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किसान के खेत से सीधे खरीदार के घर पहुंचेंगे उत्पाद, पढ़ें पूरी खबर

नई दिल्ली: किसान आंदोलन के बीच केंद्र सरकार ने किसानों के फायदे के लिए एक बड़ा फैसला करते हुए राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) को डिजिटल कॉमर्स के ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी) से जोड़ दिया है। कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने एक्स पर इसकी जानकारी देते हुए बताया कि इस फैसले से किसानों के उत्पाद खेत से सीधे खरीदारों के घर डिलीवर हो पाएंगे। मुंडा ने कहा कि सरकार का यह फैसला किसानों की आय बढ़ाने में मददगार होगा।

ई-नाम के जरिये किसान अब तक अपनी फसल को ऑनलाइन बेच सकते थे। अब इसे ओएनडीसी के साथ जोड़े जाने से किसानों को खरीदारों का व्यापाक आधार मिलेगा, खासतौर पर एफपीओ (फॉर्मर प्रड्यूसर ऑर्गनाइजेशन) के साथ यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसानों की उपज खेतों से सीधे लोगों के घर डिलीवर हो सके। मुंडा ने बताया कि ई-नाम पर पंजीकृत किसानों को ओएनडीसी के जरिये सीधे ग्राहकों तक पहुंचने का मौका मिलेगा। ब्यूरो

2016 में हुई थी ई-नाम की शुरुआत
ई-नाम की शुरुआत 14 अप्रैल, 2016 को हुई थी। आज 23 राज्य व 4 केंद्र शासित प्रदेशों के 1,389 थोक बाजार ई-नाम से जुड़े हैं। यहां किसानों की उपज की प्रतिस्पर्धी बोली लगाई जाती है, जिससे किसानों को फसल की अच्छी कीमत मिलती है।

प्राकृतिक नहीं कोविड वायरस, लैब से फैली महामारी; ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों का चौंकाने वाला दावा

दुनियाभर में 70 लाख से ज्यादा लोगों की जान लेने वाले कोविड वायरस को लेकर ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने चौंकाने वाला दावा किया है। उन्होंने कहा, वायरस प्राकृतिक नहीं है। एक विशेष उपकरण से वैज्ञानिकों ने पाया कि कोविड वायरस के लैब रिसाव की वजह से दुनिया में फैलने की आशंका 50% है। मूल रूप से प्राकृतिक महामारी और जानबूझकर किए गए जैविक हमलों के बीच अंतर करने के लिए डिजाइन किए गए ग्रुनो-फिन्के टूल (एमजीएफटी) को संशोधित कर वैज्ञानिकों ने कोविड वायरस का विश्लेषण किया। एमजीएफटी को छोटे स्तर के प्रकोपों के लिए तैयार किया गया, जिसे न्यू साउथ वेल्स व जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी ने संशोधित किया।

टूल का पहली बार कोविड महामारी के लिए इस्तेमाल
वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में चल रहे बैट वायरस अनुसंधान के जैविक जोखिम, असामान्य तनाव और महामारी की तीव्रता और गतिशीलता जैसे कारकों को 3, 3 और 2 अंक मिले, जबकि नैदानिक लक्षणों को 2 अंक मिले। स्कोर की गणना करने के लिए प्रत्येक मानदंड को एक भार कारक (1-3) से गुणा किया गया था। इसके आधार पर 50 फीसदी ज्यादा अंतिम स्कोर आया, जो बताता है कि वायरस की उत्पत्ति प्राकृतिक नहीं थी। इस टूल को पहली बार कोविड महामारी के संदर्भ में इस्तेमाल किए जाने को लेकर शोधकर्ताओं ने कहा कि इन नतीजों का दूसरे तरीकों से परीक्षण किया जा सकता है।

