Sunday , November 24 2024

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‘तमिलनाडु में 24 घंटे में तीन अलग-अलग दलों के नेताओं की हत्या’, विपक्ष का आरोप- राज्य में अराजकता

चेन्नई: तमिलनाडु में 24 घंटे से भी कम समय में तीन अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों से जुड़े लोगों की हत्या कर दी गई है। इसे लेकर विपक्ष ने राज्य सरकार को घेरा है और आरोप लगाया है कि तमिलनाडु में अराजकता का माहौल है और सीएम एमके स्टालिन अक्षम हैं। एआईएडीएमके ने आरोप लगाया है कि सत्ताधारी डीएमके के लोग ही अराजकता फैला रहे हैं और सरकार के दबाव में पुलिस भी उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है।

‘राज्य में अराजकता का माहौल’
एआईएडीएमके के प्रवक्ता कोवई सत्यम ने एक बयान जारी कर कहा कि ’24 घंटे से भी कम समय में तमिलनाडु में तीन राजनीतिक पार्टियों के नेताओं की हत्या कर दी गई है। जिन लोगों की हत्याएं हुईं, उनमें से एक एआईएडीएमके के नेता, दूसरे भाजपा के नेता और तीसरे कांग्रेस के नेता थे। इससे साफ पता चलता है कि तमिलनाडु में अराजकता का माहौल है और सीएम एमके स्टालिन पूरी तरह से अक्षम साबित हो रहे हैं। राज्य में अराजकता फैलाने और कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाने वाले लोग भी डीएमके के हैं। पुलिस भी सत्ताधारी पार्टी से जुड़े लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है क्योंकि पार्टी हाईकमान ने पुलिस को निर्देश दिए हैं कि सत्ताधारी दल से जुड़े लोगों के खिलाफ कार्रवाई न की जाए।’

भाजपा ने इंडी गठबंधन को निशाने पर लिया
भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि ‘तमिलनाडु में कानून व्यवस्था की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। जुलाई की शुरुआत में दलित नेता बसपा के आर्मस्ट्रांग की निर्मम हत्या के बाद… पिछले तीन दिनों में हमने लगातार राजनीतिक हत्याएं देखी हैं – एक बीजेपी नेता की, एक एआईडीएमके नेता की और एक कांग्रेस नेता की। इससे पता चलता है कि कानून व्यवस्था एमके स्टालिन के नियंत्रण से बाहर है, लेकिन, राहुल गांधी या कांग्रेस पार्टी के पास इस पर कोई स्टैंड लेने का समय नहीं है। इस पर इंडी गठबंधन का कोई रुख नहीं है। यह उनके दोहरे एजेंडे, उनके दोहरे चेहरे और उनके लिए असुविधाजनक मुद्दे पर बोलने की उनकी कायरता को दर्शाता है।’

शिवसेना यूबीटी के नेता की संदिग्ध मौत, रिक्शा ड्राइवर से बहस के दौरान गिरे और फिर ही उठे नहीं

मुंबई:  महाराष्ट्र के थाणे में शिवसेना यूबीटी के नेता की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। दरअसल पालघर जिले के वसई में एक रिक्शा चालक के साथ शिवसेना यूबीटी नेता की बहस हुई और बहस के दौरान ही वे बेहोश होकर गिर गए। ऐसा माना जा रहा है कि शिवसेना यूबीटी के नेता की हृदय आघात (हार्ट अटैक) से मौत हुई है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है और आरोपी रिक्शा चालक के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर लिया है।

