल फेंकता था, तो दूसरा उस पर छक्का मारता था। अब बॉल, जनता ने फेंकी है। क्या शाहों के शाह फ्रंट फुट पर खेल पायेंगे? क्या निवर्तमान विश्व गुरु सामना कर पाएंगे जनता की फुल टॉस डिलीवरी का?

जयराम रमेश ने लिखा, स्वघोषित चाणक्य, अमित शाह, आखिरकार अपने ही बिछाये जाल में बुरी तरह फंस चुके हैं। जनता को हर कदम पर बेवकूफ बनाने वाले और बड़े से बड़े पूंजीपतियों को आंख दिखाने वाले शाहों के शाह आज हाथ में कटोरा लिए सीटों की बख्शीश ढूंढते हुए कई दरवाजे ‘खटाखट खटाखट’ खटखटा रहे हैं। अहंकार की हर सीमा को कैसे पार किया जा सकता है, यह पिछले दस सालों में नरेंद्र मोदी ने कर दिखाया है। अहंकार की चारदीवारी को एक बटन दबा कर कैसे तहस-नहस किया जा सकता है, यह इस देश की जनता ने बखूबी कर दिखाया है।

सबसे अधिक सीटें जीते नायडू PM मोदी के बगल में बैठे, नीतीश उसके बाद; सरकार बनाने पर मंथन

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद, नई दिल्ली में आज राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की पहली बैठक हुई। बैठक में जदयू, लोजपा, टीडीपी, जदएस और शिवसेना सहित अन्य दल शामिल हुए। बैठक में सरकार बनाने को लेकर मंथन हुआ।बैठक के बाद जनता दल यूनाइटेड (जदयू) सांसद संजय कुमार झा ने बताया कि एनडीए की बैठक में नीतीश कुमार शामिल हुए। बैठक में सभी घटक दलों के नेताओं ने अपने विचार रखे और तीसरी बार एनडीए को जनादेश देने के लिए जनता को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का गठन होगा और जल्द ही सभी सांसदों की बैठक होगी।

बैठक से पहले, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने भी केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाने के लिए अपना समर्थन दिया। शिवसेना को महाराष्ट्र में सात और एनसीपी को एक सीट पर जीत मिली है।तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) भाजपा के बाद दूसरा सबसे बड़ा घटक दल है। इसके वरिष्ठ नेता कनकमेडला रविंद्र कुमार पहले ही साफ कर चुके हैं कि आंध्र प्रदेश में भाजपा और जनसेना के साथ हमारा चुनाव पूर्व समझौता महज राजनीतिक अंकगणित की सौदेबाजी नहीं है, बल्कि यह विश्वसनीयता का बंधन है। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि हम जनादेश का सम्मान करते हैं।

लोक जनशक्ति पार्टी-राम विलास के प्रमुख चिराग पासवान ने कहा है कि वे किसी भी सूरत में एनडीए का साथ नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा था कि मैं देश के अगले प्रधानमंत्री बनने जा रहे नरेंद्र मोदी को बधाई देना चाहता हूं। उनके नेतृत्व में एनडीए तीसरी बार केंद्र में सरकार बनने जा रही है। लोकसभा चुनाव में एनडीए को 292 और विपक्षी गठबंधन को 234 सीटें मिली हैं। देश में सबसे अधिक सीटें भाजपा ने जीती हैं।

यूपी में पांच सबसे बड़ी और पांच सबसे छोटी जीत दर्ज करने वाले उम्मीदवार, देखें लिस्ट

नोएडा:  चुनाव 2024 की मतगणना पूरी हो गई है। उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों के नतीजे आ चुके हैं। चुनाव परिणामों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 33 सीटों पर सिमट गई। पिछली बार जहां भाजपा ने 62 सीटों पर जीत दर्ज की थी, इस बार उसे 29 सीटों का नुकसान रहा। वहीं सपा ने बड़ी छलांग लगाई है। सपा को पिछली बार के मुकाबले 32 सीटों का फायदा हुआ। सपा ने 37 सीटों पर जीत दर्ज की है। आज आए परिणामों में कई जीत-हार बड़ी रोचक रहीं। हम आपको उन पांच-पांच उम्मीदवारों के बारे में बताएंगे जिन्होंने 2024 के आम चुनाव में सबसे बड़ी और सबसे छोटी जीत दर्ज की है।