व्यापक विश्लेषण किया
वैज्ञानिकों ने सिफारिश करते हुए कहा कि एमजीएफटी एक जोखिम विश्लेषण ढांचा प्रदान करता है। इसे प्राकृतिक और अप्राकृतिक महामारी के बीच अंतर करने के लिए लागू किया जा सकता है और इस उपकरण को महामारी की उत्पत्ति की जांच के लिए टूलसेट में शामिल किया जाना चाहिए। इस अध्ययन में पारंपरिक वायरोलॉजी, महामारी विज्ञान और चिकित्सा कारकों से लेकर स्थितिजन्य और अन्य बुद्धिमत्ता तक के कारकों के आधार पर व्यापक विश्लेषण किया गया है। इसे लेकर वैज्ञानिक काफी हद तक आश्वस्त हैं।

बहन की गिरफ्तारी के बाद भाई को याद आए चंद्रबाबू नायडू, एक्स पर शेयर की ये पोस्ट

प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली शराब नीति मामले में बीआरएस नेता के.कविता को गिरफ्तार किया है। अब उनके भाई केटी रामाराव ने तेलगू देशम पार्टी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू की 2019 में की गई टिप्पणियों की याद दिलाई है। उस दौरान चंद्रबाबू नायडू ने सरकार द्वारा जांच एजेंसियों के दुरुपयोग की निंदा की थी।

चंद्रबाबू नायडू ने लिखी थी यह बात
चंद्रबाबू नायडू ने 2019 में एक्स पर एक पोस्ट की थी। उसमें लिखा था कि ‘आम चुनाव से ठीक पहले विपक्षी नेताओं और उनके परिवार के सदस्यों को पीड़ित करने के लिए सीबीआई और ईडी जैसी संस्थाओं का दुरुपयोग बेहद परेशान करने वाला है और दिखाता है कि भाजपा राजनीतिक प्रतिशोध के लिए कितनी नीचे गिर सकती है। इन हमलों का समय संदिग्ध है।’ केटी रामा राव ने टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू के इस सोशल मीडिया पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा है कि ‘इसे चंद्रबाबू नायडू गारू से बेहतर नहीं रखा जा सकता था।’

बता दें कि तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के.चन्द्रशेखर राव की बेटी के.कविता को दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया है। दो महीने पहले कविता को समन जारी किया गया था। केंद्रीय एजेंसी ने धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत उनका बयान दर्ज किया था।

सैन्य प्रशिक्षण के दौरान घायल होने पर अमान्य हुए तो मिलेंगी सुविधाएं, राजनाथ ने प्रस्ताव को दी मंजूरी

नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सैन्य प्रशिक्षण के दौरान कैडेट्स के घायल पर प्रदान की जा रही पुनर्वास सुविधाओं के विस्तार के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उन कैडेट्स को अन्य सुविधाएं भी दी जाएंगी जिन्हें घायल होने के कारण घर लौटने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘रक्षा मंत्री ने उन कैडेट्स के लिए पुनर्वास (रीसेटलमेंट) सुविधाओं के विस्तार के प्रस्ताव को मंजूरी दी है, जो प्रशिक्षण के दौरान चिकित्सा आधार पर सैन्य प्रशिक्षण के लिए अमान्य हो गए हैं।’ इसमें आगे कहा, यह फैसला इसलिए लिया गया है, क्योंकि कैडेट सशस्त्र बलों में अधिकारियों के रूप में भर्ती होने के इरादे से कम उम्र में सैन्य अकादमियों में शामिल होते हैं और वर्दी में राष्ट्र की सेवा के प्रति प्रतिबद्धता दिखाते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से उनमें से कुछ अमान्य हो जाते हैं।

बयान में कहा गया कि दशकों से कैडेट्स और उनके माता-पिता इस तरह के पुनर्वास की सुविधा की मांग कर रहे हैं। हर साल करीब 10 से 20 लोग चिकित्सा आधार पर अमान्य हो जाते हैं। इसमें कहा गया, हर साल सैन्य अकादमियों में युवा कैडेट अकादमिक और सैन्य प्रशिक्षण से गुजरते हैं और इनका मुख्य उद्देश्य सशस्त्र बलों में अधिकारियों के तौर पर कमीशन हासिल करना होता है।