क्या है मामला
अविभाजित शिवसेना के पूर्व थाणे जिला प्रमुख रघुनाथ मोरे के बेटे मिलिंद मोरे (45 वर्षीय) रविवार शाम को वसई के नवापुर इलाके में एक रिजॉर्ट में परिवार के साथ पहुंचे थे। रिजॉर्ट के बाहर उनकी एक रिक्शा चालक के साथ किसी बात पर बहस हो गई। बहस के दौरान ही मिलिंद बेहोश हो गए। इस पर परिजन उन्हें लेकर नजदीकी अस्पताल पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। प्रथम दृष्टया माना जा रहा है कि मिलिंद मोरे की मौत हार्ट अटैक के चलते हुई है और पोस्टमार्टम के बाद ही स्थिति साफ हो सकेगी। मिलिंद मोरे खुद भी शिवसेना यूबीटी से जुड़े थे और फिलहाल थाणे के उप-जिला प्रमुख थे।

परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी रिक्शा चालक के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की धाराओं में मामला दर्ज लिया है और आरोपी की तलाश कर रही है।

खादी की बिक्री 400 फीसदी बढ़ी, पीएम मोदी ने कहा- कारोबार पहली बार डेढ़ लाख करोड़ के पार

नई दिल्ली:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि खादी की बिक्री में 400 फीसदी की वृद्धि के साथ खादी ग्रामोद्योग का कारोबार पहली बार डेढ़ लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है। पहले कई लोग कभी खादी उत्पादों का उपयोग नहीं करते थे, लेकिन आज बड़े गर्व से खादी पहनते हैं। यही नहीं, हैंडलूम के उत्पादों की बिक्री भी बढ़ी है। खादी और हैंडलूम उत्पादों की बढ़ती ब्रिक्री देश में रोजगार के नए अवसर पैदा कर रही है। चूंकि, इससे महिलाएं सबसे ज्यादा जुड़ी हैं, तो सबसे ज्यादा फायदा भी उन्हीं को हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने मन की बात की 112वीं कड़ी में देशवासियों से खादी के कपड़े खरीदने का आग्रह भी किया। अगस्त महीने को आजादी का महीना करार देते हुए उन्होंने कहा कि लोगों के पास भांति-भांति के वस्त्र होंगे, लेकिन अभी तक यदि खादी के वस्त्र नहीं खरीदे हैं, तो इस साल से ही इनकी खरीदारी शुरू कर दें।

नशे की लत छुड़ाने के लिए मानस अभियान
पीएम ने लोगों से देश को नशा मुक्त बनाने की अपील की। पीएम ने बताया कि नशे की लत के शिकार लोगों की मदद के लिए सरकार ने मानस नामक अभियान की शुरुआत की है, जो मादक पदार्थों के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ा कदम है। कुछ दिन पहले ही मानस हेल्पलाइन और पोर्टल को लॉन्च किया गया था और सरकार ने एक टोल फ्री नंबर 1933 भी जारी किया है। इस पर कॉल करके कोई भी जरूरी सलाह ले सकता है या फिर पुनर्वास से जुड़ी जानकारी हासिल कर सकता है।

ओलंपियाड : छात्रों से पूछा-गणित से कैसे की जाए दोस्ती
पीएम मोदी ने मन की बात की शुरुआत पेरिस ओलंपिक के जिक्र के साथ की और लोगों से खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाने को कहा। फिर हाल ही में संपन्न अंतरराष्ट्रीय गणित ओलंपियाड में देश का झंडा बुलंद करने वाले छात्रों से बातचीत की। पीएम ने चार गोल्ड और एक सिल्वर जीतने वाले छात्रों की इस टीम से जानना चाहा कि आखिर लोग गणित को हौव्वा समझे बगैर उससे दोस्ती कैसे कर सकते हैं।

समस्याएं हल करने की क्षमता बढ़ाते हैं गणित के सवाल
दिल्ली के अर्जुन गुप्ता ने बताया, मेरी मां आशा गुप्ता फिजिक्स की प्रोफेसर हैं और पिता अमित गुप्ता सीए हैं। हमें गणित के सवाल सुलझाने में घंटों लगाने पड़ते हैं, लेकिन हम धीरे-धीरे जैसे मेहनत करते जाते हैं, हमारा अनुभव बढ़ता है। गणित की प्रॉब्लम सुलझाने से हमारी समस्याएं हल की क्षमता बढ़ती है।

