Sunday , November 24 2024

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आईपीएस संजय वर्मा महाराष्ट्र के नए डीजीपी बनाए गए, बीते दिन किया गया था रश्मि शुक्ला का तबादला

मुंबई: भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी संजय कुमार वर्मा को रश्मि शुक्ला की जगह मंगलवार को महाराष्ट्र का नया पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्त किया गया। निर्वाचन आयोग के निर्देश पर शुक्ला को डीजीपी पद से हटा दिया गया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

अधिकारी ने बताया कि महानिदेशक (विधि एवं प्रौद्योगिकी) के तौर पर कार्यरत वर्मा 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त होंगे। महाराष्ट्र में 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव से पहले प्रमुख विपक्षी दलों की शिकायतों के बाद निर्वाचन आयोग ने सोमवार को शुक्ला को तत्काल प्रभाव से राज्य पुलिस प्रमुख के पद से हटाने का निर्देश दिया था।

कांग्रेस ने विपक्षी दलों के नेताओं का फोन टैप करने में शुक्ला की कथित भूमिका का हवाला देते हुए उनके तबादले की मांग को लेकर निर्वाचन आयोग से संपर्क किया था। वर्मा मुंबई के पुलिस आयुक्त विवेक फणसालकर से प्रभार ग्रहण करेंगे, जिन्हें सोमवार को डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। वर्मा ने 2015 में कम्युनिस्ट नेता और तर्कवादी गोविंद पनसारे की हत्या की पड़ताल करने वाले विशेष जांच दल (एसआईटी) का नेतृत्व किया था।

निर्वाचन आयोग ने सोमवार को महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वह शुक्ला का प्रभार कैडर के अगले सबसे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को सौंप दें। मुख्य सचिव को डीजीपी पद पर नियुक्ति के लिए मंगलवार दोपहर तक तीन आईपीएस अधिकारियों के नाम भेजने का भी निर्देश दिया गया। अधिकारी ने बताया कि निर्वाचन आयोग ने इन नामों पर विचार किया और वर्मा के नाम को मंजूरी दी तथा राज्य सरकार ने उन्हें महाराष्ट्र का डीजीपी नियुक्त किया।

20 नवंबर को चुनाव
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए लोग अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। हाल ही में एक समीक्षा बैठक के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने अधिकारियों को न केवल निष्पक्ष रहने की चेतावनी दी, बल्कि यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि वे अपने कर्तव्यों का पालन करते समय पक्षपात करते न दिखें।

दुष्कर्म मामले में चार्जशीट के खिलाफ पूर्व सेना अधिकारी की याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस, अब 6 को सुनवाई

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एक पूर्व सैन्य अधिकारी की याचिका पर सुनवाई की। दरअसल, याचिका में पूर्व अधिकारी ने कथित दुष्कर्म मामले में अपने खिलाफ दायर आरोपपत्र को निरस्त करने का आग्रह किया है।

दिल्ली पुलिस और शिकायतकर्ता को नोटिस
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्ला की पीठ ने कैप्टन राकेश वालिया (सेवानिवृत्त) की याचिका पर सुनवाई की, जिन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के याचिका खारिज करने संबंधी आदेश को चुनौती दी है। पीठ ने दिल्ली पुलिस और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया।

याचिकाकर्ता के वकील ने दी दलील
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील अश्विनी कुमार दुबे ने याचिका में तर्क दिया कि उच्च न्यायालय ने इस महत्वपूर्ण तथ्य को नजरअंदाज कर दिया कि पिछले आठ वर्षों में शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ता सहित सात अलग-अलग थानों में नौ अलग-अलग व्यक्तियों के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण और गलत तरीके से सात प्राथमिकी दर्ज कराई हैं।

इस दिन होगी सुनवाई
बता दें, अब मामले की सुनवाई छह दिसंबर को होगी। इससे पहले उच्च न्यायालय ने 31 जुलाई के अपने आदेश में कहा था कि निचली अदालत में मामला है और वह याचिकाकर्ता की ओर से दी गईं दलीलों पर विचार करने के बाद उचित आदेश पारित करेगी।

