Saturday , November 23 2024

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‘अग्रिम जमानत याचिका पर फैसला सुनाने में न करें देरी’, हाईकोर्ट की निचली अदालतों को नसीहत

मुंबई:  बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को निचली अदालतों को कड़ी नसीहत दी। कोर्ट ने कहा कि जब किसी नागरिक की स्वतंत्रता को लेकर सवाल खड़ा हो तो निचली अदालतों को अग्रिम जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करने में देरी नहीं करनी चाहिए। ऐसे मामलों में जल्द से जल्द फैसला लेकर याचिकाकर्ता की अंतरिम सुरक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि जब निचली अदालतें सुनवाई नहीं करतीं तो उच्च न्यायालय का बोझ बढ़ जाता है।

न्यायाधीश संदीप मार्ने की एकल पीठ ने यह टिप्पणी शिवसेना नेता वामन म्हात्रे की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई में देरी करने पर ठाणे जिले के कल्याण की निचली अदालत पर नाराजगी जाहिर करते हुए की। म्हात्रे पर बदलापुर में दो बच्चियों के यौन उत्पीड़न के दौरान हुए विरोध प्रदर्शन में एक महिला पत्रकार पर अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप है। म्हात्रे ने हाईकोर्ट में अपील की है कि उन्होंने 22 अगस्त को कल्याण सेशन्स कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी, लेकिन उनकी याचिका पर अब तक सुनवाई नहीं की गई।

म्हात्रे ने याचिका में कहा कि उनके आवेदन को हर बार निचली अदालत खारिज कर देती है और याचिका पर अब सुनवाई 29 अगस्त को होनी है। न्यायाधीश मार्ने ने निचली अदालत के न्यायाधीश को 29 अगस्त को याचिका पर फैस्ना सुनाने के निर्देश दिए।

न्यायाधीश मार्ने ने कहा कि अग्रिम जमानत याचिका की स्थिति की रिपोर्ट 29 अगस्त की शाम को हाईकोर्ट के रजिस्ट्री विभाग को सौंपी जाए। उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति की स्वतंत्रता का मुद्दा हो तो कोर्ट को कम से कम अग्रिम जमानत आवेदन पर विचार करना चाहिए। जब निचली अदालतें ऐसे मामलों में फैसला नहीं लेतीं तो हाईकोर्ट का बोझ बढ़ जाता है। कोर्ट ने कहा कि समस्या ही यही है कि ऐसे में मामलों में फैसला ही नहीं लिया जाता।

डॉक्टरों के सुरक्षा के लिए गठित टास्क फोर्स की पहली बैठक खत्म, सदस्यों ने कई मुद्दों पर किया विचार-विमर्श

देश में स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा और संरक्षा के लिए दिशा निर्देश तैयार करने के उद्देश्य से उच्चतम न्यायालय की तरफ से गठित कार्यबल की पहली बैठक मंगलवार को हुई। इस दौरान प्राथमिकता वाले मुद्दों की पहचान करने और उनके समाधान की रूपरेखा तैयार करने की खातिर हितधारकों से विस्तृत परामर्श करने का फैसला किया गया।

कोलकाता कांड के बाद सुप्रीम कोर्ट ने किया गठन
बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला चिकित्सक से कथित दुष्कर्म और फिर हत्या किए जाने की घटना के खिलाफ देशभर में शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के बाद मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था और 10 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यबल का गठन किया था।

आईएमए और हितधारकों से बातचीत करेगी एनटीएफ
वहीं एनटीएफ की पहली बैठक के बाद सूत्रों ने बताया कि एनटीएफ के सदस्यों ने चिकित्सा प्रतिष्ठानों में स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा, संरक्षा और कार्य स्थितियों में सुधार के लिए प्राप्त कुछ सूचनाओं और अभ्यावेदनों पर विचार-विमर्श किया। एक सूत्र ने बताया, बैठक में फैसला लिया गया कि एनटीएफ आईएमए, संबंधित रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन जैसे हितधारकों के साथ विस्तृत बातचीत करेगी, क्योंकि उनके विचारों को जानना और उनकी बात सुनना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा समयसीमा भी सीमित है, इसलिए मसौदा जल्द से जल्द तैयार किया जाना चाहिए।