क्या लापरवाही-भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही लोगों की जान? इन सवालों से नहीं बच सकती सरकार

27 जुलाई शनिवार की शाम दिल्ली ही नहीं पूरे देश के लिए एक अनहोनी लेकर सामने आई। राजेंद्र नगर के एक कोचिंग सेंटर की लाइब्रेरी में अचानक भारी मात्रा में पानी भर जाने से तीन छात्रों की दर्दनाक मौत हो गई। कुछ ही देर में यह समाचार पूरी मीडिया की सुर्खियों में आ गया। पूरे देश से अभिभावक अपने बच्चों की सुरक्षा जानने के लिए परेशान हो गए। लोग बार-बार फोन कर अपने बच्चों के बारे में पता करने लगे।

गंभीर लापरवाही
पहली नजर में यह लगता है कि दिल्ली में हुई भारी बारिश से पानी तेजी से बेसमेंट में घुसने लगा। बच्चों को बाहर निकलने का अवसर नहीं मिला और वे इसकी चपेट में आ गए, लेकिन घटना के बाद बच्चों ने जो जानकारी दी है, उससे साफ पता चलता है कि इस मामले में गंभीर लापरवाही हुई है जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ा है। इस मामले में नगर निगम की सफाई व्यवस्था बुरी तरह घेरे में आ गई है। यदि नालों की सही से सफाई हुई होती तो संभवतः इस दर्दनाक घटना को रोका जा सकता था।

छात्रों ने बताया
छात्रों ने बताया है कि बारिश होने के बाद बेसमेंट में लगातार पानी भर जाता था, कोचिंग को कुछ समय के लिए बंद कर दिया जाता था। इसको ठीक कराने के लिए छात्रों ने पूर्व में कई बार कोचिंग संचालकों को बताया था, लेकिन कई बार कहने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। अंततः इस लापरवाही की कीमत तीन बच्चों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।

कीचड़ की गाद में कुछ दिखाई नहीं पड़ा
लोगों को इस बात पर भी आश्चर्य हो रहा है कि जब पानी भर रहा था, सीढ़ी बनी हुई लाइब्रेरी से बच्चे बाहर क्यों नहीं निकल पाए? छात्रों ने ही इसका कारण भी बताया है। छात्रों के अनुसार, एक ही निकास द्वार होने के कारण अचानक बाहर निकलने में बच्चों में भगदड़ सी मच गई थी। पानी तेजी से आ रहा था, लेकिन पानी इतना गंदा और बदबूदार था कि बच्चों को उसमें कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। कहा जा रहा है कि नाले की एक दीवार के टूट जाने से नाले का गंदा पानी भी बहुत तेजी से कोचिंग के बेसमेंट में घुसने लगा जिससे स्थिति बेहद बुरी हो गई और बच्चे फंस गए।

‘कर्नाटक का हक कभी नहीं मारा, 10 साल में दो लाख करोड़ रुपये दिए’, केंद्रीय वित्त मंत्री का दावा

बंगलूरू: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हमने कर्नाटक का हक कभी नहीं मारा। केंद्र सरकार को लेकर कर्नाटक सरकार काफी गलत जानकारी लोगों को दे रही है। हमने 10 साल में कर्नाटक के विकास के लिए दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा दिए हैं। जबकि यूपीए सरकार ने केवल 81 हजार करोड़ रुपये का बजट दिया था।

बंगलूरू में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कर्नाटक को केंद्र सरकार ने काफी बजट दिया है। लेकिन कर्नाटक सरकार लोगों को गलत जानकारी दे रही है। लोगों से कहा जाता है कि कर्नाटक का हक मारा जा रहा है, लेकिन केंद्र सरकार ऐसा नहीं करती। मैं जवाब देना चाहती हूं। उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार जो कर रही है, उससे किसी का भला नहीं हो रहा है। न तो केंद्र सरकार का और न ही कर्नाटक के लोगों का।