इसमें आगे कहा गया, मौजूदा नियमों के मुताबिक ऐसे कैडेट को कमीशन मिलने के बाद ही अधिकारी माना जाता है। रक्षा मंत्रालय ने कहा, मौजूदा नियमों के मुताबिक एक कैडेट को कमीशन मिलने के बाद ही अधिकारी माना जाता है। कुछ कैडेट (प्रति वर्ष 10-20) कठोर सैन्य प्रशिक्षण के कारण या उसके कारण बढ़ने के कारण चिकित्सा आधार पर अमान्य हो जाते हैं। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि पुनर्वास नीति के तहत कौन-कौन सी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

शशि थरूर ने केंद्र पर लगाया वादाखिलाफी का आरोप, लेकिन अपने संसदीय क्षेत्र को लेकर ही घिर गए

तिरुवनंतपुरम:  कांग्रेस नेता शशि थरूर ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है और केंद्र पर वादाखिलाफी करने का आरोप लगाया है। शशि थरूर ने कहा कि भाजपा के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए उनके वादों पर भरोसा करना मुश्किल है। वहीं केंद्रीय मंत्री और तिरुवनंतपुरम सीट पर भाजपा के उम्मीदवार राजीव चंद्रशेखर शशि थरूर के आरोपों पर निशाना साधा है और उनके ही संसदीय क्षेत्र की समस्या बता दी।

शशि थरूर बोले- सरकार पर विश्वास नहीं करना चाहिए
तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार शशि थरूर ने कहा कि भाजपा सरकार ने बीते 10 वर्षों में अपने तीन वादे तोड़े हैं। उन्होंने केरल में एम्स बनाने का वादा किया था, लेकिन अभी तक केरल में कोई एम्स नहीं है। उन्होंने केरल में नेशनल आयुर्वेद यूनिवर्सिटी बनाने का वादा किया था, लेकिन अब उसे गुजरात में बनाया जा रहा है। भाजपा का ट्रैक रिकॉर्ड जीरो है और उनके ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए किसी को भी उन पर विश्वास नहीं करना चाहिए।

लोकसभा चुनाव की तारीखों का हुआ एलान; पश्चिम बंगाल में सात चरणों में होंगे चुनाव

कोलकाता: लोकसभा चुनाव को लेकर तमाम पार्टियों ने कमर कस ली है। चुनाव आयोग ने आज चुनावी कार्यक्रम की घोषणा की। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के अनुसार, इस बार 97 करोड़ मतदाना मतदान करेंगे। चुनाव में 55 लाख ईवीएम का इस्तेमाल होगा और 10.5 लाख मतदान केंद्रों में चुनाव आयोजित किया गया है। इसी के साथ पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान भी हो चुका है। पश्चिम बंगाल में सात चरणों में चुनाव होगा। बंगाल की 42 लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल, 26 अप्रैल, 07 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और एक जून को मतदान होंगे। देशभर में चार जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे आएंगे।

लोकसभा चुनाव के लिए इस बार पश्चिम बंगाल मुख्य केंद्र बना हुआ है। दरअसल, संदेशखाली हिंसा के बाद बंगाल में बदलाव की उम्मीद की जा रही है। बता दें कि पिछली लोकसभा चुनाव में भाजपा ने ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस को 18 सीटें जीतकर बड़ा झटका दिया था। भाजपा सरकार को केंद्र से हटाने के लिए सभी विपक्षी पार्टियां एकसाथ आई थी, लेकिन पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने बिना गठबंधन अकेले चुनाव लड़ने का फैसला करते हुए सभी को चौंका दिया था। बंगाल की 42 सीटों के लिए उन्होंने उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी है।

भाजपा और टीएमसी के बीच हुई थी कांटे की टक्कर
पिछली बार की तरह इस बार फिर बंगाल में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा का सीधा सामना ममता बनर्जी की टीएमसी से होने वाला है। पिछली लोकसभा चुनाव में भाजपा और टीएमसी के बीच कांटे की टक्कर हुई थी। जहां भाजपा ने 18 सीटें तो टीएमसी ने 22 सीटें जीतीं थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में 17 फीसदी वोट के साथ महज दो सीटें जीतने वाली भाजपा ने 2019 में 40 फीसदी वोट के साथ 18 सीटें जीतकर जबरदस्त राजनीतिक उलटफेर किया था।

