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वायनाड में लोगों की जान बचाने और राहत-बचाव कार्यों में मदद कर रहा रेडियो स्टेशन, जानें कैसे

वायनाड:वायनाड में भूस्खलन के बाद चल रहे राहत-बचाव कार्य में संचार व्यवस्था को स्थापित करना एक अहम चुनौती थी, जिसे हैम रेडियो के एक समूह ने स्वीकार करते हुए संचार नेटवर्क स्थापित किया है। जिसकी मदद से लोगों की जान बचाने के प्रयासों में सुविधा मिल रही है।

सीमित सीमा तक ही उपलब्ध थीं फोन सेवाएं
कलपेट्टा में जिला कलेक्टर के कार्यालय के भूतल पर स्वयंसेवी ऑपरेटरों की तरफ से स्थापित शौकिया रेडियो प्रणाली प्रभावित समुदायों और अधिकारियों को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर रही है, जिससे बचाव प्रयासों और राहत कार्यों में मदद मिल रही है। शनिवार को एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया, कि स्थिति बहुत खराब थी, मोबाइल फोन सेवाएं बहुत सीमित सीमा तक ही उपलब्ध थीं।

जिला कलेक्टर ने किया हैम रेडियो ऑपरेटरों से संपर्क
आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि जिला कलेक्टर डी. आर. मेघश्री ने हैम रेडियो ऑपरेटरों से संपर्क किया और उन्होंने संचार की लाइनें खुली रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्टेशन को संचालित करने के लिए रिसीवर, एम्पलीफायर, लॉगिंग और डिजिटल मॉड्यूलेशन के लिए कंप्यूटर और अन्य उपकरणों का उपयोग किया जाता है।

हैम रेडियो ऑपरेटर आपदा क्षेत्र से हैम रेडियो ट्रांसमीटर के माध्यम से स्टेशन तक सूचना प्रसारित करते हैं। अंबालावायल पोनमुडी कोट्टा में स्थापित एक रिपीटर हैम रेडियो संचार की सुविधा प्रदान करता है। बता दें कि हैम रेडियो आपदाओं के दौरान प्रयुक्त होने वाली संचार व्यवस्था है।

भर्तियों में ओबीसी को मिला सबसे ज्यादा लाभ, शिक्षक भर्ती में 31000 युवाओं का हुआ चयन

लखनऊ:  योगी सरकार में होने वाली भर्तियों में ओबीसी युवाओं के साथ भेदभाव को लेकर जारी राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के इतर आंकड़े कुछ और ही बयां कर रहे हैं। शासन के अनुसार, 2017 से अब तक प्रदेश में हुई भर्तियों में न केवल आरक्षण प्रावधानों का पालन हुआ, बल्कि कई में तो सामान्य वर्ग से ज्यादा चयन ओबीसी अभ्यर्थियों का ही हुआ है।

परिषदीय विद्यालयों में हुई 69000 शिक्षक भर्ती प्रकिया में अन्य पिछड़ा वर्ग के 18000 से अधिक पदों पर भर्ती होनी थी। इसके सापेक्ष अन्य पिछड़ा वर्ग के 31000 से अधिक अभ्यर्थियों का चयन हुआ। इसमें 18,598 ओबीसी कोटे में तथा 12,630 ओबीसी अभ्यर्थी अनारक्षित श्रेणी में चयनित हुए। ऐसा ही अनुसूचित जाति संवर्ग में भी हुआ है। शिक्षक भर्ती में अनुसूचित जाति के लिए 14000 से अधिक पद आरक्षित थे। इन सभी पदों पर तो एससी वर्ग के युवाओं का चयन हुआ ही, नियमों के अनुरूप मेरिट के आधार पर 1600 से अधिक अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी अनारक्षित श्रेणी में भी चयनित हुए।

