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‘राजनेताओं की अपनी सीमा, मैं अयोध्या नहीं जा रहा’, प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर बोले पुरी शंकराचार्य

पुरी पीठाधीश्वर निश्चलनानंद सरस्वती शनिवार को पश्चिम बंगाल के गंगा सागर मेले में हिस्सा लेने पहुंचे। उन्होंने किसी का नाम लिए बिना ही, इशारों-इशारों में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर कई संदेश दिए। शंकराचार्य ने कहा, ‘कहा जाता है कि श्री राम जी यथा स्थान प्रतिष्ठित हों, आवश्यक है। लेकिन शास्त्र सम्मत विधि के अनुपालन करके ही उनकी प्राण प्रतिष्ठा हो, यह भी आवश्यक है। जो प्रतिमा होती है, विग्रह होता है, मूर्ति होती है, विधिवत उसमें भगवत का सन्निवेश होता है।’

उन्होंने आगे कहा, ‘विधिवत पूजा प्रतिष्ठा न होने पर उस प्रतिमा में अड़चन आती है। विग्रह में, मूर्ति में डाकनी, शाकनी, भूत प्रेत-पिशाच इन सबका प्रवेश हो जाता है। वे डाकनी, शाकनी, भूत-प्रेत, पिशाच विप्लव मचा देते हैं। शास्त्र सम्मत विधि से राम जी की प्रतिष्ठा हो। पूजन इत्यादि का प्रकल्प भी शास्त्र सम्मत विधा से हो। मैं एक संकेत करता हूं। संविधान का अर्थ ही होता है, विधि और निशेध। इतनी सी बात है। किसी शंकराचार्य में मतभेद नहीं है।’

‘विधि का अनुपालन करने से व्यक्ति गंतव्य तक पहुंचता है। तो फिर शास्त्र सम्मत निशेध का अनुपालन करने से ही शास्त्र सम्मत फल मिलता है। यह कटु सत्य है।’ एक सवाल के जवाब में शंकराचार्य ने कहा, ‘राजनेताओं की अपनी सीमा होती है, उनका दायित्व होता है। संविधान की सीमा में, धार्मिक, आध्यात्मिक क्षेत्र में विधि का पालन विधिवत हो। हर क्षेत्र में दखल करने में राजनेता का उन्माद माना जाता है।’

भारतीय संविधान की दृष्टि से भी जघन्य अपराध सिद्ध होता है। हमारी भी अपनी कोई सीमा है। हम कहां जाएं, कहां नहीं जाएं। क्या भोजन करें, क्या नहीं करें। किस क्षेत्र में हस्तक्षेप करें, किस क्षेत्र में हस्तक्षेप न करें। शासकों पर शासन करने का अधिकार शंकराचार्य का है। फिर मूर्ति प्रतिष्ठान को लेकर शास्त्र सम्मत विधि से लोभ का, अविवेक का कोई प्रश्न नहीं है। उस विधि से अनुपालन करने का ही प्रधानमंत्री या राष्ट्राध्यक्ष का दायित्व है। विधि का अतिक्रमण करके अपने नाम कमाने का प्रयास करना भगवान से विद्रोह लेना है, अपने को चकनाचूर होने का मार्ग चुनना है। एक सवाल के जवाब में शंकराचार्य ने कहा, मैं 22 जनवरी को अयोध्या नहीं जा रहा हूं। अयोध्या से मैं नहीं रूठा हूं। अयोध्या जाता रहता हूं। लेकिन मेरा कार्यक्रम अयोध्या जाने का नहीं है।

‘श्री सोनल माता का जीवन जनकल्याण के लिए समर्पित रहा’, जन्म शताब्दी पर बोले पीएम मोदी

आई श्री सोनल मां की जन्म शताब्दी के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो संदेश जारी कर उन्हें याद किया। वीडियो संदेश में पीएम मोदी ने कहा कि श्री सोनल मां का जीवन जनकल्याण, देश सेवा और धर्म के लिए समर्पित रहा। जूनागढ़ में लोगों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ‘सोनल मां का पूरा जीवन जनकल्याण, देश सेवा और धर्म के लिए समर्पित रहा। उन्होंने कई महान लोगों जैसे भगत बापू, विनोबा भावे, रविशंकर महाराज, कानभाई लाहरी, कल्याण शेठ के साथ काम किया।’