क्या कहा गया याचिका में?
याचिका में कहा गया, ‘याचिकाकर्ता 63 साल का है और भारतीय सेना का एक सम्मानित अधिकारी रहा है। वह गंभीर चिकित्सा बीमारियों से ग्रस्त है और उसे दिल का बड़ा दौरा पड़ा था तथा उसे दो स्टेंट लगाए गए हैं। उसे कैंसर होने का भी पता चला है। वह कानूनी प्रक्रिया का गंभीर दुरुपयोग करने वाली शिकायतकर्ता से उत्पीड़ित है जिसका काम दुष्कर्म और छेड़छाड़ संबंधी कानूनी प्रावधानों का दुरुपयोग करके और निर्दोष नागरिकों को झूठे मामलों में फंसाकर सम्मानित नागरिकों से (उनकी)मेहनत की कमाई वसूलना है।’

याचिका के अनुसार, 2019-2020 के आसपास कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान याचिकाकर्ता से शिकायतकर्ता ने संपर्क किया था, जिसने खुद को ‘सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर’ बताकर विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर पूर्व सैन्य अधिकारी की पुस्तक ‘ब्रोकन क्रेयॉन कैन स्टिल कलर’ के प्रचार की बात कही।

जिनकी जमीन पर वक्फ बोर्ड ने किया दावा, उन किसानों से मिलने कर्नाटक जाएंगे JPC अध्यक्ष जगदंबिका पाल

नई दिल्ली:वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर बनी संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल गुरुवार को कर्नाटक का दौरा करेंगे। कर्नाटक में जगदंबिका पाल उन किसानों से मिलेंगे, जिनकी जमीन पर वक्फ बोर्ड ने दावा किया था और उन्हें नोटिस जारी किए थे। हालांकि भाजपा के विरोध के बाद कर्नाटक सरकार ने किसानों को भेजे गए नोटिस वापस लेने की बात कही थी। जेपीसी अध्यक्ष कर्नाटक में कई भाजपा नेताओं से भी मुलाकात करेंगे।

क्या है कर्नाटक के किसानों और वक्फ संपत्ति का विवाद
मंगलवार को भाजपा सांसद और जेपीसी के सदस्य तेजस्वी सूर्या ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर साझा एक पोस्ट में बताया कि ‘वक्फ पर जेपीसी के अध्यक्ष ने वक्फ की कार्रवाई से प्रभावित किसानों से बातचीत करने के लिए 7 नवंबर को हुबली और बीजापुर का दौरा करने के मेरे अनुरोध पर सहमति व्यक्त की है।’ सूर्या के अनुसार, भाजपा सांसद जगदंबिका पाल किसान संगठनों और मठों से बातचीत करेंगे और प्रभावित किसानों की याचिकाओं को जेपीसी के समक्ष रखा जाएगा। दावा है कि जिन किसानों को नोटिस मिले हैं, वे लगभग एक सदी से अपनी भूमि पर खेती कर रहे हैं, उनके पास 1920 और 1930 के दशक के रिकॉर्ड हैं। हालांकि, हाल के महीनों में, उनमें से कई को बिना किसी सबूत या स्पष्टीकरण के उनकी भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित करने के नोटिस दिए गए हैं। किसानों का दावा है कि गांव में लगभग 1,500 एकड़ भूमि को वक्फ संपत्ति के रूप में नामित किया गया है।

बैकफुट पर कांग्रेस सरकार
इस मामले को लेकर सरकार आलोचकों के निशाने पर आई तो कांग्रेस सरकार ने किसानों को भेजे गए नोटिस वापस लेने का आदेश जारी किया। भाजपा ने इस मुद्दे पर सोमवार को कर्नाटक में प्रदेश व्यापी विरोध प्रदर्शन भी किया था। भाजपा ने दावा किया है कि यह कांग्रेस की वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा है। जेपीसी के सदस्य 9 से 14 नवंबर तक पांच राज्यों की राजधानियों – गुवाहाटी, कोलकाता, भुवनेश्वर, पटना और लखनऊ का भी दौरा करेगी, ताकि विभिन्न हितधारकों के विचार सुने जा सकें।