बैठक में तमाम मुद्दों पर किया गया विचार-विमर्श
एक सूत्र ने बताया कि हमने कुछ सुझावों पर पहले ही विचार-विमर्श कर लिया है, लेकिन हम उनका विस्तार करेंगे तथा इसे और अधिक समावेशी और व्यापक बनाने के लिए आगे भी विचार-विमर्श करेंगे, ताकि हमें उन मुद्दों पर स्पष्टता मिल सके, जिन्हें प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। साथ ही कार्यान्वयन के लिए निश्चित रूपरेखा भी तैयार करनी होगी।

उच्चतम न्यायालय ने एनटीएफ को दिया था ये निर्देश
सूत्रों के मुताबिक, इनके अलावा यह भी फैसला किया गया कि स्वास्थ्य मंत्रालय एक पोर्टल शुरू करेगा जिसपर सभी हितधारक इस मुद्दे पर अपनी-अपनी राय और जानकारी साझा कर सकेंगे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीते बुधवार को एक कार्यालय ज्ञापन जारी किया था, जिसमें एनटीएफ के लिए संदर्भ की शर्तों का उल्लेख किया गया था। इसके अनुसार, यह चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा, कार्य स्थितियों और कल्याण तथा अन्य संबंधित मामलों से संबंधित चिंताओं के समाधान के लिए प्रभावी सिफारिशें करेगा। उच्चतम न्यायालय ने एनटीएफ को दो उप-शीर्षकों – चिकित्सा पेशेवरों के खिलाफ लिंग आधारित हिंसा समेत हिंसा को रोकना और सुरक्षित कार्य स्थितियां प्रदान करना और चिकित्सा पेशेवरों के खिलाफ यौन हिंसा की रोकथाम के तहत एक कार्य योजना तैयार करने को कहा था।

शिवाजी की प्रतिमा ढहने के मामले में नौसेना ने करेगी जांच; ठेकेदार और सहयोगी के खिलाफ मामला दर्ज

मुंबई:  महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के एक किले में मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फीट ऊंची प्रतिमा के ढहने के मामले में स्थानीय पुलिस ने ठेकेदार जयदीप आप्टे और सहयोगी चेतन पाटिल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। दोनों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 109, 110, 125, 318 और 3(5) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। सिंधुदुर्ग पुलिस ने इस बारे में जानकारी दी है। वहीं, दूसरी ओर भारतीय नौसेना ने भी इसे लेकर बड़ा कदम उठाया है। नौसेना ने इस मामले में जांच का आदेश दिया है। साथ ही प्रतिमा की मरम्मत और उसे पुन: स्थापित करने के लिए एक टीम की प्रतिनियुक्ति की है। बता दें कि इस प्रतिमा का अनावरण पिछले साल नौसेना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। इस घटना के बाद विपक्षी दलों ने राज्य की शिंदे सरकार की आलोचना की और आरोप लगाया कि काम की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया था।

भारतीय सेना ने देर रात इस मामले में बयान जारी किया। इसमें नौसेना ने कहा कि उसने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की तुरंत जांच के लिए जरूरी कदम उठाए हैं। नौसेना ने कहा कि भारतीय नौसेना आज सुबह छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को हुए नुकसान पर गहरी चिंता व्यक्त करती है, जिसका अनावरण सिंधुदुर्ग के नागरिकों के प्रति समर्पण के रूप में 4 दिसंबर, 2023 को नौसेना दिवस पर किया गया था। बयान में आगे कहा गया है कि राज्य सरकार और संबंधित विशेषज्ञों के साथ नौसेना ने इस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना के कारण की तुरंत जांच करने और प्रतिमा की जल्द से जल्द मरम्मत, और पुन: स्थापना के लिए कदम उठाने के लिए एक टीम की नियुक्ति की है।

दोपहर एक बजे हुई घटना
अधिकारियों के मुताबिक, प्रतिमा मालवन स्थित राजकोट किले में दोपहर एक बजे ढही। उन्होंने बताया कि विशेषज्ञ प्रतिमा के ढहने के वास्तविक कारण का पता लगाएंगे। हालांकि, जिले में बीते दो-तीन दिनों में भारी बारिश के साथ तेज हवाएं चली हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि मौसम के कारण प्रतिमा अचानक ढह गई। पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने घटनास्थल पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया।