वहीं बचे 1100 से अधिक अनुसूचित जनजाति के खाली पदों को भी अनुसूचित जाति के अभ्यर्थियों द्वारा ही भरा गया। इस तरह अनुसूचित जाति संवर्ग के कुल 17000 से अधिक अभ्यर्थियों का चयन परिषदीय विद्यालयों में शिक्षक पद पर हुआ। संबंधित चयन परीक्षा में अनारक्षित श्रेणी के 34000 से अधिक पदों में 20,301 सामान्य श्रेणी, 12,630 अन्य पिछड़ा वर्ग, 1,637 अनुसूचित जाति, 21 अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों का चयन हुआ।

यूपीपीएससी में सबसे ज्यादा सफलता ओबीसी को
विधानमंडल के मानसून सत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भर्तियों में आरक्षण प्रावधानों का विधिवत पालन होने की बात सदन में रखी थी। उन्होंने लोक सेवा आयोग की भर्ती परीक्षा के आंकड़े प्रस्तुत किए और सपा शासनकाल और मौजूदा समय में ओबीसी छात्रों को मिली सफलता के अंतर को समझाया था। उन्होंने कहा था कि सपा खुद को पीडीए के हितों की संरक्षक भले ही बताती हो, लेकिन रिकॉर्ड बताते हैं कि 2012 से 2017 के बीच सपा शासनकाल में लोकसेवा आयोग के माध्यम से विभिन्न पदों पर कुल 26,394 युवाओं का चयन हुआ था।

अंतिम रूप से चयनित इन अभ्यर्थियों में ओबीसी वर्ग की कुल हिस्सेदारी मात्र 26.38 फीसदी रही, जबकि एससी संवर्ग के युवाओं को 21.34 फीसदी सीटें मिली थीं। वहीं उनकी सरकार में 2017 से अब तक लोक सेवा आयोग के माध्यम से कुल 46,675 भर्तियां हुई हैं, जिसमें 38.41 फीसदी अकेले ओबीसी संवर्ग के युवाओं का चयन हुआ है। वहीं 3.74 प्रतिशत सीटें ईडब्ल्यूएस वर्ग के युवाओं को मिलीं। अनारक्षित पदों पर सामान्य श्रेणी के 36.76 फीसदी युवाओं को सफलता मिली।

इंडियन मुजाहिदीन धमकी मामले में एजाज शेख बरी, मक्का मस्जिद विस्फोट केस में मिल चुकी है मौत की सजा

मुंबई: मुंबई की विशेष मकाको अदालत ने इंडियन मुजाहिदीन के धमकी भरे मेल के मामले में आरोपी एजाज शेख को बरी कर दिया है। एजाज शेख को बरी करने का आदेश 2 अगस्त को दिया गया। गौरतलब है कि जिस एजाज शेख को मकोका अदालत ने बरी किया है, उसी को हैदराबाद की कोर्ट ने मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में दोषी ठहराते हुए मौत की सजा दी थी। एजाज शेख की मौत की सजा की पुष्टि का मामला फिलहाल हैदराबाद हाईकोर्ट के समक्ष विचाराधीन है।

सृूबतों के अभाव में अदालत ने बरी किया
विशेष मकोका न्यायाधीश बी डी शेलके ने इंडियन मुजाहिदीन के धमकी भरे ईमेल भेजने के मामले में सबूतों के अभाव में शेख को बरी कर दिया। हालांकि, विस्तृत आदेश अभी उपलब्ध नहीं है। बीपीओ में काम कर चुका और तकनीक का जानकार एजाज शेख फिलहाल हैदराबाद की जेल में बंद है। एजाज के वकील ने दलील दी कि जिस आईपी एड्रेस से ईमेल किया गया, वह नॉर्वे का था। वकील ने मुंबई पुलिस की जांच पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि एजाज शेख को बलि का बकरा बनाया गया क्योंकि जांच कर रहे अधिकारी असली आरोपी का पता लगाने में विफल रहे।