कुर्मियों की झंडाबरदार मां या बेटी?…तय करेगा चुनाव, अपना दल के दोनों धड़ों की चुनौती

लखनऊ: कुर्मी जाति की झंडाबरदार के तौर पर राजनीति करने वाले अपना दल के दोनों धड़ों की नेताओं (मां कृष्णा पटेल और बेटी अनुप्रिया पटेल) के लिए लोकसभा चुनाव कई मायने में चुनौतियों से भरा होगा। 2014 के बाद अलग-अलग होकर एक ही जाति की सियासत करने वाली मां-बेटी इस बार लगातार दूसरा चुनाव एक-दूसरे के खिलाफ लड़ेंगी। ऐसे में मां-बेटी सजातीय वोटों की कसौटी पर भी रहेंगी। हालांकि, दोनों दलों के लिए सीटें अभी भले ही तय नहीं हैं, लेकिन लोस चुनाव में मां-बेटी की समाज पर पकड़ की परख तो जरूर ही होगी।

सियासी पंडितों का मानना है कि पांच साल के दौरान अपना दल के राजनीतिक तौर-तरीकों में काफी बदलाव आया है। इसलिए मां-बेटी के दलों में से किसी को कुछ फायदा होगा, तो किसी को नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। वैसे भी डॉ. सोनेलाल पटेल ने जिन उद्देश्यों को लेकर अपना दल की स्थापना की थी, वे पार्टी के साथ दो भागों में बंट चुके हैं। लिहाजा बंटवारे के साथ दोनों दलों की प्राथमिकताएं भी अलग-अलग हैं।

2019 में मां-बेटी की राहें हो गईं जुदा
2014 के लोस चुनाव में अपना दल एक था, इसलिए कुर्मी समाज भी एकजुट था। 2019 से यह दो धड़ों में बंट गया। अपना दल (कमेरावादी) की कमान कृष्णा पटेल व बड़ी बेटी पल्लवी पटेल के, तो अपना दल (एस) की कमान दूसरी बेटी अनुप्रिया पटेल और दामाद आशीष पटेल के हाथों में है। 2019 के चुनाव में कृष्णा पटेल के नेतृत्व को कोई खास सफलता नहीं मिल पाई थी। अलबत्ता अपना दल (एस) ने मिर्जापुर और सोनभद्र सीट पर विजय हासिल की। कुर्मी बहुल कई सीटों पर वह भाजपा को जिताने में भी मददगार साबित हुआ था।

मोदी सरकार का बड़ा फैसला, यासीन मलिक की पार्टी पर पांच और साल रहेगा प्रतिबंध

कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक के संगठन पर प्रतिबंध बढ़ा दिया गया है। नरेंद्र मोदी सरकार ने आज एलान किया कि ‘जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट’ पांच साल की अवधि के लिए एक ‘गैरकानूनी संगठन’ होगा,केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रतिबंधित संगठन जम्मू-कश्मीर में आतंक और अलगाववाद को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों में शामिल है।

‘चुनावी बॉन्ड एक बड़ा स्कैम’, कांग्रेस ने भाजपा को घेरा, ईडी को बताया जबरन वसूली का निदेशालय

लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने भाजपा को चुनावी बॉन्ड को लेकर घेरा है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने चुनावी बॉन्ड स्कैम को एक बड़ा स्कैम बताया है। इसी के साथ उन्होंने भाजपा पर ध्रुवीकरण की रणनीति करने का आरोप लगाया है।

चुनावी बॉन्ड एक बड़ा स्कैम
जयराम रमेश ने कहा, “हमने 25 गारंटी दी है। भाजपा ध्रुवीकरण और भेदभाव की रणनीति का उपयोग कर रही है। मोदी-अदाणी स्कैम की ही तरह चुनावी बॉन्ड स्कैम भी एक बड़ा स्कैम है। यह जबरन वसूली है और ईडी जबरन वसूली का निदेशालय बन गया है। हम चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इसकी (चुनावी बॉन्ड) निष्पक्ष जांच करे।”

