Sunday , November 24 2024

देश

पुरानी पेंशन पर आर-पार की लड़ाई, NPS पर अड़ी सरकार, कर्मचारी संगठनों ने संसद घेराव की दी चेतावनी

केंद्रीय बजट में सरकार ने अपने कर्मचारियों को यह सख्त संदेश दे दिया है कि उन्हें ओपीएस नहीं मिलेगी। सरकार को कई बार मांग पत्र सौंपने वाले कर्मचारी संगठन भी अब ‘पुरानी पेंशन’ के मुद्दे पर आरपार की लड़ाई करने का मन बना चुके हैं। अगले माह केंद्रीय एवं राज्यों के कर्मचारी संगठनों के कई बड़े प्रदर्शन देखने को मिलेंगे। पेंशन के मुद्दे पर 15 जुलाई को वित्त मंत्रालय की कमेटी की बैठक का बहिष्कार करने वाले अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य, दो अगस्त को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेंगे। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ, 13-14 अगस्त को राष्ट्रव्यापी आंदोलन पर फैसला लेगा। ‘नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत’ ने सरकार को चेतावनी दी है कि एक महीने के भीतर अगर ओपीएस पर गजट नहीं आता है तो ‘संसद घेराव’ की तिथि का एलान कर दिया जाएगा।

बता दें कि ‘पुरानी पेंशन बहाली’, जिसके लिए विभिन्न केंद्रीय संगठन लंबे समय से आवाज उठा रहे थे, बजट में उसका जिक्र तक नहीं किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में ‘आठवें वेतन आयोग’ के गठन को लेकर भी कोई घोषणा नहीं की। यह वित्त मंत्री का सरकारी कर्मियों के लिए सख्त संदेश था कि उन्हें एनपीएस में ही रहना होगा। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण के दौरान कहा, वे नेशनल पेंशन सिस्टम को लेकर सरकारी कर्मचारियों की चिंताओं से अवगत हैं। इस बाबत जल्द ही एक समाधान की घोषणा की जाएगी।
विज्ञापन

अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी.श्रीकुमार का कहना है, कर्मचारी वर्ग को ओपीएस चाहिए। इसे कम उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं है। ओपीएस, आठवें वेतन आयोग का गठन व दूसरी मांगों को लेकर दो अगस्त को एआईडीईएफ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी, दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देगी। इसके अलावा रक्षा क्षेत्र की 400 यूनिटों पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। इसके बाद दूसरे कर्मचारी संगठनों से विचार विमर्श कर आगे की आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी। ओपीएस की लड़ाई अब तेजी से आगे बढ़ेगी।

शिवसेना नेता राउत का बयान- महाराष्ट्र में शिवाजी फैन क्लब, गुजरात में चलता है औरंगजेब फैन क्लब

मुंबई: शिवसेना (यूबीटी) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को औरंगजेब फैन क्लब का प्रमुख बताने वाले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान पर शिवसेना सांसद संजय राउत ने पलटवार किया है। शनिवार को संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी फैन क्लब है। औरंगजेब फैन क्लब गुजरात में चलता है, क्योंकि मुगल सम्राट का जन्म वहां हुआ था। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के लोग शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की तरह की पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को प्यार करते हैं।

सांसद संजय राउत ने कहा कि गुजरात के औरंगजेब के साथी शिवसेना को खत्म नहीं कर सकते। शिवसेना का जन्म मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के आदर्शों को ध्यान में रखकर किया गया था। महाराष्ट्र छत्रपति शिवाजी महाराज का है। यहां शिवाजी फैन क्लब है। औरंगजेब फैन क्लब भाजपा और गुजरात में चलता है, जहां औरंगजेब का जन्म हुआ था।

पिछले दिनों पुणे में भाजपा के राज्य सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उद्धव ठाकरे को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि उद्धव ठाकरे मुंबई हमलों के दोषी याकूब मेनन के लिए माफी मांगने वाले लोगों के साथ बैठते हैं, वह औरंगजेब क्लब के प्रमुख हैं। अमित शाह ने कहा था कि औरंगजेब फैन क्लब में कौन है? जो 26/11 आतंकी हमलों के दोषी कसाब को बिरयानी परोसते हैं, जो विवादित इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाइक को शांति दूत का अवार्ड देते हैं और जो पीएफआई का सहयोग करते हैं। उद्धव ठाकरे को ऐसे लोगों के साथ बैठने में शर्म आनी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने एनसीपी के प्रमुख शरद पवार को भ्रष्टाचार का मुखिया बताया था।

