Saturday , November 23 2024

देश

दुनियाभर में बदलाव के वाहक बन रहे युवा, विरोध से दिख रही लोकतंत्र की स्वीकार्यता में परिवर्तन की झलक

नई दिल्ली: मौजूदा समय में दुनिया में विरोध-प्रदर्शनों की लहर है। इनमें युवाओं का प्रभुत्व है और ये बदलाव के वाहक बन रहे हैं। इनमें शासन परिवर्तन से लेकर बढ़ी महंगाई तक शामिल है।

अंतरराष्ट्रीय मदद के लिए बनाई गई प्रतिष्ठित अमेरिकी एजेंसी, यूएसएआईडी (यूएस एजेंसी फार इंटरनेशनल डेवलपमेंट) इन विरोध प्रदर्शनों के मुद्दों व संरचना का परीक्षण किया जाए तो पता चलता है कि इनके पीछे कोई औपचारिक नेतृत्व नहीं है और ये काफी हद तक मुद्दों पर ही आधारित हैं। इस समय दुनिया के इतिहास में सबसे ज्यादा युवा आबादी है और यह मुद्दे भी खुद ही तय कर रहे हैं।

युवा पीढ़ी में लोकतंत्र को लेकर दिख रहा अलग-अलग मत
यूनिसेफ के विश्लेषण के अनुसार हाल के सालों में पाया गया है कि पुरानी और नई पीढ़ी में राजनीतिक सहभागिता के तौर पर लोकतंत्र को लेकर अलग अलग मत हैं।

युवाओं के बीच गहरा रहा है रोजगार का संकट
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन भी युवा आबादी के बीच बढ़ते विरोध प्रदर्शनों पर बढ़ती बेचैनी को ध्यान में रखते हुए कहा है कि युवाओं के बीच रोजगार का संकट गहरा रहा है जो केवल सुस्त आर्थिक विकास से जुड़ा हुआ नहीं है।

एक साथ चुनाव कराने पर खर्च में आएगी कमी, तीन से पांच लाख करोड़ रुपये बचेंगे

नई दिल्ली: ‘एक देश, एक चुनाव’ के अमल में आने पर चुनाव खर्च में कम से कम 30 फीसदी की कमी की जा सकती है। हालांकि यह चुनाव आयोग की कार्यकुशलता और राजनीतिक दलों के सहयोग पर निर्भर करेगा। हालांकि तीन दशकों से चुनाव व्यय पर नजर रख रहे एन भास्कर राव ने कहा कि ‘वोट के बदले नोट’ या मतदाताओं को लुभाने पर अंकुश लगाए बिना चुनाव खर्च में उल्लेखनीय कमी नहीं आएगी।

2024 के लोकसभा चुनावों से पहले सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस) के प्रमुख राव ने अनुमान लगाया था कि यदि देश में सभी स्तरों पर चुनाव 2024 में होते हैं तो इस पर 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च होंगे। उन्होंने कहा कि ये अनुमान संसदीय चुनावों से पहले लगाए गए थे और भविष्य के चुनावों में वास्तविक आंकड़ा इससे कहीं अधिक हो सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन आंकड़ों में राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव आयोग को बताए गए आधिकारिक व्यय के आंकड़ों तथा चुनाव कराने में सरकार के किए गए व्यय के अतिरिक्त बेहिसाबी व्यय भी शामिल है।

उन्होंने कहा कि ‘एक देश, एक चुनाव’ को लागू करने पर अनुमानित 10 लाख करोड़ रुपये के चुनाव खर्च में से 3-5 लाख करोड़ रुपये की बचत हो सकती है। हालांकि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि चुनाव आयोग कितना प्रभावी है और पार्टियां कितनी सहयोगी हैं। ‘एक देश, एक चुनाव’ पहल से अकेले चुनाव खर्च में कोई महत्वपूर्ण या पर्याप्त कमी नहीं आएगी, जब तक राजनीतिक दलों की ओर से उम्मीदवारों के चयन, प्रचार और मौजूदा पदाधिकारियों की सहूलियत से संबंधित वर्तमान प्रथाओं पर अंकुश नहीं लगाया जाता, चुनाव आयोग अधिक प्रभावी नहीं हो जाता, इसकी आदर्श आचार संहिता को राजनीतिक दलों की ओर से नहीं अपनाया जाता और चुनाव कार्यक्रम अधिक तर्कसंगत नहीं हो जाता।