‘योगी आदित्यनाथ जैसा बनना होगा’, अपनी सरकार पर भड़के पवन कल्याण; कनाडा हमले पर भी दी तीखी प्रतिक्रिया

हैदराबाद: आंध्र प्रदेश की चंद्रबाबू नायडू सरकार में उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण अपनी गठबंधन सरकार पर भड़कते नजर आए। अभिनेता से नेता बने कल्याण ने राज्य की गृह मंत्री अनीता पर अक्षमता का आरोप लगाया। साथ ही उन्हें उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ जैसा बनने की सलाह दी और राज्य में बढ़ते अपराधों पर नकेल कसने करने के लिए ठोस कदम उठाने को कहा। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि अगर सुधार नहीं होता है तो ये जिम्मेदारी भी मुझे उठानी पड़ेगी। साथ ही कनाडा में हिंदू मंदिर पर हुए हमले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।

राज्य में बढ़ रहे अपराध
पवन कल्याण ने अपनी सहयोगी तेलुगू देशम पार्टी की नेता अनिता पर निशाना साधा है। उनकी यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्धि देखी गई है। बीते दिन तीन साल की बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न की घटना सामने आने के बाद कल्याण ने कहा कि आंध्र प्रदेश में शांति और सुरक्षा की स्थिति में उल्लेखनीय कमी आई है और कानून व्यवस्था को योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश में जिस तरह से संभाला जाता है, उसी तरह से संभाला जाना चाहिए।

उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र पीथापुरम में एक रैली में कहा, ‘मैं गृह मंत्री अनीता को भी चेतावनी दे रहा हूं, आप गृह मंत्री हैं। मैं पंचायती राज मंत्री, वन एवं पर्यावरण मंत्री हूं। आप अपने कर्तव्यों का निर्वहन अच्छी तरह से करें अन्यथा मुझे गृह विभाग भी संभालने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।’

‘योगी आदित्यनाथ जैसा बनना होगा’
उन्होंने आगे कहा, ‘आपको योगी आदित्यनाथ जैसा बनना होगा। राजनीतिक नेता, विधायक सिर्फ वोट मांगने के लिए नहीं हैं। आपकी भी जिम्मेदारियां हैं। हर किसी को सोचना होगा। ऐसा नहीं है कि मैं गृह विभाग नहीं मांग सकता या नहीं ले सकता। अगर मैं ऐसा करता हूं, तो इन लोगों के लिए चीजें बहुत अलग हो जाएंगी। हमें योगी आदित्यनाथ जैसा बनना होगा। अन्यथा अपराधी नहीं बदलेंगे। इसलिए तय करें कि आप बदलेंगे या नहीं।’

गृह मंत्री की खुली आलोचना के बाद मतभेद की अटकलें लग रही थीं, लेकिन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की कैबिनेट के एक अन्य वरिष्ठ मंत्री नारायण ने कहा कि उपमुख्यमंत्री के तौर पर पवन कल्याण को गलतियां बताने और मंत्रियों को सही राह पर लाने का अधिकार है।

ट्रूडो सरकार से हिंदुओं की सुरक्षा के लिए कदम उठाने का आग्रह
इसके अलावा, रविवार को कनाडा में हिंदू मंदिर पर हमले को लेकर डिप्टी सीएम कल्याण ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि कनाडा में एक हिंदू मंदिर और हिंदुओं पर हमला मन पर आघात करता है, जिससे पीड़ा और चिंता दोनों पैदा हो रही हैं।

आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट साझा कर लिखा, मुझे अपने हिंदू भाइयों और बहनों को पाकिस्तान, अफगानिस्तान और हाल ही में बांग्लादेश जैसी जगहों पर उत्पीड़न, हिंसा और अकल्पनीय पीड़ा सहते हुए देखकर बहुत दुख होता है। हिंदू एक वैश्विक अल्पसंख्यक हैं और इस तरह उन पर कम ध्यान दिया जाता है, कम एकजुटता होती है और उन्हें आसानी से निशाना बनाया जाता है। उनके खिलाफ नफरत की हर कार्रवाई, दुर्व्यवहार की हर घटना उन सभी के लिए एक झटका है जो मानवता और शांति को महत्व देते हैं।’

मिजोरम परिषद चुनाव के लिए मतदान जारी, सुरक्षा के कड़े इंतजाम, आज ही जारी हो जाएंगे नतीजे

आइजोल:  मिजोरम में 12 सदस्यीय सिनलुंग हिल्स परिषद चुनाव के लिए मंगलवार को मतदान हो रहा है। मतदान के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। 38 मतदान केंद्रों पर सुबह 7 बजे मतदान शुरू हुआ। मतदान की प्रक्रिया शाम चार बजे तक चलेगी, उसके बाद वोटों की गिनती शुरू होगी और आज शाम तक ही नतीजे जारी होने की उम्मीद है। असम और मणिपुर सीमा पर बने 16 मतदान केंद्र सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील घोषित किए गए हैं और इन मतदान केंद्रों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम है और साथ ही असम और मणिपुर से मिजोरम आने वाले सभी प्रवेश बिंदुओं को सील कर दिया गया है।

12 सीटों के लिए हो रहा मतदान
सिनलुंग हिल्स परिषद चुनाव में कुल 23,789 मतदाता हैं, जिनमें 11,914 महिलाएं शामिल हैं। चुनाव मैदान में एक महिला उम्मीदवार समेत कुल 49 उम्मीदवार हैं। सत्तारूढ़ जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM)-हमार पीपुल्स कन्वेंशन (HPC) गठबंधन और कांग्रेस 12-12 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। ZPM ने 8 सीटों पर चुनाव लड़ा, जबकि HPC ने चार सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। मुख्य विपक्षी पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) ने 10 और भाजपा ने एक उम्मीदवार मैदान में उतारा। MNF द्वारा समर्थित दो हमार पीपुल्स कन्वेंशन (सुधारित) उम्मीदवारों सहित 14 स्वतंत्र उम्मीदवार हैं।

नवंबर 2019 में हुए सिनलुंग हिल्स परिषद चुनाव में MNF-HPC गठबंधन ने 10 सीटें जीती थीं, और अन्य दो सीटें स्वतंत्र उम्मीदवारों ने जीती थीं। सिनलुंग हिल्स परिषद (एसएचसी) की स्थापना 9 जुलाई, 2018 को मिजोरम सरकार और तत्कालीन भूमिगत संगठन हमार पीपुल्स कन्वेंशन (डेमोक्रेटिक) या एचपीसी (डी) के बीच हुए समझौते के तहत हुई थी। इस परिषद में 12 निर्वाचित सदस्य और दो मनोनीत सीटें हैं।

सुप्रीम कोर्ट से आगरा नगर निगम को लगा झटका; वाहनों में स्टिकर लगाने का मामला, NCR राज्यों से अपडेट तलब

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा कि अगर वे बेअंत सिंह हत्याकांड के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर विचार नहीं करते हैं तो हम करेंगे। बेअंत सिंह पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री थे, साल 1995 में उनकी हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में बलवत सिंह राजोआना को दोषी ठहराया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या टिप्पणी की
जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीके मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने बलवंत सिंह राजोआना की याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी। याचिका में कहा गया है कि उसकी दया याचिका पर फैसला लेने में हुई बहुत देरी के कारण उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल देना चाहिए। 25 सितंबर को शीर्ष अदालत ने राजोआना की याचिका पर केंद्र, पंजाब सरकार और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासन से जवाब मांगा था।