शिवसेना नेता ने भी किया था पलटवार
अमित शाह के बयान पर शिवसेना-यूबीटी नेता आनंद दुबे ने कहा था कि हमारी पार्टी का चुनाव चिह्न छीनने के बाद भी महाराष्ट्र की जनता ने महायुति को 17 सीटों पर रोक दिया था। उनके लिए शरद पवार, भ्रष्टाचार के मुखिया हो गए हैं और अजित पवार संत हो गए हैं। अगर भाजपा के खिलाफ उद्धव ठाकरे खड़े होते हैं, तो वे ठाकरे को औरंगजेब फैन क्लब का प्रमुख कहते हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा को इस गंदी राजनीति का जवाब मिल जाएगा। वहीं बारामती से सांसद और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद चंद्र पवार) नेता सुप्रिया सुले ने कहा था कि अमित शाह के बयान पर मुझे हंसी आती है।

लोकतंत्र की भावना को आघात पहुंचा रहा सदन में अशोभनीय व्यवहार, सांसदों पर जमकर बरसे जगदीप धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि राजनीतिक लाभ उठाने के लिए सदन की कार्यवाही के दौरान अशोभनीय व्यवहार लोकतंत्र की भावना को आघात पहुंचाता है। इस दौरान उन्होंने इस बात पर भी दुख जताया कि आजकल सदस्य दूसरों के विचारों को सुनने को बिल्कुल तैयार नहीं हैं।

ओरिएंटेशन कार्यक्रम में नए राज्यसभा सदस्यों को दी सलाह
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने एक ओरिएंटेशन कार्यक्रम में नए राज्यसभा सदस्यों से कहा- आप दूसरों के विचारों से असहमत होने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन दूसरे के दृष्टिकोण को नजरअंदाज करना संसदीय परंपरा का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ सदस्य अखबारों में जगह पाने की कोशिश करते हैं और सदन से बाहर निकलने के तुरंत बाद मीडिया में बयान देते हैं और लोगों का ध्यान खींचने के लिए सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल करते हैं।

सदस्यों के व्यवहार से दुखी नजर आए सभापति
उन्होंने आगे कहा कि कुछ सदस्य सदन में अपने भाषण से एक मिनट पहले आते हैं और भाषण खत्म होने के तुरंत बाद चले जाते हैं। आपकी उपस्थिति का मतलब यह नहीं है कि आप हिट-एंड-रन रणनीति अपनाएं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि संसद संवैधानिक मूल्यों और स्वतंत्रता का गढ़ रही है। उन्होंने कहा कि कई बार समस्याएं आई हैं, लेकिन सदन के नेताओं ने बुद्धिमता का प्रयोग करते हुए रास्ता दिखाया है।

आपातकाल के समय को भी धनखड़ ने किया याद
उन्होंने सदस्यों से कहा, लेकिन अब स्थिति चिंताजनक है। अभद्र व्यवहार को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जो लोकतंत्र की भावना पर आघात है। इस दौरान उन्होंने ने अपने भाषण में आपातकाल के दौर का भी जिक्र किया, उन्होंने कहा कि- केवल एक दर्दनाक, हृदय विदारक काला दौर रहा है, जब आपातकाल की घोषणा की गई थी। उस समय हमारा संविधान केवल कागज बनकर रह गया था। इसे फाड़ दिया गया था और नेताओं को जेल में डाल दिया गया था।

राजनीति करना स्वस्थ प्रजातंत्र के लिए जरूरी- धनखड़
राज्यसभा के सभापति ने कहा कि हम संसदीय प्रणाली को राजनीतिक दल की भूमिका से आकलन कर के नहीं देख सकते। राजनीति का स्थान है, राजनीति करनी होती है। राजनीति करना स्वस्थ प्रजातंत्र के लिए आवश्यक है। लेकिन राष्ट्र से जुड़े हुए मुद्दों को देखकर, राष्ट्रहित को देखकर, राष्ट्रवाद को समर्पित करते हुए।