प्रधानमंत्री ने चारण समाज की तारीफ की
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘आई श्री सोनल मां की जन्म शताब्दी पौष के पवित्र महीने में पड़ रही है और यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मैं इस पवित्र कार्यक्रम से जुड़ा।’ प्रधानमंत्री ने पूरे चारण समाज को इस अवसर पर बधाई दी और कहा कि ‘मढड़ा धाम चारण समाज के लिए शक्ति, परंपराओं और विधान का केंद्र है। मैं श्री सोनल मां के चरणों में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।’ पीएम ने कहा ‘चारण समाज के विद्वानों के बीच उनका एक विशेष स्थान हुआ करता था। उन्होंने कितने ही युवाओं को दिशा दिखाकर उनका जीवन बदला। उन्होंने समाज में शिक्षा के प्रसार के लिए अद्भुत काम किया। सोनल मां ने व्यसन और नशे के अंधकार से समाज को निकालकर नई रोशनी दी। कच्छ के वोवार गांव से उन्होंने बहुत बड़ा प्रतिज्ञा अभियान शुरू किया था। पशुधन के प्रति भी उनका उतना ही बल था। पशुधन की रक्षा करने पर वह हर क्षेत्र में हर समय आग्रह करती थीं।

चारण समाज में एक से एक विद्वानों हुए है। पूज्य ठारण बापू, ईसर दास जी, पिंगलशी बापू, काग बापू, मेरूभा बापू, शंकरदान बापू, शंभुदान जी, भजनीक नारणस्वामी, हेमुभाई गढवी, पद्मश्री कवि दाद और पद्मश्री भीखुदान गढवी ऐसे कितने ही व्यक्तित्व चारण समाज के विचारों को समृद्ध करते रहे हैं। विशाल चारण साहित्य आज भी इस महान परंपरा का प्रमाण है।’

प्रधानमंत्री ने कहा ‘आज जब भारत विकसित और आत्मनिर्भर होने के लक्ष्य पर काम कर रहा है, तो आई श्री सोनल मां की प्रेरणा, हमें नई ऊर्जा देती है। इन लक्ष्यों की प्राप्ति में चारण समाज की भी बड़ी भूमिका है। सोनल मां के दिए गए 51 आदेश, चारण समाज के लिए दिशा दर्शक और पथ दर्शक हैं। चारण समाज को इसे याद रखना चाहिए और समाज में जागृति लाने का काम निरंतर जारी रखना चाहिए।’

‘पीएम मोदी ने बदल दी राजनीति की परिभाषा, ‘नमो नवमतदाता’ अभियान के शुभारंभ पर बोले जेपी नड्डा

भारत की करीब 61 फीसदी आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है। यह हमारी ताकत, उर्जा और संपत्ति है। यह विकसित भारत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह बात शनिवार को दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मुख्यालय पर ‘नमो नवमतदाता’ अभियान के शुभारंभ के मौके पर पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा ने कही।

‘पीएम मोदी ने बदल दी राजनीति की परिभाषा’
नड्डा ने कहा, “कई लोग अक्सर कहते हैं कि राजनीति नहीं करनी चाहिए। लेकिन, आप पाएंगे कि जीवन के सभी क्षेत्रों में राजनीति है। चाहे स्थिति जो भी हो, आपको राजनीतिक होना ही होगा। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीति की परिभाषा को बदल कर रख दिया है। यही वजह है कि आज विपक्ष को उठाने के लिए मुद्दे नहीं मिल रहे हैं। उन्हें कोई समस्या नहीं है।”

इंडिया गठबंधन पर साधा निशाना
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आगे कहा, “जब मैंने इंडिया गठबंधन के बारे में सुना तो पूछा कि बैठक कहां हो रही है। तो पता चला कि यह एक आभासी (वर्चुअल) बैठक है। एक वर्चुअल गठबंधन एक वर्चुअल बैठक ही करेगा। वे इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सकते। प्रधानमंत्री मोदी का एजेंडा विकसित भारत, युवा और महिला सशक्तिकरण, गरीबी कम करना है। लेकिन उनका (विपक्ष) एजेंडा क्या है? उनका एजेंडा मोदी हटाओ है। इंडिया गठबंधन के सिर्फ दो एजेंडे हैं- परिवार बचाओ और संपत्ति बचाओ।”