आज फिर अयोध्या पहुंचेंगे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, देंगे विकास परियोजनाओं की सौगात

लखनऊ:  रामनगरी के विकास के लिए योगी सरकार लगातार धनवर्षा कर रही हैं। अयोध्या को विश्व के पटल पर स्थापित करने में मोदी-योगी सरकार कोई कसर नहीं रख रही है। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भी निरंतर यहां विकास का पहिया चल रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब भी अयोध्या पहुंचते हैं तो यहां विकास के मार्ग प्रशस्त करते हैं। सीएम योगी गुरुवार को फिर अयोध्या पहुंच रहे हैं। इस बार वे यहां एक हजार करोड़ से भी अधिक की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे। मुख्यमंत्री स्थानीय जनप्रतिनिधियों संग बैठक भी करेंगे।

मिल्कीपुर में जनसभा भी करेंगे सीएम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में जनसभा भी करेंगे। वह 10:40 पर मिल्कीपुर के विद्या मंदिर इंटर कॉलेज पहुंचेंगे। एक बजे तक मिल्कीपुर में ही रहेंगे। मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव की कमान संभाले सीएम योगी तीन महीने के अंदर दूसरी बार जिले को विकास का तोहफा देंगे।

अकेले मिल्कीपुर की 40 परियोजनाएं
सीएम द्वारा अयोध्या में एक हजार चार करोड़ 74 लाख 63 हजार की कुल 83 परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया जाएगा। इनमें विधानसभा मिल्कीपुर की कुल 40 परियोजनाएं हैं, जिनकी कुल लागत 4975.06 लाख है।

37 परियोजनाओं का किया लोकार्पण
जनपद में 8283.43 लाख की 37 परियोजनाओं का लोकार्पण किया जाएगा। लोकार्पित परियोजनाओं के अन्तर्गत नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति की 21, लोक निर्माण विभाग की 15, व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास-उद्यमशीलता की दो एवं समाज कल्याण विभाग की एक परियोजना सम्मिलित है। विधानसभा मिल्कीपुर में सात परियोजनाओं का लोकार्पण किया जाना है। लोकार्पित परियोजनाओं के अन्तर्गत नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति की 05 एवं लोक निर्माण विभाग की दो परियोजनाएं सम्मिलित हैं।

कई परियोजनाओं का किया जाएगा शिलान्यास
जनपद में 92191.20 लाख की 46 परियोजनाओं का शिलान्यास मुख्यमंत्री के हाथों होगा। लोक निर्माण विभाग की 34, नगर विकास विभाग की दो, आवास एवं शहरी नियोजन विभाग की दो. चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की दो. चिकित्सा शिक्षा विभाग, पर्यटन विभाग, उच्च शिक्षा विभाग स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग, व्यवसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास, उद्यमशीलता एवं युवा कल्याण विभाग की एक-एक परियोजनायें सम्मिलित हैं। विधानसभा मिल्कीपुर में 3456 लाख की 33 परियोजनाओं का शिलान्यास किया जा रहा है। शिलान्यास की जाने वाली परियोजनाओं के अन्तर्गत लोक निर्माण विभाग की 30 चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग एवं युवा कल्याण विभाग की एक-एक परियोजना सम्मिलित हैं।

बुलडोजर कानून के राज का प्रतीक नहीं, संविधान के अमल होने पर ध्यान दें केंद्र व राज्य सरकारे

लखनऊ:  बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि बुलडोजर कानून के राज का प्रतीक नहीं है। इसकी इस्तेमाल की बढ़ती प्रवृत्ति चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को सभी के लिए इस पर गाइडलाइन बनाना चाहिए जो कि नहीं हो रहा है इसीलिए सुप्रीम कोर्ट को मामले पर दखल देना पड़ रहा है।