ये प्रदेश की सबसे बड़ी पांच जीत

1. गौतमबुद्ध नगर से डॉ. महेश शर्मा (भाजपा) ने 559472 मतों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की है। उन्हें कुल 857829 मत मिले।
2. गाजियाबाद से अतुल गर्ग (भाजपा) ने 336965 मतों के अंतर से जीत दर्ज की है। उन्हें कुल 854170 वोट मिले हैं।
3. मथुरा से हेमा मालिनी (भाजपा) ने 293407 मतों के अंतर से प्रदेश में तीसरी बड़ी जीत दर्ज की है। हेमा को कुल 510064 वोट मिले हैं।
4. बुलंदशहर से डॉ. भोला सिंह (भाजपा) ने 275134 मतों के अंतर से प्रदेश में चौथी बड़ी जीत दर्ज की है। डॉ. भोला को कुल 597310 वोट मिले हैं।
5. आगरा से एसपी बघेल (भाजपा) ने 271294 मतों के अंतर से प्रदेश में पांचवीं बड़ी जीत दर्ज की है। एसपी बघेल को कुल 599397 वोट मिले हैं।

ये प्रदेश की सबसे कम अंतर वाली जीत

1. हमीरपुर से अजेंद्र सिंह लोधी (सपा) ने केवल 2629 मतों के अंतर से जीत हासिल की है। उन्हें कुल 490683 वोट मिले हैं।
2. फर्रुखाबाद से मुकेश राजपूत (भाजपा) ने 2678 मतों के अंतर से जीत हासिल की है। उन्हें कुल 487963 वोट मिले हैं।
3. बांसगांव से कमलेश पासवान (भाजपा) ने 3150 मतों के अंतर से जीत हासिल की है। उन्हें कुल 428693 वोट मिले हैं।
4. सलेमपुर से रामशंकर राजभर (सपा) ने 3573 मतों के अंतर से जीत हासिल की है। उन्हें कुल 405472 वोट मिले हैं।
5. फूलपुर से प्रवीण पटेल (भाजपा0 ने 4332 मतों के अंतर से जीत हासिल की है। उन्हें कुल 452600 वोट मिले हैं।

गेनी बेन ने भाजपा को तीसरी क्लीन स्वीप से रोका, लोगों से चंदा लेकर लड़ा चुनाव

गुजरात में स्कोर 25-1 रहा। 25 सीटें भाजपा के हिस्से और एक कांग्रेस के। कांग्रेस की विधायक और लोगों से चंदा लेकर चुनाव लड़ने वाली गेनी बेन सेल्फ मेड नेता का मजबूत उदाहरण बनकर उभरी हैं। जीत छोटी है, बमुश्किल 34 हजार वोट की। दो लोकसभा चुनावों से क्लीन स्वीप करने वाली भाजपा और मोदी-शाह के घर गुजरात में कांग्रेस को सीट मिली, यह हैरान हो जाने और कर देने का पूरा पक्का बंदोबस्त है। गुजरात में एक सीट गंवाना और केरल में भाजपा को एक मिलना एक बराबर है।

गुजरात मॉडल में क्रैक तभी लग गया था जब साबरकांठा और वडोदरा में उम्मीदवार का नाम घोषित करने के बाद उम्मीदवार बदलने पड़े थे। भाजपा के कई पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, पूर्व नेताओं ने टिकट बंटवारे को लेकर विरोध और विद्रोह दोनों किया। हुआ कुछ यूं कि कांग्रेस से भाजपा में जानेवाले नेताओं की भीड़ इतनी ज्यादा हो गई थी कि पार्टी के असल नेता नाराज होने लगे थे।

गुजरात में आदिवासियों की नाराजगी काफी ज्यादा थी। राज्य में 4.50 लाख वोट नोटा में गए हैं। सबसे ज्यादा दाहोद और छोटा उदयपुर सीट पर। ये दोनों ही आदिवासी सीटें हैं। माना जाता है कि नोटा पढ़े लिखों का ऑप्शन हैं, लेकिन गुजरात में भरपल्ले पढ़े-लिखे वाले शहरी गुजरातियों के बीच, आदिवासियों ने नोटा का इस्तेमाल किया है। राजकोट से जिस क्षत्रिय आंदोलन की शुरुआत हुई उसका जरा भी असर गुजरात में नहीं हुआ। जामनगर, सुरेंद्र, आणंद जैसे थोड़े ज्यादा क्षत्रिय वोटर वाले इलाकों में भी भाजपा ही जीती।

लोगों ने शरद-उद्धव की पार्टियों को दिया असली का तमगा, भाजपा के लिए बड़ा झटका महाराष्ट्र के नतीजे

मुंबई:  लोकसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और कई राज्यों के नतीजों ने चौंकाया है। जिन राज्यों के चुनाव नतीजे भाजपा के अनुरूप नहीं आए हैं, उनमें महाराष्ट्र भी प्रमुख है। इस राज्य में 2019 के चुनाव में 23 सीटे जीतने वाली भाजपा इस बार नौ सीटों पर सिमट गई है। वहीं पिछले चुनाव में एक सीट जीतने वाली कांग्रेस इस बार 13 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। इन चुनाव नतीजों से एक बात साफ हुई है कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी को लोगों की सहानुभूति मिली है।