साल 2015 में गिरफ्तार हुआ था एजाज शेख
दरअसल अक्तूबर 2010 में ब्रिटेन स्थित बीबीसी समाचार चैनल को एक ईमेल भेजकर इंडियन मुजाहिदीन द्वारा राजधानी दिल्ली में आतंकी हमले की धमकी दी थी। इसकी जांच की गई तो पता चला कि यह ईमेल दक्षिण मुंबई से भेजा गया था। इसके बाद जांच में पुलिस की जांच एजाज शेख पर केंद्रित हुई। जिसमें पता चला कि शेख ने अपने मोबाइल से धमकी भरे ईमेल भेजे थे। एजाज शेख को फरवरी 2015 में मुंबई की अपराध शाखा ने गिरफ्तार किया था। बता दें कि एजाज शेख पर जुलाई 2011 में जावेरी बाजार, ओपेरा हाउस और कबूतर खाना में हुए सिलसिलेवार विस्फोटों का भी मुकदमा चल रहा है, जिसमें 21 लोग मारे गए थे।

‘SC-ST आरक्षण में क्रीमी लेयर का प्रावधान न लाया जाए’, केंद्रीय मंत्री अठावले बोले- विरोध करेंगे

मुंबई:  एससी-एसटी आरक्षण से क्रीमी लेयर को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। अठावले ने कहा कि एससी-एसटी वर्ग की जातियों का उप वर्गीकरण किया जाना चाहिए। इससे समूह में पिछड़ी जातियों को लाभ मिलेगा। लेकिन SC-ST आरक्षण में क्रीमी लेयर का प्रावधान न लाया जाए। अगर ऐसा किया गया तो हमारी पार्टी इसका विरोध करेगी।

रिपब्लिकन पार्टी ऑन इंडिया (अठावले) के प्रमुख और सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने ओबीसी और सामान्य श्रेणी के सदस्यों के लिए भी समान उप-वर्गीकरण की मांग की। अठावले ने कहा कि एससी-एसटी के लिए आरक्षण जाति पर आधारित है। एससी और एसटी के आरक्षण में क्रीमी लेयर के प्रावधान लागू करने के किसी भी कदम का आरपीआई (ए) कड़ा विरोध करेगी।

अठावले ने कहा कि देश में 1,200 अनुसूचित जातियां हैं। इनमें से 59 महाराष्ट्र में हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत महाराष्ट्र सरकार को अनुसूचित जातियों का अध्ययन करने और उन्हें ए, बी, सी, डी में उप-वर्गीकृत करने के लिए एक आयोग बनाना चाहिए। इससे एससी में आने वाली सभी जातियों को न्याय मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या है?
उच्चतम न्यायालय के सात न्यायधीशों की संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि राज्य को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जातियों का उप-वर्गीकरण करने का अधिकार है। फैसले का मतलब है कि राज्य एससी श्रेणियों के बीच अधिक पिछड़े लोगों की पहचान कर सकते हैं और कोटे के भीतर अलग कोटा के लिए उन्हें उप-वर्गीकृत कर सकते हैं। यह फैसला भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनाया है। पीठ ने इस मामले पर तीन दिनों तक सुनवाई की थी और बाद 8 फरवरी, 2024 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सर्वोच्च अदालत की संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत से सुनाए ऐतिहासिक फैसले में हिस्सा रहे जस्टिस गवई ने कहा कि राज्यों को एससी, एसटी में क्रीमी लेयर की पहचान करनी चाहिए।

पीएम मोदी की राज्यपालों से अपील- केंद्र और राज्य सरकार के बीच बने प्रभावशाली माध्यम

राज्यपाल सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राज्यपालों के आग्रह किया कि वे सभी केंद्र और राज्य सरकार के बीच एक असरदार पुल की भूमिका निभाएं। पीएम ने राज्यपालों से कहा कि लोगों और सामाजिक संगठनों के साथ इस तरह से बातचीत करने का आग्रह किया, जिससे वंचित लोगों को शामिल किया जा सके।