उन्होंने ट्वीट कर कहा कि बुलडोजर विध्वंस कानून का राज का प्रतीक नहीं होने के बावजूद इसके प्रयोग की बढ़ती प्रवृति चिन्तनीय है। वैसे बुलडोजर व अन्य किसी मामले में जब आम जनता उससे सहमत नहीं होती है तो फिर केन्द्र को आगे आकर उस पर पूरे देश के लिए एक-समान गाइडलाइन्स बनाना चाहिए, जो नहीं किए जा रहे हैं।

वरना बुलडोजर एक्शन के मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट को इसमें दखल देकर केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी को खुद नहीं निभाना पड़ता, जो यह जरूरी था। केन्द्र व राज्य सरकारें संविधान व कानूनी राज के अमल होने पर जरूर ध्यान दें।बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिए गए एक निर्णय में बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अवैध ध्वस्तीकरण संविधान के मूल्यों के खिलाफ है।

पीएमएलए मामले में पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई टली, सॉलिसिटर जनरल ने मांगा था समय

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 2022 के पीएमएलए फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई 16 अक्तूबर तक टाल दी है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस सवाल पर सुनवाई 16 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी कि क्या धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्तारी और संपत्ति कुर्क करने की शक्तियों को बरकरार रखने वाले उसके 2022 के फैसले पर पुनर्विचार की आवश्यकता है। इससे पहले दिन में, न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने मामले को 3 अक्टूबर तक के लिए टाल दिया था, जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने स्थगन की मांग करते हुए मामले का उल्लेख किया। वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इसका कड़ा विरोध किया।

दोपहर बाद न्यायमूर्ति कांत ने मामले में उपस्थित वकीलों को बताया कि न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार, जो न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां के साथ पीठ का हिस्सा हैं, 27 सितंबर से 13 अक्टूबर तक अवकाश पर हैं। इसके बाद शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई 16 अक्टूबर को तय की। अदालत कुछ मापदंडों पर तीन न्यायाधीशों की पीठ के 27 जुलाई, 2022 के फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। अपने 2022 के फैसले में, सर्वोच्च न्यायालय ने पीएमएलए के तहत धन शोधन, तलाशी और जब्ती में शामिल संपत्ति की गिरफ्तारी और कुर्की की ईडी की शक्तियों को बरकरार रखा।

ग्रामीण विकास निधि जारी करने की मांग वाली पंजाब सरकार की याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह पंजाब सरकार की याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेगा। पंजाब सरकार ने याचिका में केंद्र सरकार से एक हजार करोड़ रुपये की ग्रामीण विकास निधि की बकाया राशि तुरंत जारी करने की मांग की है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ को पंजाब सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने बताया कि उनकी याचिका 2 सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थी, लेकिन उस पर सुनवाई नहीं हो सकी। वकील ने याचिका पर तुरंत सुनवाई की मांग की। पंजाब सरकार के वकील ने कहा कि इस बीच केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए भी नोटिस जारी कर दिया जाना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेंगे लेकिन केंद्र को फिलहाल नोटिस जारी करने से मना कर दिया।

दुर्गा पूजा में दिखेगा आरजी कर मामले का असर, सती जैसी पुरानी प्रथाओं की कलाकृतियों से सजेंगे पंडाल

कोलकाता:पश्चिम बंगाल में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में प्रशिक्षु महिला डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले को लेकर देशभर में नाराजगी है। अब इस क्रूर घटना का असर दुर्गा पूजा में भी दिखाई देगा। दरअसल, इस साल के दुर्गा पूजा उत्सव के अनगिनत विषयों में विधवाओं के आत्मदाह की पुरानी प्रथा ‘सती-दाह’ और अजंता गुफा की कलाकृतियां शामिल होंगी। इसके अलावा, कोलकाता के एक पंडाल के आसपास भित्तिचित्रों में भी दिखाई देंगी।