विपक्षी नेताओ के परिवारवाद पर साधा निशाना
नड्डा ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो ममता बनर्जी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के संस्थापक शरद पवार, जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला और द्रमुक नेता व तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि एम करुणानिधि और प्रकाश सिंह बादल जैसे विपक्षी नेता जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, वे हमेशा अपने बच्चों के सियासी भविष्य को लेकर चिंतित रहते थे। उन्होंने पूछा, क्या (समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष) अखिलेश यादव को उनकी पत्नी डिंपल यादव की लोकसभा सदस्यता की चिंता नहीं है?

‘जमानत पर बाहर हैं सोनिया-राहुल’
उन्होंने आगे कहा, ‘ये सभी नेता केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) या प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का सामना कर रहे हैं।’ नड्डा ने आरोप लगाया कि वे (विपक्षी नेता) भ्रष्टाचार करते हैं। लेकिन, जांच एजेंसियों के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करते हैं। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और सांसद राहुल गांधी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों जमानत पर बाहर हैं। उन्होंने कहा, (पीएम) मोदी ने ‘सबका-सबका विकास’ पर जोर देते हुए राजनीति की परिभाषा बदल दी है और विपक्षी दलों को बिना किसी मुद्दे के छोड़ दिया है।

मल्लिकार्जुन खरगे विपक्षी गठबंधन के अध्यक्ष नियुक्त, नीतीश का संयोजक बनने से इनकार

विपक्षी गठबंधन की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को गठबंधन का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। वहीं बैठक में बिहार सीएम और जदयू के नेता नीतीश कुमार ने संयोजक पद ठुकरा दिया। इसकी पुष्टि बिहार सरकार के मंत्री संजय झा ने भी की है। बैठक में नीतीश कुमार ने कहा कि उनकी संयोजक बनने की कोई इच्छा नहीं है बल्कि वह चाहते हैं कि गठबंधन जमीन पर मजबूत बने और बढ़ता रहे। विपक्षी गठबंधन की वर्चुअल बैठक में नीतीश कुमार ने सलाह दी कि कांग्रेस में से किसी को यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए। गौरतलब है कि पिछली बैठक में भी टीएमसी चीफ ममता बनर्जी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की बात कही थी।

विपक्षी गठबंधन की बैठक में ये नेता हुए शामिल
विपक्षी गठबंधन (INDIA Alliance) के शीर्ष नेतृत्व की आज हुई बैठक करीब दो घंटे चली और इस बैठक में गठबंधन को मजबूत करने, सीट बंटवारे के लिए रणनीति बनाने और गठबंधन का संयोजक बनाने पर चर्चा हुई। यह बैठक वर्चुअली हुई, जिसमें 10 पार्टियों के नेता शामिल हुए। बैठक में नीतीश कुमार, एमके स्टालिन, शरद पवार, डी राजा, मल्लिकार्जुन खरगे, उमर अब्दुल्ला, राहुल गांधी, सीताराम येचुरी, लालू यादव-तेजस्वी यादव, अरविंद केजरीवाल शामिल हैं। हालांकि बैठक से पहले ही विपक्ष को झटका लगा जब पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने इस बैठक में शामिल होने से मना कर दिया। साथ ही शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे और सपा नेता अखिलेश यादव भी विपक्षी गठबंधन की इस बैठक में शामिल नहीं हुए।

टीएमसी और कांग्रेस में नहीं बन पा रही सहमति
ममता बनर्जी के बैठक में शामिल ना होने पर टीएमसी ने कहा कि उन्हें बैठक के लिए शॉर्ट नोटिस पर सूचना दी गई और साथ ही कांग्रेस ने बैठक के एजेंडे के बारे में भी कोई जानकारी नहीं दी। हाल के दिनों में यह दूसरी बार है जब टीएमसी ने कांग्रेस के साथ बैठक से इनकार किया है। गुरुवार को ही टीएमसी ने बंगाल में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस के साथ बैठक से इनकार कर दिया था। दरअसल मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को दो सीटें देने की पेशकश कर रही हैं और ज्यादा से ज्यादा तीन पर वह मान सकती हैं, लेकिन कांग्रेस इस पर सहमत नहीं है।