वित्त मंत्री ने कहा कि कर्नाटक को 2004 से 2014 के बीच जब दिल्ली में यूपीए सरकार थी तब दस वर्षों में केवल 81,791 करोड़ रुपये मिले। जबकि 2014 से 24 के बीच पीएम मोदी की सरकार में दस वर्षों के दौरान कर्नाटक को 2,95,818 रुपये मिले। वहीं यूपीए ने महज 60,779 करोड़ रुपये सहायता अनुदान दिया। वहीं पीएम मोदी सरकार ने दस वर्षों में 2,39,955 करोड़ रुपये अनुदान दिया।

उन्होंने कहा कि बजट में मैनें इंप्लॉयमेंट शब्द का इस्तेमाल किया है। इसके हर अक्षर का मतलब है। ई का मतलब है इंप्लॉयमेंट, एम का मतलब है मध्यम वर्ग, इसी तरह हर अक्षर का कुछ न कुछ अर्थ है। इस बार के बजट में सब कुछ शामिल है। बजट में हमने युवाओं और एमएसएमई पर बहुत जोर दिया है। एमएसएमई को काफी सहूलियतें मिलेंगीं। हम उच्चशिक्षा के लिए दस लाख सब्सिडीयुक्त या ब्याज-सहायता वाले ऋण भी दे रहे हैं। इससे मध्यमवर्गीय परिवार और भारत में पढ़ने वाले युवाओं को सीधा लाभ होगा।

भोजपुरी को आधिकारिक भाषा का दर्जा देने की मांग, रविकिशन ने लोकसभा में पेश किया प्राइवेट बिल

भोजपुरी सुपरस्टार और भाजपा सांसद रवि किशन ने भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए लोकसभा में एक प्राइवेट बिल (विधेयक) पेश किया, जिससे कि इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया जा सके। उन्होंने शुक्रवार को संविधान (संशोधन) विधेयक 2024 पेश किया। भाजपा सांसद ने बताया कि बोजपुरी भाषा केवल बेकार गानों के बारे में नहीं है, बल्कि इसका एक सांस्कृतिक इतिहास और साहित्य है, जिसे बढ़ावा देने की जरूरत है।

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में भाजपा सांसद ने कहा, “कई लोग इस भाषा को बोलते और समझते हैं। यह हमारी मातृभाषा है। मैं इस भाषा को बढ़ावा देना चाहता हूं। फिल्म इंडस्ट्री में भी यह भाषा चल रहा है और लाखों लोगों को रोजगार मिल रहा है। म्यूजिक इंडस्ट्री भी बहुत बड़ा है।” उन्होंने आगे कहा, “यह विधेयक केवल भोजपुरी साहित्य को बढ़ावा देने के बारे में है, जो बहुत समृद्ध है।”

रवि किशन ने कहा, “लोग इस भाषा को गंभीरता से लेंगे। यह भाषा केवल बेकार गानों के बारे में नहीं है। यह इतना समृद्ध भाषा है कि इसमें साहित्य भी है। भोजपुरी के साहित्य को लोकप्रिय बनाने की जरूरत है।” इस पर जोर देते हुए रवि किशन ने कहा, “मैं अपने समुदाय को वापस भुगतान करना चाहता हूं। यह भाषा ही मेरी पहचान है।”

भोजपुरी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों के साथ-साथ कई अन्य देशों में रहने वाले लोगों की भी मातृभाषा है। मॉरीशस में लगभग 140 मिलियन लोग भोजपुरी बोलते हैं। विधेयक में बताया गया कि देश-विदेश में भोजपुरी फिल्म बहुत मशहूर है और इसका प्रभाव हिंदी फिल्म इंडस्ट्री पर भी पड़ा है।