हर साल सामाजिक मुद्दों को उठाया जाता है
हर साल पश्चिम बंगाल में कई पूजा आयोजक सामाजिक मुद्दों और वर्तमान घटनाओं से संबंधित विषय चुनते हैं। इन मुद्दों को दिखाने के लिए पूजा आयोजक अपने पंडालों, मूर्तियों और लाइटों का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, इस बार प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के साथ हुई क्रूर घटना पर जूनियर डॉक्टर लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही इस बात पर बहस छिड़ी हुई है कि क्या इस दुखी माहौल में पूजा को धूमधाम से मनाया जाना चाहिए।

दुर्गा पूजा के आयोजक दो वर्गों में बंटे
दुर्गा पूजा आयोजकों का एक वर्ग पहले से बनाई गई अपनी योजनाओं के अनुसार आगे बढ़ रहा है। उनका मानना है कि त्योहार को अन्य मुद्दों के साथ नहीं जोड़ा सकता। वहीं एक वर्ग ने निर्णय लिया है कि वे नौ अगस्त की भयावह घटना को पंडाल के चारों ओर भित्तिचित्रों के माध्यम से दर्शाएंगे।

दक्षिण कोलकाता में नक्तला नाबापल्ली दुर्गापूजा समिति के एक आयोजक ने कहा, ‘उत्सव के दौरान हम तिलोत्तोमा के लिए न्याय की मांग करते हुए पोस्टर लगाएंगे। हमारे इलाके और पंडाल की ओर जाने वाली सड़कों पर महिलाओं की सुरक्षा की मांग करते हुए भित्तिचित्र बनाए जाएंगे।’ बता दें, कुछ पत्रकारों ने मृतक डॉक्टर को तिलोत्तोमा नाम दिया है।

यह कलाकृतियां बनाई जाएंगी
एक पूजा समिति के प्रवक्ता ने कहा, ‘हमारे पंडाल में महिलाओं पर हमलों से मुक्त विश्व की मांग, यौन शोषण पीड़ितों के लिए न्याय और महिलाओं को रात्रि विश्राम का अधिकार देने की मांग वाली भित्तिचित्र होंगी। ये कलाकृतियां कला महाविद्यालयों के छात्रों और स्थानीय लोगों द्वारा बनाई जाएंगी।’

गगनयान-चंद्रयान-4 के बाद अगला लक्ष्य वीनस ऑर्बिटर मिशन; इंसान को चांद पर भेजने की कवायद

केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों को विकसित करने और प्रदर्शित करने के लिए नए चंद्र मिशन चंद्रयान-4 को मंजूरी दी है।

चंद्रयान-4 का मिशन चंद्रमा पर मानव को भेजान
वहीं केंद्रीय कैबिनेट के फैसलों पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, चंद्रयान-4 मिशन का विस्तार किया गया है और इसका अगला कदम चंद्रमा पर मानव मिशन भेजना है। इस दिशा में सभी प्रारंभिक चरणों को मंजूरी दे दी गई है। इसके साथ ही वीनस ऑर्बिटर मिशन, गगनयान फॉलो-ऑन और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और अगली पीढ़ी के लॉन्च व्हीकल विकास को भी मंजूरी दी गई है। उन्होंने बताया कि चंद्रयान-4 मिशन के तहत चंद्रमा की चट्टानों और मिट्टी को पृथ्वी पर लाया जाएगा।

2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारने की योजना
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी देते हुए कहा गया है कि चंद्रयान-4 मिशन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारने (वर्ष 2040 तक नियोजित) और सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के लिए मूलभूत प्रौद्योगिकियों को प्राप्त करेगा। इसमें डॉकिंग/अनडॉकिंग, लैंडिंग, पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी और चंद्र नमूना संग्रह और विश्लेषण को पूरा करने के लिए आवश्यक प्रमुख प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया जाएगा।