नीतीश कुमार बोले- किसी पद में कोई रुचि नहीं
विपक्षी गठबंधन के संयोजक पद के लिए बिहार के सीएम नीतीश कुमार के नाम की चर्चा थी। जदयू नेताओं के बयान से भी ऐसा लगा था कि पार्टी नीतीश के लिए संयोजक का पद चाहती है, लेकिन अब खुद नीतीश कुमार ने साफ कर दिया है कि उनकी संयोजक बनने में कोई रुचि नहीं है। बैठक में कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा को लेकर भी चर्चा हुई। कांग्रेस की यह यात्रा रविवार यानी 14 जनवरी से मणिपुर से शुरू होगी। इससे पहले शुक्रवार शाम को कांग्रेस नेता मुकुल वासनिक के आवास पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओं की भी बैठक हुई, जिसमें सीट बंटवारे पर चर्चा हुई।

भाजपा ने साधा निशाना
विपक्षी गठबंधन की बैठक पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा ‘जब मैंने विपक्षी गठबंधन की बैठक के बारे में सुना तो पता चला कि यह एक वर्चुअल बैठक है। वर्चुअल गठबंधन सिर्फ वर्चुअल बैठक ही करेगा। इससे ज्यादा वे कुछ नहीं कर सकते।’ विपक्षी गठबंधन की बैठक को लेकर भाजपा सांसद दिलीप घोष ने तंज कसा है। उन्होंने कहा ‘विपक्षी गठबंधन कोई काम नहीं करता और सिर्फ बैठकें करता है। कुछ नहीं होगा और जल्द ही यह गठबंधन टूट जाएगा।’

करारी चुनावी हार के बाद सत्ता गंवा चुकी BRS में पुरानी पहचान की चाह; TRS नाम पर लौटने की सुगबुगाहट

तेलंगाना की राजनीति चर्चा में है। रिपोर्ट्स के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (KCR) की पार्टी- भारत राष्ट्र समिति (BRS) अब अपना पुराना नाम वापस हासिल करना चाहती है। कभी तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) नाम के तले तेलंगाना में शानदार सफलता पा चुकी केसीआर की पार्टी एक बार फिर पुराना नाम हासिल करना चाहती है। खबर है कि पार्टी में TRS नाम दोबारा पाने की सुगबुगाहट हो रही है। कई नेता ऐसे हैं, जिनका मानना है कि बीआरएस को टीआरएस बन जाना चाहिए।

पूर्व CM के बेटे को भेजा गया सुझाव
रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत राष्ट्र समिति के बड़े नेताओं के अलावा कैडर और यहां तक कि आलाकमान भी पार्टी का नाम बदलकर तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कई पार्टी कार्यकर्ताओं ने बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव (KTR) को अपने सुझाव भेजे हैं। बता दें कि केटीआर पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के बेटे भी हैं। केसीआर के नेतृत्व में सियासी रण में उतरी बीआरएस को करीब डेढ़ महीने पहले हुए चुनाव में करारी शिकस्त मिली। 119 विधानसभा सीटों में बीआरएस को केवल 39 सीटें हासिल हुईं।

हार के कारणों पर मंथन के साथ-साथ अगले चुनाव की तैयारी भी
खबर के मुताबिक पार्टी नेताओं का मानना है कि दल के नाम से ‘तेलंगाना’ हटा लेने से जाहिर तौर पर राज्य के साथ अलगाव पैदा हो गया है। गौरतलब है कि केटीआर सहित वरिष्ठ बीआरएस नेता लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र-वार तैयारी की समीक्षा कर रहे हैं। लगातार बैठकें हो रही हैं। इसमें चुनावी हार के कारणों पर विचार-मंथन करते हुए कार्यकर्ताओं से सुझाव मांगे जा रहे हैं। पार्टी ने यह कवायद बीते 3 जनवरी से शुरू की है। इसका मकसद आने वाले लोकसभा चुनाव में अपनी तैयारियों को मजबूत करना है।