‘क्षेत्र को बाढ़ प्रभावित घोषित किया तो ही मिलेगी केंद्रीय सहायता’, केंद्र कर रहा कानून पर विचार

नई दिल्ली:  केंद्र सरकार अब जल्द ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को केंद्रीय सहायता मुहैया कराने के लिए कानून लाने पर विचार कर रहा है। दरअसल, केंद्र ने बाढ़ का सामना कर रहे राज्यों को निर्देश दिया है कि उनके जिन भी इलाकों में बाढ़ आई है, वह उन्हें बाढ़ग्रस्त इलाका घोषित करें। हालांकि, इस सिलसिले में कई बार राज्यों को निर्देश भेजे जाने के बावजूद अब तक सिर्फ चार राज्यों ने ही इसका पालन किया है। ऐसे में अब केंद्र सरकार इसे लेकर कानून लाने की तैयारी में है।

अधिकारियों के मुताबिक, इस कानून के आने के बाद बाढ़ का सामना कर रहे राज्यों को केंद्र की सहायता हासिल करने के लिए अपने प्रभावित क्षेत्रों को बाढ़ग्रस्त घोषित करना होगा। इसके बाद ही उन्हें किसी तरह की मदद भेजी जाएगी। मौजूदा समय में जिन चार राज्यों ने केंद्र के नियम को मानकर अपने क्षेत्रों को बाढ़ प्रभावित घोषित किया है, उनमें मणिपुर, राजस्थान, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं।

एक अधिकारी ने दावा किया कि जलशक्ति मंत्रालय लगातार राज्य सरकारों से इसे लेकर संपर्क में है। राज्यों को इसके मद्देनजर कई बार अपने प्रभावित क्षेत्रों को बाढ़ग्रस्त घोषित करने और उन क्षेत्रों का सीमांकन करने के लिए भी कहा गया है। अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय जल आयोग ने अपने मॉडल कानून को अपडेट किया है और मंत्रालय इस बारे में जल्द ही राज्यों के साथ विचार-विमर्श शुरू कर सकता है।

क्या है फ्लडप्लेन जोनिंग?
गौरतलब है कि बाढ़ क्षेत्रों में जमीन के इस्तेमाल को विनियमित करना ‘फ्लड-प्लेन जोनिंग’ का मूल है। ताकि बाढ़ से होने वाले नुकसान को सीमित किया जा सके। अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय ने बाढ़ प्रबंधन एवं सीमा क्षेत्र कार्यक्रम (एफएमबीएपी) के तहत निधि का इस्तेमाल करने को राज्यों के लिए ‘फ्लड प्लेन जोनिंग एक्ट’ को लागू करने को एक पूर्व अनिवार्य शर्त बनाने का प्रस्ताव दिया है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘हम बाढ़ प्रबंधन और सीमा क्षेत्र कार्यक्रम के अगले चरण के लिए मंत्रिमंडल की स्वीकृति प्राप्त करेंगे। इससे अब किसी भी राज्य के लिए एफएमबीएपी के तहत संसाधनों तक पहुंच हासिल करने की शर्त यह होगी कि उसने ‘फ्लड प्लेन जोनिंग एक्ट’ लागू किया हो। अगर आपने यह कानून लागू नहीं किया होगा, तो आपको पैसा नहीं मिलेगा।’’

‘पश्चिम बंगाल की सीएम का व्यवहार गलत था’, ममता बनर्जी के आरोप पर चिराग पासवान ने किया पलटवार

नई दिल्ली:  नीति आयोग की नौवीं गवर्निंग काउंसिल (शासी परिषद) की बैठक 27 जुलाई को नई दिल्ली में आयोजित की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बैठक की अध्यक्षता की। केंद्रीय बजट में भेदभाव का आरोप लगाते हुए कुछ गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया। इस पर शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिस तरह से बजट बनाया गया, नीति आयोग भी उसके अनुसार काम करेगा। बता दें कि विपक्षी गठबंधन की तरफ से केवल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस बैठक में शामिल हुईं, लेकिन वह बैठक को बीच में ही छोड़कर बाहर आ गईं। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें बैठक में बोलने का मौका नहीं दिया गया। ममता बनर्जी के आरोप पर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बंगाल की सीएम के व्यवहार को गलत बताया।