चंद्रयान-4 के लिए 2,104 करोड़ रुपये की जरूरत
जानकारी के मुताबिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन चंद्रयान-4 के लिए कुल निधि की आवश्यकता 2,104.06 करोड़ रुपये है। वहीं इसरो अंतरिक्ष यान के विकास और प्रक्षेपण के लिए जिम्मेदार होगा। उद्योग और शिक्षाविदों की भागीदारी के साथ इस मिशन के अनुमोदन के 36 महीने के भीतर पूरा होने की उम्मीद है। सभी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को स्वदेशी स्तर पर विकसित किए जाने की परिकल्पना की गई है।

बीएसएफ ने नागरिकों के लिए केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार का किया विस्तार, अब सात जिलों में 10 केंद्र

मणिपुर में जारी हिंसा और तनाव के बीच, गृह मंत्रालय द्वारा उठाए गए पहल के हिस्से के रूप में, बीएसएफ ने मणिपुर के सात जिलों में 10 नए केंद्रीय पुलिस कल्याण (केपीके) उप-भंडार/वितरण केंद्र स्थापित किए हैं। इसका उद्देश्य मणिपुर के लोगों को उचित कीमतों पर वस्तुएं प्रदान करना है। उल्लेखनीय है कि बीएसएफ पहले से ही तीन इस तरह के वितरण केंद्र संचालित कर रहा था। मंगलवार को सात और वितरण केंद्रों का उद्घाटन किया गया। इस तरह से बीएसएफ अब पूरे मणिपुर में दस केंद्रों पर मणिपुर के लोगों की सेवा के लिए सक्रिय है।

मणिपुर के किन इलाकों में हैं 10 केंद्र
बीएसएफ पूर्वी कमान के प्रवक्ता संजय गुप्ता ने बताया कि ये दस केंद्र 131 बटालियन मुख्यालय बीएएफ, सुगनू, जिला काकचिंग, 107बटालियन डीसी परिसर (काकचिंग), 10 बटालियन वांगजिंग टेकचाम लेइकाई, जिला थौबाल, 29 बटालियन लम्लाई, जिला इंफाल ईस्ट, 93 बटालियन लेइकुन, जिला चंदेल, 10 बटालियन केपीकेबी केंद्र लोक्तक, जिला बिष्णुपुर, 40 बटालियन महादेव, लिटन, जिला उखरुल, 29 बटालियन केपीकेबी, कोइरेंगई, इंफाल ईस्ट,

राशन-कपड़े और जरूरी सामान खरीदने की सुविधा
संजय गुप्ता ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार इन वितरण केंद्रों में आवश्यक वस्त्र जैसे कि ग्रोसरी, कपड़े और घरेलू सामान उचित कीमतों पर मणिपुर के लोगों को प्रदान किया जा रहा है।

‘एक देश-एक चुनाव’ व्यावहारिक नहीं, असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही भाजपा

नई दिल्ली:कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि ‘एक देश-एक चुनाव’ व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब चुनाव नजदीक आते हैं, तो असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए भाजपा ऐसी बातें करती है। उनकी यह टिप्पणी तब सामने आई, जब इस मुद्दे पर एक उच्च स्तरीय समिति ने बुधवार को एक रिपोर्ट केंद्रीय मंत्रिमंडल को सौंपी है।

लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली समिति ने मार्च में रिपोर्ट सौंपी थी। इस मुद्दे पर पूछे जाने पर खरगे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, यह व्यावहारिक नहीं है। यह काम नहीं करेगा। जब चुनाव आते हैं और उन्हें उठाने के लिए कोई मुद्दा नहीं मिलता है तो वह असली मुद्दों से ध्यान भटका देते हैं।

इससे पहले, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर कोविंद समिति की रिपोर्ट स्वीकार कर लिया है। कोविंद समिति को एक साथ चुनाव कराने के लिए व्यापक समर्थन मिला है। मंत्रिमंडल ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव को मंजूरी दी है। उन्होंने यह भी कहा कि कोविंद समिति की सिफारिशों पर पूरे भारत में विभिन्न मंचों पर चर्चा की जाएगी। बड़ी संख्या में दलों ने एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया है। हम अगले कुछ महीनों में आम सहमति बनाने का प्रयास करेंगे।

लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश
उच्च स्तरीय समिति ने पहले चरण के तौर पर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की है। इसके 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने की बात कही गई है। समिति ने सिफारिशों के क्रियान्वयन पर विचार करने के लिए एक ‘कार्यान्वयन समूह’ के गठन का भी प्रस्ताव रखा है। समिति के मुताबिक, एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों की बचत होगी। विकास और सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा मिलेगा। लोकतांत्रिक ढांचे की नींव मजबूत होगी। इससे ‘इंडिया, जो भारत है’ की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी।

एक समान मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करने की बात
समिति ने राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से चुनाव आयोग की ओर से एक समान मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करने की भी सिफारिश की थी। फिलहाल भारत का चुनाव आयोग लोकसभा और विधानसभा चुनावों को ही देखता है। नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए स्थानीय निकाय चुनाव राज्य चुनाव आयोगों की ओर से कराए जाते हैं। बताया गया कि समिति ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की है, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं से समर्थन की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, इनके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की जरूरत होगी, जिन्हें संसद से पारित कराना होगा।

गुरुवायुर मंदिर में वीडियोग्राफी पर केरल हाईकोर्ट की सख्ती, रोक लगाकर कहा- ये केक काटने की जगह नहीं है

तिरुवनंतपुरम:  गुरुवायुर मंदिर से जुड़े केरल हाईकोर्ट के अहम फैसले के बाद नादपंथल क्षेत्र में विवाह समारोहों और विशिष्ट धार्मिक समारोहों को छोड़कर अब कोई भी वीडियो शूट नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति अनिल के नरेंद्रन और न्यायमूर्ति पी जी अजितकुमार की पीठ ने दो श्रद्धालुओं द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह अहम आदेश पारित किया। बता दें कि नादपंथल एक विशाल अस्थायी संरचना है। जिसे मंदिर के सामने भक्तों को गर्मी और बारिश के दौरान आश्रय प्रदान करने के लिए बनाया गया है।

कोर्ट ने मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि, बार में प्रस्तुत प्रारंभिक याचिकाओं पर विचार करने के बाद हम द्वितीय प्रतिवादी गुरुवायुर देवस्वोम प्रबंध समिति और अतिरिक्त पांचवें प्रतिवादी प्रशासक को यह निर्देश देना उचित समझते हैं कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं कि गुरुवायुर श्री कृष्ण मंदिर के नादपंथल में विवाह समारोहों और अन्य धार्मिक समारोहों के अलावा वीडियोग्राफी की अनुमति न दी जाए।

‘दीपस्तंभम’ की वीडियोग्राफी पर भी बैन
पीठ ने कहा कि मंदिर के अंदरूनी हिस्सों, खासकर पूर्वी ‘दीपस्तंभम’ की वीडियोग्राफी की अनुमति नहीं दी जा सकती। अदालत ने साफ तौर पर कहा कि, प्रबंध समिति को गुरुवायुर देवस्वोम की सुरक्षा शाखा के माध्यम से यह सुनिश्चित करना होगा कि गुरुवायुर श्री कृष्ण मंदिर के नादपंथल में ऐसी कोई गतिविधि न हो जिससे श्रद्धालुओं को परेशानी हो। इसमें कम उम्र के बच्चे, वरिष्ठ नागरिक और विकलांग व्यक्ति शामिल हैं।

पुलिस को मदद मांगने पर देनी होगी सुरक्षा
हाईकोर्ट ने याचिक पर सुनवाई के दौरान आगे कहा कि, यदि आवश्यक हो तो देवस्वोम प्रशासक स्टेशन हाउस अधिकारी पुलिस से मदद मांग सकते हैं। ऐसी स्थिति में पुलिस आवश्यक सहायता प्रदान करेगी। अदालत ने कहा कि गुरुवायुर देवस्वोम प्रबंध समिति गुरुवायुर श्री कृष्ण मंदिर में भक्तों द्वारा भगवान गुरुवायुरप्पन की उचित पूजा के लिए सुविधाएं प्रदान करने के लिए बाध्य है।