सम्मेलन में इन मुद्दों पर की जाएगी चर्चा
बता दें कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। वहीं इस सम्मेलन को लेकर राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, शनिवार को खत्म होने वाले इस सम्मेलन में ऐसे कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, जो न केवल केंद्र-राज्य संबंधों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बल्कि आम लोगों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

राष्ट्रपति मुर्मू ने उद्घाटन के दौरान दी सलाह
इस सत्र के दौरान अपने उद्घाटन भाषण में राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि लोकतंत्र के सुचारू संचालन के लिए यह महत्वपूर्ण है कि कई केंद्रीय एजेंसियां सभी राज्यों में बेहतर समन्वय के साथ काम करें। उन्होंने राज्यपालों को सलाह दी कि वे इस बारे में सोचें कि वे अपने-अपने राज्यों के संवैधानिक प्रमुख के रूप में इस समन्वय को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि इस सम्मेलन के एजेंडे में सावधानीपूर्वक चुने गए मुद्दे शामिल हैं, जो राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण हैं।

‘राज्यपालों ने जो शपथ ली है, उसका पालन करेंगे’
इस दौरान राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि सभी राज्यपाल लोगों की सेवा और कल्याण में योगदान देना जारी रखेंगे, उन्होंने जो शपथ ली है, उसका पालन करेंगे। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं और राज्यपाल ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान को बड़े पैमाने पर जन आंदोलन बनाकर इसमें योगदान दे सकते हैं।

उपराष्ट्रपति और गृह मंत्री ने भी सत्र को किया संबोधित
वहीं अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राज्यपालों की शपथ का जिक्र किया और उनसे सामाजिक कल्याण योजनाओं और पिछले दशक के दौरान हुए अविश्वसनीय विकास के बारे में लोगों को जागरूक करने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का निर्वहन करने का आग्रह किया। जबकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दो दिवसीय सम्मेलन में होने वाली चर्चाओं की रूपरेखा बताई और राज्यपालों से लोगों में विश्वास पैदा करने और विकास कार्यों को बढ़ावा देने के लिए ‘जीवंत गांवों’ और ‘आकांक्षी जिलों’ का दौरा करने का आग्रह किया।

भाजपा का राहुल पर वार, कहा- वायनाड भूस्खलन में जवाबदेही से बचने को नई कहानी गढ़ रहे कांग्रेस नेता

नई दिल्ली :  वायनाड भूस्खलन के मामले में भाजपा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हमला बोला है। भाजपा नेताओं का कहना है कि वायनाड भूस्खलन मामले में राहुल गांधी पर सवाल उठ रहे हैं। इन सवालों का जवाब देने से बचने के लिए राहुल गांधी नई कहानी गढ़ रहे हैं कि उनके खिलाफ ईडी की छापेमारी की योजना बनाई जा रही है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि राहुल गांधी से भी लोग वायनाड मामले में सवाल कर रहे हैं। इसलिए वे नई कहानी बना रहे हैं। आपदा में 300 से अधिक लोगों की मौत हो गई। इनमें ज्यादातर गरीब थे। यह सिर्फ एक त्रासदी नहीं बल्कि अपराध है। उन्होंने लापरवाही के लिए 2009 से लगातार राज्य सरकारों को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा कि वायनाड के लोगों ने इसकी कीमत चुकाई।

केंद्रीय मंत्री और भाजपा के सहयोगी ललन सिंह ने कहा कि गांधी ने कुछ ऐसा किया होगा जिसके बारे में उनका मानना है कि सवाल पूछे जाएंगे। अगर कोई गलत नहीं करेगा तो कुछ क्यों होगा? बता दें गांधी 2019 और 2024 के चुनावों में वायनाड से सांसद चुने गए थे। उन्होंने इस बार वायनाड को अपनी लोकसभा सीट के रूप में छोड़ दिया और रायबरेली को बरकरार रखा है।