महाराष्ट्र में कांग्रेस बनी सबसे बड़ी पार्टी
शिवसेना यूबीटी और एनसीपी एसपी ने बगावत, टूट देखी और दोनों के चुनाव चिन्ह छिन गए, यहां तक कि नाम भी बदलने पड़े, इसके बावजूद जनता ने इन दोनों पार्टियों को असली का तमगा देते हुए खूब सीटें दीं। महाराष्ट्र में शिवसेना यूबीटी को नौ और एनसीपी एसपी को 8 सीटों पर जीत मिली है। भाजपा नौ सीटों पर सिमट गई है, जबकि कांग्रेस 13 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। एकनाथ शिंदे की शिवसेना को सात और अजित पवार की एनसीपी को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली है। एक सीट निर्दलीय के खाते में गई है। जोरदार जीत के बाद शिवसेना यूबीटी के पार्टी कार्यालय के बाहर पोस्टर भी लग गए, जिनमें लिखा था कि ‘कौन असली शिवसेना है? जनता ने ये बता दिया है।’

सीएम पद को लेकर शुरू हुई थी भाजपा-शिवसेना की तनातनी
महाराष्ट्र में पिछला चुनाव भाजपा और शिवसेना (अविभाजित) ने मिलकर लड़ा था और राज्य की 48 सीटों में से 41 पर कब्जा किया था। बाद में दोनों पार्टियों ने विधानसभा चुनाव भी साथ मिलकर लड़ा और बंपर जीत हासिल की, लेकिन सीएम पद को लेकर दोनों पार्टियों में ठन गई। नतीजा ये हुआ कि शिवसेना ने गठबंधन तोड़कर एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी की सरकार बना ली।

‘हम NDA में हैं, दिल्ली में होने वाली बैठक में जा रहा हूं’, चंद्रबाबू नायडू ने लगाया अटकलों पर विराम

विजयवाड़ा: आंध्र प्रदेश में तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) ने बंपर जीत दर्ज की है। एनडीए के साथ लड़े चुनाव में चंद्रबाबू नायडू की पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया है। इस बीच लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत नहीं मिला और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) भी 300 के आंकड़े से चूक गया। तब से ही अटकलें लगाई जाने लगीं कि तेदेपा और जदयू से ‘INDIA’ के घटक दल बात करेंगे और उन्हें अपने साथ आने के लिए मनाएंगे।

इस बीच तेदेपा प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू ने इन अटकलों पर विराम लगा दिया है। उन्होंने कहा कि आप हमेशा खबरें चाहते हैं। मैं अनुभवी हूं और मैंने इस देश में कई राजनीतिक बदलाव देखे हैं। हम NDA में हैं, मैं NDA की बैठक में जा रहा हूं।

नायडू ने कहा कि राज्य के कल्याण और विकास के लिए गठबंधन बनाया गया है। 55.38% वोट पड़े हैं। टीडीपी को 45% और YSRCP को 39% वोट मिले। कई टीडीपी कार्यकर्ताओं की रातों की नींद उड़ गई है और उन्हें प्रताड़ित किया गया है। यहां तक कि राज्य में मीडिया को भी बाधित किया गया और मीडिया हाउसों पर सीआईडी मामले दर्ज किए गए।

मुरादाबाद में बीजेपी को झटका, सपा की रुचि वीरा एक लाख मतों से आगे

मुरादाबाद: मुरादाबाद में मतगणना अपने अंतिम चरण में है। यहां सपा की प्रत्याशी रुचि वीरा 100667 वोटों से बढ़त बनाए हुए हैं। भाजपा प्रत्याशी सर्वेश सिंह दूसरे नंबर पर बने हुए हैं। उन्हें 506238 वोट मिले हैं। इसके अलावा सपा के मोहम्मद इरफान को 87068 वोट मिले हैं। मंडी समिति में सुबह आठ बजे से मतगणना शुरू हुई। पहले पोस्टल बैलेट इसके बाद ईवीएम की गिनती शुरू हुई। शुरुआत से ही सपा प्रत्याशी लगातार आगे रही। दोपहर 12 बजे तक वह 35770 वोटों से आगे चल रही थी। दूसरे नंबर सपा के प्रत्याशी सर्वेश सिंह को 117410 मत मिल चुके थे।

मुरादाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा और सपा के बीच सीधी टक्कर थी। भाजपा जीते या सपा, मुरादाबाद में इतिहास ही बनेगा। अभी तक के रुझानों के मुताबिक पहली बार किसी महिला को सांसद बनने का गौरव हासिल हो सकता है।

12 प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाया
मुरादाबाद लोकसभा सीट से इस चुनाव में 12 प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाया। यहां 19 अप्रैल को वोट डाले गए। 62.18 फीसदी मतदान हुआ। 2059578 मतदाताओं में से 1280706 ने लोकतंत्र के इस पर्व में हिस्सा लिया।