चिराग पासवान ने ममता बनर्जी के इस आरोप को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “नीति आयोग की बैठक में किसी का भी माइक बंद करने का आरोप झूठ है। जिस तरह से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बैठक बीच में ही छोड़कर बाहर चली गईं, वह गलत था। ऐसा प्रतीत होता है कि यह विपक्ष में अराजकता और अपनी तरफ ध्यान आकर्षित करने की सोची समझी रणनीति थी। अगर किसी भी राज्य को ऐसा लगता है कि उनके साथ गलत हुआ है, तो वे नीति आयोग में अपने मुद्दे उठा सकते हैं।”

संजय राउत ने बताया नेताओं के बैठक में शामिल न होने का कारण
नीति आयोग की बैठक में कई नेताओं ने हिस्सा नहीं लिया। इस पर शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने जवाब दिया। उन्होंने कहा, “जिस तरह से बजट बनाया गया, नीति आयोग भी उसके अनुसार ही काम करेगा। केवल भाजपा शासित राज्यों को पैसा और योजनाओं का लाभ दिया गया है। इसलिए एमके स्टालिन (तमिलनाडु के मुख्यमंत्री), तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया।”

संजय राउत ने आगे कहा कि ममता बनर्जी इस बैठक में शामिल हुईं, लेकिन उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया। पश्चिम बंगाल की सीएम का अपमान किया गया। उनका माइक स्विचऑफ था। यह लोकतंत्र के अनुकूल नहीं है।

बैठक में नहीं शामिल हुए 10 राज्य और UT; नीति आयोग के सीईओ ने ममता बनर्जी के आरोपों पर भी दिया जवाब

पश्चिम बंगाल :  पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जब से केंद्र सरकार पर नीति आयोग की बैठक में उनको न बोलने देने का आरोप लगाया है, तब से भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं में जुबानी जंग जारी है। वहीं इस सब के बीच अब नीति आयोग ने खुद मोर्चा संभालते हुए पूरे मीटिंग का घटनाक्रम साझा किया है।

बैठक में ये राज्य नहीं हुए शामिल
नीति आयोग के सीईओ बी. वी. आर सुब्रह्मण्यम ने बैठक की जानकारी देते हुए बताया कि इस बैठक में 10 राज्य नहीं शामिल हुए थे, जबकि 26 राज्यों ने इसमें हिस्सा लिया था। जो राज्य नहीं शामिल हुए थे उनमें केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और पुद्दुचेरी हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बैठक में शामिल हुईं।
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ममता बनर्जी ने पहले बोलने का किया था अनुरोध
नीति आयोग के सीईओ ने बताया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया था कि उन्हें लंच से पहले बोलने का मौका दिया जाए। बी. वी. आर सुब्रह्मण्यम ने कहा कि मैं सिर्फ तथ्य बता रहा हूं।क्योंकि आमतौर पर अल्फाबेट के आधार पर सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बोलने का मौका दिया जाता है।

उनकी बातों को सम्मानपूर्वक सुना गया- सीईओ
जिसके तहत गुजरात से पहले रक्षा मंत्री ने उनको बोलने का मौका दिया। इसके बाद उन्होंने अपनी बातें रखीं। बी. वी. आर सुब्रह्मण्यम ने बताया कि सभी मुख्यमंत्रियों को सात मिनट बोलने का मौका दिया गया था और स्क्रीन के सबसे उपर समय प्रदर्शित किया जा रहा था कि उनका संबोधन का कितना समय बचा है। इस दौरान जब उनका समय खत्म हो गया तो उन्होंने कहा कि मैं बोलने के लिए और समय चाहती हूं। उनके संबोधन को हम सबने सम्मानपूर्वक सुना और अहम बिंदुओं को नोट भी किया। नीति आयोग के सीईओ ने आगे कहा कि जब उनका समय खत्म हो गया, तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने माइक थपथपाया। इसके तुरंत बाद उन्होंने बोलना बंद कर दिया और बाहर चली गईं। हालांकि इसके बाद भी पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारी बैठक में शामिल रहे।