कांग्रेस ने घोषणा की है कि उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा वायनाड से उपचुनाव लड़ेंगी, जिसकी घोषणा होनी बाकी है। दोनों भाई-बहन इस समय वायनाड में प्रभावित परिवारों से मुलाकात कर रहे हैं। हाल ही में राहुल ने एक्स पर पोस्ट किया था कि संसद में उनके भाषण के बाद उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी की योजना बनाई जा रही है। गांधी ने कहा था कि वह बाहें फैलाकर इंतजार कर रहे हैं।

क्या दलितों व आदिवासियों का जीवन भेदभाव मुक्त हो गया? मायावती ने उठाए सवाल

लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिए गए फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि क्या दलितों व आदिवासियों का जीवन द्वेष व भेदभाव-मुक्त हो गया है? ऐसे में आरक्षण का बंटवारा कितना उचित है? उन्होंने भाजपा-कांग्रेस को भी निशाने पर लिया और कहा कि एससी-एसटी व ओबीसी लेकर दोनों दलों का रवैया उदारवादी रहा है सुधारवादी नहीं।

उन्होंने सोशल साइट एक्स पर कहा कि सामाजिक उत्पीड़न की तुलना में राजनीतिक उत्पीड़न कुछ भी नहीं। क्या देश के खासकर करोड़ों दलितों व आदिवासियों का जीवन द्वेष व भेदभाव-मुक्त आत्म-सम्मान व स्वाभिमान पूर्ण का हो पाया है। अगर नहीं तो फिर जाति के आधार पर तोड़े व पछाड़े गए इन वर्गों के बीच आरक्षण का बंटवारा कितना उचित?

देश के एससी, एसटी व ओबीसी बहुजनों के प्रति कांग्रेस व भाजपा दोनों ही पार्टियों और सरकारों का रवैया उदारवादी रहा है सुधारवादी नहीं। वे इनके सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति के पक्षधर नहीं हैं। वरना इन लोगों द्वारा आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में डालकर इसकी सुरक्षा जरूर की गई होती।

1. सामाजिक उत्पीड़न की तुलना में राजनीतिक़ उत्पीड़न कुछ भी नहीं। क्या देश के ख़ासकर करोड़ों दलितों व आदिवासियों का जीवन द्वेष व भेदभाव-मुक्त आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का हो पाया है। अगर नहीं तो फिर जाति के आधार पर तोड़े व पछाड़े गए इन वर्गों के बीच आरक्षण का बंटवारा कितना उचित?

2. देश के एससी, एसटी व ओबीसी बहुजनों के प्रति कांग्रेस व भाजपा दोनों ही पार्टियों/सरकारों का रवैया उदारवादी रहा है सुधारवादी नहीं। वे इनके सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति के पक्षधर नहीं वरना इन लोगों के आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में डालकर इसकी सुरक्षा जरूर की गयी होती।

बता दें कि आरक्षण को लेकर बृहस्पतिवार को दिए गए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी कोटे के भीतर कोटा को वैधानिक करार दिया है और क्रीमी लेयर को आरक्षण से बाहर करने की बात कही है।

‘शाह से मिलने दिल्ली आने की बात सच साबित हुई तो सियासत छोड़ दूंगा’, अजित पवार की विपक्ष को चुनौती

नासिक: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख अजित पवार ने शुक्रवार को कहा कि अगर भाजपा से गठबंधन करने से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के लिए उनके दिल्ली आने की खबरें सच साबित हो जाती हैं तो वह राजनीति छोड़ देंगे। उन्होंने विपक्षी दलों के नेताओं को चुनौती दी कि अगर ये खबरें गलत पाई जाती हैं तो जिन लोगों ने उन पर ये आरोप लगाए हैं, उन्हें सियासत छोड़ देनी चाहिए। पवार ने आरोप लगाया कि उन्हें बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है।

दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया है कि हाल ही में हुई एक अनौपचारिक बातचीत के दौरान अजित पवार ने खुद कहा कि उन्होंने दोनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर नई दिल्ली में अमित शाह के साथ बैठकें कीं। पवार ने कथित तौर कहा, “मैं उन बैठकों में भाग लेने के लिए दिल्ली जाते समय हवाई यात्रा के दौरान मास्क और टोपी पहनता था। मैंने हवाई यात्रा के दौरान अपना नाम भी बदल दिया था।”

उनके कथित बयानों के आधार पर शिवसेना (यूबीटी) और राकांपा (शरद चंद्र पवार) ने उन पर निशाना साधा था। हालांकि, अजित पवार ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वह छिपकर राजनीति नहीं करते हैं। उन्होंने कहा, “मैं लोकतंत्र में काम करने वाला एक कार्यकर्ता हूं। मुझे कुछ भी छिपाकर राजनीति करने की आदत नहीं है। हालांकि, हमें विरोधियों द्वारा फर्जी और झूठी खबरों से बदनाम किया जा रहा है।”

पवार ने कहा, मेरे भेष बदलकर दिल्ली जाने की खबर झूठी है। अगर मैं कहीं भी जाऊंगा तो खुले तौर पर जाऊंगा। मुझे किसी से डरने की जरूरत नहीं है। अगर ये खबरें सही साबित हो जाती हैं तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा। उन्होंने कहा कि संसद में तथ्यों का सत्यापन होना चाहिए और अगर रिपोर्ट सही साबित हुई तो वह सियासत छोड़ देंगे। लेकिन अगर रिपोर्ट गलत पाई जाती तो बिना किसी सबूत या तथ्यों आरोप लगाने वालों राजनीति छोड़ देनी चाहिए।

‘मेरा इरादा किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था’, विवादित टिप्पणी पर घिरे ममता बनर्जी के मंत्री की सफाई

कोलकाता:  पश्चिम बंगाल में भाजपा के विरोध के बीच राज्य मंत्री फिरहाद हकीम ने दावा किया कि एक धार्मिक कार्यक्रम में उनकी टिप्पणियों को गलत तरीके से बताया गया है। उन्होंने आगे कहा कि उनका किसी को भी ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था। फिरहाद हकीम बंगाल के शहरी विकास मंत्री और कोलकाता के मेयर भी हैं। उन्होंने गुरुवार को विधानसभा में कहा कि वह एक मुसलमान है, लेकिन ह हमेशा दुर्गा पूजा और काली पूजा का आयोजन करते हैं।

अपनी टिप्पणी को लेकर विवाद पर बोले फिरहाद हकीम
फिरहाद हकीम जब पिछले महीने अखिल भारतीय कुरान प्रतियोगिता में की गई टिप्पणी पर सदन में बोलने के लिए खड़े हुए तो उसी समय भाजपा विधायक वॉकआउट करने लगे। इस पर हकीम ने कहा, “यह बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि जब भी मैं किसी प्रश्न का उत्तर देने के लिए खड़ा होता हूं तो यह व्यक्ति या पूरा ग्रुप वॉकआउट कर रहा होता है। अगर मेरी किसी टिप्पणी का गलत मतलब निकाला जाता है तो मैं इसमें क्या कर सकता हूं। भाजपा नेता शंकर घोष और जो भी लोग यहां मौजूद हैं, क्या वे मुझे बता सकते हैं कि वे मुझे धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति मानते हैं या नहीं? हर कोई जानता है कि मैं एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति हूं। इस सदन के बाहर मेरी टिप्पणी का राजनीतिकरण करना सही नहीं है।”

उन्होंने आगे कहा, “मैंने कभी भी किसी भी अन्य धर्म का अनादर नहीं किया और अपने जीवन के आखिरी दिनों में भी नहीं करूंगा। मैं दूसरे धर्म के लोगों का भी सम्मान करता हूं। मैं इस्लाम को मानता हूं, लेकिन हमेशा दुर्गा पूजा और काली पूजा का आयोजन करता हूं। मेरी टिप्पणी का राजनीतिकरण किया गया है। मेरा किसी को भी ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था। मैं धर्मनिरपेक्ष हूं और आगे भी ऐसा ही रहूंगा।”