विपक्ष ने की शिंदे सरकार की आलोचना
इस घटना के बाद विपक्षी दलों ने राज्य की शिंदे सरकार की आलोचना की और आरोप लगाया कि काम की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया था। राकांपा-एसपी के प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व मंत्री जयंत पाटिल ने कहा, ‘‘राज्य सरकार इस घटना के लिए जिम्मेदार है क्योंकि उसने उचित देखरेख नहीं की। सरकार ने काम की गुणवत्ता पर बहुत कम ध्यान दिया। इसने केवल कार्यक्रम आयोजित करने पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें पीएम मोदी को प्रतिमा का अनावरण करने के लिए आमंत्रित किया गया था।’’ उन्होंने कहा कि मौजूदा महाराष्ट्र सरकार केवल नए टेंडर जारी करती है, कमीशन लेती है और उसके अनुसार ठेके देती है।

अभिनेत्री नमिता का आरोप- मीनाक्षी मंदिर में हिंदू होने का मांगा गया सबूत, दर्शन करने से रोका गया

नई दिल्ली:अभिनेत्री नमिता ने आरोप लगाया कि प्रसिद्ध श्री मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर में दर्शन करने से रोका गया और उनसे हिंदू होने का सबूत मांगा गया। उन्होंने मंदिर अधिकारियों के कथित अशिष्ट व्यवहार पर निराशा जताई। भाजपा की राज्य कार्यकारिणी सदस्य अभिनेत्री नमिता ने सोमवार को आरोप लगाया कि मंदिर के एक अधिकारी ने उन्हें दर्शन करने से रोका और हिंदू होने का सबूत मांगा। अधिकारी ने मुझसे यह साबित करने के लिए प्रमाणपत्र मांगा कि मैं हिंदू हूं और साथ ही मेरा जाति प्रमाणपत्र भी मांगा। देश में मैंने कई मंदिरों में दर्शन किया लेकिन उनमें मुझे ऐसी यातना नहीं झेलनी पड़ी।

उन्होंने कहा कि यह सर्वविदित तथ्य है कि मैं हिंदू परिवार में जन्मी हूं और मेरा विवाह तिरुपति में हुआ था तथा मेरे बेटे का नाम भगवान कृष्ण के नाम पर है। एक अधिकारी ने मुझसे अशिष्टता और अहंकार से बात की। मेरी जाति और मेरे विश्वास को साबित करने के लिए प्रमाणपत्र की मांग की।

मंदिर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आरोपों से इन्कार किया और कहा कि उन्होंने नकाब पहने हुए नमिता और उनके पति को रोका तथा पूछा कि क्या वे हिंदू हैं और मंदिर की परंपरा के बारे में बताया। उनसे स्पष्टीकरण मिलने के बाद, उनके माथे पर कुमकुम लगाया गया और उन्हें देवी मीनाक्षी के दर्शन के लिए मंदिर के अंदर ले जाया गया। जब इस बारे में पूछा गया तो अभिनेत्री ने कहा कि मुझे अपनी आस्था स्पष्ट करने और माथे पर कुमकुम लगाने के बाद ही दर्शन की अनुमति दी गई।

उन्होंने कहा कि मदुरई की मेरी यात्रा आध्यात्मिक थी और मैं इस्कॉन में कृष्ण जन्माष्टमी मनाने आई थीं। अभिनेत्री ने कहा कि पूछने का एक तरीका होता है। मुझे एक कोने में 20 मिनट तक इंतज़ार करना पड़ा। हमने रविवार को पुलिस को अपनी यात्रा के बारे में सूचित कर दिया था। अभिनेत्री ने कहा कि मैंने मास्क इसलिए पहना था क्योंकि मैं उन भक्तों को परेशान नहीं करना चाहती थीं जो मुझे पहचान सकते थे। इससे पहले दिन में नमिता ने हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ निधि मंत्री पी के शेखर बाबू को एक वीडियो संदेश जारी कर अपनी परेशानी बताई और उनसे असभ्य मंदिर अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया।