ममता के दावे पर पीआईबी का खुलासा, ‘नहीं बंद किया गया था माइक और न ही बोलने से रोका गया’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज नीति आयोग की नौवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक आयोजित की गई। जिसमें सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने शिरकत की थी। वहीं इस बैठक के बीच में ही बाहर निकलीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया कि उन्हें इस बैठक के दौरान बोलने से रोका गया और उनका माइक भी बंद कर दिया गया था।

पीआईबी ने अपने फैक्ट चेक में क्या कहा
मामले में पीआईबी का कहना है कि वर्णमाला के अनुसार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के संबोधन की बारी लंच के बाद आती। लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार के आधिकारिक अनुरोध पर उन्हें 7वें वक्ता के रूप में शामिल किया गया क्योंकि उन्हें जल्दी लौटना था। जबकि उनके संबोधन के दौरान टाइम क्लॉक ने केवल यह दिखाया कि उनका बोलने का समय समाप्त हो गया है। यहां तक कि घंटी भी नहीं बजाई गई थी।

निर्मला सीतारमण ने भी दावे को बताया झूठ
वहीं इस मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि, ममता बनर्जी के माइक बंद का दावा ये पूरी तरह से गलत है और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बोलने का उचित समय आवंटित किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि, पश्चिम बंगाल की मुख्यममंत्री ममता बनर्जी आज नीति आयोग की बैठक में शामिल हुईं, हम सबने उन्हें सुना। सभी मुख्यमंत्रियों को समय आवंटित किया गया था, जो सभी के टेबल के सामने मौजूद स्क्रीन पर दिखाया गया। उन्होंने मीडिया में कहा कि उनका माइक बंद कर दिया गया था। यह पूरी तरह से झूठ है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने आगे कहा कि सभी मुख्यमंत्रियों को समय आवंटित किया गया था, लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ये दावा किया कि उनका माइक बंद कर दिया गया था, जो कि सच नहीं है। उन्हें झूठ पर आधारित कहानी गढ़ने के बजाय इसके पीछे का सच बोलना चाहिए।

ममता बनर्जी ने क्या लगाए थे आरोप?
वहीं इससे पहले पत्रकारों से बातचीत करते हुए ममता बनर्जी ने राजनीतिक भेदभाव का आरोप लगाया और कहा कि उन्हें नीति आयोग की बैठक में सिर्फ पांच मिनट बोलने दिया गया। जबकि अन्य मुख्यमंत्रियों को ज्यादा समय दिया गया था। मैंने बैठक में कहा कि केंद्र सरकार को राज्य सरकारों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। मैं और बोलना चाहती थी, लेकिन मेरा माइक बंद कर दिया गया। मुझे सिर्फ पांच मिनट बोलने दिया गया, जबकि मेरे सामने बाकि लोगों ने 10-20 मिनट तक बोला। उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष की तरफ से मैं एकमात्र नेता थी, जो इस बैठक में शामिल हुई, लेकिन मुझे बोलने नहीं दिया गया।

आरक्षण के लेकर मतभेद पर शरद पवार ने जताई चिंता, कहा- सरकार को सबसे बात करने की जरूरत

समुदायों के बीच आरक्षण के मुद्दे को लेकर शरद पवार ने चिंता जताते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार को हितधारकों के साथ बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एक समूह के लोगों के साथ बातचीत करते हैं, और सरकार के अन्य लोग दूसरे समूहों के साथ बातचीत करते हैं। इसके चलते दोनों में गलतफहमी पैदा हो रही है।

महाराष्ट्र में इन दिनों आरक्षण के मुद्दे को लेकर माहौल गरमाया हुआ है। इस पर एनसीपी एसपी प्रमुख पवार ने चिंता व्यक्त की है। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र सरकार को हितधारकों के साथ खुलकर बात करनी चाहिए। पवार ने कहा कि उन्होंने हाल ही में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ अपनी प्रतिक्रिया साझा की जो कि बातचीत के पक्ष में थी। उन्होंने कहा, “कोटा को लेकर हितधारकों के साथ जो बातचीत होनी चाहिए थी, वह नहीं हुई है। मुख्यमंत्री एक समूह के लोगों से बात करते हैं, जबकि सरकार में अन्य लोग अलग-अलग समूहों के साथ बातचीत करते हैं। इससे गलतफहमी पैदा होती है।”