गोपनीयता की शर्त पर बीआरएस नेताओं ने कही मन की बात
बीआरएस के एक वरिष्ठ नेता ने गोपनीयता की शर्त पर पीटीआई-भाषा को बताया, पार्टी की हर बैठक में कुछ नेता और कार्यकर्ता दल का नाम बदलकर टीआरएस करने के लिए कह रहे हैं। उन्हें लगता है कि तेलंगाना के बिना पार्टी का नाम जनता से अलग हो चुका है। एक अन्य नेता ने कहा, वे पहले भी नाम बदलने के खिलाफ थे, लेकिन वे अपने मन की बात नहीं कह सकते। उन्होंने कहा कि केसीआर कठोर निर्णय लेने और अदम्य रूप से उभरने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार के लिए पांच प्रमुख कारणों में से एक, टीआरएस का नाम बदलना है।

तेलंगाना से बाहर विस्तार की महत्वाकांक्षा, करारी हार से लगा झटका
गौरतलब है कि 2022 में केसीआर ने टीआरएस का नाम बदलकर बीआरएस किया था। हालांकि, विधानसभा चुनाव में विफलता के बाद उनकी महत्वाकांक्षा और योजनाओं को तगड़ा झ
का लगा। तेलंगाना से बाहर दल का विस्तार करने की योजना बना रही इस पार्टी की योजना आने वाले कुछ महीनों में स्पष्टता होने के आसार हैं।

22 जनवरी को दीपोत्सव मनाने के लिए बाजार में दीयों और मिट्टी की कमी, दोगुने दाम पर भी मिलना मुश्किल

राम मंदिर के भव्य उद्घाटन के मौके पर देशभर में दिवाली जैसा जश्न मनाया जाएगा। राम भक्तों ने अभी से ही श्रीराम की मूर्ति, फोटो लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। दीये खरीदने से लेकर साज-सजावट का सामान खरीदने के लिए लोगों की भीड़ बाजार पहुंच रही है।

ऐसे में राम मंदिर को लेकर शहरों में मिट्टी के दीयों की डिमांड एकदम बढ़ गई है। दिवाली न होते हुए भी देशभर में दीयों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। शहरों में हालात ये हैं कि कारीगरों के लिए दीयों का ऑर्डर पूरा करना मुश्किल हो रहा है। वहीं, बाजार में भी दीयों की कीमतें दोगुनी हो गई हैं। लेकिन फिर भी कारीगरों के लिए ऑर्डर पूरा करना मुश्किल होता जा रहा है। बाजार में जो मिट्टी का सामान्य दीया पहले एक या दो रुपये का मिलता था, वह अब सीधे पांच रुपये तक का मिल रहा है।

दिये बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि दीपावली पर दीये बनाने की तैयारी वह करीब छह महीने पहले ही शुरू कर देते हैं। इस समय दीयों की मांग अचानक बढ़ गई है। बीते एक महीने से उन्हें ऑर्डर मिलने लगे हैं। इसके लिए वह तैयार नहीं थे। इसलिए मुश्किलें आ रही हैं। इस पर बिना धूप वाले मौसम ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। दीये बिना धूप के सूख नहीं रहे हैं। इसके बावजूद 22 जनवरी की मांग को पूरा करने के लिए सभी कारीगर जुटे हुए हैं।

मिट्टी की भी हो गई किल्लत

राजधानी दिल्ली में दीये बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि दिल्ली में मिट्टी से बने सामान बनाने के लिए हरियाणा के बहादुरगढ़ और झज्जर जिलों के खेतों से मिट्टी आती है। इसमें काली और पीली मिट्टी शामिल हैं। अभी मिट्टी की कमी है। मिट्टी खेतों से निकलती है, जो मिट्टी निकली है, वह पहले ही बिक चुकी है। काली मिट्टी सबसे महंगी होती हैं क्योंकि यह तालाबों व जोहड़ों से निकाली जाती है। पहले चार से छह हजार रुपये प्रति ट्राली मिट्टी पड़ती है। अब यह मिट्टी दोगुने दामों पर भी नहीं मिल रही है। दीपावली पर करीब छह ट्राली मिट्टी के दीये बनाते हैं, लेकिन इस बार यदि दस ट्राली मिट्टी मिले, तो भी दीये कम पड़ जाएंगे।