श्रीलंका की नौसेना के शिकंजे में भारतीय नाव, आठ चालक दल के सदस्यों को भी पकड़ा

रामेश्वरम: श्रीलंका की नौसेना ने एक बार फिर भारतीय नाव को पकड़ लिया है। इस दौरान आठ चालक दल के सदस्यों को भी पकड़ा गया है। रामेश्वरम मत्स्य पालन के सहायक निदेशक ने बताया कि कल रामेश्वरम से 430 मशीनी नावें मछली पकड़ने के लिए समुद्र में उतरीं। इनमें से एक नाव को आठ चालक दल के सदस्यों सहित श्रीलंकाई नौसेना ने पकड़ लिया। इस साल श्रीलंका 341 भारतीयों को गिरफ्तार कर चुका है। वहीं, 45 से ज्यादा ट्रॉलर्स की जब्ती भी की गई है।

इससे पहले 24 अगस्त को खबर आई थी कि श्रीलंका की नौसेना ने भारत के 11 मछुआरों को फिर गिरफ्तार कर लिया है। नौसेना की आधिकारिक रिलीज के मुताबिक, इन लोगों को मछली पकड़ने के लिए समुद्री सीमा पार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इसी के साथ इस साल श्रीलंका अब तक 333 भारतीयों को समुद्री सीमा पार कर मछली पकड़ने के आरोप में गिरफ्तार कर चुका है।

बताया गया कि इन मछुआरों के ट्रॉलर को श्रीलंका के उत्तरी प्रांत में जाफना के करीब पॉइंट ऑफ पेड्रो के करीब मछली पकड़ने के दौरान गिरफ्तार किया गया। जिन लोगों को पकड़ा गया, उन्हें आगे की कार्रवाई के लिए कांकेसंथुराई फिशिंग हार्बर लाया गया। इस बीच तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने एक बार फिर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर को चिट्ठी लिखकर 11 मछुआरों की गिरफ्तारी के मामले में दखल देने की मांग की थी।

मायावती बोलीं – रिटायरमेंट का अभी इरादा नहीं… मेरे बीमार होने की खबरें फेक न्यूज

लखनऊ:  बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि उनका सक्रिय राजनीति से रिटायरमेंट लेने का अभी कोई इरादा नहीं है। मेरे बीमार होने की फेक न्यूज जातिवादी मीडिया की देन है ताकि पार्टी के लोगों का मनोबल गिराया जा सके। इससे पहले भी मुझे राष्ट्रपति बनाने की अफवाह फैलाई गयी थी।

बसपा सुप्रीमो ने सोमवार को जारी अपने बयान मे कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर व कांशीराम की तरह ही अपनी ज़िन्दगी की आखिरी सांस तक बसपा व इसके मूवमेन्ट को समर्पित रहने का उनका फैसला अटल है। आकाश आनंद को मेरे नहीं रहने पर या गंभीर अस्वस्थता की हालत में उत्तराधिकारी के रूप में आगे किया है। तभी से जातिवादी मीडिया, ऐसी फेक न्यूज प्रचारित कर रहा है। पार्टी का लक्ष्य 50 फीसद युवाओं को पदाधिकारी बनाने का है।

गेस्ट हाउस कांड को लेकर कांग्रेस पर उठाए सवाल
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि गेस्ट हाउस कांड में कांग्रेस की नीयत खराब हो गई थी। वह प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की साजिश रच रही थी। तब बीमारी की हालत में कांशीराम ने हास्पिटल छोड़कर इनके गृह मंत्री को हड़काया और विपक्ष ने संसद को घेर लिया, तब कांग्रेस सरकार हरकत में आई थी।