शरद पवार ने कहा कि सरकार को मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे, छगन भुजबल और ओबीसी आरक्षण की मांग कर रहे अन्य लोगों को बातचीत के लिए बुलाना चाहिए।” दरअसल मनोज जरांगे उस मसौदा अधिसूचना के क्रियान्वयन की मांग कर रहे हैं, जिसमें कुनबियों को मराठों का ऋषि सोयारे या रक्त संबंधी माना गया है। उन्हें ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण दिया गया है। कुनबियों को ओबीसी के रूप में कोटा लाभ मिलता है।

वहीं मंत्री छगन भुजबल सहित ओबीसी सदस्य इस आरक्षण की मांग के बाद परेशान नजर आए। उन्होंने सरकार से जोर देकर कहा है कि उनके कोटे को कम नहीं किया जाना चाहिए। शरद पवार ने कहा कि वह कोटा मुद्दे पर समुदायों के बीच आई दरार से चिंतित हैं। उन्होंने बताया कि मनोज जारंगे ने कहा है कि लिंगायत, मुस्लिम और धनगर समुदाय को भी आरक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आरक्षण को लेकर सही मायने में बातचीत होनी चाहिए। अगर ऐसा किया जाता है, तो समाज में कोई कड़वाहट नहीं होगी।

गगनयान मिशन से पहले ही अंतरिक्ष जाएगा भारत का एक गगनयात्री, केंद्रीय मंत्री का खुलासा

नई दिल्ली: भारत के गगनयान मिशन की तैयारियां जोरों पर हैं। अब केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया है कि गगनयान मिशन के चार गगनयात्रियों में से एक गगनयात्री को अगस्त में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (ISS) भेजा जाएगा। भारत के गगनयात्री को भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा साथ मिलकर अगस्त में आईएसएस भेजेंगे।

लोकसभा में गगनयान मिशन को लेकर पूछा गया सवाल
गुरुवार को टीएमसी सांसद सौगत राय ने संसद में एक सवाल किया था, जिसमें सौगत राय ने लोकसभा में गगनयान मिशन के बारे में जानकारी मांगी थी। इस सवाल के जवाब में केंद्रीय विज्ञान और तकनीक राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने बताया कि गगनयान मिशन के क्रू के एक सदस्य को इसरो और नासा के बीच एक साझा अभ्यास के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र भेजा जाएगा। इस मिशन में दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ ही एक निजी कंपनी एक्सिओम स्पेस भी शामिल है। हाल ही में इसरो ने एक्सिओम स्पेश के साथ अंतरिक्ष उड़ान के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

फरवरी में गगनयान के अंतरिक्षयात्री हुए थे सार्वजनिक
इसरो-नासा और एक्सिओम के साझा मिशन को अगस्त में लॉन्च किया जा सकता है। गगनयात्री अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित केनेडी स्पेस सेंटर से अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरेंगे। फरवरी में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गगनयान मिशन के चार गगनयात्रियों को सार्वजनिक रूप से पेश किया था। चारों गगनयात्री भारतीय वायुसेना के शीर्ष पायलट हैं, जिनमें ग्रुप कैप्टन बालाकृष्णन नायर, अजित कृष्णन, अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला शामिल हैं। अब इन चारों में से ही एक गगनयात्री को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र भेजने के लिए चयन किया गया है।

केंद्रीय मंत्री ने ये भी बताया कि गगनयान मिशन के तहत अंतरिक्ष जाने वाले चारों गगनयात्रियों की इसरो के बंगलूरू स्थित एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग सुविधा केंद्र में ट्रेनिंग चल रही है और वे तीन सेमेस्टर में से दो की ट्रेनिंग पूरी कर चुके हैं। गगनयान मिशन अगले साल लॉन्च किया जा सकता है।

हलफनामे के बाद भी यूपी सरकार के आदेश पर रोक जारी, कांवड़ मार्ग के दुकानदारों को नहीं लगानी होगी नामपट्टिका