भीड़ ने साधुओं को निर्वस्त्र कर पीटा, BJP बोली- यहां हिंदू होना…

पश्चिम बंगाल में भीड़ द्वारा साधुओं की पिटाई करने से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो के वायरल होने के बाद भाजपा लगातार राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार पर हमला बोल रही है। हालांकि, इस मामले पर टीएमसी की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

ममता सरकार पर भाजपा का हमला
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर वीडियो पोस्ट करते हुए भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा, ‘ममता बनर्जी को अपनी चुप्पी पर शर्म आनी चाहिए। क्या आपके लिए इन साधुओं की कोई अहमियत नहीं है? हमें इस अत्याचार का जवाब चाहिए।’ 30 सेकेंड के वीडियो में साधुओं के एक समूह को भीड़ द्वारा निर्वस्त्र कर उन्हें पीटते हुए देखा गया। अमित मालवीय ने इस घटना की तुलना 2020 में पालघर में हुई घटना से की। उन्होंने अपने पोस्ट में कहा, ‘पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में बहुत ही चौंकाने वाला घटना सामने आई है। मकर संक्रांति के लिए गंगासागर जा रहे साधुओं के समूह को सत्तारूढ़ टीएमसी से जुड़े अपराधियों ने निर्वस्त्र कर पीटा।’

बंगाल में हिंदू होना एक अपराध
मालवीय ने दावा किया कि पश्चिम बंगाल में हिंदू होना अपराध है। उन्होंने कहा, ‘ममता बनर्जी के राज में शाहजहां जैसे आरोपियों को राज्य की तरफ से सुरक्षा दी जाती है और साधुओं की पीट-पीट कर हत्या की जा रही है।’

इस घटना पर बंगाल में भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने भी ममता बनर्जी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, ‘पुरुलिया में चौंकाने वाली घटना। गंगासागर की तरफ जा रहे साधुओं को कुछ अपराधियों ने पीट दिया। यह पालघर में हुए घटना की याद दिलाता है।’ पश्चिम बंगाल में हिंदू होना एक अपराध है। भाजपा सांसद लॉकेट चटर्जी ने भी इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने भी पोस्ट के जरिए इस घटना की निंदा की है। हालांकि टीएमसी की तरफ से अभी तक इस घटना पर कोई जवाब नहीं आया है।

मुझे कूरियर से भेजा गया प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण, बंगला धुलाने की तरह ही फिर किया अपमानित

अखिलेश यादव ने कहा कि मुझे पता चला है कि मेरे लिए 22 जनवरी का निमंत्रण कूरियर के माध्यम से भेजा गया, लेकिन यह कूरियर मुझे आज तक प्राप्त नहीं हुआ है। मीडिया के लोग ही मुझे भेजे गए कूरियर की रसीद उपलब्ध करवा दें। उन्होंने कहा की अयोध्या मंदिर में दिव्यांगों, बुजुर्गों और बच्चों को जाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। जबकि दुनिया में सभी जगह हर ढांचे को बनाने में इस बात का विशेष ख्याल रखा जाता है।

अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि जिस तरह से निमंत्रण की खबर चलाई जा रही है, उससे मुझे अपमानित किया जा रहा है ठीक उसी तरह से जैसे मुख्यमंत्री आवास को गंगाजल से धोकर अपमानित किया गया था। भगवान श्री राम के नाम पर हम अपमानित न करें। मुझे कोई निमंत्रण नही मिला। कोई कूरियर भी नहीं आया। न घर पर न ऑफिस में।