राष्ट्रपति के पास लंबित है याचिका
केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि राजोआना की दया याचिका राष्ट्रपति भवन में लंबित है, जिसके बाद पीठ ने उनसे कहा, ‘किसी भी तरह से फैसला करें या हम इस पर (राजोआना की याचिका) विचार करेंगे।’ दया याचिका पर फैसला होने तक राजोआना की रिहाई की मांग करते हुए राजोआना के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि रजोआना 29 साल से लगातार हिरासत में है। रोहतगी ने कहा कि ‘उनकी दया याचिका पिछले 12 साल से राष्ट्रपति भवन में लंबित है। कृपया उन्हें छह या तीन महीने के लिए रिहा कर दें। कम से कम उन्हें यह देखने दें कि बाहरी दुनिया कैसी दिखती है।’ वहीं पंजाब सरकार ने पीठ को बताया कि उन्हें मामले में अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए कुछ समय चाहिए।

1995 में हुई थी पंजाब के तत्कालीन सीएम की हत्या
31 अगस्त, 1995 को चंडीगढ़ में सिविल सचिवालय के प्रवेश द्वार पर हुए विस्फोट में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और 16 अन्य लोग मारे गए थे। इस मामले में जुलाई 2007 में एक विशेष अदालत ने बलवंत सिंह राजोआना को दोषी ठहराते हुए उसे मौत की सजा सुनाई थी। मार्च 2012 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने उसकी ओर से संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत सुप्रीम कोर्ट में दया याचिका दायर की थी। पिछले साल 3 मई को सर्वोच्च न्यायालय ने राजोआना की मौत की सजा को कम करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि सक्षम प्राधिकारी ही दया याचिका पर विचार कर सकते हैं।

‘मैं एक आस्थावान व्यक्ति हूं, सभी धर्मों का सम्मान करता हूं’, कार्यक्रम में बोले जस्टिस चंद्रचूड़

नई दिल्ली:  भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड ने सोमवार को कहा कि वह एक आस्थावान व्यक्ति हैं और सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करते हैं। एक कार्यक्रम के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया कि उन्होंने अयोध्या के फैसले से पहले भगवान से प्रार्थना की थी।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गणेश पूजा पर उनके निवास पर आना कोई गलत बात नहीं है। उन्होंने कहा, पीएम गणपति पूजा के लिए मेरे आवास पर आए। इसमें कुछ भी गलत नहीं है, क्योंकि सामाजिक स्तर पर भी न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच बैठकें होती हैं। हम राष्ट्रपति भवन, गणतंत्र दिवस आदि पर मिलते हैं। हम प्रधानमंत्री और मंत्रियों के साथ बातचीत करते हैं। इन बातचीत में वह मामले शामिल नहीं होते हैं, जिन पर हम फैसले देते हैं।

सीजेआई ने कहा कि यह समझना जरूरी है कि बातचीत एक मजतबूत अंतर-संस्थागत तंत्र का हिस्सा है। न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच शक्ति के विभाजन का मतलब यह नहीं है कि दोनों एक-दूसरे मिल नहीं सकते। अयोध्या राम मंदिर विवाद के समाधान के लिए भगवान से प्रार्थना करने के अपने बयान चंद्रचूड़ ने कहा कि वह एक आस्थावान व्यक्ति हैं और सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने पीएम मोदी को दी चुनौती, बोले- देश की अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मची है

नई दिल्ली:  कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को आरोप लगाया कि भाजपा की ‘जनविरोधी’ नीतियां भारत की अर्थव्यवस्था को तबाह कर रही हैं। खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देते हुए कहा कि वह विपक्ष के खिलाफ ‘झूठ’ बोलने के बजाय भविष्य की अपनी चुनावी रैलियों में देश के असल मुद्दों पर बोलें। खरगे ने कहा कि फर्जी बयानबाजी, जनकल्याण के असल मुद्दों की जगह नहीं ले सकती।