नई दिल्ली:  सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकारों द्वारा कांवड़ मार्ग पर स्थित दुकानदारों को नामपट्टिका लगाने के आदेश पर अंतरिम रोक जारी रखी है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के हलफनामे के बाद भी आदेश पर रोक जारी रखी है। इससे पहले उत्तर प्रदेश (यूपी) सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया, जिसमें सरकार ने कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों पर नामपट्टिका लगाने के अपने आदेश का बचाव किया। यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि उसके दिशा-निर्देश कांवड़ यात्रा के शांतिपूर्ण समापन और पारदर्शिता कायम करने के लिए उद्देश्य से दिए गए थे।

उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया क्यों लागू किया था नामपट्टिका वाला आदेश
उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि निर्देश के पीछे का उद्देश्य कांवड़ यात्रा के दौरान पारदर्शिता कायम करना और यात्रा के दौरान उपभोक्ताओं/कांवड़ियों को उनके द्वारा खाए जाने वाले भोजन के बारे में जानकारी देना था। ये निर्देश कांवड़ियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर दिए गए ताकि वे गलती से कुछ ऐसा न खाएं, जो उनकी आस्थाओं के खिलाफ हो।

उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि राज्य सरकार ने खाद्य विक्रेताओं के व्यापार या व्यवसाय पर कोई प्रतिबंध या निषेध नहीं लगाया है (मांसाहारी भोजन बेचने पर प्रतिबंध को छोड़कर), और वे अपना व्यवसाय सामान्य रूप से करने के लिए स्वतंत्र हैं। हलफनामे में कहा गया है, ‘मालिकों के नाम और पहचान प्रदर्शित करने की आवश्यकता पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कांवड़ियों के बीच किसी भी संभावित भ्रम से बचने के लिए एक अतिरिक्त उपाय मात्र है।’

सरकार ने बताया- शिकायतों के बाद दिए गए थे निर्देश
सरकार ने अपने बयान में कहा कि कांवड़ यात्रा एक कठिन यात्रा है, जिसमें कुछ कांवड़िए, जो डाक कांवड़ लाते हैं, कांवड़ को अपने कंधों पर रखने के बाद आराम के लिए भी नहीं रुकते। कांवड़ यात्रा की कुछ पवित्र विशेषताएं होती हैं, जैसे कि पवित्र गंगाजल से भरे कांवड़ को जमीन पर नहीं रखना होता और न ही गूलर के पड़े की छाया में। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि कांवड़िए कई वर्षों की तैयारी के बाद यात्रा पर निकलते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि नामपट्टिका से संबंधित आदेश कांवड़ियों की शिकायतों के बाद दिए गए थे, जिसमें कांवड़ियों ने यात्रा के दौरान परोसे जाने वाले भोजन की पवित्रता पर चिंता जताई थी।

धार्मिक प्रथाओं के अनुरूप खाने की तैयारी को लेकर शिकायतें मिलीं थीं। जिसके बाद कांवड़ मार्गों पर दुकानदारों से नामपट्टिका लगाने संबंधी आदेश दिए गए थे। गौरतलब है कि कांवड़ यात्रा, एक वार्षिक तीर्थयात्रा है जहाँ भगवान शिव के भक्त, जिन्हें कांवड़ियों के रूप में जाना जाता है, गंगा नदी से पवित्र जल लाने के लिए यात्रा करते हैं। कांवड़ यात्रा में हर साल लाखों लोग भाग लेते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी राज्य सरकार के आदेश पर रोक
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली दुकानदारों को दुकान पर नामपट्टिका (नेमप्लेट) लगाने और मोबाइल नंबर लिखने के दिशा निर्देश जारी किए थे। सरकार के इन दिशा-निर्देशों की खूब आलोचना हुई। सरकार के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुईं, जिन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी। अब राज्य सरकार का हलफनामा मिलने के बाद भी अदालत ने आदेश पर रोक जारी रखने का फैसला किया है।

200-250 सीटों पर अकेले विधानसभा चुनाव लड़ेगी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना, राज ठाकरे ने किया