बसपा सुप्रीमो ने सोमवार को सोशल मीडिया पर जारी अपने बयान में कहा कि सपा ने 2 जून 1995 में बसपा द्वारा समर्थन वापस लेने पर मुझ पर जानलेवा हमला कराया था। इस पर कांग्रेस कभी क्यों नहीं बोलती है? उस दौरान केंद्र में रही कांग्रेस सरकार ने भी समय से अपना दायित्व नहीं निभाया था। दरअसल, उस समय केंद्र की कांग्रेस सरकार की भी नीयत खराब हो चुकी थी। जो कुछ भी अनहोनी के बाद यूपी में राष्ट्रपति शासन लगाकर, पर्दे के पीछे से अपनी सरकार चलाना चाहती थी। उसका यह षड्यंत्र बसपा ने फेल कर दिया था। उस समय सपा के आपराधिक तत्वों से भाजपा सहित समूचे विपक्ष ने मानवता व इन्सानियत के नाते मुझे बचाने में जो अपना दायित्व निभाया, इसकी कांग्रेस को बीच-बीच मे तकलीफ होती रहती है। लिहाजा बसपा समर्थक कांग्रेस से सचेत रहें।

महिला उत्पीड़न पर अब ऑनलाइन भी दर्ज होंगी शिकायतें, केंद्र के निर्देश को राज्य सरकार करेगी लागू

मुंबई:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महिला उत्पीड़न मामलों को ऑनलाइन दर्ज करने के निर्देश पर महाराष्ट्र कैबिनेट में चर्चा की गई। उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने बताया कि राज्य सरकार ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पीएम मोदी के निर्देश को तुरंत लागू करने का फैसला किया और इसके साथ ही अलग कदम उठाने का भी निर्णय लिया है। रविवार को जलगांव में माझी लाड़की बहिन योजना कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने महिलाओं के खिलाफ अपराध को अक्षम्य पाप बताया। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए।

पीएम मोदी की यह टिप्पणी पश्चिम बंगाल में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज-अस्पताल में एक प्रशिक्षु महिला डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या और महाराष्ट्र के बदलापुर में नाबालिग से यौन उत्पीड़न मामले के संदर्भ में आई। उन्होंने बताया कि भारतीय न्याय संहिता में एक पूरा अध्याय महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के लिए समर्पित है। अगर कोई महिला पुलिस स्टेशन तक नहीं पहुंच पाती है तो वह ई-एफआईआर भी दर्ज करा सकती है।

पत्रकारों से बात करते हुए अजित पवार ने कहा, “पीएम मोदी ने यौन उत्पीड़न मामलों की शिकायत ऑनलाइन दर्ज करने के निर्देश दिए और हमने इसे तुरंत लागू करने का फैसला किया है। ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं। हमने इन अपराधों को रोकने के लिए एक अलग दृष्टिकोण अपनाने का फैसला किया। इस मुद्दे पर कल मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा भी की गई।” डिप्टी सीएम ने अपराधियों के लिए सख्त से सख्त कार्रवाई का आह्वान किया।

पूर्व प्राचार्य संदीप घोष पर CBI का शिकंजा, भ्रष्टाचार मामले में गैर-जमानती धाराओं में FIR दर्ज

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का नाम एफआईआर में दर्ज किया है। जानकारी के मुताबिक एजेंसी ने उनके कार्यकाल के दौरान संस्थान में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच के सिलसिले में एफआईआर दर्ज की है। जिसमें आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक साजिश) को धारा 420 आईपीसी (धोखाधड़ी और बेईमानी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (2018 में संशोधित) की धारा 7 के साथ लगाया है, जो एक लोक सेवक की तरफ से अवैध रूप से रिश्वत लेने को दिखाता है।

‘ये संज्ञेय अपराध और गैर-जमानती प्रकृति के हैं’
कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक वरिष्ठ वकील ने कहा कि इन सभी मामलों को एक साथ पढ़ने पर ये संज्ञेय अपराध लगते हैं और गैर-जमानती प्रकृति के हैं। इसमें संदीप घोष के अलावा, सीबीआई ने मध्य जोरहाट, बानीपुर, हावड़ा के मेसर्स मा तारा ट्रेडर्स, जेके घोष रोड, बेलगछिया, कोलकाता के मेसर्स ईशान कैफे और मेसर्स खामा लौहा के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है। ये मामला राज्य स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव देबल कुमार घोष की तरफ से दर्ज कराई गई लिखित शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई।