बैठक में पीएम मोदी ने दिए ये निर्देश
नीति आयोग के सीईओ ने बताया कि प्रधानमंत्री ने आज नीति आयोग की 9वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता की। इस दौरान पीएम ने कहा कि विकसित भारत का विजन विकसित राज्यों के जरिए साकार किया जा सकता है। सभी राज्य और जिलों को विकसित भारत@2047 को साकार करने के लिए 2047 के लिए एक विजन बनाना चाहिए। पीएम मोदी ने निवेश आकर्षित करने के लिए नीति आयोग को ‘निवेश-अनुकूल चार्टर’ तैयार करने का निर्देश भी दिया। इस दौरान पीएम ने जल संसाधनों के प्रभावी उपयोग के लिए राज्य स्तर पर नदी ग्रिड बनाने को प्रोत्साहित किया।

25 साल पहले हुई सड़क दुर्घटना का निपटारा, ओएनजीसी अधिकारी के परिजनों को 2.85 करोड़ रुपये का मुआवजा

सड़क दुर्घटना में जून 2022 में मारे गए एक व्यक्ति के परिजनों को 2.85 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश राष्ट्रीय लोक अदालत ने दिया है। 25 साल बाद ठाणे में आयोजित लोक अदालत में यह आदेश देकर मृत्यु दावे का निपटारा किया है। वहीं एक अन्य मामले में मुकदमा दायर, सुनवाई ऑनलाइन माध्यम से ही की गई।

ओएनजीसी के महाप्रबंधक धीरेंद्र चंद्र ठाकुरदास रॉय की 19 जून 2022 को मृत्यु हो गई थी। 59 वर्षीय धीरेंद्र चंद्र ठाकुरदास रॉय को पहले एक ट्रक ने टक्कर मार दी, उसके बाद उनकी गाड़ी पनवेल-सायन रोड पर एक राज्य परिवहन बस से टकरा गई। जिला न्यायाधीश एसएस शिंदे और एमएसीटी सदस्य एसएन शाह ने उनकी विधवा, दो बेटियों और 86 वर्षीय मां को 2.85 करोड़ रुपये का मुआवजा चेक दिया। लोक अदालत में मृतक के परिजनों का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता एसटी कदम ने बताया कि दुर्घटना के समय रॉय का मासिक वेतन 6 लाख रुपये था।
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वहीं पिछले साल 23 फरवरी को घोड़बंदर रोड पर चलते समय सड़क दुर्घटना में आईटी फर्म के एचआर प्रमुख 38 वर्षीय मौसमी मेहेंदले मारे गए। उनके परिवार को एक अन्य अदालत में 1.15 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया। लोक अदालत में एक अन्य बहुचर्चित घटनाक्रम मामला रहा। जिसमें एमएसीटी सदस्य शाह ने एक फार्मेसी छात्र के समझौते का आदेश दिया। यह मामला भी ठाणे में हुई एक सड़क दुर्घटना से संबंधित था। हालांकि आवेदन वर्तमान में लंदन में रहता है। अधिकारियों का कहना है कि उसने ऑनलाइन ही याचिका दी थी, और ऑनलाइन ही इस मामले को निपटाया गया। न्यायाधीश शिंदे ने इस तरह की लोक अदालत में सौहार्दपूर्ण समझौतों के महत्व पर जोर दिया और मामलों को प्रभावी ढंग से हल करने में निरंतर सफलता की उम्मीद जताई।