मुंबई: महाराष्ट्र में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने एलान किया कि उनकी पार्टी 200-250 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। उन्होंने मौजूदा महायुति गठबंधन सरकार पर योजनाओं के बजट में कटौती करने का आरोप लगाया। बता दें कि 2019 के विस चुनाव में मनसे ने केवल एक सीट जीती थी। जबकि लोकसभा चुनाव में भाजपा का समर्थन किया था।

मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने गुरुवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार के पास गड्ढों की मरम्मत के लिए बजट नहीं है। ऐसे में लाडली बहन और लाडला भाई योजना के लिए बजट कहां से आएगा? एनसीपी में चल रहे आंतरिक संघर्ष पर उन्होंने कहा कि अगर लाडला भाई और बहन दोनों खुश होते ही एनसीपी का बंटवारा नहीं होता। इस समय कोई यह नहीं बता सकता कि कौन सा विधायक किस पार्टी का है?

ठाकरे ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से कहा कि सुनने में आया है कि मेरी पार्टी के कुछ लोग किसी के साथ जुड़ना चाहते हैं। मैं उनके लिए रेड कारपेट बिछाता हूं, वे तुरंत जा सकते हैं। पार्टी इस बार टिकट केवल विश्वास और जीतने की क्षमता के आधार पर ही देगी।

उन्होंने पार्टी की चुनावी तैयारियों को लेकर कहा कि पार्टी ने हर जिले में सर्वे शुरू कर दिया है। इसके लिए चार-पांच सदस्यों की टीम बनाई गई है। टीम ने हर क्षेत्र के प्रमुख लोगों से बात की है। अब दूसरे दौर में टीम कार्यकर्ताओं से बात करेगी। इसलिए टीम को सही प्रतिक्रिया दें। इसके साथ ही वे खुद एक अगस्त से महाराष्ट्र का दौरा शुरू करेंगे। ठाकरे ने कहा कि हम इस बार अकेले 200-250 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। किसी भी कीमत पर इस बार पार्टी के कार्यकर्ता को सत्ता पर बैठाना है। इसलिए अभी से मेहनत शुरू कर दें।

मुंबई में भारी बारिश के कारण उड़ान संचालन प्रभावित; पानी से लबालब भरा खाली हो चुका मंजारा बांध

मुंबई :महाराष्ट्र में मुंबई और उसके उपनगर में भारी बारिश के कारण उड़ान संचालन प्रभावित हुआ है। मुंबई की मौजूदा स्थिति को देखते हुए एयर इंडिया ने बताया कि गुरुवार को यात्रा के लिए की गई बुकिंग के लिए वह यात्रियों को या तो पूरा रिफंड कर रहे या फिर एक बार यात्रा की तारीख बदलने का विकल्प दे रहे हैं। एयरलाइन ने एक लिंक साझा कर सभी यात्रियों से एयरपोर्ट जाने से पहले उड़ान की स्थिति की जांच करने का आग्रह किया।

एयरलाइन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, “भारी बारिश के कारण उड़ान संचालन प्रभावित हुआ है। इसके कारण हमारी कुछ उड़ाने रद्द की जा रही है। एयर इंडिया यात्रियों को पूरा रिफंड या एक बार यात्रा की तारीख बदलने का विकल्प दे रही है।” एयरलाइन ने आगे कहा कि एयरपोर्ट जाने से पहले यात्रियों को उड़ान की स्थिति की जांच करनी चाहिए।

इससे पहले एयरलाइन ने एक पोस्ट कर कहा, “भारी बारिश के कारण मुंबई आने-जाने वाली उड़ाने प्रभावित हो सकती है। यात्रियों को आग्रह है कि वे एयरपोर्ट के लिए जल्दी निकलें, क्योंकि भारी बारिश के कारण यातायात में परेशानी हो सकती है।” जलभराव के कारण अंधेरी सबवे को वाहनों की आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया है। रातभर हुई बारिश के कारण सार्वजनिक परिवहन सेवाएं भी बाधिक हुई। मौसम विभाग ने गिरिवार को महाराष्ट्र के लिए रेड अलर्ट जारी किया। बुधवार को ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया था।