शुभेंदु अधिकारी ने दी प्रतिक्रिया
सदन में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि जिस तरह से हकीम ने अपनी टिप्पणी का विवरण दिया, उससे उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने आगे कहा, “उस कार्यक्रम में आपको एक मेयर और एक मंत्री के तौर पर आमंत्रित किया गया था। आपने वहां जो भी कहा, मैं वह नहीं कह रहा हूं। आपके भाषण का पहला भाग ठीक है, लेकिन दूसरे भाग में आप अन्य धर्मों के लोगों को उस धर्म में शामिल होने के लिए बुला रहे हैं, जिसे आप मानते हैं। मैं नहीं चाहता हूं कि आप मांफी मांगें, लेकिन मैं सिर्फ इतना चाहता हूं कि आपने जिनके भावनाओं को ठेस पहुंचाया है और उन्हें सॉरी बोल दें।” हकीम ने बताया कि वह कार्यक्रम में इसलिए गए, क्योंकि उन्हें वहां एक विशेष धर्म के प्रतिनिधि के रूप में आमंत्रित किया गया था।

मणिपुर में शांति बहाल करने की कवायद, मैतेई और हमार समुदाय जिरीबाम में साथ काम करने को सहमत हुए

इंफाल: मैतेई और हमार समुदाय के प्रतिनिधियों ने मणिपुर के हिंसा प्रभावित जिरीबाम जिले में हालात सुधारने और शांति बहाल करने के लिए साथ काम करने को सहमत हो गए हैं। असम के कछार में गुरुवार को सीआरपीएफ सुविधा केंद्र में आयोजित बैठक में आमने-सामने खड़े दोनों पक्षों के बीच समझौता हुआ। अधिकारियों ने बताया कि बैठक का संचालन जिरीबाम जिला प्रशासन, असम राइफल्स और सीआरपीएफ कर्मियों ने किया। बैठक में जिरीबाम जिले के थाडू, पैते और मिजो समुदायों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।

बैठक में क्या-क्या तय हुआ?
बैठक में यह तय किया गया कि दोनों पक्ष सामान्य स्थिति लाने, आगजनी तथा गोलीबारी की घटनाओं को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। दोनों पक्ष जिरीबाम जिले में तैनात सभी सुरक्षा बलों की मदद करेंगे। दोनों पक्ष नियंत्रित और समन्वित आवाजाही को सुविधाजनक बनाएंगे। सभी सहभागी समुदायों के प्रतिनिधियों ने इस दौरान वादों से जुड़ा बयान जारी किया। इस पर सभी के हस्ताक्षर थे। अगली बैठक 15 अगस्त को होगी।

मणिपुर में हिंसा कब शुरु हुई?
दरअसल, पिछले साल मई से इंफाल घाटी के मैतेई और आसपास की पहाड़ियों पर स्थित कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।

जिरीबाम में हिंसा कब से शुरू हुई?
जातीय रूप से विविधतापूर्ण जिरीबाम इंफाल घाटी और आसपास की पहाड़ियों में जातीय हिंसा से काफी हद तक अछूता था। हालांकि, इस साल जून में खेतों में एक किसान का क्षत-विक्षत शव मिलने के बाद यहां भी हिंसा शुरू हो गई। दोनों पक्षों की ओर से की गई आगजनी की घटनाओं के कारण हजारों लोगों को अपने घर छोड़कर राहत शिविरों में जाना पड़ा। यहीं जुलाई के मध्य में सुरक्षा बलों की गश्त के दौरान आतंकवादियों ने घात लगाकर हमला किया था। इस दौरान सीआरपीएफ के एक जवान की जान चली गई थी।