महिला डॉक्टर की मौत से जुड़ा है भ्रष्टाचार का संबंध!
सीबीआई की तरफ से कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश पर राज्य की तरफ गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच अपने हाथ में लेने के बाद शनिवार को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। यह आदेश आरजी कर अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली की याचिका पर जारी किया गया, जिन्होंने संस्थान में कथित वित्तीय कदाचार की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच कराने का अनुरोध किया था। अली ने उच्च न्यायालय का रुख किया था, क्योंकि इस बात को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं कि क्या संस्थान में कथित भ्रष्टाचार का संबंध महिला डॉक्टर की मौत से जुड़ा है, और क्या पीड़िता को इसकी जानकारी थी और इससे मामले के उजागर होने का खतरा था।

‘चार हफ्तों के भीतर खुली जेलों की जानकारी दें’, सुप्रीम कोर्ट का राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश

नई दिल्ली:  सुप्रीम कोर्ट ने कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को आदेश दिया है कि वे चार हफ्तों के भीतर खुली जेलों के कामकाम के संबंध में पूरी जानकारी प्रदान करें। खुली या अर्ध-खुली जेलों में दोषियों को दोपहर में जेल के बाहर काम करने की अनुमति होती है, ताकि वे आजीविका कमा सकें और शाम को लौट सकें। यह व्यवस्था दोषियों को समाज के साथ घुलने-मिलने और सामान्य जीवन जीने में मदद करने के मकसद से की गई थी।

वरिष्ठ वकील के. परमेश्वर ने जस्टिस बी.आर.गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ को बताया कि इस मुद्दे पर कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक अपनी प्रतिक्रियाएं नहीं दी हैं। परमेश्वर जेलों में भीड़ से जुड़े एक मामले में कोर्ट की मदद कर रहे हैं। पीठ ने कहा कि प्रश्नावली के बावजूद दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और पंजाब जैसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक खुली जेलों की स्थिति और संचालन के संबंध में चार्ट में जानकारी नहीं दी है।

पीठ ने 20 अगस्त के आदेश में कहा, इसलिए, हम निर्देश देते हैं कि वे सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जिन्होंने अभी तक अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी है, वे आज से चार हफ्तों के भीतर पूरी प्रतिक्रिया (प्रश्नावली में) दाखिल करें। अदालत ने यह भी कहा कि जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने पूरी जानकारी नहीं दी है, वे भी चार हफ्तों के भीतर आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करें। पीठ ने यह भी कहा कि जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने पूरी जानकारी नहीं दी है, वे भी चार हफ्तों के भीतर अनुपालन सुनिश्चित करें।

दुर्गा पूजा समितियां कर रहीं ममता सरकार की अनुदान राशि का बहिष्कार, डॉक्टर हत्याकांड मामले में मांगा न्याय

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलज-अस्पताल में एक प्रशिक्षु महिला डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के मामले में दुर्गा पूजा समितियों ने एक अहम कदम उठाया। उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा दी गई 85000 रुपये की अनुदान राशि को लेने से इनकार कर दिया। उनका कहना है कि जब महिलाएं सुरक्षा की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आई हैं तो वे सरकार से अनुदान राशि स्वीकार नहीं कर सकते।

हुगली में भद्रकाली बौथन संघ की अध्यक्ष रीना दास ने कहा, “हमने अपने सदस्यों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए इस वर्ष इस अनुदान का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। यह अनुदान हमें पहले भी कई वर्षों तक मिलता रहा है।” उत्तरपारा शक्ति संघ से प्रसेनजीत भट्टाचार्य ने कहा, “यह एक सांकेतिक प्रदर्षण है। हम तब तक इस राशि को स्वीकार नहीं करेंगे, जब तक अपराधी को पकड़कर न्याय के कठघरे में नहीं लाया जाता।”

इन समितियों ने भी अस्वीकार किया अनुदान राशि
मुर्शिदाबाद में लालगोला कृष्णापुर सन्यासीताला और नादिया में बेथुदाहारी टाउन क्लब सहित अन्य समितियों ने भी इस राशि को अस्वीकार करने के अपने फैसले के बारे में स्थानीय अधिकारियों को सूचित किया है। जादवपुर में हाईलैंड पार्क दुर्गोत्सव समिति ने भी इस राशि को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। समिति के एक अधिकारी ने कहा, “विरोध प्रदर्शनों और न्याय की मांग को देखते हुए हमने सर्वसम्मति से अनुदान छोड़ने का फैसला किया है।”