‘अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मची है’
कांग्रेस अध्यक्ष ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि ‘आम नागरिकों से उनका सारा पैसा लूटकर आपने जो आर्थिक उथल-पुथल मचाई है, उस पर एक नजर डालिए! यहां तक कि त्योहारों का उल्लास भी भारत की अर्थव्यवस्था को उत्साहित नहीं कर सका। अर्थव्यवस्था कम खपत, उच्च मुद्रास्फीति, बढ़ती असमानता, निवेश में कमी और वेतन में ठहराव की कमी से जूझ रही है।’ खरगे ने आरोप लगाया कि उद्योग जगत के दिग्गज भी कह रहे हैं कि देश का मध्यम वर्ग सिमट रहा है क्योंकि मोदी सरकार कमरतोड़ महंगाई और लोगों की बचत खत्म करके गरीब और मध्यम वर्ग को बड़ा झटका दे रही है।

खरगे ने आंकड़ों के आधार पर सरकार को घेरा
खरगे ने लिखा कि ‘पांच निर्विवाद तथ्य है- खाद्य महंगाई 9.2 प्रतिशत पहुंच गई है। सब्जियों की मुद्रास्फीति (महंगाई) अगस्त में 10.7 प्रतिशत थी, जो अब बढ़कर सितंबर 2024 में 14 महीने के उच्चतम स्तर 36 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह एक तथ्य है कि एफएमसीजी क्षेत्र में मांग में भारी गिरावट देखी गई है, बिक्री में वृद्धि एक साल में 10.1 प्रतिशत से घटकर सिर्फ 2.8 प्रतिशत रह गई है। यह आपके अपने वित्त मंत्रालय की मासिक रिपोर्ट में यह कहा गया है।’

बेअंत हत्याकांड के दोषी की दया याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा- फैसला लें वरना हम विचार करेंगे

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा कि अगर वे बेअंत सिंह हत्याकांड के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर विचार नहीं करते हैं तो हम करेंगे। बेअंत सिंह पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री थे, साल 1995 में उनकी हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में बलवत सिंह राजोआना को दोषी ठहराया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या टिप्पणी की
जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीके मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने बलवंत सिंह राजोआना की याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी। याचिका में कहा गया है कि उसकी दया याचिका पर फैसला लेने में हुई बहुत देरी के कारण उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल देना चाहिए। 25 सितंबर को शीर्ष अदालत ने राजोआना की याचिका पर केंद्र, पंजाब सरकार और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासन से जवाब मांगा था।

राष्ट्रपति के पास लंबित है याचिका
केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि राजोआना की दया याचिका राष्ट्रपति भवन में लंबित है, जिसके बाद पीठ ने उनसे कहा, ‘किसी भी तरह से फैसला करें या हम इस पर (राजोआना की याचिका) विचार करेंगे।’ दया याचिका पर फैसला होने तक राजोआना की रिहाई की मांग करते हुए राजोआना के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि रजोआना 29 साल से लगातार हिरासत में है। रोहतगी ने कहा कि ‘उनकी दया याचिका पिछले 12 साल से राष्ट्रपति भवन में लंबित है। कृपया उन्हें छह या तीन महीने के लिए रिहा कर दें। कम से कम उन्हें यह देखने दें कि बाहरी दुनिया कैसी दिखती है।’ वहीं पंजाब सरकार ने पीठ को बताया कि उन्हें मामले में अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए कुछ समय चाहिए।

1995 में हुई थी पंजाब के तत्कालीन सीएम की हत्या
31 अगस्त, 1995 को चंडीगढ़ में सिविल सचिवालय के प्रवेश द्वार पर हुए विस्फोट में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और 16 अन्य लोग मारे गए थे। इस मामले में जुलाई 2007 में एक विशेष अदालत ने बलवंत सिंह राजोआना को दोषी ठहराते हुए उसे मौत की सजा सुनाई थी। मार्च 2012 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने उसकी ओर से संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत सुप्रीम कोर्ट में दया याचिका दायर की थी। पिछले साल 3 मई को सर्वोच्च न्यायालय ने राजोआना की मौत की सजा को कम करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि सक्षम प्राधिकारी ही दया याचिका पर विचार कर सकते हैं।