भारी बारिश के कारण खाली हो चुके मंजारा बांध में भरा पानी
महाराष्ट्र के बीड जिले का मंजारा बांध जो सूख गया था, भारी बारिश के बाद इसमें फिर से पानी भर गया। एक अधिकारी ने बताया कि मंजारा बांध के अलावा नांदेड़ जिले में विष्णुपुरी बांध 83 फीसदी तक भर चुका है। पानी के प्रवाह को देखते हुए इसका भी द्वार खोला गया। बता दें कि यह जलाशय गोदावरी नदी पर बनाया गया है। सिंचाई अधिकारियों ने जिला प्रशासन से अपील की है कि वे नीचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सतर्क करें। बांध में एक जून से अबतक 57.74 एमसीएम पानी भर चुका है। बता दें कि राज्य के मराठवाड़ा क्षेत्र में आठ जिले- जालना, औरंगाबाद, परभणी, हिंगोली, नांदेड़, लातूर, उस्मानाबाद और बीड शामिल है।

‘सब राजनीतिक ड्रामा..’ एमयूडीए में कथित घोटाले को लेकर BJP के धरने पर भड़के डिप्टी CM डीके शिवकुमार

कर्नाटक: कर्नाटक में मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) द्वारा भूखंड आवंटित करने में कथित फर्जीवाड़े के संबंध में चर्चा की अनुमति नहीं दी गई। इस बात से नाराज भाजपा विधानसभा और विधानपरिषद में धरना का ऐलान कर चुकी है। बता दें कि इस मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी का नाम शामिल है। भाजपा के धरना प्रदर्शन के कदम की कर्नाटक सरकार के मंत्रियों ने जमकर आलोचना की।

कर्नाटक के कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि भाजपा ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) में वैकल्पिक साइट (भूखंड) घोटाले में स्थगन प्रस्ताव क्यों नहीं लिया जा सकता है? यह समझाने के बावजूद चल रहे विधानसभा सत्र का अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा मूडा में अनियमितताओं की जांच का आदेश दिया है। उन्होंने पूछा कि “मुख्यमंत्री ने अपने खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया है। क्या ऐसा कोई उदाहरण है जब किसी मुख्यमंत्री ने अपने खिलाफ आरोप होने पर जांच आयोग का गठन किया हो?”

वहीं उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा, “भाजपा शासन में बहुत सारे घोटाले हुए हैं और जिनकी जांच चल रही है। हम विधानसभा में जवाब देना चाहते थे और वे हमें रोकना चाहते थे। लेकिन सीएम ने अपने लिखित भाषण में इस बात का विस्तृत जवाब दिया था कि कितने घोटाले हुए हैं और वे कैसे हुए हैं। एसआईटी पहले से ही जांच कर रही थी, अब ईडी और सीबीआई भी आ गई है इसलिए हम जांच में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते।”

कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने विपक्षी भाजपा और उसके सहयोगी जद (एस) से सवाल किया कि क्या पूर्व मुख्यमंत्रियों एच डी कुमारस्वामी, बी एस येदियुरप्पा और बसवराज बोम्मई द्वारा आयोग गठित करने का कोई उदाहरण है। उन्होंने कहा, “विपक्षी दल को सीएम के रुख की सराहना करनी चाहिए थी। यह सिर्फ एक राजनीतिक नाटक है। उन्होंने याद दिलाया कि विपक्ष उत्तर कन्नड़ जिले के शिरूर में भूस्खलन पर चर्चा करने के लिए तैयार नहीं है। पाटिल ने आरोप भी लगाया कि भाजपा लोगों के लाभ के लिए एक राष्ट्र एक चुनाव, राष्ट्रीय प्रवेश-सह-पात्रता परीक्षा (नीट) के खिलाफ सामान्य प्रवेश परीक्षा (सीईटी) को फिर से स्थापित करने और कई अन्य विधेयकों पर चर्चा करने के लिए भी इच्छुक नहीं है।

उन्होंने बताया कि विपक्षी भाजपा द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को मैसूर के एक अपमार्केट इलाके में वैकल्पिक स्थल आवंटित किए गए थे। जिसकी संपत्ति का मूल्य उनकी भूमि के स्थान की तुलना में अधिक था जिसे एमयूडीए द्वारा अधिग्रहित किया गया था। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि सिद्धारमैया के कई समर्थकों ने भी इस तरह से लाभ उठाया है।