मतदान के दूसरे दिन 20 अप्रैल का भाजपा उम्मीदवार पूर्व सांसद सर्वेश सिंह का इलाज के दौरान दिल्ली में निधन हो गया था। ऐसी स्थिति में अगर मुरादाबाद सीट से भाजपा को जीत मिलती है तो यहां उपचुनाव होना तय है। जो पहला मौका होगा।
अभी तक के इतिहास में मुरादाबाद लोकसभा सीट पर एक बार भी उपचुनाव नहीं हुआ है। दूसरी ओर रुचिवीरा सपा प्रत्याशी हैं। अगर सपा को इस चुनाव जीत मिलती है तो यह पहला मौका होगा जब कोई महिला सांसद बनेंगी। अब तक मुरादाबाद सीट पर हुए 17 चुनावों में किसी भी महिला को जीत नहीं मिली है।

ये हैं मुरादाबाद लोकसभा के 12 प्रत्याशी
मुरादाबाद लोकसभा सीट के लिए 12 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था। इनमें भाजपा प्रत्याशी कुंवर सर्वेश कुमार (मृत), सपा प्रत्याशी रुचिवीरा, बसपा के मो. इरफान सैफी, भारतीय बहुजन समता पार्टी के ओंकार सिंह, राष्ट्रीय कांग्रेस (जे) पार्टी के गंगा राम शर्मा, समता पार्टी के शकील अहमद, सोशलिस्ट युनिटी सेंटर ऑफ इंडिया के हर किशोर सिंह, निर्दलीय अमरजीत सिंह, मो. जमशेद, मुशर्रत हुसैन और साधना सिंह पत्नी स्व. कुंवर सर्वेश सिंह शामिल हैं।

टीएमसी ने कहा- ममता सरकार की नीतियों पर जनता को भरोसा, सड़कों पर कार्यकर्ताओं का जश्न

कोलकाता: लोकसभा चुनाव के नतीजे आ रहे हैं। भाजपा समर्थित एनडीए ने रुझानों में बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। हालांकि, विपक्षी गठबंधन ने इस बार एनडीए को कड़ी टक्कर दी है। इस बीच, पश्चिम बंगाल के सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस ने 42 में से 30 सीटों पर बढ़त बना रखी है। रुझानों के बीच टीएमसी ने कहा कि यह नतीजे ममता सरकार की जन-समर्थक नीतियों में लोगों के विश्वास और भाजपा के खिलाफ निराशा के माहौल को दर्शाता है।

एग्जिट पोल भाजपा समर्थक मीडिया का दिखावा
चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार, दोपहर 12:30 बजे तक कई दौर की मतगणना के बाद टीएमसी 31 सीटों पर आगे थी। वहीं, भाजपा 10 और कांग्रेस एक सीट पर आगे थी। टीएमसी प्रवक्ता शांतनु सेन ने कहा कि राज्य की जनता ने जनादेश से बंगाल विरोधी ताकतों को हरा दिया है। नतीजों से साफ होता है कि एग्जिट पोल भाजपा समर्थक मीडिया का दिखावा था। बता दें, 2019 लोकसभा चुनावों में टीएमसी ने 22 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा ने 18 और कांग्रेस ने दो सीटें जीती थीं। रुझानों के चलते टीएमसी कार्यकर्ताओं में उत्साह है।

प्रदेश के विभिन्न इलाकों में जश्न
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बंगाल में टीएमसी कार्यकर्ता जय बांग्ला, टीएमसी जिंदाबाद और भाजपा हाय-हाय के नारे लगा रहे हैं। टीएमसी समर्थक जादवपुर, कोलकाता दक्षिण, कोलकाता उत्तर, डायमंड हार्बर, बैरकपुर, आसनसोल, दुर्गापुर-बर्धमान सहित अन्य शहरों में सड़कों पर जश्न मना रहे हैं। अधिकतर लोगों ने टीएमसी सुप्रीमो की तस्वीरें और पार्टी के प्रतीक के कटआउट लिए हुए थे।

भाजपा के अहंकार के खिलाफ लोगों ने मतदान किया
जादवपुर में एक टीएमसी कार्यकर्ता ने कहा कि जश्न अभी शुरू हुआ है। बाहरी लोगों के दखल और पीएम मोदी की टिप्पणियों को मतदाताओं ने नकार दिया है। लोगों ने दीदी और अभिषेक बनर्जी को वोट दिया है। शांतनु ने राष्ट्रीय स्तर के रुझानों पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि लोगों ने भाजपा के अहंकार और कुशासन के खिलाफ मतदान किया है। परिणामों से साफ होता है कि भाजपा नैतिक रूप से और राजनीतिक रूप से भी पराजित हुई है।