जेपीसी में शामिल विपक्षी सांसदों ने ओम बिरला को लिखा पत्र, कहा- एक पक्षीय फैसला हुआ तो…

बंगलूरू:वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में शामिल विपक्षी सांसदों ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखा है। इस पत्र में विपक्षी सांसदों ने वक्फ विधेयक को लेकर अपने विचार रखने के लिए और समय देने की मांग की है। विपक्षी सांसद इस मुद्दे पर मंगलवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात भी कर सकते हैं।

विपक्षी सांसदों ने जेपीसी अध्यक्ष पर लगाए ये आरोप
विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल कथित तौर पर मनमानी कर रहे हैं और अगर उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए और समय नहीं दिया गया तो वे समिति से अपना नाम ही वापस ले लेंगे। जेपीसी में शामिल विपक्षी सांसदों में डीएमके के ए राजा, कांग्रेस के मोहम्मद जावेद, इमरान मसूद, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, आप के संजय सिंह और टीएमसी के कल्याण बनर्जी आदि का नाम है। विपक्षी सांसदों का आरोप है कि जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल मनमाने फैसले ले रहे हैं और बैठक की तारीख तय करने और गवाहों को बुलाने में मनमानी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जेपीसी भी एक छोटी संसद की तरह है, जिसमें विपक्षी सांसदों को भी सुना जाना चाहिए न कि तय प्रक्रिया का पालन किए बगैर विधेयक को पारित नहीं कराना चाहिए। जेपीसी की बैठक में जमकर विरोध हो रहा है। भाजपा सांसदों का आरोप है कि विपक्षी सांसद जानबूझकर बिल को लटकाना चाहते हैं।

कर्नाटक में वक्फ संपत्ति विवाद में भाजपा का विरोध प्रदर्शन
कर्नाटक में किसानों की कई सौ एकड़ जमीन पर वक्फ बोर्ड द्वारा दावा जताए जाने को लेकर राजनीति गरमा गई है। भाजपा ने इस मुद्दे को लेकर सोमवार को कांग्रेस सरकार के खिलाफ प्रदेश व्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू किया। भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर जमीन जिहाद में शामिल होने का आरोप लगाया। साथ ही विपक्षी दल ने वक्फ मंत्री जमीर अहमद खान को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की भी मांग की। भाजपा के विरोध प्रदर्शन के एलान के बाद कांग्रेस सरकार दबाव में दिखी और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शनिवार को अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसानों को जारी किए गए सभी नोटिस तुरंत रद्द किए जाएं और बिना उचित सूचना के भूमि रिकॉर्ड में किसी भी अनधिकृत संशोधन को भी रद्द किया जाना चाहिए। हालांकि इसके बावजूद भाजपा ने विरोध प्रदर्शन जारी रखने का फैसला किया।

सीएम ने लगाया राजनीति करने का आरोप
गौरतलब है कि कर्नाटक के विजयपुरा जिले के किसानों के एक वर्ग ने आरोप लगाया कि उनकी जमीन को वक्फ संपत्ति के रूप में चिह्नित किया गया है, और इसी तरह के आरोप कुछ अन्य स्थानों से भी सामने आए हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने बल्लारी में विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया, वहीं विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने केआर पुरम में विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। इसी तरह, राज्य के विभिन्न हिस्सों में पार्टी के विभिन्न नेता विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। रविवार को सिद्धारमैया ने किसानों को भेजे वहीं सभी नोटिस वापस लेने के अधिकारियों को निर्देश देने के बावजूद भाजपा द्वारा विरोध प्रदर्शन आयोजित करने को लेकर सीएम सिद्धारमैया ने भाजपा पर निशाना साधा। सीएम ने आरोप लगाया कि उनका मकसद पूरी तरह से राजनीतिक है, किसानों के कल्याण की रक्षा में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है।