अधीर रंजन चौधरी ने दी प्रतिक्रिया
चुनावी बॉन्ड मामले पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा लाई गई चुनावी बॉन्ड का हमने हमेशा विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताया है। यह बयान (सुप्रीम कोर्ट का बयान) हमें यह बताता है कि यह सरकार कितनी असफल है।”

चुनाव आयोग और निष्पक्ष चुनाव संचालन पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “चुनाव आयोग को निष्पक्ष होना चाहिए। यह किसी पार्टी का नहीं होना चाहिए। आचार संहिता लागू होते ही सत्ताधारी दल मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करते हैं। चुनाव आयोग का आचरण सभी के लिए समान और निष्पक्ष होना चाहिए।”

अधीर रंजन ने आगे कहा, “इंडिया गठबंधन की तरफ से हमेशा यह कहा गया कि अगर हमें भाजपा से मुकाबला करना है तो यह हम एकसाथ होकर ही कर सकते हैं। इससे पहले हमने देखा कि बिहार और बंगाल की पार्टियां भी इसके लिए एकसाथ आई थी।” उन्होंने इसपर सवाल करते हुए पूछा, “ममता बनर्जी ने भी राहुल गांधी को अपना नेता माना था, लेकिन उसके बाद क्या हुआ? हमें उनसे पूछना चाहिए। इसके अंदर की कहानी क्या है? शायद इसके पीछे कोई रहस्य हो।”

सपा से किसका होगा टिकट, जल्द हो सकती है घोषणा, लखनऊ में मंथन के बीच दो नेताओं में नोकझोंक

मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट के टिकट पर समाजवादी पार्टी शुक्रवार को लखनऊ में फिर मंथन हुआ। देर शाम तक या फिर कल टिकट घोषित होने की उम्मीद है। टिकट पर मंथन करने के लिए दावेदार लखनऊ में हैं। मेरठ-हापुड़ लोकसभा से सपा के सिंबल पर चुनाव कौन लड़ेगा, इसे लेकर बैठक हो चुकी है।

इससे पहले मंगलवार को भी टिकट को लेकर सपाइयों में मंथन हुआ था। पूर्व और वर्तमान विधायक व पदाधिकारियों समेत 11 लोग राष्ट्रीय अध्यक्ष और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव से मिले थे। दावेदार ज्यादा हैं, इसलिए टिकट फाइनल नहीं हो सका। अब फिर से टिकट पर मंथन किया गया है।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से टिकट को लेकर खींचतान है, उससे कोई नया भी बाजी मार सकता है।फिलहाल मेरठ से सपा के टिकट की दौड़ में किठौर विधायक शाहिद मंजूर, शहर विधायक रफीक अंसारी, सरधना विधायक अतुल प्रधान, पूर्व विधायक योगेश वर्मा, पूर्व सांसद हरीश पाल के बेटे नीरज पाल, जिलाध्यक्ष विपिन चौधरी, अमरोहा से सपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़े मुखिया गुर्जर, आकिल मुर्तजा के नाम प्रमुखता में चल रहे हैं। इनके समर्थक सोशल मीडिया पर अपने-अपने नेता का टिकट फाइनल होने का दावा भी कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ फोटो भी पोस्ट कर रहे हैं।

पहले उम्मीद थी कि 13 या 14 मार्च को टिकट फाइनल हो जाएगा, लेकिन दावेदार ज्यादा होने और उनमें आपसी खींचतान के कारण टिकट को लेकर अभी असमंजस की स्थिति है। अब सपा पदाधिकारी 15 मार्च की शाम या 16 मार्च को टिकट फाइनल होने का दावा कर रहे हैं। सपा के टिकट पर सभी की निगाहें लगी हुईं हैं।

बैठक में भी योगेश वर्मा और अतुल प्रधान की कलह आई सामने
पार्टी सूत्रों का कहना है कि लखनऊ में जब टिकट को लेकर मंथन चल रहा था तो इस दौरान अतुल प्रधान और योगेश वर्मा के बीच आपसी कलह सामने आई।