अखिलेश ने कहा कि अग्निवीर योजना पीडीए को रोकने के लिये लाई गई है। इंडिया गठबंधन सीट शेयरिंग में रामगोपाल यादव हैं। 2019 व 2022 चुनाव का आंकड़ा हम लोगों के सामने है। अखिलेश यादव ने कहा कि कम ही ऐसे लोग हैं, जिनसे लोगों ने प्रेरणा ली है। विवेकानंद इन्हीं लोगों में शामिल थे। उन्होंने शिकागों में जो भाषण दिया। उसमें भारत व उस संस्कृति की बात थी। उन्होंने गरीब की सेवा का मंत्र दिया। भाजपा का रास्ता वह नहीं है जो विवेकानंद ने दिया।

उन्होंने कहा कि नौकरियों का रास्ता आगे के लिए खत्म किया जा रहा है। पीडीए सपा व समाजवाद को दिशा देंगे। खुद आर्मी चीफ ने कहा कि 27 तक एक लाख सेना कम हो जाएगी। अग्निवीर योजना पीडीए को रोकने के लिये लाई गई है। पहले सेना में पीडीए की भर्ती होती थी। इवेंट के जरिये सरकार जनता का ध्यान भटक गया।

प्रमाणिक को ‘सुप्रीम’ राहत, हत्या के प्रयास मामले में दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का आदेश

केंद्रीय मंत्री निसिथ प्रमाणिक को शीर्ष अदालत से एक बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल पुलिस को आदेश दिया कि वह 2018 के हत्या के प्रयास के मामले में प्रमाणिक के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न करें। न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की जलपाईगुड़ी सर्किट पीठ के चार जनवरी के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को सूचीबद्ध किया।

प्रमाणिक के खिलाफ 2018 में पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले के दिनहाटा पुलिस स्टेशन में हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया था, जब लोगों के एक समूह ने तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर गोली चला दी थी। गोलीबारी में एक व्यक्ति को कथित तौर पर गोली लगी और वह घायल हो गया था।

प्रमाणिक, जो पहले टीएमसी में थे, फरवरी 2019 में भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने हिंसा की साजिश रचने के आरोपों से इनकार किया था। उन्होंने भाजपा के टिकट पर कूचबिहार से 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी।

‘एक पार्टी में दो व्हिप होने का सवाल ही नहीं’, विवाद पर बोले विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर

महाराष्ट्र के विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के शिवसेना को लेकर फैसले के बाद अब व्हिप को लेकर विवाद शुरू हो गया है। इसी बीच, शुक्रवार को राहुल नार्वेकर ने कहा कि राज्य विधानमंडल में केवल एक ही शिवसेना विधायक दल है। शिवसेना के सभी विधायकों को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट के सचेतक भरत गोगावल के व्हिप का ही पालन करना होगा। उन्होंने कहा कि एक पार्टी में दो व्हिप हो ही नहीं सकते। गौरतलब है कि व्हिप पार्टी विधायकों के लिए बाध्यकारी है, ऐसा न करने पर उन्हें अयोग्य करार दिया जा सकता है।

पत्रकारों से बातचीत करते हुए राहुल नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना में विभाजन के बाद दोनों गुटों ने एक-दूसरे के खिलाफ अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली याचिकाओं पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन किया गया है। शिंदे गुट को असली शिवसेना की मान्यात देने के बाद नार्वेकर विपक्ष के निशाने पर हैं। उद्धव ठाकरे ने राहुल नार्वेकर के फैसले को लोकतंत्र की हत्या करार दिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस निर्णय के खिलाफ हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। वहीं नार्वेकर ने कहा कि स्पीकर के सामने केवल शिवसेना विधायक दल है, न कि अलग-अलग गुट।

बुधवार को राहुल नार्वेकर ने शिवसेना विधायकों से जुड़ी अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला सुनाया था। अपने निर्णय में उन्होंने शिंदे गुट को ही असली शिवेसना करार दिया, साथ ही भरत गोगावले को पार्टी सचेतक के तौर पर मान्यता दी। महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित 16 विधायकों की अयोग्यता मामले में अपना फैसला सुनाया था। अपने फैसले में विधानसभा अध्यक्ष ने जहां इन विधायकों को अयोग्य करार देने से इनकार कर दिया था। वहीं, शिवसेना के शिंदे गुट को ही असली शिवसेना माना है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि एकनाथ शिंदे पार्टी के संविधान के मुताबिक ही विधायक दल के नेता बने थे।